सोमवार, मार्च 06, 2017

सीतामढ़ी ज़िला के 46 तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवक मानदेय भुगतान नहीं होने के कारण भूक मरी के कगार पर

सीतामढ़ी ज़िला के 46 तालिमी मरकज़ के शिक्षा स्वयं सेवी को एक साल से भी ज़्यादा अवधि से जिला साक्षरता द्वारा मानदेय राशि का भुगतान नहीं किया गया है जिस कारण शिक्षा स्वयं सेवी भूकमर के कगार पर पहुँच गए हैं।मानदेय राशि भुगतान को लेकर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सीतामढ़ी से लेकर माननीय मुख्यमंत्री बिहार तक गुहार लगाई गई है लेकिन मानदेय भुगतान की दिशा में कोई कार्रवाई होती हुई दिखाई नहीं पड़ रही है।
ज्ञात हो कि 21 फ़रवरी को ज़िला तालिमी मरकज़ एसोसिएशन सीतामढ़ी का सात सदस्यी शिष्टमंडल ज़िला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी से मिल कर मानदेय भुगतान करवाने की अपील की थी।

मालूम हो कि जिला में 29 जुलाई 2016 को योगदान करने वाले 15 शिक्षा स्वयं सेवी का मानदेय राशि भुगतान किया जा रहा है वहीं फरवरी 2016 और 11 जुलाई 2016 में योगदान करने वाले शिक्षा स्वयं सेवी को मानदेय राशि भुगतान से वंचित रखा जा रहा है।

शनिवार, मार्च 04, 2017

पूर्व सांसद सैयद शहाबुद्दीन का इंतक़ाल

पूर्व सांसद एवं बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के नेता सैयद शहाबुद्दीन साहब का इंतेक़ाल हो गया है जो अपूरणीय क्षति है,अल्लाह से दुआ है कि महरूम को जन्नत में आला से आला मोकाम दे (आमीन)

सैयद शहाबुद्दीन की उम्र तक़रीबन बिरासी साल थी, वे इंडियन फॉरेन सर्विस के टॉपर थे।आई एफ एस की हैसियत से कई मुल्कों में उन्होनें हिंदुस्तानी सिफारत खानों में खिदमात अंजाम दी थीँ।सर्विस छोड़ कर वह सियासत में आये थे।1979 से1996 तक वह पार्लियामेंट के रुक्न रहे।

गुरुवार, मार्च 02, 2017

दो फिट नौ इंच का परीक्षार्थी पहुँचा परीक्षा देने

सीतामढ़ी जिला के परीक्षा केंन्द्रमदरसा रहमानिया मेहसौल पर दो फिट नौ इंच का परीक्षार्थी मैट्रिक का परीक्षा देने जैसे ही पहुँचा  उस को देखने के लिए चारों तरफ से लोग उमड़ पड़े। उस की उम्र अठारह वर्ष है।परीक्षार्थी का नाम मोहन कुमार यादव है

एटीएम से असफल ट्रांजैक्शन: ...तो प्रतिदिन ₹100 जुर्माना देगा बैंक

कई बार ऐसा होता है कि एटीएम से पैसे निकालते वक्त अकाउंट से पैसे कट तो जाते हैं, लेकिन ट्रांजैक्शन डिक्लाइन हो जाता है। यानी, एटीएम से पैसे निकलते नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में बैंकों को रिजर्व बैंक की ओर से क्या निर्देश दिए गए हैं, इससे वाकिफ होना बहुत जरूरी है। दरअसल, रिजर्व बैंक का सख्त निर्देश है कि अगर तय वक्त पर बैंक ने पैसे वापस नहीं किए तो उसे प्रतिदिन 100 रुपये की दर से जुर्माना देना होगा। आइए जानते हैं क्या हैं नियम...

7 दिन की मोहलत
एटीएम ने पैसे नहीं दिए और अकाउंट से रकम कट गई, लेकिन खुद वापस नहीं हुई तो आपने जिस बैंक अकाउंट का एटीएम कार्ड इस्तेमाल किया, उसके होम ब्रांच में इसकी शिकायत करनी चाहिए। नियम यह है कि आपने जिस दिन शिकायत की, उसके सातवें कार्य दिवस तक अकाउंट बैंक को आपके अकाउंट में पैसे लौटाना होगा। पहले इसकी समय-सीमा 12 दिनों की थी। लेकिन, बाद में रिजर्व बैंक ने इसे घटाकर सात दिन कर दी।

पैसे वापसी के साथ जुर्माना भी
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का स्पष्ट निर्देश है कि बैंकों को जुर्माने की रकम ग्राहक के खाते में खुद-ब-खुद डालना होगा। इसके लिए ग्राहक की ओर से दावा ठोकने की जरूरत नहीं होगी। खास बात यह है कि जिस दिन फेल्ड ट्रांजैक्शन के पैसे वापस होंगे, उसी दिन जुर्माने की रकम भी अकाउंट में डालनी होगी।

