गुरुवार, जनवरी 28, 2016

जिला सहकारिता पदाधिकारी सीतामढ़ी पर रिश्वत लेने का आरोप

जिला सहकारिता पदाधिकारी सीतामढ़ी पर रिश्वत लेने का आरोप
---------------------------------
मो○कमरे आलम

परिहार  (सीतामढ़ी):प्रखणड व्यापार मंडल सहयोग समिति लिमिटेड परिहार के अध्यक्ष मोहम्मद सउद आलम ने अंचल अधिकारी परिहार के माध्यम से जिला पदाधिकारी सीतामढ़ी को आवेदन देकर जिला सहकारिता पदाधिकारी पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है आलम ने लिखा हैकि वर्ष 2014-15में डी○सी○ओ सीतामढ़ी ने किसानों के धान का मूल्य भुगतान के एडवांस पर दस्तखत करने के लिए मु○75000/ रु रिशवत ले लिये
2-तत्कालीन सी० ओ○ अजय कुमार enforcement  देने मे मु○ 10000/ रुपया रिश्वत ले लिया पुनः  1500 क्वीनटल धान का enforcement- मेमो न○ 69, 70,71, कौंसिल  कर दिये और कागजात भी गायब कर दिये
3पी○सी○सी○ कार्य पालक सहायक मो० सुब्हानी को 100 रु क्वीनटल रिश्वत नही दिया तो केन्द से धान वापस  कर दिया जिससे 300 क्वीनटल धान सड़ गया
4- दिनांक 12-3-2015 को एसएफसी को 270 कवीनटल सी एम आर चावल दिया 2-11-2015 को 1लाख 52 हजार रकम ही भुगतान किया गया जिससे बैंक की राशि का सूद बढ़ता गया ।          
                   आलम ने उच्च स्तरीय जाॅच कर न्याय की गुहार लगायी है।

सूरज डूबने से पहले

पैग़म्बरे इस्लाम के अनुयायी का सलूक




सीतामढ़ी के शिक्षा विभाग में सूचना का अधिकार अधिनियम -2005 :-मो○कमरे आलम की नज़र में

