शुक्रवार, मई 27, 2016

नियोजित शिक्षकों का अगले माह वेतन किया जायेगा जारी

मार्च-अप्रैल महीनों के वेतन मिलेंगे, मई का रहेगा लंबितवेतन जारी करने के लिए शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव बना कर वित्त विभाग में सहमति के लिए भेजा है. पटना : राज्य के 3.23 लाख प्रारंभिक स्कूलों के नियोजित शिक्षकों को जून महीने के दूसरे सप्ताह में वेतन मिल जायेगा. वेतन जारी करने के लिए शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव बना कर वित्त विभाग में सहमति के लिए भेजा है. सहमतिमिलने के बाद प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरीके लिए भेजा जायेगा और मंजूरी मिलने के बाद राशि को जिलों को जारी कर दिया जायेगा. केंद्र सरकार की ओर से सर्व शिक्षा अभियान में कुछ राशि आ चुकी है, जिससे शिक्षकों को दो महीने का वेतन दिया जा सकेगा. नियोजित शिक्षकों का कई जिलों में फरवरी महीने से और अधिकांश में मार्च महीने से ही वेतन बकाया है. सरकार मार्च व अप्रैल महीने की भी राशि जारी करती है तो मई महीने के वेतन फिर से लंबित हो जायेगा. जुलाई 2015 से ही नियोजित शिक्षकों को एक महीने या उससे अधिक समय तक वेतन लंबित रहा है.जुलाई महीने से शिक्षकों को नीयत वेतन की जगह वेतनमान दिया जा रहा है. उसी समय से वेतन में समस्या आ रही है और समय पर वेतन नहीं मिला है. जुलाई में वेतनमान लागू होने के बादपे-फिक्सेशन को लेकर तीन महीने तक वेतन जारी नहीं हुई. जुलाई-सितंबर 2015 की राशि एक साथअक्टूबर-नवंबर महीने में दी गयी. अक्टूबर-नवंबर की राशि जनवरी महीने में मिली. इसके बाद मार्च-अप्रैल महीने में दिसंबर से जनवरी, तो कहीं फरवरी तक की राशि का भुगतान हो सका.पटना : प्राथमिक शिक्षा कोर्ट केसों के निबटारे के लिए प्रमंडलवार समीक्षात्मक बैठक होगी. शिक्षा विभाग ने इसके लिए शिड्यूल जारी कर दिया है. छह जून को मुंगेर प्रमंडल, सात जून को मगध व पूर्णिया प्रमंडल,आठ जून को तिरहुत प्रमंडल, नौ जून को पटना व भागलपुर प्रमंडल और 10 जून को सारण, दरभंगा वसहरसा प्रमंडल की बैठक होगी. इसके लिए सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को निर्देश दे दिये गये हैं. प्राथमिक शिक्षा निदेशक एम.रामचंद्रुडु ने निर्देश जारी किया है कि प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के क्षेत्रीय स्तर पर बहुत से कोर्ट केस हैं, जिसके ना तो शपथ पत्र दायर किया गया है और ना ही जवाब दिया गया है. हाइकोर्ट 21 मई से 20 जून तक गर्मी की छुट्टी को लेकर बंद है. इस दौरान लंबित मामलों का जवाब तैयार करने और जो भी कठिनाइयां है उसे दूर करने की कार्रवाई की जायेगी. इसलिए डीइओ-डीपीओ लंबित मामलों की समीक्षा करते हुए समीक्षात्मक बैठक में शामिल हों.

गुरुवार, मई 19, 2016

जिला सीतामढ़ी में एक दिन में बना 2168 सोख्ता

पेयजल समस्या से जूझ रहे बिहार को बचाने के लिए सीतामढ़ी के डीएम ने बल दिया है. उनके मेहनत और कार्यउर्जा के बदौलत उन्होंने एक दिन में जिले भर में 2168 सोख्ते (शोक पिट) का निर्माण कर एक रिकॉर्ड बनाया है जो की सराहनीय है. आज देश के कई इलाके सूखे के संकट से जूझ रहे है यहाँ तक की पीने तक का पानी आसानी से नहीं मिल रहा है ऐसे में बिहार के सीतामढ़ी जिले में जल संरक्षण को लेकर जिलाधिकारी ने एक अनूठी पहल की है.