...तब प्रतिदिन 100 रु. जुर्माना
नियम के मुताबिक, अगर बैंक शिकायत मिलने के सात वर्किंग डेज के अंदर ग्राहक के पैसे लौटाने में असमर्थ रहता है तो उसे हर दिन 100 रुपये के हिसाब से जुर्माना ग्राहक को देना होगा। यानी, अगर वक्त पर आपका पैसा नहीं लौटे तो आप बैंक से जुर्माना वसूलने के अधिकारी हैं।

30 दिन की मियाद
यह जानना काफी महत्वपूर्ण है कि जुर्माना वसूलने का अधिकार आपको तभी मिलता है जब आप एटीएम से पैसे नहीं निकलने के दिन के 30 दिनों के अंदर बैंक में शिकायत दर्ज कर देते हैं। अगर आपने एटीएम से असफल लेनदेन के बाद अकाउंट में पैसे नहीं लौटने की शिकायत 30 दिन के बाद करेंगे तो आप जुर्माने का दावा नहीं ठोक सकते।


सोमवार, फ़रवरी 27, 2017

28 फ़रवरी को नेहरू भवन डुमरा में सेमिनार एवं मुशायरा का होगा आयोजन

उर्दू ज़ुबान  के विकास के लिए ज़िला स्तरीय सेमिनार एवं मुशायरा का आयोजन सरकारी निदेशाधीन ज़िला उर्दू भाषा कोषांग समाहरणालय सीतामढ़ी के तत्वधान में 28 फ़रवरी 2017 को नेहरू भवन डुमरा सीतामढ़ी में श्री राजीव रौशन (भा0प्र0से0) ज़िला पदाधिकारी की अध्यक्षता में किया गया है।प्रोग्राम का आगाज़ दिन के 10:00 बजे होगा जो रात के 8:00 बजे तक चलेगा।

क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक ने शिक्षा पदाधिकारी को अपने आदेश को स्थगित रखने का दिया आदेश

क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक तिरहुत प्रमंडल मुजफ्फरपुर ने ज़िला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी को अपने आदेश को स्थगित रखने का दिया आदेश दिया है।मालूम हो कि जिला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी ने सुकेश्वर राम और वीरेन्द्र कुमार ठाकुर, पंचायत शिक्षक का शिक्षा मित्र के रूप में किये गए नियोजन का अवधि विस्तार न होने के कारण इनका सेवा समाप्त का निदेश प्रखण्ड विकास पदाधिकारी परिहार और पंचायत सचिव ग्राम पंचायत राज, बेतहा को पत्रांक 1871 दिनांक 12.07.2016 के द्वारा दिया था जिस के विरुद्ध उक्त दोनों शिक्षक ने क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक मुज़फ्फर को आवेदन दे कर न्याय की गुहार लगाई थी उसी पर यह निदेश जारी किया गया है।

क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक ने अपने पत्र में लिखा है विभागीय पत्रांक 1219 दिनांक 08.08.2006 से स्पष्ट है कि विधिवत रूप से नियोजित शिक्षा मित्र जिनका अवधि विस्तार पंचायत चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू होने के कारण नही हो पाया, किन्तु अगर वे कार्यरत है तो नियोजित एवं कार्यरत माने जाएंगे तथा वे दिनांक 01.07.2006 से पंचायत प्रारंभिक शिक्षक के रूप में नियोजित माने जायेंगें।
उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि आपका पत्रांक 1871 दिनांक 12.07.2016 द्वारा दिया गया निदेश विभाग द्वारा दिए निदेश के अनुरूप नहीं है तथा इसकी समीक्षा करना उचित है साथ ही उप निदेशक ने यह भी कहा है कि विभागीय पत्र में दिए गए निदेश के अनुसार ही इन पंचायत शिक्षकों के मामलों की समीक्षा कर कार्रवाई करें और कृत कार्रवाई से सूचित करने का आदेश दिया है।

रविवार, फ़रवरी 26, 2017

नवादा की बलात्कार पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए इन्साफ इंडिया के बैनर तले 28 फ़रवरी को इन्साफ मार्च

बिहार के नवादा ज़िला के अकबरपुर थाना के फरहा गाँव में 17 साल की लड़की के साथ सामुहिक ब्लातकार के बाद उसकी हत्या की कोशिश की गई थी और सर पर धारदार हथियार से हमला के बाद गला काटने का प्रयास किया गया इस तरह के घटना की पूर्णावृति न हो और पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए इन्साफ इंडिया ने 28 फ़रवरी को इन्साफ मार्च का आयोजन किया है ।


