रविवार, जुलाई 23, 2017

सीतामढ़ी ज़िला तालीमी मरकज़ संघ हक़ीक़त के आईने में

सीतामढ़ी ज़िला तालीमी मरकज़ संघ हक़ीक़त के आईने में
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सीतामढ़ी ज़िला में तालीमी मरकज़ का आग़ाज़ सन 2010 में हुआ शुरुआती दौर में कुछ लोगों ने जिला तालीमी मरकज़ संघ का जिला अध्यक्ष पुपरी के रहने वाले इम्तेयाज़ साहब को बनाया इम्तेयाज़ साहब के बाद नानपुर ब्लॉक के एजाज़ कौसर खान को इस बुनियाद पर जिला सदर की सदारत सौंपी गई कि ये सीतामढ़ी में ही मुक़ीम रहते हैं ।सीतामढ़ी रहने की वजह कर तालीमी मरकज़ के रेज़ाकारों की परेशानिओं का एजाला अफसर से मिलकर करेंगें साथ ही संघ को मजबूत कर संघर्ष कर सरकार से तालीमी मरकज़ को वाज़िब हक़ दिलवाएंगे मगर तालीमी मरकज़ के लोगों का यह ख्वाब ख्वाब ही बन कर रह गया और आज अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।ज़िला से लेकर प्रखण्ड सतह तक तालीमी मरकज़ संघ का कोई वजूद नही है हाँ नाम नेहाद ज़िला सदर ब्लॉक सदर ज़रूर हैं जिनको तालीमी मरकज़ के लोगों से खातिर खाह कोई लेना देना नही।हक़ीक़त तो ये है कि जिला में तालीमी मरकज़ का कोई फयाल वर्किंग कमेटी नही है वही हाल ब्लॉक सतह का भी है इनके ज़िला सदर और ब्लॉक सतह के सदर का काम सिर्फ और सिर्फ ओहदा महफूज़ रहे ताकि ऑफिसर की निगाहें करम बनी रहे इसके इलावा कुछ भी नहीं।मौजूदा कमिटी से तालीमी मरकज़ के रेज़ाकारों का कितना नुकसान हुआ इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2010 में तालीमी मरकज़ के बहुत से भाई आज भी सड़कों की धूल फाँक रहे हैं और ये मौजूदा सदर की नज़र अंदाज़ी की वजह कर हुआ।पुराने साथियों को मुख्यमंत्री अक्षर आँचल योजना में आने के लिए भी एक तह शुदा रक़म चुकानी पड़ी,और अभी जो लोग काम कर रहे हैं उन्हें वक़्तन फवक्तन चुकानी पड़ती है।यहाँ के जिला सदर ने संघ के मकसद को ही तब्दील कर रख दिया सीतामढ़ी ज़िला तालीमी मरकज़ का ऐसा एक भी कारनामा नही जिस को याद किया जा सकता हो, या ये कहा जा सके कि सीतामढ़ी तालीमी मरकज़ ने किसी मुद्दे को लेकर जिला या सरकार के खिलाफ आवाज़ बुलंद किया है।
2013 से लेकर 2017 तक तालीमी मरकज़ रज़ाकारों का कई डिपार्टमेंटल ट्रैनिंग हुआ मगर क्या किसी को सर्टिफिकेट मिला जबकि ये ट्रेनिंग लेने वाले का हक़ है जो सर्विस पीरियड में कारामद होता है क्या इसके लिए पुरज़ोर आवाज़ बुलंद की गई ? नही ना
जनवरी 2016 में ट्रेनिंग हासिल शुदा और जिला लोक शिकायत निवारण के आदेश पर जिनका योगदान हुआ उस का पेमेंट नही होता है और जो 29 जुलाई 2016 को योगदान करते हैं उनका पेमेंट हुआ और हो रहा है क्या इस के खिलाफ आवाज़ बुलन्द की गई ? नही ना
एस्टेब्लिशमेंट लिस्ट में रज़ाकारों की तफ़सीलात ग़लत इंद्राज की गई जोइनिंग लेटर ग़ायब किया गया क्या इसके खिलाफ आवाज़ बुलन्द की गई ? नही ना
तो फिर