महाराष्ट्र के लातूर जिले में आए जलसंकट को देखते हुए सीतीमढ़ी जिला के जिलाधिकारी ने यह बड़ा कदम उठाया है जिसकी चारों तरफ इसकी सराहना हो रही है. 21 अप्रैल को सीतामढ़ी जिले में जिला प्रशासन, जिला जल व स्‍वच्‍छता समिति और यूनिसेफ बिहार की मदद से एक साथ जिले भर में 2168 सोक पिट (सोख्ता) का निर्माण कराया गया. इस पहल के अंतर्गत जिले के सभी सरकारी स्‍कूलों, मदरसों, निजी स्‍कूलों, आंगनबाडियों, स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों, थानों और प्रखंड कार्यालयों को शामिल किया गया.
समय से पूर्व किये गये इस काम से सीतामढ़ी को तो बहुत राहत मिलेगी. इस योजना में जिले भर में 2168 जगहों पर चापाकल और नलों के पास सोख्ते के निर्माण करवाने की योजना बनाई, जिसके लिए यूनिसेफ के तरफ से तकनीकी सहयोग प्रदान किया गया. इन शोक पिटों के निर्माण से गंदगी के कारण फैलने वाले रोगों पर भी अंकुश लगेगा तथा पानी के लेवल में भी सुधार होगा.
तिरहुत कमिश्नरी के कमिश्नर अतुल प्रसाद ने इस कार्य का पूरा श्रेय जिलाधिकारी को जाता है. उनके अर्जावान कार्यक्षमता के बदौलत आज सीतामढ़ी जिला ने बिहार ही नहीं देशभर को जल संरक्षण के लिए मार्ग प्रशस्त किया है. क्योंकि यह एक ऐसा प्रयास है जिससे कि कम लागत में बड़े पैमाने पर जल का संचय किया जा सके.

