आप हमें आवाज़ दें, हम आपकी आवाज़ बनेंगें,उठें जागें और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द करें। "" कुफ़्र की हकुमत चल सकती है लेकिन ज़ुल्म की नहीं "" ।। बिना चिंगारी के आग नहीं लग सकती ।।
रविवार, जनवरी 31, 2016
गुरुवार, जनवरी 28, 2016
जिला सहकारिता पदाधिकारी सीतामढ़ी पर रिश्वत लेने का आरोप
जिला सहकारिता पदाधिकारी सीतामढ़ी पर रिश्वत लेने का आरोप
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मो○कमरे आलम
परिहार (सीतामढ़ी):प्रखणड व्यापार मंडल सहयोग समिति लिमिटेड परिहार के अध्यक्ष मोहम्मद सउद आलम ने अंचल अधिकारी परिहार के माध्यम से जिला पदाधिकारी सीतामढ़ी को आवेदन देकर जिला सहकारिता पदाधिकारी पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है आलम ने लिखा हैकि वर्ष 2014-15में डी○सी○ओ सीतामढ़ी ने किसानों के धान का मूल्य भुगतान के एडवांस पर दस्तखत करने के लिए मु○75000/ रु रिशवत ले लिये
2-तत्कालीन सी० ओ○ अजय कुमार enforcement देने मे मु○ 10000/ रुपया रिश्वत ले लिया पुनः 1500 क्वीनटल धान का enforcement- मेमो न○ 69, 70,71, कौंसिल कर दिये और कागजात भी गायब कर दिये
3पी○सी○सी○ कार्य पालक सहायक मो० सुब्हानी को 100 रु क्वीनटल रिश्वत नही दिया तो केन्द से धान वापस कर दिया जिससे 300 क्वीनटल धान सड़ गया
4- दिनांक 12-3-2015 को एसएफसी को 270 कवीनटल सी एम आर चावल दिया 2-11-2015 को 1लाख 52 हजार रकम ही भुगतान किया गया जिससे बैंक की राशि का सूद बढ़ता गया ।
आलम ने उच्च स्तरीय जाॅच कर न्याय की गुहार लगायी है।
सीतामढ़ी के शिक्षा विभाग में सूचना का अधिकार अधिनियम -2005 :-मो○कमरे आलम की नज़र में
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सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 भारत में 12 अक्टूबर 2005 में लागू किया गया बिहार ने सूचना का अधिकार 2006 बना कर राज्य में लागू किया ।सूचना का अधिकार अधिनियम लागू करने के पीछे शासन का ये लक्ष्य हैकि आम अवाम को सरकार प्रायोजित योजनाओ, कार्यक्रमों की जानकारी आसानी से मिल सके शासन प्रशासन में पूर्ण पारदर्शिता स्थापित हो मगर सरकार के इस मंशा को अधिनस्थ कर्मी फलने फूलने का मौका नहीं दे रहें हैं ।
सीतामढ़ी जिला के शिक्षा विभाग से किसी आवेदक ने सूचना मांगा हो और लोक सूचना पदाधिकारी ने समयावधि में सूचना उपलब्ध कराया हो ऐसा मिसाल ढ़ूढ़ने शायद मिल जाय। सीतामढ़ी शिक्षा विभाग के लोक सूचना पदाधिकारी आवेदक को सूचना उपलब्ध करवाना अपनी गरीमा के विरुद्ध समझते हैं अगर मांगी गईं सूचना लेनी है तो राज्य सूचना आयोग तक का सफर तय करना ही पड़ेगा क्योंकि प्रथम अपीलय प्राधिकार का आदेश इनके के सामने कोई मायने रखता ही नही है और राज्य सूचना आयोग के आदेश के बावजूद आप को सूचना मिल ही जाय ये कहना मुश्किल है इसको समझने केलिए एक उदाहरण प्रस्तुत है जो सच्चाई और आप बीती पर आधारित है।
मैं मो○कमरे आलम लोक सूचना पदाधिकारी -सह -जिला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी से दिनांक 05/03/2012को प्र-पञ 'क' में सूचना की मांग किया था मगर निर्धारित अवधि में सूचना देना तो दूर कोई संज्ञान ही नहीं लिए तब मैं प्र-पड़ 'छ' में प्रथम अपीलीय प्राधिकार-सह-क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक मुजफ्फरपुर के समकक्ष प्रथमअपील दिनांक 16/04/2012 को दर्ज किया ।
मंगलवार, जनवरी 26, 2016
सीतामढ़ी के सभी प्रतिनियुक्त शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति रद्द
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सीतामढ़ी : जिले के कुछ शिक्षकों को छोड़ अन्य शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति तत्काल के प्रभाव से रद्द कर दी गयी है. शिक्षा मंत्री डा अशोक चौधरी के आदेश के आलोक में उक्त आशय का डीपीओ स्थापना प्रेमचंद्र द्वारा पत्र निर्गत कर दिया गया है.
