शनिवार, अगस्त 27, 2016

नियोजित शिक्षकों को मिल सकती है ऐच्छिक तबादले की सुविधा।

परिहार (सीतामढी)।राज्य के करीब साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों का तबादला अब मनपसंद जगहों पर हो सकेगा. शिक्षा विभाग उनकी सेवा शर्त के निर्धारण में जुटा हुअा है. सूत्रों का कहना है कि सेवा शर्त में इन शिक्षकों को कम-से कम एक बार एेच्छिक तबादले की सुविधा को शामिल किया जा सकता है. फिलहाल नियोजन इकाई के स्कूलों में ही उनका तबादला हो सकता है. सेवा शर्त के प्रस्ताव को पहले विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सामने रखा जायेगा. इसके बाद इस पर शिक्षा मंत्री की भी सहमति ली जायेगी तब नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त अंतिम रूपतय हो पायेगी. हालांकि, प्रधान सचिव की अध्यक्षतावाली कमेटी की एक साल से अधिक समय होने के बाद भी कोई बैठक नहीं हो सकी है. शिक्षक संगठनों की मांग के बाद पिछले दिनों ही शिक्षा मंत्री डाॅ अशोक चौधरी ने माध्यमिक शिक्षा और प्राथमिक शिक्षा निदेशालय को शिक्षक संगठनों से बातचीत कर सुझाव लेने का निर्देश दिया है. उनके सुझावों को सेवा शर्त के प्रस्ताव में रखा जायेगा. शिक्षा मंत्री के निर्देश के बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशालय हाइ व प्लस टू स्तर से वैसे शिक्षक संगठनों को, जो मुख्य सचिव के साथ वार्ता में शामिल थे, एक सितंबर को सुझाव देने को कहा है. वहीं, प्रारंभिक स्कूलों के शिक्षक संगठनों को भी सितंबर के पहले सप्ताह में सुझाव देने का मौका दिया जायेगा. समान काम-समान वेतन है मुख्य मांग : नियोजित शिक्षक सेवा शर्तों में समान काम के लिए समान वेतन देने की मांग कर रहे हैं. पुराने वेतनमान वाले शिक्षकों को उनसे कहीं ज्यादा वेतन मिलता है, जबकि नियोजित शिक्षकों के लिए जुलाई, 2015 से नया वेतनमान दिया जा रहा है. नियोजित शिक्षक ऐच्छिक तबादले की मांग भी कर रहे हैं. इसके अलावा पेंशन स्कीम से भी जोड़ने की लगातार शिक्षक मांग करते रहे हैं अौर जितने भी अप्रशिक्षित शिक्षक हैं, उन्हें एक साथ प्रशिक्षित कराने की भी वकालत करते रहे हैं.

गुरुवार, अगस्त 25, 2016

टोला सेवक एंव शिक्षा स्वयं सेवक को पांच माह से मानदेय भुगतान नही

टोला सेवक एंव शिक्षा स्वयं सेवक को पांच माह से मानदेय भुगतान नही होने के कारण इनके समक्ष भुखमरी की हालत उत्पन्न हो गईं है।
       परिहार संघ ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी साक्षरता सीतामढी से मानदेय भुगतान करने की मांग की गई है।

मंगलवार, अगस्त 23, 2016

जमुई में ब्रेन हेम्रेज से प्रखंड शिक्षक की मौत

बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ ने, ढ़ाई लाख रुपया का सहयोग राशि देने का लिया निर्णय

23-08-16 को प्रातः 3 बजे प्रखंड शिक्षक योगेन्द्र मंडल ums बिचला कटौना , प्रखंड बरहट, जिला जमुई का निधन ब्रेन हेम्रेज के कारण हो गया है।
सैकड़ों शिक्षक ने उनके पार्थिव शरीर के स्कूल पहुँचते ही भावभीनी श्रधांजलि अर्पित किया |