सीतामढ़ी के शिक्षा विभाग में सूचना का अधिकार अधिनियम -2005 :-मो○कमरे आलम की नज़र में
-----------------------------------------------------------------
लोक सूचना पदाधिकारी से लेकर राज्य सूचना आयोग तक का सफ़र 
================================
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 भारत में 12 अक्टूबर 2005 में लागू किया गया बिहार ने सूचना का अधिकार 2006 बना कर राज्य में लागू किया ।सूचना का अधिकार अधिनियम लागू करने के पीछे शासन का ये लक्ष्य हैकि आम अवाम को सरकार प्रायोजित योजनाओ, कार्यक्रमों की जानकारी आसानी से मिल सके शासन प्रशासन में पूर्ण पारदर्शिता स्थापित हो मगर सरकार के इस मंशा को अधिनस्थ कर्मी फलने फूलने का मौका नहीं दे रहें हैं ।
         सीतामढ़ी जिला के शिक्षा विभाग से किसी आवेदक ने सूचना मांगा हो और लोक सूचना पदाधिकारी ने समयावधि में सूचना उपलब्ध कराया हो ऐसा मिसाल ढ़ूढ़ने शायद मिल जाय। सीतामढ़ी शिक्षा विभाग के लोक सूचना पदाधिकारी आवेदक को सूचना उपलब्ध करवाना अपनी गरीमा के विरुद्ध समझते हैं अगर मांगी गईं सूचना लेनी है तो राज्य सूचना आयोग तक का सफर तय करना ही पड़ेगा क्योंकि प्रथम अपीलय प्राधिकार का आदेश इनके के सामने कोई मायने रखता ही नही है और राज्य सूचना आयोग के आदेश के बावजूद आप को सूचना मिल ही जाय ये कहना मुश्किल है इसको समझने केलिए एक उदाहरण प्रस्तुत है जो सच्चाई और आप बीती पर आधारित है।
           मैं मो○कमरे आलम लोक सूचना पदाधिकारी -सह -जिला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी से दिनांक 05/03/2012को प्र-पञ 'क' में सूचना की मांग किया था मगर निर्धारित अवधि में सूचना देना तो दूर कोई संज्ञान ही नहीं लिए तब मैं प्र-पड़ 'छ' में प्रथम अपीलीय प्राधिकार-सह-क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक मुजफ्फरपुर के समकक्ष प्रथमअपील दिनांक 16/04/2012 को दर्ज किया ।
                 अपीलय प्राधिकार ने आदेश आदेश पारित कर पत्रांक 611 दिनांक 21/04/2012 निर्गत कर सूचना पदाधिकारी को मांगी गई सूचना एक सप्ताह के अंदर देने का आदेश दिया परंतु एक माह बीत जाने के बाद भी सूचना नही दी गई तब जाकर आयोग में दिनांक 25/05/2012 को आवेदन देकर द्वितीय दर्ज करने का अनुरोध किया  राज्य आयोग ने अनुरोध स्वीकार कर वाद सख्या 75184/12-13 दिनांक 17/08/12 दर्ज कर अपने आदेश 07/01/2013 के द्वारा 30दिनों के अंदर सूचना देने के साथ विलम्ब के सम्बंध में स्पष्ट कारण का प्रतिवेदन की मांग की जिस की सूचना मुझे ज्ञापांक 6144दिनांक 30/01/2013 को दी गई मगर क्या मजाल के सूचना पदाधिकारी के सेहत पर कोई असर हो सूचना नही देनी थी नही दी मैं पुनः आयोग को 7/03/2013 को लिखा और कारवाई की मांग किया ।
माननीय सूचना आयुक्त श्री एस विजय राधवन ने इसे गम्भीरता से लिया और ज्ञापांक 2716दिनांक 09मई2013 के माध्यम से सूचना पदाधिकारी को फटकार लगाते हुए लिखा क्यों नहीं आपके विरुद्ध सूचना का अधिकार अधिनियम के संगत प्रावधानों के अंतर्गत दणडात्मक कारवाई प्रारंभ की जाय ? और आयोग के समक्ष 26/08/2013 तक स्पष्टीकरण पेश करने को कहा और सुनवाई की तिथि 04/09/2013 निर्धारित किया ।04/09/2013 के सुनवाई तिथि को लोक सूचना पदाधिकारी ने स्वीकार किया कि मांगी गई सूचना की Hardcopy उनके पास है जो एक सप्ताह के अंदर उपलब्ध करा देंगे आयोग ने अनुरोध स्वीकार कर लिया और अगली तिथि 14/03/2014 निर्धारित कर दी।
              जिला शिक्षा पदाधिकारी ने अपने पत्रांक( सस्थापना )4453  सोथ दिनांक 06/09/3013   के माध्यम से अधुरी सूचना देते हुए लिखा कि आप को पत्रांक 4311 दिनांक 30/08/2013 के Gmail द्वारा सूचना दी जा चुकी है जबकि मुझे कोई सूचना नही दी गई ।मैं आयोग मे दिनांक 20/02/2014 को आपत्ति दर्ज कराई आयोग ने 14/03/2014 को आदेश पारित कर सूचना पदाधिकारी को आपत्ति का निराकरण कर दो सप्ताह के अंदर सूचना देने को कहा मगर कोई निराकरण नही हुआ न ही सूचना दी गई ।अगली सुनवाई 26/06/14 निर्धारित थी मगर सूचना आयुक्त के सेवा निवृत्तिके कारण 13/11/2014 कर दी गई ।पूर्ण सूचना नही मिलने के कारण मैं 20/10/14 को फिर पत्र लिखा था 13/11/2014 को दोनों पक्षों के अनुपस्थिति के कारण तिथि 24/04/15 कर दी गई और मेरे 20/10/14 के पत्रत्र का उल्लेख नही किए ।24/04/15के आदेश में आयुक्त महोदय ने मेरे 20/10/14 के पत्र की अनदेखी करते हुए आदेश पारित करते हुए लिखा कि अभिलेखो के अवलोकन से पता चला कि आवेदक को उनके प्रपत्र,क,दिनांक 05/03/2012 के अनुसरण में जिला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी ने पत्रांक 4311/दिनांक 30/08/13 के जरिए सूचना उपलब्ध करा दी है।वाद की अगली तिथि निर्धारित 11/12/15 करते हुए लिखा कि यदि आवेदक की ओर से कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नही होती है तो यह समझा जाएगा कि उन्हें कुछ नही कहना है और वाद की अगली सुनवाई में एकतरफा निर्णय ले लिया जाएगा ।जबकि जिला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी के उक्त पत्रांक से कोई सूचना उपलब्ध हुआ ही नही ।दिनांक 11/12/2015 को होने वाली सुनवाई 30/06/16 को निर्धारित कर दी गई है।