गुरुवार, फ़रवरी 23, 2017

प्रत्येक परिवार को मिले दस हजार रुपये राष्ट्रीय लाभांश - आर्थिक न्याय

जिस प्रकार 68 प्रतिशत लोगों को राशन दिया जा रहा है उसी प्रकार देश के प्रत्येक परिवार को दस हजार रुपये प्रति माह राष्ट्रीय लाभांश के रूप में दिया जाये क्योंकि देश की पूरी प्राकृति सम्पदा के असल मालिक देश के लोग हैं इसलिए राष्ट्रीय लाभ में प्रत्येक नागरिक का बराबर का हक़ होनी चाहिए।

बुधवार, फ़रवरी 22, 2017

क्यों और किसके लिए

मेहजबीं

रब ने इंसान को
खूबसूरत दिल - दिमाग
हाथ पैर जिस्म अता किया।
दिल दिया तमाम मख़लूक़ से
मुहब्बत करने के लिए
इंसान ने मुहब्बत की
मिसालें पैदा की
मुहब्बत के सच्चे
अफसाने लिखे।
और दिमाग सोचने के लिए
सुलझा हुआ रहने के लिए
चीज़ों को इज़ाद करने के लिए।
हाथ पैर दिये अपने कामों को
अंजाम देने के लिए
मेहनत करके
हलाल रिज़्क़ खाने के लिए।
और बहुत हद तक
इस इंसान ने इन बख़्शी गई
नियामतों का
माअकूल इस्तेमाल किया।

धीरे-धीरे तरक्की याफ़ता हुआ
पक्के घर बनाए
इमारतें बनाई
मशीनें बनाई
साईकिल, बस, कार
रेल, हवाई जहाज बनाए
बिजली इज़ाद की
पेट्रोल, डीज़ल, कोयला
तेल, ढूंढ निकाले।
जैसे-जैसे
साज़ो सामान, ऐशो-आराम
फ़राहम करता गया
वैसे-वैसे
बाज़ार की दलदल में फंसता गया।
मुहब्बत, ईमानदारी
वफ़ा, बाकिरदारी पिछे छूटती गई।
लालच, दग़ाबाज़ी, ख़ुदग़र्ज़ी,
ज़ालमाना सलूक़, बदकिरदारी,
बदअख़लाक़ी उसकी खासियत बन गई।
मुहब्बत, रिश्तों की
बुनयादें भी इन्हीं चीजों पर
रखी जाने लगी।
लूट-खसोट, फ़रेब
धोखाधड़ी, बेईमानी
खून - खच्चर आम होने लगा।

साम्राज्यवाद, पूंजीवाद, दासप्रथा
रंगभेद, नस्लवाद ग़ैरबराबरी (असमानता)
जैसे लफ्ज़ो ने
यहीं से जन्म लेना शुरू किया
और फिर इनकी मुखालिफ़त में
मार्क्सवाद, गाँधीवाद, समाजवाद
जैसे लफ्ज़ो ने भी
अपना वजूद कायम किया।
तक़रार का ज़िरह का
सिलसिला आगे बढ़ता ही गया
इस इंसान का कलेजा
पत्थर का होता गया
धड़कता दिल संग(पत्थर )  हो गया।
बारूद, तोप, मिसाइल, बन्दूक,
बम बना बैठा
अपने मुफाद के लिए
इन्हें चला बैठा
क़तले आम मचा बैठा।
पहली दूसरी जंग की
ख़ौफ़नाक दास्तान तहरीर की
मक्कारी जालसाज़ी की तर्ज़ पर
अमेरिका सबका सरदार बन बैठा
वो इसी नाअहली को
अपनी आन बान शान समझ बैठा ।

नताईज़
इन  ज़ुल्म - ओ - सितम का
यह निकला
ईंट का ज्वाब पत्थर से देकर ही
मज़लूम को चैन मिला।
इन्हीं दबाए कूचलो में से
जो अपने आप को
मुसलमान कहता है
ख़ुदा के सबसे नज़दीक समझता है
वो भी अपने जिस्म पर
बम बांध मैदान में कूद पड़ा
इंसानियत तबाह करने को
बदला ऊतारने को
बेअक्ल, नासमझ,
ज़ाहिल, ज़ालिमों से बदला लेने का
यही रास्ता मिला था?
आख़िर यह बेमायनी जंग क्यों
और किसके लिए?
बदला ऊतरा या नहीं
इसका कलेजा
ठंडा हुआ कि नहीं
हा मगर यह ज़ालिमों को
सबक सिखाने के फेर में
खुद ज़लिम बन गया
इंसानियत के दायरे से
बाहर हो गया
अपनी पहचान मजहब को
धुंधला बदनाम कर दिया।