साथ ही बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के बरहट प्रखंड अधयक्ष महेश शर्मा की अध्यक्षता में अपात बैठक कर जिला सचिव रवि यादव के नेतृत्व में बरहट प्रखंड के सभी शिक्षकों ने एक दिन का वेतन के रूप में  कुल ढ़ाई लाख रुपया स्व. शिक्षक के परिजन को बतौर सहयोग राशि के रूप में देने का निर्णय लिया है |

वही प्रदेश सचिव आनंद कौशल सिंह श्रधांजलि अर्पित करने के बाद डीईओ जमुई से अबिलम्ब स्व. योगेन्द्र मंडल के परिजन को 20 लाख रुपया बतौर मुआवजा व नौकरी देने की भी मांग की है |
        
        

गुरुवार, अगस्त 18, 2016

Nobody's friend

She had some sweets that she wouldn't share,
she had a book that she wouldn't lend,
she wouldn't let anyone play with her doll,
she's nobody's friend !
He had some toffee, and ate every bit,
He had a tricycle he wouldn't lend,
He never let anyone play with his train.
He's nobody's friend !
But I'll share all of my sweets with you,
My ball and my books, games I Will lend,
Here's half my Apple and half my cake.
                                  I'my your friend !

बुधवार, अगस्त 17, 2016

काउंसिलिंग स्थगित

सीतामढ़ी। प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति के लिए आगामी 16 व 17 अगस्त को होनवाली काउंसिलिंग स्थगित कर दी गई है। इस आशय की जानकारी डीपीओ प्रेमचंद ने देते हुए कहा कि डीओ के निर्देश के आलोक में यह निर्णय लिया गया है। बताया कि प्रोन्नति के लिए आगामी तिथि बाद में निर्धारित की जायेगी।

बुधवार, अगस्त 10, 2016

शिक्षा मंत्री ने नियोजित शिक्षकों को बताया डिरेल, कहा- टीचर की तरह रहें भाषण न दें

अपनी मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी से मिलने पहुंचे नियोजित शिक्षकों को बुधवार को समाधान के बजाय फटकार मिली.
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने नियोजित शिक्षकों को यहां तक कह दिया कि टीचर की तरह रहें और भाषण न दें. इसके बाद भी जब नियोजित शिक्षकों ने अपनी मांगों को दोहराना जारी रखा तो शिक्षा मंत्री ने उन्हें ये कहकर डपट दिया और कहा कि टीचर डीरेल हो गए हैं.
दरअसल शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी बुधवार को पटना कॉलेजिएट स्कूल के स्थापना दिवस में पहुंचे थे. बाहर निकलते वक्त शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी का नियोजित शिक्षकों ने घेराव किया और उन्हें बताया कि पिछले 6 माह से बिहार के नियोजित शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है जिसके कारण शिक्षक भूखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले 15 सालों की यह व्यवस्था खराब है और 6 महीने में ठीक नहीं किया जा सकता है.
उधर नियोजति शिक्षक विनोद कुमार का कहना है कि पिछले 6 महीने से वेतन नहीं मिल है और उनकी स्थिति खराब हो गई है.
नियोजित शिक्षकों ने मंत्री के सामने एक समान वेतनमान देने की भी गुहार लगाई लेकिन शिक्षा मंत्री ने इसे एक सिरे से खारिज कर दिया।

रविवार, अगस्त 07, 2016

Diffuse reflections

Diffuse reflection is the reflection oflight from a surface such that an incident ray is reflected at manyangles rather than at just one angle as in the case of specular reflection. An illuminated ideal diffuse reflecting surface will have equal luminancefrom all directions which lie in the half-space adjacent to the surface (Lambertian reflectance).

A surface built from a non-absorbing powder such as plaster, or from fibers such as paper, or from apolycrystalline material such as whitemarble, reflects light diffusely with great efficiency. Many common materials exhibit a mixture of specular and diffuse reflection.