क्या ऐसे ग़ैर सक्रिय/खामोसी इख़्तेयार कमिटी से जिला तालीमी मरकज़ के रज़ाकारों का मुस्तक़बिल ताबनाक हो सकता है ? ये ज़िला के तमाम रज़ाकारों को सोचना चाहिए/सोचना होगा ।ज़िला तालीमी मरकज़/ब्लॉक कमिटी को सिरे से तहलील (निरस्त) कर एक ईमानदार कमिटी की तश्किल करेँ जो सिर्फ और सिर्फ आपके ताबनाक मुस्तक़बिल के लिए काम करे।

" ज़िला सीतामढ़ी तालीमी मरकज़ संघ एक superseded committee है क्योंकि ज़िला कमिटी इंतेखाब 20.12.2012 को हुआ था।किसी भी कमिटी का कार्यकाल तीन/पाँच साल का होता है कमिटी का तीन साल का कार्यकाल 20.12.2015 को समाप्त हो जाता है कमिटी के कार्यकाल समाप्ति से पूर्व नए कमिटी का इंतेखाब नही हुआ लिहाज़ा कार्यकाल समाप्ति के बाद कमिटी स्वतः भंग हो जाती है और वह सुपर सीड कमिटी कहलाती है।सुपरसीड कमिटी में कोई चेयरमैन प्रेजिडेंट नही होता।
16.02.2016 को बीना इंतेखाब/ आम सभा के इत्तेफ़ाक़ राय के नई कमिटी बना ली गई जो ग़ैर क़ानूनी है।
16.02.2016 को अपने मन से कमिटी बनाने से ज़ाहिर है कमिटी का कार्य काल तीन साल ही है पाँच साल नही।
सुपरसीड (भंग)कमिटी की बैठक बुलाना बहैसियत  चेयरमैन मज़हक़ह ख़ेज़(हास्यापद)है।
जब तक आम सभा से जिला कमिटी का चुनाव नही हो जाता है तब तक ज़िला तालीमी मरकज़ के साथ सभी तरह की कमिटी भंग है कोई चेयरमैन प्रेसिडेन्ट  नही। ""

सोमवार, जुलाई 03, 2017

मृत टोला सेवक पुनदेव सादा की पत्नी को मिला अनुग्रह अनुदान राशि का चेक

ज़िला कार्यक्रम पदाधिकारी साक्षरता सीतामढ़ी प्रेम चन्द्र ने मृत टोला सेवक पुनदेव सादा की पत्नी को अनुग्रह अनुदान राशि चार लाख रुपये का चेक सौंप।मौके पर ज़िला एम डी एम प्रभारी जय शंकर ठाकुर, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष व पूर्व एम एल सी दिलीप यादव, मुख्य कार्यक्रम समन्वयक नागेन्द्र पासवान, एस आर जी मधु, टोला सेवक संघ सीतामढ़ी के जिला अध्यक्ष रघुनंदन बैठा, सगीर अंसारी, नेक मुहम्मद अंसारी उपस्थित थे।

शुक्रवार, जून 23, 2017

जिला साक्षरता सीतामढ़ी में लाखों रुपये मानदेय राशि का फर्ज़ीवाड़ा कर ग़बन

जिला साक्षरता सीतामढ़ी में लाखों रुपये का फर्ज़ीवाड़ा
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जिला साक्षरता सीतामढ़ी में फ़र्ज़ी 21(इक्कीस) तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी के बैंक खातों में मानदेय राशि हस्तांत्रित कर लाखों रुपये का फर्ज़ीवाड़ा कर ग़बन किया जा रहा है।
मालूम हो कि जिला सीतामढ़ी में जनवरी 2016 में 45 तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी को दो दिवसीय प्रशिक्षण देकर योगदान करवाया गया था और एक तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी को जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सीतामढ़ी के निर्णय के आलोक में 11जुलाई 2016 को योगदान करवाया गया था मगर अब तक इन शिक्षा स्वयं सेवकों को मानदेय राशि का भुगतान नहीं किया गया और वही 21 (इक्कीस) तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवकों को आनन फानन में 29 जुलाई 2016 को योगदान दिखा  कर उन के बैंक खातों में मानदेय राशि भेज कर सरकारी राशि का ग़बन किया जा रहा है।जबकि जानकारों का कहना है कि इन नव नियोजित शिक्षा स्वयं सेवियों के द्वारा संबंधित विद्यालयों में योगदान भी नहीं किया है।