सियासत भी
इस खून खराबे से
अब पाक नहीं
मारती है फेंकती है
मासूमों पर बम
हर रोज़ कहीं न कहीं
इन सियासी लोगों के हैं चेहरे कई।
मजहब को तलवार की तरह
इस्तेमाल करते हैं
इन्हीं की वजह
से लोग आपस में भिड़ते हैं।
यहाँ- वहाँ धड़ से सर
ज़मीन पर गिरते हैं
चारों तरफ
मय्यतों का ढेर दिखाई देता है।
क्या सोचते होंगे
शमशान और कब्रिस्तान?
उन्हें भी तो
कभी ताअतील (छुट्टी ) चाहिए।
ऐसे भी मुर्दे हैं
जिन्हें कफ़न - दफ़न
शमशान कब्रिस्तान मय्यसर नहीं
उनके सर धड़ का
कोई अता - पता ही नहीं
जनाज़े की नमाज़ कैसे पढ़ी जाए
अर्थी कैसे सजाई जाए?
जब जनाज़े का ही कुछ पता नहीं।
लामहदूद मख़लूक़
बिना किसी कुसूर के
मौत के घाट उतार दी जाती है।
चिथड़े - चिथड़े उड़ा दिये जाते हैं
चुन दे इन चिथड़ों को कोई
बुन दे उन जिस्मों को फिर से कोई
कोई है
कोई है
कोई है?

मंगलवार, फ़रवरी 21, 2017

तालिमी मरकज़ एसोसिएशन ने डीईओ सीतामढ़ी को सौंपा दस सूत्री माँग पत्र

तालिमी मरकज़ एसोसिएशन सीतामढ़ी के चेयरमैन एजाज़ कौसर "नेहाल खान" के नेतृत्व में सात सदस्यी प्रतिनिधि मंडल ने जिला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी से मिल कर दस सूत्री माँग पत्र सौंपा।माँग पत्र के माध्यम से एसोसिएशन ने माँग किया है कि जिला के तीन सौ पंचानवे तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी का मानदेय अविलम्ब भुगतान करने का आदेश दिया जाये, विभिन्न चरणों में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके तालिमी मरकज़ रज़ाकारों का प्रशिक्षण प्रमाण - पत्र निर्गत करने का आदेश सम्बंधित पदाधिकारी को दिया जाये, ज़िला अंतर्गत लम्बित 46 तालिमी मरकज़ स्वयं सेवी का मानदेय अविलम्ब भुगतान करने का आदेश दिया जाये, सभी कार्यरत स्वयं सेवी का सेवा- पुस्तिका संधारण का आदेश निर्गत किया जाय साथ ही परिचय पत्र निर्गत किया जाय, बन्द कर दिये गए तालिमी मरकज़ को पुनः संचालित किया जाये और मुस्लिम बहुल इलाकों में नये तालिमी मरकज़ खोलने हेतु स्वीकृति का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाए प्रतिनिधि मंडल में मोहम्मद कमरे आलम वाईस चेयरमैन, नेक मोहम्मद अंसारी सेक्रेटरी, मोहम्मद सगीर, मोहम्मद अनवर आलम जॉइंट सेक्रेटरी, सलमान सागर मिडिया प्रभारी, हैदर अली शामिल थे।


सोमवार, फ़रवरी 20, 2017

कच्चे घरों के पक्के लोग, भूके मर रहे सच्चे लोग

""अब न सहेंगे अन्याय, जनता मांगे आर्थिक न्याय ""
देश में ग़रीबी और अमीरी का अन्तर भयावह स्थिति में है।जिसे सही नही कहा जा सकता अगर सरकार आर्थिक आधार पर नीतियों का निर्धारण नही करती है तो ग़रीबी में पैदा होने वाला आदमी ग़रीबी में ही मरता रहेगा।
जहाँ ग़रीबों की आबादी है वहाँ लोग बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित है, चलने के लिए अच्छी सड़क, ईलाज के लिए स्पताल, पढ़ाई के लिए अच्छा विद्यालय नही।आज सरकारी स्कूलों के लिए सरकार की जो नीति है वह यह है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सिर्फ अपना नाम लिखना आ जाये।सरकार सरकारी स्कूलों में शिक्षा पर हमेशा नया नया प्रयोग कर शिक्षा को बर्बाद करती रहती है।आज से 20/25 साल पूर्व विद्यालय के खुलने का समय 10:30 और बन्द होने का समय 4:00 बजे था उस समय सरकारी स्कूलों में पढाई भी अच्छी होती थी और विद्यालय भी अपने निर्धारित समय पर खुलता और बन्द होता था आज विद्यालय के खुलने का समय 9:00 बजे और बन्द होने का 4:00 बजे है मगर न विद्यालय समय पर खुलता है और न ही समय पर बन्द होता है और न सही से पढाई ही होती है आखिर क्यों ? क्या इस के तह में जाने की ज़रूरत नही है  ?
जब विद्यालय के खुलने का समय 10:00 बजे था तो तब शिक्षक इत्मीनान से घर से भरपेट खाना खा कर विद्यालय जाते थे और मन लगा कर बच्चों को पढ़ाते थे आज विद्यालय के खुलने का समय 9:00 बजे है शिक्षकों को इत्मीनान नही विद्यालय पहुँचने की हड़- बड़ी है खाने का ठिकाना नही लिहाज़ा भूखे पेट विद्यालय पहुँचते हैं भूके पेट सिर्फ शिक्षक ही नही बच्चे भी पहुँचते हैं भूका शिक्षक बच्चों को किया ख़ाक पढ़ायेगा और भूका छात्र क्या पढ़ेगा ? इस दुनिया की सारी कोशिशें पेट भरने के लिए ही होती है और नीति निर्धारक यहीं ग़लती कर बैठते हैं और नीति निर्धारकों की ग़लती का खामियाजा औरों को भुगतना पड़ता है।