The visibility of objects, excluding light-emitting ones, is primarily caused by diffuse reflection of light: it is diffusely-scattered light that forms the image of the object in the observer's eye.

सोमवार, अगस्त 01, 2016

बिहार पंचायत- नगर प्रारम्भिक शिक्षक संघ (2565/11) का विधानसभा के मानसून सत्र के दॊरान कार्यक्रम नहीं।

प्रदेश अध्यक्ष पूरण कुमार ने बताया कि बिहार के दर्जनों  जिला बाढ़ग्रस्त होने एवं सिर्फ चार दिन का विधानसभा का मानसून सत्र होने के कारण संघ द्वारा कोई कार्यक्रम नहीं करने का निर्णय लिया  गया हॆ। साथ ही सेवा शर्त, ऎच्छिक स्थानान्तरण, अप्रशिक्षित शिक्षकों का एकमुश्त प्रशिक्षण, बेसिक ग्रेड से स्नातक ग्रेड में समायोजन, अप्रशिक्षित शिक्षकों को ग्रेड पे,स्थानीय पदाधिकारी द्वारा शिक्षकों का आर्थिक शोषण ,जीविका द्वारा विद्यालय का निरीक्षण सहित मूलभूत समस्याओं के बावजूद शिक्षामंत्री द्वारा शिक्षारथ के माध्यम से बिहार भ्रमण का सभी जिला में विरोध करने का निर्णय लिया गया हॆ, जिसकी शुरुआत सुपॊल जिला से हो चुकी हॆ। शिक्षकों से अपील हॆ कि अन्य संगठन द्वारा किए गए कार्यक्रम का हिस्सा ना बनें।शिक्षक अपने-अपने प्रखंड इकाई के माध्यम से सम्मेलन सह सेमिनार का आयोजन कर एकजुटता का परिचय दें ताकि आने वाले दिनों में लाखों  शिक्षकों की मॊजूदगी में विधानसभा का घेराव कर पूर्ण वेतनमान की मांग को जोरदार ढंग से रखा जाए ।                                   

गुरुवार, जून 02, 2016

मेरा नाम निसार है और मैं एक ज़िंदा लाश हूँ

Written by : रवीश कुमार
Date : 2016-06-01
“मैंने जेल के भीतर अपनी ज़िंदगी के 8,150 दिन बिताये हैं। मेरे लिए ज़िंदगी ख़त्म हो चुकी है। आप जो देख रहे हैं वो एक ज़िंदा लाश है। “

क्या ये पंक्ति इतनी सामान्य है कि इसे पढ़ने के बाद किसी को फर्क़ ही नहीं पड़ा हो। जिस दिन के इंडियन एक्सप्रेस में मुज़ामिल जलील की यह कहानी छपी है उस दिन बेहतरीन संसाधनों और रिसर्च टीम से लैस मीडिया के नायंकर ( एंकर और नायक से मिलकर बना एक नया शब्द है) इस कहानी से बेख़बर रहे। इंडियन एक्सप्रेस तो सब पढ़ते हैं फिर भी इस बात से समाज, संस्था, मीडिया, राजनीति और पत्रकारों में शांति पसरी रही। इसका मतलब है कि अब हम सामान्य होने लगे हैं। एक आदमी जो ख़ुद को ज़िंदा लाश की तरह दिखाना चाहता है, हम उसकी लाश को देखकर सामान्य होने लगे हैं। हमें न तो मर चुके को देख कर फर्क पड़ता है न ही मरे जैसे को देखकर।