इन पर आदेश लागू नहीं
बीआरसीसी व सीआरसीसी के रूप में प्रतिनियुक्त शिक्षकों पर डीपीओ का उक्त आदेश लागू नहीं होगा. बंद एवं एक शिक्षकीय विद्यालयों एवं सरकार के आदेश से बुनियादी विद्यालयों में की गयी प्रतिनियुक्ति पर उक्त आदेश असर नहीं करेगा. उपरोक्त स्थिति के अलावे किसी भी स्तर से की गयी प्रतिनियुक्ति को रद्द कर दिया गया है.
24 घंटे में योगदान करें
डीपीओ ने प्रतिनियुक्त शिक्षक व शिक्षिकाओं को 24 घंटा के अंदर अपने मूल विद्यालय में योगदान करने का आदेश दिया है. सभी निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की नियमित शिक्षकों के मामले में यह जवाबदेही होगी कि विपत्र जारी करते समय इस आशय का प्रमाण पत्र देंगे.
डीपीओ का सख्त निर्देश
डीपीओ प्रेमचंद्र ने जारी पत्र में कहा है कि नियमित शिक्षकों के मामले में बीइओ की जवाबदेही होगी कि उपरोक्त स्थिति को छोड़ कर अन्य सभी मामले में यदि शिक्षक किसी भी स्तर के पदाधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्त हैं तो ऐसे शिक्षकों का वेतन भुगतान ऋणात्मक सूची में डाल कर प्रतिवेदित करेंगे ताकि विभाग को ऐसे मामले से अवगत कराया जा सके.
प्रतिनियुक्ति का खेल पुराना
बता दें कि जिले में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति का मामला काफी पुराना है. करीब-करीब सभी बीडीओ द्वारा प्रखंड कार्यालयों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. खास बात यह कि जिस काम के लिए प्रखंड कार्यालय में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की जाती है, वह काम पूरा हो जाने के बावजूद प्रतिनियुक्ति रद्द नहीं की जाती है. फलत: संबंधित शिक्षक अपने मूल विद्यालय में नहीं लौटते हैं. सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो बीडीओ को शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने का अधिकार नहीं है.
एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड
प्रतिनियुक्ति का हद यह है कि किसी प्रखंड के शिक्षक व शिक्षिका को उसी प्रखंड के एक से दूसरे स्कूल में प्रतिनियुक्ति की जाती है. हद तो यह कि एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड के स्कूल में भी प्रतिनियुक्ति कर दी जाती है. हैरानी की बात यह कि सरकार के आदेश के आलोक में डीइओ के स्तर से इस तरह की प्रतिनियुक्ति को रद्द करने के लिए अब तक कई बार पत्र निकाला जा चुका है, लेकिन उनका तमाम पत्र संबंधित कार्यालयों में दब गया है. यही कारण है कि डीपीओ के स्तर से प्रतिनियुक्ति रद्द का एक बार फिर पत्र निर्गत किया गया है.
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26 जनवरी 2016
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हिन्दुस्तान जिन्दा बाद।जिन्दा बाद , जिंदा बाद ,जिंदा बाद।
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