कच्चे घरों के पक्के लोग, भूखे मर रहे सच्चे लोग ।
देखो हक़ ग़रीबों का खा रहे,  उचक्के   लोग।।

शनिवार, फ़रवरी 18, 2017

आवासीय ज़मीन को भीठ/धनहर श्रेणी में दर्ज करने का आरोप

सीतामढ़ी प्रखंड परिहार थाना बेला थाना न० 79 इण्डो नेपाल सड़क निर्माण के लिए अधिगृहित भूमि को जिला भू - अर्जंन पदाधिकारी ने आवासीय जमीन को भीठ औऱ धनहर श्रेणी में दिखाया गया है जो भू धारी के साथ अन्याय है।
स्थल निरीक्षण कराकर मुआवजा दिलाने की माँग समाहर्ता सीतामढ़ी से की गई है।

शुक्रवार, फ़रवरी 17, 2017

तालिमी मरकज़ एसोसिएशन सीतामढ़ी का पुनर्गठन

16 फ़रवरी को तालिमी मरकज़ एसोसिएशन सीतामढ़ी का 21 सदस्य कमिटी का पुनर्गठन डिस्ट्रिक्ट चेयरमैन एजाज़ कौसर नेहाल खान के ज़रिये अमल में आया है जो इस तरह है ।
1.एजाज़ कौसर नेहाल खान - चेयरमैन
2.नेक मोहम्मद अंसारी - सेक्रेटरी
3.मोहम्मद फ़ारूक़ अंसारी - वाईस-चेयरमैन
4.मोहम्मद कमरे आलम - वाईस-चेयरमैन
5.मोहम्मद इम्तेयाज़ अहमद- सेक्रेटरी जेनेरल
6.मोहम्मद अनवर - जॉइंट सेक्रेटरी
7.सगीर अंसारी - कोषाध्यक्ष
8.मोहम्मद मोसिम - कॉररेस्पोंडेंट
9.ग़ुलाम गॉस- कॉररेस्पोंडेंट
10.सनाउल्लाह कुरैसी - मीडिया इंचार्ज
11.रहमत अली -कॉडिनेटर
12.नेयाज अशरफ -एडवाइजर
13.मोहम्मद मुर्तुज़ा -
14.मोहम्मद मुर्तुज़ा -
15.मोहम्मद मनीर आलम
16.वाज़हुल कमर
17.सर्फे आलम
18.मोहम्मद यासीन
19.मोहम्मद हैदर अली
20.शाहिद अली अंसारी
21.हैदर अली

गुरुवार, फ़रवरी 16, 2017

14 अप्रैल अम्बेदकर ज्यंति-सह-मुख्यमंत्री सम्मान समारोह को सफल बनायें - ब्रह्मानंद दास

ब्रह्मानंद दास प्रदेश अध्यक्ष बिहार राज्य महादलित टोला सेवक संघ पटना बिहार ने
14 अप्रैल अम्बेदकर ज्यंति सह मुख्यमंत्री सम्मान समारोह को सफल बनाने के लिए  सभी टोला सेवक/तालिमी मरकज़ के साथियों से अपील किया है।उन्होंने तालिमी मरकज़ और उत्थान केन्द्रों के कर्मियों से कहा कि अपने-अपने जिला में संगठन को मजबूती प्रदान करें और जिस प्रकार हस्ताक्षर अभियान और शांति पूर्ण धरना को सफल किया उसी प्रकार 14 अप्रैल के कार्यक्रम को सफल बनायें, राज्य कमिटी आप तमाम टोला सेवक और तालिमी मरकज़ साथियों से ऐसा आशा रखती है।

बुधवार, फ़रवरी 15, 2017

Daily chingari चिंगारी چنگاری: आज़ादी के 69 साल बाद भी देमा पंचायत का देमा गाँव बुनियादी सुविधाओं से वंचित ,गाँव को जोड़ने वाली मुख्य मार्ग का पक्की करण नहीं

Daily chingari चिंगारी چنگاری: आज़ादी के 69 साल बाद भी देमा पंचायत का देमा गाँव बुनियादी सुविधाओं से वंचित ,गाँव को जोड़ने वाली मुख्य मार्ग का पक्की करण नहीं