निसार की कहानी तन्मय की कहानी से हार गई। तन्मय ने भारत रत्नों का कथित रूप से अपमान कर दिया था जिसे लेकर तमाम चैनलों की प्राइम रातें बेचैन हो गईं थीं। आख़िर वे भारत रत्न के साथ हुए अपमान को कैसे बर्दाश्त कर सकते थे। राष्ट्रपति के द्वारा मनोनित सांसद रियालिटी टीवी में फूहड़ हंसी हंसते हैं,सब बर्दाश्त कर लेते हैं। चुने गए सांसद साबुन तेल और शैंपू का विज्ञापन कर रहे हैं क्या किसी को फर्क पड़ता है। क्या किसी ने पूछा कि स्टुडियो में जितना घंटा देते हैं क्या ये सांसद जनता के बीच भी उतने ही आराम से बतियाते हैं। भारत रत्न से पुरस्कृत नायक पंखा घड़ी और लेमचूस का विज्ञापन करते हैं क्या किसी को फर्क पड़ता है। क्या भारत सरकार अपने भारत रत्नों के रहने-खाने का प्रबंध नहीं कर सकती जिससे उन्हें बिल्डलर से लेकर बर्तन तक का विज्ञापन न करना पड़े। मुझे नहीं मालूम कि भारत रत्नों की चिन्ता में ये सवाल आए या नहीं लेकिन मुझे तन्मय की हरकतों पर भी कुछ नहीं कहना है।

आज़ादी और ज़िम्मेदारी का मुद्दा चलता रहेगा। कुछ लतीफे अपमानजनक न भी हो तो इतने घटिया तो होते ही हैं कि सुनकर चुप रहा जाए। मगर इंटरनेट पर राजनीतिक रूप से गाली गलौज की संस्कृति को पचाने और नज़रअंदाज़ करने का लेक्चर देने वाले भी इस बहस में कूद पड़े। हो सकता है कि यह गंभीर मुद्दा हो और राष्ट्र की प्राइम रातों की हसीन चर्चाओं से इसका निपटारा हुआ हो लेकिन बिना किसी प्रमाणित सबूत के निसार की ज़िंदगी के 23 साल जेल में बीत गए। क्या उसके साथ जो मज़ाक हुआ वो किसी तन्मय के फूहड़ मज़ाक से कम भद्दा था। अगर हमें भद्दे मज़ाक की फिकर है तब तो फिर नासिर का ही मसला नायंकरों के मुखमंडलों पर छा जाना चाहिए था।

निसार-उद-द्दीन अहमद 23 साल पहले बाबरी मस्जिद ध्वंस की पहली बरसी पर हुए धमाके के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। इस घटना में दो यात्री मारे गए और 11 घायल हो गए थे। फार्मेसी के छात्र नासिर को पुलिस ने कर्नाटक के गुलबर्गा से उठा लिया। उसका भाई ज़हीर भी साज़िश के आरोप में उठा लिया गया। 23 साल तक जेल में रहा लेकिन पुलिस एक भी सबूत पेश नहीं कर पाई।

निसार ने कहा है कि वो 20 साल का था जब जेल में बंद कर दिया गया। आज 43 साल का है। तब उसकी छोटी बहन 12 साल की थी जिसकी शादी हो चुकी है। अब उसकी बेटी 12 साल की है। मेरी भतीजी एक साल की थी अबउसकी शादी हो चुकी है। मेरी रिश्ते की बहन मुझसे दो साल छोटी थी, अब वो दादी बन चुकी है। मेरी ज़िंदगी से एक पूरी पीढ़ी चली गई है।

15 जनवरी 1994 को उसे कर्नाटक के गुलबर्गा से उठाकर हैदराबाद लाया गया था। कर्नाटक पुलिस को भी पता नहीं था कि निसार को गिरफ्तार किया गया है। जब निसार के घरवालों को पता चला तो मुकदमा लड़ने की तैयारी में जुट गए। उसके पिता मुकदमा लड़ते लड़ते 2006 में चल बसे। ज़हीर को भी आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी मगर फेफड़े में कैंसर के कारण वो बाहर आ गया। वो कैंसर से लड़ता रहा और अपने भाई की बेगुनाही के लिए।