शनिवार, अप्रैल 30, 2016

मजदूरो का दिवस और हमारी जिम्मेदारियाँ

निकहत प्रवीन

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मजदूर दिवस पर विशेष लेख

"सरकार ठेका मजदूरी( नियमन औऱ उन्मूलन) केंद्रीय कानुन के 25वें कानून मे संशोधन करने जा रही है, इस संशोधन से प्रत्येक ठेका मजदुर को हर महीने 10 हजार रुपये मिल पाएगे"। ये वाक्य हैं देश के श्रम एंव रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय का जिन्होने मजदुरो की स्थिति मे सुधार लाने के लिए इस कार्य को आगे बढ़ाने का भरोसा हम सब मजदुरो को दिलाया है जी हाँ आज मजदुर दिवस के अवसर पर देश के रोजगार मंत्री की इन बातो को याद करना उन सबके लिए आवश्यक है जो मजदुर वर्ग की श्रेणी मे आते हैं हालांकि अक्सर मजदुर शब्द से हम- तपती धुप मे नंगे पांव किसी बोझ को ढोते या खिंचते हुए, या किसी फैकट्री मे बड़ी- बड़ी मशीनो को परेशान हाल मे चलाते हुए, या फिर किसी और के खेतो मे अपने परिवार का पेट पालने के लिएसूरज निकलने से लेकर डुबते समय तक कड़ी मेहनत करते हुए गरीब मजदूर किसान जैसीछवी मन मे बना लेते हैं जबकि मजदूर की परिभाषा को जानने की कोशिश करे तो मालुम होता है कि " कोई भी ऐसा व्यक्ति जो उसकी श्रम शक्ति को बेचकर अपना रोजगार कमाता है, वह मजदूर है। दुसरी परिभाषा के अनुसार मजदूरी का अर्थ सेवा है, सेवा प्रदान करने वाला व्यक्ति मजदूर होता है। ये परिभाषा साफ तौर पर बताती है कि किसी अन्य व्यक्ति के अंतर्गत काम करने वाला दुसरा व्यक्ति चाहे काम करने की जगह सड़क हो, खेत हो,फैकट्री हो, या कोई शानदार ऑफिस सब मजदूर की ही श्रेणी मे आते हैं क्योंकि प्रतेयक माह के अंत मे वो अपने मालिक द्वारा दिए जाने वाले वेतन के लिए उनपर निर्भर हैं ऐसे मे मजदूर दिवस की महत्वपूर्णतः हमारे देश केलोगो के लिए और भी बढ़ जाती है जहाँ की अधिकतर आबादी किसी न किसी प्रकार की नौकरी अर्थात मजदूरी द्वारा जीवनयापन कर रही है बावजुद इसके हममे से ज्यादातर लोग मजदूर दिवस के इतिहास औऱ इसकी महत्वपूर्णतः से अंजान है, दरअसल इस दिनकी शुरुआत 1886 में शिकागो में उस समय हुई जब मजदूर मांग कर रहे थे कि काम की अवधि आठ घंटे हो और सप्ताह में एक दिन की छुट्टी हो। इस हड़ताल के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति ने बम फोड़ दिया और बाद में पुलिस फायरिंग में कुछ मजदूरों की मौत हो गई, साथ ही कुछ पुलिस अफसर भी मारे गए। इसके बाद 1889 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय महासभा की दित्तीय बैठक में जब फ्रेंच क्रांति को याद करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया कि इसको अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए, उसी समय से दुनिया के 80देशों में मई दिवस को राषट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा।  हमारे देश में पहली बार मजदूर दिवस 1923 में मनाया गया जिसका सुझाव सिंगारवेलु चेट्टीयार नाम के एक कम्यूनिस्ट नेता ने दिया उनका कहना था कि "दुनिया भर के मजदुर इस दिन को मनाते हैं तो भारत मे भी इसकी शुरुआत की जानी चाहिए"। इस संबध मे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था" किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारो और किसानो पर निर्भर करती है"।परंतु वर्तमान समय की स्तिथि पर नजर डाला जाए तो स्पष्ट होता है कि हमारे देश केकामगरो की स्तिथि संतोषजनक नही है और हो भी कैसे हममे से अधिकतर मजदुर वर्ग की श्रेणी मे तो जरुर हैं लेकिन एक मजदुर होने के नाते हमे अपने अधिकारो और उत्तरदायित्वका कोई ज्ञान नही जबकि हमे मालुम होना चाहिए की हर साल मजदुर दिवस के अवसर पर सरकार की ओर से कई प्रकार की योजनाएँ मजदुरो के उत्थान के लिए बनाई जाती हैं और कुछ सुविधाएँ पहले से भी मौजुद हैं उदाहरण कल कारखानो मे काम करने वाले मजदूरो की अगर किसी दुर्घटना के दौरान मौत हो गई तो सरकार की ओर से एक लाख और स्थाई विकलांगता पर 75 हजार रुपये तथा भवन एवं अन्य सन्निर्माण प्रकियाओ मे कार्यरत मजदुरो के मेधावी बच्चो को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए मेधावी छात्र पुरुस्कार के तौर पर दो से बारह हजार रुपये तक मिलते हैं साथ ही पुत्री विवाह के लिए अनुदान स्वरुप बीस हजार रुपये तथा आवास के लिए पैंतालीस हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। ये सारी सुविधा मजदूर वर्ग के लिए ही है लेकिन जागरुकता की कमी के कारण अधिकतर अपने अधिकारो से वंचित रह जाते हैं ऐसे मे हम सबकी ये जिम्मेदारी है कि हम इन योजनाओ की जानकारी से खुद भी अवगत हो और दुसरो को भी इसके प्रति जागरुक करें ताकि आने वाले समय मे फिर किसी कार्ल मार्क्स को मजदुरो के अधिकार के लिए "दुनिया के मजदुरो एक हो"का नारा न देना पड़े।