बिहार के उर्दू विद्यालयों से जुमे की छुट्टी समाप्त करने की साजिश

बिहार के सभी सरकारी उर्दू विद्यालयों में शुक्रवार को छुट्टी रहती है लेकिन इधर कुछ दिनों से एक सोचे समझे मंसूबे के तहत इस छुट्टी को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

कभी प्रखंड स्तर पर प्रधानअध्यापक और शिक्षकों की बैठक, कभी कृमि मुक्त अभियान और अब शुक्रवार के दिन वार्षिक मूल्यांकन की तिथि की घोषणा कर के शिक्षा विभाग यह साबित करना चाहता है कि उसके नज़दीक राज्यपाल के उस आदेश की भी कोई अहमियत नहीं है जिसमे न सिर्फ उर्दू विधालयों बल्कि सभी सरकारी विभाग के मुस्लिम कर्मचारियों को शुक्रवार की दिन अपराहन 12:30 से 2:30 तक जुमा की नमाज़ के लिए अनुमति प्रदान की गई है (देखिये सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से जारी संकल्प पत्र संख्या 10298, दिनांक 20 जुलाई 2012).
बिहार शिक्षा परियोजना ने वार्षिक मूल्यांकन की जो समय सारणी जारी की है उसके अनुसार दिनांक 17 मार्च को शुक्रवार से ही परीक्षा शुरू होनी है. ऐसे में सभी उर्दू विधालय भी शुक्रवार के दिन खुले रखने होंगे. 24 मार्च को परीक्षा समाप्ति का दिन भी शुकवार ही है. शुक्रवार के दिन उर्दू स्कूलों को खुला रखने का आदेश शिक्षा विभाग की सांप्रदायिक निति को स्पष्ट करता है.जब की इस से पहले भी जुम्मा को अर्ध वार्शिक परीछा में उर्दू स्कूल को खुला रखा गया है। उर्दू के मोअल्लिम अकलियत प्राइमरी एजुकेशन एसोसिएशन के जिला सेक्रेटरी मास्टर मोहम्मद मोबीन अख्तर, नाराजगी का इजहार करते हुए कहा कि जुम्मा के दिन इम्तिहान लिया जाना न सिर्फ अकलियतों के हुकूक के खिलाफ वर्जि है बल्कि हुकूमत बिहार के फैसले कर भी मनाफी है। कारवानी उर्दू के जिला तर्जुमान अमानुल्लाह खालीद ने कहा कि जुम्मा का दिन सिर्फ उर्दू स्कूल में ही नहीं बल्कि मुसलमानों के लिए एक अहम दिन है इसी की वजह से हर एक सरकारी विभाग में 12:30 बजे से लेकर ढाई बजे तक मुसलमान कर्मचारियों को छुट्टी दी जाती है लेकिन यह एक सोची समझी साजिश के तहत इस छुट्टी को खत्म करने की सरकार की मंशा जाहिर हो रही है। जबकि करवाने उर्दू के जिला सेक्रेटरी मोहम्मद असजद अली ने कहा कि जो अपने आप अकलियतों की सरकार कहती है वही सरकार इस तरह के फैसले ले रहे हैं इससे आम मुसलमानों में हुकूमत के खिलाफ गलत रुझान जा रही है अगर इस तरह के फैसले वापस नहीं लिए गए तो हुकूमत के खिलाफ अकलियतों के दरमियान गलत मैसेज जाएंगे और मुझे उम्मीद है कि माननीय मुख्यमंत्री और बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री इस फैसले पर पुनर्विचार करेंगे। 

मंगलवार, फ़रवरी 14, 2017

टोला सेवक और शिक्षा स्वयं सेवी का दो दिवसीय "" कमाल ""आधारित उन्मुखीकरण कार्यशाला सम्पन्न

प्रखण्ड संसाधन केँद्र परिहार सीतामढ़ी के सभा कक्ष में टोला सेवक और शिक्षा स्वयं सेवी केन्द्रों के सभी बच्चों के लिए पढ़ने-पढ़ाने, सिखने-सिखाने को लेकर प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन ने दो दिवसीय ग़ैर आवासीय "कमाल " आधारित उन्मुखीकरण कार्य शाला का आयोजन किया गया था जिस का आज समापन हुआ।" कमाल " कंबाइंड एक्टिविटीज फ़ॉर maximized के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने का तरीका प्रथम संस्था के बी आर पी संतोष कुमार ने टोला सेवक और शिक्षा स्वयं सेवी प्रशिक्षुओं को दी।कार्यशाला समापन के समय के आर पी वीरेंद्र कुमार, लेखा समन्वयक दुःखा बैठा  प्रशिक्षण में महेंद्र साफी, लालू, पूनम कुमारी मोहम्मद कमरे आलम, हामिद अंसारी, नूरेन, उबैदुल्लाह, संतोष कुमार, रामबाबू ,सरफ़राज़,महबूब रेज़ा, असलम रेज़ा, मुस्तफा दर्ज़ी, ग़ुलाम समदानी, मोहम्मद हामिद, मुस्तफा अहमद,शाहीन परवीन, रिज़वाना खातून, बज़्मे आरा रोक्साना खातून, शहानी फात्मा,सफीना खातून, रुबीना तहसीन आदि कुल 38 प्रतिभागी मौजूद थे।