निसार को पहले पुलिस ने उसे हैदराबाद में 1993 में एक मुस्लिम संस्थान में हुए धमाके के आरोप में गिरफ्तार किया। बाद में दोनों भाइयों को कई और धमाकों में आरोपी बनाकर टाडा लगा दिया गया। इकबालिया बयान के दम पर पुलिस ने दावा किया कि निसार ने एपी एक्सप्रेस में बम रखने की बात कबूल कर ली है। कर्नाटक और हैदराबाद पुलिस जांच कर ही रही थी कि यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। 21 मई 1996 को हैदराबाद की कोर्ट ने इन पर लगाए गए टाडा के प्रावधानों को हटा दिया और कहा कि बिना किसी गंभीरता के टाडा के प्रावधान लगा दिये गए हैं।

पत्रकार मुज़ामिल जलील को निसार ने बताया है कि डीसीपी के वी रेड्डी और इंस्पेक्टर बी श्यामा ने उसका बयान लिखवाया था, उस पर दस्तख़त तक नहीं थे। हैदराबाद के ट्रायल क

शुक्रवार, मई 27, 2016

नियोजित शिक्षकों का अगले माह वेतन किया जायेगा जारी

मार्च-अप्रैल महीनों के वेतन मिलेंगे, मई का रहेगा लंबितवेतन जारी करने के लिए शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव बना कर वित्त विभाग में सहमति के लिए भेजा है. पटना : राज्य के 3.23 लाख प्रारंभिक स्कूलों के नियोजित शिक्षकों को जून महीने के दूसरे सप्ताह में वेतन मिल जायेगा. वेतन जारी करने के लिए शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव बना कर वित्त विभाग में सहमति के लिए भेजा है. सहमतिमिलने के बाद प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरीके लिए भेजा जायेगा और मंजूरी मिलने के बाद राशि को जिलों को जारी कर दिया जायेगा. केंद्र सरकार की ओर से सर्व शिक्षा अभियान में कुछ राशि आ चुकी है, जिससे शिक्षकों को दो महीने का वेतन दिया जा सकेगा. नियोजित शिक्षकों का कई जिलों में फरवरी महीने से और अधिकांश में मार्च महीने से ही वेतन बकाया है. सरकार मार्च व अप्रैल महीने की भी राशि जारी करती है तो मई महीने के वेतन फिर से लंबित हो जायेगा. जुलाई 2015 से ही नियोजित शिक्षकों को एक महीने या उससे अधिक समय तक वेतन लंबित रहा है.जुलाई महीने से शिक्षकों को नीयत वेतन की जगह वेतनमान दिया जा रहा है. उसी समय से वेतन में समस्या आ रही है और समय पर वेतन नहीं मिला है. जुलाई में वेतनमान लागू होने के बादपे-फिक्सेशन को लेकर तीन महीने तक वेतन जारी नहीं हुई. जुलाई-सितंबर 2015 की राशि एक साथअक्टूबर-नवंबर महीने में दी गयी. अक्टूबर-नवंबर की राशि जनवरी महीने में मिली. इसके बाद मार्च-अप्रैल महीने में दिसंबर से जनवरी, तो कहीं फरवरी तक की राशि का भुगतान हो सका.पटना : प्राथमिक शिक्षा कोर्ट केसों के निबटारे के लिए प्रमंडलवार समीक्षात्मक बैठक होगी. शिक्षा विभाग ने इसके लिए शिड्यूल जारी कर दिया है. छह जून को मुंगेर प्रमंडल, सात जून को मगध व पूर्णिया प्रमंडल,आठ जून को तिरहुत प्रमंडल, नौ जून को पटना व भागलपुर प्रमंडल और 10 जून को सारण, दरभंगा वसहरसा प्रमंडल की बैठक होगी. इसके लिए सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को निर्देश दे दिये गये हैं. प्राथमिक शिक्षा निदेशक एम.रामचंद्रुडु ने निर्देश जारी किया है कि प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के क्षेत्रीय स्तर पर बहुत से कोर्ट केस हैं, जिसके ना तो शपथ पत्र दायर किया गया है और ना ही जवाब दिया गया है. हाइकोर्ट 21 मई से 20 जून तक गर्मी की छुट्टी को लेकर बंद है. इस दौरान लंबित मामलों का जवाब तैयार करने और जो भी कठिनाइयां है उसे दूर करने की कार्रवाई की जायेगी. इसलिए डीइओ-डीपीओ लंबित मामलों की समीक्षा करते हुए समीक्षात्मक बैठक में शामिल हों.