अशरफ स्थानवी का मुस्लिम मतदाताओं से विशेष आग्रह

बिहार पंचायत राज चुनाव २०१६, १० चरणों में होना है पहला चरण पूरा कर लिया गया शेष ९ चरणों में चुनाव होना है ये चुनाव होना है ,पंचायती राज व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है ग्रामीणों का विकास, सशक्तिकरण, पंचायतो का विकास ग्राम वासियों के माध्यम से हम अपने विकास का मार्ग प्रशस्त्र कर सकते हैं , अल्पसंख्यक मतदाताओं से विशेष आग्रह है कि कृपया कर पंथीय , जातीय मतभेद को भुला कर अल्पसंख्यक हितेषी उम्मीदवार को मुखिया , सरपंच और पंचायत समिति सदस्य निर्वाचित करें, विगत २०११ में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में 8463 मुख्या में से मात्र 518 मुखिया ही निर्वाचित हो सके थे, हमारा प्रयास हो के भरी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पंचायत राज वयवस्था में निर्वाचित हों -

मुत्तहिद हो तो बदल दोगे निज़ाम-ए-आलम
मुंतशिर हो तो मरो, शोर मचाते क्यों हो !

अशरफ अस्थानवी

مسلم رائے دہندگان سے خصوصی اپیل
بہار پنچایتی انتخاب 2016 جاری ہے ۔ 10 مرحلوں میں ہو نے والا اس انتخاب کا پہلا مر حلہ گزر چکا ہے۔ بقیہ9 مراحل میں الکشن ہو نے ہیں ۔ گذشتہ 2011 کے پنچایت انتخابات میں 8463 مکھیا کے عہدے پر محض 512 مسلم امید وار کامیاب ہو سکے تھے۔ 22بلاک پرمکھ اور 4 اضلاع کے ضلع پریشد چیئر مین مسلمان منتخب ہوئےتھے جو کہ آبادی کے تناسب میں بہت کم ہے ۔ براہ کرم مسلکی ، نظریاتی اور ذات پات کے اختلافات کو فراموش کر کے کلمہ وحدت کی بنیاد پر متحد ہو کر ملی جذبے سے سرشار صاف ستھرے شبیہہ کے امید وار کو منتخب کر کے اپنا ملی فریضہ انجا م دیں ۔ ملی رہنمائوں اور ائمہ مساجد سے گذارش ہے کہ وہ اس اہم موضوع پر ملت کی رہنمائی کریں ۔
متحد ہو تو بدل دوگے نظام عالم
منتشر ہو تو مرو شور مچاتے کیوں ہو
اشرف استھانوی

शुक्रवार, अप्रैल 29, 2016

अमरेन्द्र पाठक ने लिया बीईओ का अतिरिक्त प्रभार

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी डुमरा श्री अमरेन्द्र कुमार पाठक ने परिहार के अतिरिक्त प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का प्रभार ग्रहण किया है ।
            प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी परिहार के आदेशानुसार दिनांक  04-05-2016 को सभी CRCC एवं BRCC के बैठक का आयोजन किया गया है ।जिसमे सभी CRCC  बैठक में अनिवार्य रुप से  उपस्थित रहेंगे ।