सोमवार, फ़रवरी 13, 2017

परिहार में कांग्रेस का जन वेदना कार्यक्रम

आज केंन्द्र सरकार के नोट बन्दी से आम जनता को हुई परेशानियों को अवगत कराने के लिए कांग्रेस ने गाँधी उच्च माध्यमिक विद्यालय परिहार के प्रांगण में ""जन वेदना कार्यक्रम ""का आयोजन 11.00बजे से किया है जिस में जिला अध्यक्ष विमल शुक्ला और प्रभारी विधान सभा क्षेत्र परिहार मोहम्मद परवेज़ आलम व सभी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष शामिल हो रहे हैं।कांग्रेस के पूर्व प्रखण्ड अध्यक्ष मोहम्मद सऊद आलम ने परिहार के अवाम से जन वेदना कार्यक्रम में हिस्सा लेने का अपील कर कार्यक्रम को सफल बनाने का अनुरोध किया है।

रविवार, फ़रवरी 12, 2017

10 फ़रवरी को उत्थान केंन्द्र और तालिमी मरकज़ के द्वारा दिया गया धरना मील का पत्थर साबित होगा

10 फ़रवरी 2017 को बिहार प्रदेश महादलित टोला सेवक संघ के आह्वान पर बिहार के लग भग 35 जिलों में जिला अध्यक्षों के अध्यक्षता में अपनी एक सूत्री मांग के समर्थन में जिला मुख्यालयों में शांति पूर्ण धरना का आयोजन कर अपनी एक सूत्री माँग "" मानदेय नही वेतन मान चाहिए और उत्थान केंन्द्र और तालिमी मरकज़ के कर्मी को प्राथमिक शिक्षक का दर्जा देकर विद्यालय में समायोजित किया जाए "" सरकार के समक्ष पेश किया और अपनी चट्टानी एकता का अद्भुत मिसाल पेश किया।मालूम हो की बिहार के सिर्फ तीन जिला ने धरना का समर्थन नही किया है।

उत्थान केंन्द्र और तालिमी मरकज़ के कर्मी अपने रौशन मुस्तक़बिल को देखते हुए पूरी तरह मुत्तहिद हो कर एक दिवसीय धरना को सफल करने के लिए रात दिन एक कर दिया था , इस धरना को असफल करने  के लिए  हर संभव प्रयास किया गया मगर धरना पूरी तरह कामयाब रहा।

गुरुवार, फ़रवरी 09, 2017

डी एम भागलपुर ने आठ वर्षीय बच्ची के बलात्कारी को गिरफ्तार करने का दिया आदेश

Mustaqim Siddiqui
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आज भागलपुर में कुछ इंसाफ पसंद लोगों ने 8 वर्ष की ब्लात्कार पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए इंसाफ मार्च निकाल कर ब्लात्कार पीड़िता को भागलपुर डी एम के सामने खड़ा किया पीड़िता खुद से डी एम के कार्यालय में खड़ी होकर अपने उपर हुए जुल्म पर चुप्पी तोड़ी l मालूम हो की देश इस ब्लातकार पर खामोश है लेकिन आजसे पीड़िता ने ब्लात्कारी को सजा दिलाने के लिए इंसाफ पसंदों के साथ आवाज बुलंद कर चुकी है l

डी एम भागलपुर ने पीड़िता , उसके परिवार और इंसाफ मार्च के प्रतिनिधियों के सामने एस पी नौगछीया को फोन करके ब्लात्कारी को अबिलम्ब गिरफतार करने का आदेश दिया , एस पी नौगछीया ने जैसे ही कहा के ब्लात्कारी फरार है यह सुनते ही डी एम साहेब ने सख्त आदेश देते हुए कहा के ब्लात्कारी को किसी भी हाल में अबिलमब गिरफतार किया जाय l

डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन

देश के प्रथम मुस्लिम राष्ट्रपति भारत रत्न विभूषित शिक्षाविद डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन का जन्मदिन है , आपके व्यक्तित्व व कृतित्व से आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिले और राष्ट्र के लिये उत्सर्ग होने का भाव सृजित हो , ऐसे प्रयास हम सभी के अभिनंदिनीय होंगे l
राष्ट्रपति बनने पर अपने उदघाटन भाषण में उन्होंने कहा था कि समूचा भारत मेरा घर है और इसके सभी बाशिन्दे मेरा परिवार हैं। 3 मई 1969 को उनका निधन हो गया। वह देश के ऐसे पहले राष्ट्रपति थे जिनका कार्यालय में निधन हुआ।

