बादशाह सदाक़त
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राजद के राष्टीय नेता डा.मोहम्मद शहाबुद्दीन को महज एक व्यक्ति समझकर नितीश जी और महागठबंधन के तथकथित नेताओं ने भारी भूल की है।अदालत को गुमराह करके उनको जेल भिजवाकर इन नेताओं ने बिहार के मुस्लिम समाज के दिलों पर ठेस पहुंचाई है।इसका परिणाम आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।शहाबुद्दीन आज की तारीख में व्यक्ति नहीं ,संस्था का नाम हो चूका है।जिन विधायकों की नसीब मुस्लिम मतदाता लिखने का काम करते हैं ,उनके सामने भविष्य की चिंता आ खड़ी हुई है।इस मामले में सरकार ने राज धर्म का अपमान किया है।शहाबुद्दीन को जेल में बन्द करके मुसलमानों पर राज करने का सपना देखने वाले यह मत भूलें कि जुल्म और अन्याय की कोख से ही परिवर्तन की क्रांति का जन्म होता है।
आप हमें आवाज़ दें, हम आपकी आवाज़ बनेंगें,उठें जागें और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द करें। "" कुफ़्र की हकुमत चल सकती है लेकिन ज़ुल्म की नहीं "" ।। बिना चिंगारी के आग नहीं लग सकती ।।
शनिवार, अक्तूबर 01, 2016
अन्याय की कोख से क्रांति का जन्म होता है
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