गुरुवार, मई 19, 2016

जिला सीतामढ़ी में एक दिन में बना 2168 सोख्ता

पेयजल समस्या से जूझ रहे बिहार को बचाने के लिए सीतामढ़ी के डीएम ने बल दिया है. उनके मेहनत और कार्यउर्जा के बदौलत उन्होंने एक दिन में जिले भर में 2168 सोख्ते (शोक पिट) का निर्माण कर एक रिकॉर्ड बनाया है जो की सराहनीय है. आज देश के कई इलाके सूखे के संकट से जूझ रहे है यहाँ तक की पीने तक का पानी आसानी से नहीं मिल रहा है ऐसे में बिहार के सीतामढ़ी जिले में जल संरक्षण को लेकर जिलाधिकारी ने एक अनूठी पहल की है.

महाराष्ट्र के लातूर जिले में आए जलसंकट को देखते हुए सीतीमढ़ी जिला के जिलाधिकारी ने यह बड़ा कदम उठाया है जिसकी चारों तरफ इसकी सराहना हो रही है. 21 अप्रैल को सीतामढ़ी जिले में जिला प्रशासन, जिला जल व स्‍वच्‍छता समिति और यूनिसेफ बिहार की मदद से एक साथ जिले भर में 2168 सोक पिट (सोख्ता) का निर्माण कराया गया. इस पहल के अंतर्गत जिले के सभी सरकारी स्‍कूलों, मदरसों, निजी स्‍कूलों, आंगनबाडियों, स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों, थानों और प्रखंड कार्यालयों को शामिल किया गया.
समय से पूर्व किये गये इस काम से सीतामढ़ी को तो बहुत राहत मिलेगी. इस योजना में जिले भर में 2168 जगहों पर चापाकल और नलों के पास सोख्ते के निर्माण करवाने की योजना बनाई, जिसके लिए यूनिसेफ के तरफ से तकनीकी सहयोग प्रदान किया गया. इन शोक पिटों के निर्माण से गंदगी के कारण फैलने वाले रोगों पर भी अंकुश लगेगा तथा पानी के लेवल में भी सुधार होगा.
तिरहुत कमिश्नरी के कमिश्नर अतुल प्रसाद ने इस कार्य का पूरा श्रेय जिलाधिकारी को जाता है. उनके अर्जावान कार्यक्षमता के बदौलत आज सीतामढ़ी जिला ने बिहार ही नहीं देशभर को जल संरक्षण के लिए मार्ग प्रशस्त किया है. क्योंकि यह एक ऐसा प्रयास है जिससे कि कम लागत में बड़े पैमाने पर जल का संचय किया जा सके.