 

मंगलवार, जनवरी 26, 2016

सीतामढ़ी के सभी प्रतिनियुक्त शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति रद्द

कुछ को छोड़ बाकी शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गयी रद्द

-------

सीतामढ़ी : जिले के कुछ शिक्षकों को छोड़ अन्य शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति तत्काल के प्रभाव से रद्द कर दी गयी है. शिक्षा मंत्री डा अशोक चौधरी के आदेश के आलोक में उक्त आशय का डीपीओ स्थापना प्रेमचंद्र द्वारा पत्र निर्गत कर दिया गया है.

 इन पर आदेश लागू नहीं

बीआरसीसी व सीआरसीसी के रूप में प्रतिनियुक्त शिक्षकों पर डीपीओ का उक्त आदेश लागू नहीं होगा. बंद एवं एक शिक्षकीय विद्यालयों एवं सरकार के आदेश से बुनियादी विद्यालयों में की गयी प्रतिनियुक्ति पर उक्त आदेश असर नहीं करेगा. उपरोक्त स्थिति के अलावे किसी भी स्तर से की गयी प्रतिनियुक्ति को रद्द कर दिया गया है.

24 घंटे में योगदान करें

डीपीओ ने प्रतिनियुक्त शिक्षक व शिक्षिकाओं को 24 घंटा के अंदर अपने मूल विद्यालय में योगदान करने का आदेश दिया है. सभी निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की नियमित शिक्षकों के मामले में यह जवाबदेही होगी कि विपत्र जारी करते समय इस आशय का प्रमाण पत्र देंगे.

डीपीओ का सख्त निर्देश

डीपीओ प्रेमचंद्र ने जारी पत्र में कहा है कि नियमित शिक्षकों के मामले में बीइओ की जवाबदेही होगी कि उपरोक्त स्थिति को छोड़ कर अन्य सभी मामले में यदि शिक्षक किसी भी स्तर के पदाधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्त हैं तो ऐसे शिक्षकों का वेतन भुगतान ऋणात्मक सूची में डाल कर प्रतिवेदित करेंगे ताकि विभाग को ऐसे मामले से अवगत कराया जा सके.

 प्रतिनियुक्ति का खेल पुराना

बता दें कि जिले में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति का मामला काफी पुराना है. करीब-करीब सभी बीडीओ द्वारा प्रखंड कार्यालयों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. खास बात यह कि जिस काम के लिए प्रखंड कार्यालय में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की जाती है, वह काम पूरा हो जाने के बावजूद प्रतिनियुक्ति रद्द नहीं की जाती है. फलत: संबंधित शिक्षक अपने मूल विद्यालय में नहीं लौटते हैं. सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो बीडीओ को शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने का अधिकार नहीं है.

एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड

प्रतिनियुक्ति का हद यह है कि किसी प्रखंड के शिक्षक व शिक्षिका को उसी प्रखंड के एक से दूसरे स्कूल में प्रतिनियुक्ति की जाती है. हद तो यह कि एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड के स्कूल में भी प्रतिनियुक्ति कर दी जाती है. हैरानी की बात यह कि सरकार के आदेश के आलोक में डीइओ के स्तर से इस तरह की प्रतिनियुक्ति को रद्द करने के लिए अब तक कई बार पत्र निकाला जा चुका है, लेकिन उनका तमाम पत्र संबंधित कार्यालयों में दब गया है. यही कारण है कि डीपीओ के स्तर से प्रतिनियुक्ति रद्द का एक बार फिर पत्र निर्गत किया गया है.
×××××××××××××××××××××××

26 जनवरी 2016

देशवासियों को गणतंत्र दिवस मुबारक मुबारक मुबारक हो :- मो○कमरे आलम
-----------------------------------------------------------

आज पूरे हिन्दुस्तान में गणतंत्र दिवस का त्योहार मनाया जा रहा है ठंडक का ये आलम है कि बच्चों,  बुढ़े और  नौजवान सभी परेशान हैं मगर जोश व खरोश में कोई कमी नहीं ।
     हिन्दुस्तान जिन्दा बाद।जिन्दा बाद , जिंदा बाद ,जिंदा बाद।