डॉ. ज़ाकिर हुसैन (अंग्रेज़ी: Zakir Hussain, जन्म: 8 फ़रवरी, 1897 - मृत्यु: 3 मई, 1969) भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। उनका राष्ट्रपति कार्यकाल 13 मई 1967 से 3 मई 1969 तक रहा। डॉ. जाकिर हुसैन मशहूर शिक्षाविद् और आधुनिक भारत के दृष्टा थे। ये बिहार के राज्यपाल (कार्यकाल- 1957 से 1962 तक) और भारत के उपराष्ट्रपति (कार्यकाल- 1962 से 1967 तक) भी रहे। उन्हें वर्ष 1963 मे भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 1969 में असमय देहावसान के कारण वे अपना राष्ट्रपति कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।केवल 23 वर्ष की अवस्था में वे 'जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय' की स्थापना दल के सदस्य बने। वे अर्थशास्त्र में पी.एच.डी की डिग्री के लिए जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय गए और लौट कर जामिया के उप कुलपति के पद पर भी आसीन हुए। 1920 में उन्होंने 'जामिया मिलिया इस्लामिया' की स्थापना में योगदान दिया तथा इसके उपकुलपति बने। इनके नेतृत्व में जामिया मिलिया इस्लामिया का राष्ट्रवादी कार्यों तथा स्वाधीनता संग्राम की ओर झुकाव रहा। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति बने तथा उनकी अध्यक्षता में ‘विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग’ भी गठित किया गया। इसके अलावा वे भारतीय प्रेस आयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूनेस्को, अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा सेवा तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से भी जुड़े रहे। 1962 ई. में वे भारत के उपराष्ट्रपति बने।
कार्यक्षेत्र
डॉ. ज़ाकिर हुसैन भारत के राष्ट्रपति बनने वाले पहले मुसलमान थे। देश के युवाओं से सरकारी संस्थानों का वहिष्कार की गाँधी की अपील का हुसैन ने पालन किया। उन्होंने अलीगढ़ में मुस्लिम नेशनल यूनिवर्सिटी (बाद में दिल्ली ले जायी गई) की स्थापना में मदद की और 1926 से 1948 तक इसके कुलपति रहे। महात्मा गाँधी के निमन्त्रण पर वह प्राथमिक शिक्षा के राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष भी बने, जिसकी स्थापना 1937 में स्कूलों के लिए गाँधीवादी पाठ्यक्रम बनाने के लिए हुई थी। 1948 में हुसैन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति बने और चार वर्ष के बाद उन्होंने राज्यसभा में प्रवेश किया। 1956-58 में वह संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति संगठन (यूनेस्को) की कार्यकारी समिति में रहे। 1957 में उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 1962 में वह भारत के उपराष्ट्रपति निर्वाचित हुए। 1967 में कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में वह भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुने गये और मृत्यु तक पदासीन रहे।
अनुशासनप्रिय व्यक्तित्त्व
डॉ. ज़ाकिर हुसैन बेहद अनुशासनप्रिय व्यक्तित्त्व के धनी थे। उनकी अनुशासनप्रियता नीचे दिये प्रसंग से समझा जा सकता है। यह प्रसंग उस समय का है, जब डॉ. जाकिर हुसैन जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति थे। जाकिर हुसैन बेहद ही अनुशासनप्रिय व्यक्ति थे। वे चाहते थे कि जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र अत्यंत अनुशासित रहें, जिनमें साफ-सुथरे कपड़े और पॉलिश से चमकते जूते होना सर्वोपरि था। इसके लिए डॉ. जाकिर हुसैन ने एक लिखित आदेश भी निकाला, किंतु छात्रों ने उस पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। छात्र अपनी मनमर्जी से ही चलते थे, जिसके कारण जामिया विश्वविद्यालय का अनुशासन बिगड़ने लगा। यह देखकर डॉ. हुसैन ने छात्रों को अलग तरीके से सुधारने पर विचार किया। एक दिन वे विश्वविद्यालय के दरवाज़े पर ब्रश और पॉलिश लेकर बैठ गए और हर आने-जाने वाले छात्र के जूते ब्रश करने लगे। यह देखकर सभी छात्र बहुत लज्जित हुए। उन्होंने अपनी भूल मानते हुए डॉ. हुसैन से क्षमा मांगी और अगले दिन से सभी छात्र साफ-सुथरे कपड़ों में और जूतों पर पॉलिश करके आने लगे। इस तरह विश्वविद्यालय में पुन: अनुशासन कायम हो गया।
लखनऊ