शनिवार, अप्रैल 30, 2016

मजदूरो का दिवस और हमारी जिम्मेदारियाँ

निकहत प्रवीन

7042293794
मजदूर दिवस पर विशेष लेख

"सरकार ठेका मजदूरी( नियमन औऱ उन्मूलन) केंद्रीय कानुन के 25वें कानून मे संशोधन करने जा रही है, इस संशोधन से प्रत्येक ठेका मजदुर को हर महीने 10 हजार रुपये मिल पाएगे"। ये वाक्य हैं देश के श्रम एंव रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय का जिन्होने मजदुरो की स्थिति मे सुधार लाने के लिए इस कार्य को आगे बढ़ाने का भरोसा हम सब मजदुरो को दिलाया है जी हाँ आज मजदुर दिवस के अवसर पर देश के रोजगार मंत्री की इन बातो को याद करना उन सबके लिए आवश्यक है जो मजदुर वर्ग की श्रेणी मे आते हैं हालांकि अक्सर मजदुर शब्द से हम- तपती धुप मे नंगे पांव किसी बोझ को ढोते या खिंचते हुए, या किसी फैकट्री मे बड़ी- बड़ी मशीनो को परेशान हाल मे चलाते हुए, या फिर किसी और के खेतो मे अपने परिवार का पेट पालने के लिएसूरज निकलने से लेकर डुबते समय तक कड़ी मेहनत करते हुए गरीब मजदूर किसान जैसीछवी मन मे बना लेते हैं जबकि मजदूर की परिभाषा को जानने की कोशिश करे तो मालुम होता है कि " कोई भी ऐसा व्यक्ति जो उसकी श्रम शक्ति को बेचकर अपना रोजगार कमाता है, वह मजदूर है। दुसरी परिभाषा के अनुसार मजदूरी का अर्थ सेवा है, सेवा प्रदान करने वाला व्यक्ति मजदूर होता है। ये परिभाषा साफ तौर पर बताती है कि किसी अन्य व्यक्ति के अंतर्गत काम करने वाला दुसरा व्यक्ति चाहे काम करने की जगह सड़क हो, खेत हो,फैकट्री हो, या कोई शानदार ऑफिस सब मजदूर की ही श्रेणी मे आते हैं क्योंकि प्रतेयक माह के अंत मे वो अपने मालिक द्वारा दिए जाने वाले वेतन के लिए उनपर निर्भर हैं ऐसे मे मजदूर दिवस की महत्वपूर्णतः हमारे देश केलोगो के लिए और भी बढ़ जाती है जहाँ की अधिकतर आबादी किसी न किसी प्रकार की नौकरी अर्थात मजदूरी द्वारा जीवनयापन कर रही है बावजुद इसके हममे से ज्यादातर लोग मजदूर दिवस के इतिहास औऱ इसकी महत्वपूर्णतः से अंजान है, दरअसल इस दिनकी शुरुआत 1886 में शिकागो में उस समय हुई जब मजदूर मांग कर रहे थे कि काम की अवधि आठ घंटे हो और सप्ताह में एक दिन की छुट्टी हो। इस हड़ताल के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति ने बम फोड़ दिया और बाद में पुलिस फायरिंग में कुछ मजदूरों की मौत हो गई, साथ ही कुछ पुलिस अफसर भी मारे गए। इसके बाद 1889 में पेरिस में अंतरराष्ट्रीय महासभा की दित्तीय बैठक में जब फ्रेंच क्रांति को याद करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया कि इसको अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाए, उसी समय से दुनिया के 80देशों में मई दिवस को राषट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा।  हमारे देश में पहली बार मजदूर दिवस 1923 में मनाया गया जिसका सुझाव सिंगारवेलु चेट्टीयार नाम के एक कम्यूनिस्ट नेता ने दिया उनका कहना था कि "दुनिया भर के मजदुर इस दिन को मनाते हैं तो भारत मे भी इसकी शुरुआत की जानी चाहिए"। इस संबध मे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था" किसी देश की तरक्की उस देश के कामगारो और किसानो पर निर्भर करती है"।परंतु वर्तमान समय की स्तिथि पर नजर डाला जाए तो स्पष्ट होता है कि हमारे देश केकामगरो की स्तिथि संतोषजनक नही है और हो भी कैसे हममे से अधिकतर मजदुर वर्ग की श्रेणी मे तो जरुर हैं लेकिन एक मजदुर होने के नाते हमे अपने अधिकारो और उत्तरदायित्वका कोई ज्ञान नही जबकि हमे मालुम होना चाहिए की हर साल मजदुर दिवस के अवसर पर सरकार की ओर से कई प्रकार की योजनाएँ मजदुरो के उत्थान के लिए बनाई जाती हैं और कुछ सुविधाएँ पहले से भी मौजुद हैं उदाहरण कल कारखानो मे काम करने वाले मजदूरो की अगर किसी दुर्घटना के दौरान मौत हो गई तो सरकार की ओर से एक लाख और स्थाई विकलांगता पर 75 हजार रुपये तथा भवन एवं अन्य सन्निर्माण प्रकियाओ मे कार्यरत मजदुरो के मेधावी बच्चो को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए मेधावी छात्र पुरुस्कार के तौर पर दो से बारह हजार रुपये तक मिलते हैं साथ ही पुत्री विवाह के लिए अनुदान स्वरुप बीस हजार रुपये तथा आवास के लिए पैंतालीस हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। ये सारी सुविधा मजदूर वर्ग के लिए ही है लेकिन जागरुकता की कमी के कारण अधिकतर अपने अधिकारो से वंचित रह जाते हैं ऐसे मे हम सबकी ये जिम्मेदारी है कि हम इन योजनाओ की जानकारी से खुद भी अवगत हो और दुसरो को भी इसके प्रति जागरुक करें ताकि आने वाले समय मे फिर किसी कार्ल मार्क्स को मजदुरो के अधिकार के लिए "दुनिया के मजदुरो एक हो"का नारा न देना पड़े।