गुरुवार, अप्रैल 28, 2016

तीन नशेरी जेल भेजे गए

मो○दुलारे
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परिहार-सुबे के मुख्यमंत्री का फरमान किसी भी कीमत पर थानेदारो की लापरवाही बरदास्त नही थाना क्षेत्र मे गड़बड़ी हुई तो दस साल तक उनको किसी थाना मे पोस्टींग नही किया जायेगा इस लीए थानेदार भी कोई रीश्क मोल नही लेना चाहते थानेदार के साथ बीडीओ भी नशेबाज को जेल भेज रहे है बुधवार की देर शाम थानाध्यक्ष वाहन चेकिंग मे थे तभी एक वाईक पैशन प्रो जिसका नं-डी एल55/5142पर दोनो सवार नशे के हालत मे  थाना क्षेत्र के   नोनाही गाँव निवासी रामवीर सिंह का पुत्र प्रवीण कुमार व बालेश्वर सिंह का पुत्र राधेश्याम   धराया वही शराब पी कर रोड का शहनशाह बनने पर बेतहा निवासी स्व-हनीफ अंसारी का पुत्र मुस्तफा अंसारी गिरफ्तार हुआ है तीनो को उत्पाद अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर न्यायीक हिरासत भेज दिया ।

मंगलवार, अप्रैल 26, 2016

भूरी बिल्ली- महज़बीं

लगभग 6, 7 साल पहले हमारे मुहल्ले में एक बिल्ली थी.. भूरे रंग की.. क्या निडर बिल्ली थी.. और बहादुर भी थी.. शुरू शुरू में जब हमारे मुहल्ले में आई थी.. तो, उसके आतंक से सारा मुहल्ला परेशान था.. गुर्राती थी सब पर.. कभी - कभी छत पर खेलते बच्चों को पंज्जा भी मार देती थी.. एक बार शाम के वक्त मैं छत पर जा रही थी, जैसे ही मैं लास्ट सीढ़ी पर चढ़ी, उसने दिवार की ओट से निकलकर मुझ पर हमला किया.. मैं तेजी से अब्बा - अब्बा की चीखें मारती हुई नीचे उतरी.. अब्बा जी ने जल्दी से मेरी चीखें सुनकर मुझे अपने पिछे करके, उस बिल्ली को भगाया.. वो अक्सर छत पर बैठी रहती थी.. कभी किसी की छत पर, तो कभी किसी की छत पर, और मौका मिलते ही हमला करती थी.. आए दिन मुहल्ले में कोई न कोई बच्चा, उसके पंज्जो का शिकार हो जाया करता था... और दिन में गली में मटक - मटक कर, ठुमक - ठुमक कर चलती थी.. ऐसे जैसे मॉडल लड़कियां रैंप पर चलतीं हैं.. अगर कोई कुत्ता उसे देखकर उसके पिछे भौंकता हुआ भागता था.. तो भी नहीं डरती थी.. और कुत्ते पर गुर्राती थी.. जबर्दस्त तरीके से, भईया कुत्ता ही डर कर चला जाता था.. सभी गली मुहल्ले के लोग दंग रह जाते थे, यह देखकर.. सब आस - पास के सभी मुहल्लों में, फेमस हो गई थी वो भूरे रंग की निडर बिल्ली... कोई उससे पंगे नहीं लेता था.. कुत्तों ने भी हमारे मुहल्ले में आना जाना कम कर दिया था.. और हमारे घर में रोज दरवाजे पर से, बाईक पर कूदकर ऊपर छत पर जाती थी.. उसके पैरों के पंज्जो से बाईक की गद्दी फट जाती थी.. निशान पड़ जाते थे, मेरे भाई ने परेशान होकर बाईक पर मोटी चादर ढकना शुरू कर दिया था.. ऐसे ही मुहल्ले में उस बिल्ली का आतंक दो तीन साल चला.. हमारे कैलाश अंकल, वो फौजी थे.. अपने बेटे को भी