अशरफ स्थानवी का मुस्लिम मतदाताओं से विशेष आग्रह

बिहार पंचायत राज चुनाव २०१६, १० चरणों में होना है पहला चरण पूरा कर लिया गया शेष ९ चरणों में चुनाव होना है ये चुनाव होना है ,पंचायती राज व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है ग्रामीणों का विकास, सशक्तिकरण, पंचायतो का विकास ग्राम वासियों के माध्यम से हम अपने विकास का मार्ग प्रशस्त्र कर सकते हैं , अल्पसंख्यक मतदाताओं से विशेष आग्रह है कि कृपया कर पंथीय , जातीय मतभेद को भुला कर अल्पसंख्यक हितेषी उम्मीदवार को मुखिया , सरपंच और पंचायत समिति सदस्य निर्वाचित करें, विगत २०११ में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में 8463 मुख्या में से मात्र 518 मुखिया ही निर्वाचित हो सके थे, हमारा प्रयास हो के भरी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पंचायत राज वयवस्था में निर्वाचित हों -

मुत्तहिद हो तो बदल दोगे निज़ाम-ए-आलम
मुंतशिर हो तो मरो, शोर मचाते क्यों हो !

अशरफ अस्थानवी

مسلم رائے دہندگان سے خصوصی اپیل
بہار پنچایتی انتخاب 2016 جاری ہے ۔ 10 مرحلوں میں ہو نے والا اس انتخاب کا پہلا مر حلہ گزر چکا ہے۔ بقیہ9 مراحل میں الکشن ہو نے ہیں ۔ گذشتہ 2011 کے پنچایت انتخابات میں 8463 مکھیا کے عہدے پر محض 512 مسلم امید وار کامیاب ہو سکے تھے۔ 22بلاک پرمکھ اور 4 اضلاع کے ضلع پریشد چیئر مین مسلمان منتخب ہوئےتھے جو کہ آبادی کے تناسب میں بہت کم ہے ۔ براہ کرم مسلکی ، نظریاتی اور ذات پات کے اختلافات کو فراموش کر کے کلمہ وحدت کی بنیاد پر متحد ہو کر ملی جذبے سے سرشار صاف ستھرے شبیہہ کے امید وار کو منتخب کر کے اپنا ملی فریضہ انجا م دیں ۔ ملی رہنمائوں اور ائمہ مساجد سے گذارش ہے کہ وہ اس اہم موضوع پر ملت کی رہنمائی کریں ۔
متحد ہو تو بدل دوگے نظام عالم
منتشر ہو تو مرو شور مچاتے کیوں ہو
اشرف استھانوی