फौजी बनाना चाहते थे.. लेकिन वो बिजनेस में रूची रखता था.. तो उसने बिजनेस ही को अपनी रोजी रोटी का ज़रिया बनाया.. फिर उन्होंने ठानी की अपनी दोनों बेटियों की शादी फौजी लड़कों से ही करूंगा .. भईया शादी ब्याह के मामले में बिरादरीवाद, क्षेत्रवाद तो सुना था.. हमारे कैलाश अंकल एक दूसरे ही तरीके का वाद चला रहे थे.. "फौजीवाद" उनकी बड़ी बेटी ने अपने सहकर्मी से शादी कर ली.. अंकल बड़े परेशान कि, ये फौजीवाद की विरासत आगे कैसे चलेगी.. दो बच्चों ने तो बगावत कर ली.. अब उनकी एक छोटी बेटी बची थी. तो अंकल ने उसे मना - मुनु कर उसकी शादी एक फौजी ख़ानदान में तय करी.. होने वाला दामाद भी फौजी ही था.. जिस दिन उनकी बेटी की बारात घर पर आई.. तो बारात में आदमियों के साथ फौजी कुत्ते भी तशरीफ लाए.. क्योंकी बारात फौजी ख़ानदान के यहां से आई थी.. इसलिए प्रदर्शन के लिए फौजी कुत्ते भी साथ में आए थे, ताक़ी सबको ये बात अच्छी तरह से पता चल जाए की बारात फौजियों के यहाँ से आई है.. बारत में जो दो तीन कत्ते आए थे भईया कुत्ते नहीं शेर थे.. भारी - भरकम, ऊंची हाइट वाले, खूंखार कुत्ते, मुहल्ले वालों ने सोचा आज अगर भूरी बिल्ली इन कुत्तों के सामने सड़क पर, या तंबू में कैटवॉक करने आ गई, तो उसकी खैर नहीं.. इनसे नहीं बच पाएगी.. नवीन भईया और एक दो लड़के बिल्ली से बहुत प्यार करते थे.. उन्हें बिल्ली पर रहम आया, और उन्होंने बिल्ली को बचाने के लिए ऐसा किया की, नवीन भईया के ऊपर वाले कमरे में बिल्ली के लिए छिछड़े ला कर रख दिये.. जैसे ही भूरी बिल्ली छिछड़े खाने कमरे में घुसी.. उन्होंने कमरा बंद कर दिया.. इस तरह बिल्ली काफी देर कमरे में बंद रही, तोड़ - फोड़ करती रही.. रात के 12 बजे क़रीब न जाने किसने जा कर ऊपर का कमरा खोल दिया.. और बिल्ली वहां से भाग गई.. और गली में निचे उतरकर, कैटवॉक💃💃�👯👯 करने लगी... वो घूम ही रही थी कि बरात में आए कुत्तों की नजर उसपर पड़ी.. बस क्या था बिल्ली उनसे भी नहीं डरी.. पिछे मुड़कर उन फौजी कुत्तों पर गुर्राई.. वो गली के कुत्ते थोड़ा ही थे, जो डर जाते.. एक एक करके झपट्टा  मारा उन तीनों कुत्तों ने..   बिल्ली पर.. बस दो तीन झपट्टों में ही बिल्ली की टैं बोलगई... न हड्डी टूटी न खून निकाला, और तीन ही झपट्टों में सीधे अल्लाह पुर पंहच गई.. अगले दिन हर कोई बिल्ली की अचानक हुई मौत पर हैरान था.. सब यही कह रहे थे कि कितनी निडर बिल्ली थी.. ऐसी बिल्ली कोई दूसरी नहीं देखी.. मर गई मरते - मरते भी नहीं डरी.. और फौजी कुत्तों के सामने कैटवॉक करने आ गई और मौत के घाट उतार दी गई। गली में  एक दो बच्चों ने उस बिल्ली की बॉडी पर गैंदे के फूल की माला डाल दी.. और ले जा कर पार्क में दफना दिया.. आज भी अगर कोई किसी भूरी बिल्ली को देखता है तो, 
वो निडर बिल्ली याद आ जाती है।