सोमवार, जून 19, 2017

मानदेय राशि/हौसला अफजाई रक़म

मानदेय राशि/हौसला अफजाई रक़म
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बेरोज़गारी से तंग, परिवारों के तानों से परेशान मानदेय मिलने वाले कामों को करने पर मजबूर लोगों को मानदेय /हौसला अफजाई रक़म सरकार के पदाधिकारी देना नही चाहते हैं।मानदेय वाली नौकरी (काम) बेरोज़गार नौजवान मज़बूरी में करते हैं ताकि फ़ाक़ा कशी से तंग आकर खुदकशी न करना न पड़े मगर पदाधिकारी मानदेय राशि/हौशला अफ़ज़ाई रक़म का पेमेंट न कर मानदेय पर काम करने वाले लोगों को आत्महत्या करने पर उत्साहित नही करती है तो क्या कर रही है  ?
सरकार के शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों को ये एहसास नहीं होता है कि भूख प्यास, बेरोज़गारी, परिवार के तानों का तंज़ क्या होता है ? अगर सरकार हौसला अफजाई रक़म भी वक़्त पर नही दे सकती  तो हौसला अफजाई जैसे चलने वाले कार्यक्रम को सरकार को बन्द कर देनी चाहिए और कीमती मानव जीवन को खत्म करने का कानूनी हक दे देनी चाहिए।

रविवार, जून 18, 2017

इंसाफ - इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक मुस्तकीम सिद्दीकी को गोड्डा टाउन थाना के थाना प्रभारी ने दी मुक़दमा में फ़साने की धमकी, सिद्दीकी की ज़ुबानी

इंसाफ_इंडिया : गोड्डा टाउन थाना प्रभारी अशोक गिरी ने साथी Ranjit Inquilab Godda के फोन से मुझे धमकी दी है, मेरे साथी को टाउन थाना में बुलाकर झुटे मुकदमे में फसाने की बात कही है , गोड्डा टाउन थाना में कुछ साथियों को मेरे बारे में देशद्रोही एवं दंगा भड़काने में संलिप्ता का किया प्रोपेगंडा l

मेरा कसुर : मैने 16 जुन को गोड्डा में कुछ साथियों के साथ झारखंड नवनिर्माण की बैठक का आहवान किया था l

जब मैने पुलिस अधिक्षक (एस पी) गोड्डा से ऐसे झुटे आरोप के बारे बात करना चाहा तो एस पी गोड्डा ने अपने थाना प्रभारी की बात को सही ठहराते हुए हम पर गुस्से का इजहार करते हुए बाद में बात करने को कहा l

साथियों यही है फासीवाद , यही है संघवाद , उठती आवाज को दबाने की कोशिश l

Mustaqim Siddiqui
राष्ट्रीय संयोजक
इंसाफ इंडिया l

गुरुवार, जून 15, 2017

बिहार पंचायत - नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ का एक दिवसीय धरना प्रदर्शन 17 जून को

बिहार पंचायत - नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रखण्ड अध्यक्ष मोहम्मद फ़िरोज़ आलम ने जानकारी दी है कि सरकार की दोहरी नीति एवं शिक्षा और शिक्षक विरोधी नीति के खिलाफ बिहार पंचायत - नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ राज्य ईकाई के आह्वान पर 17 जून को जिला मुख्यालय पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन दिया जाएगा।                        
इसी क्रम में अम्बेडकर स्थल डुमरा, सीतामढी, में 10:00 धरना में भाग लेने की गुजारिश शिक्षक, शिक्षिकाओं से की है।
धरना प्रदर्शन के निम्न विन्दु हैं :-
विगत कई महीनों से लंबित वेतन भुगतान ,   समान काम- समान वेतन,  सेवाशर्त का प्रकाशन,  बच्चों को पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराना आदि।
            

मंगलवार, जून 13, 2017

बी एम सी मकतब परिहार में दो दीनी चक धूक-चक धूक समर कैंप का आग़ाज़

जिला साक्षरता सीतामढ़ी के आदेशालोक में6 से14 आयु वर्ग के बच्चों और उनके माताओं के लिए दो दीनी चक धूम-चक धूम समर कैंप का आग़ाज़ प्रधानाध्यापक मोहम्मद शमीम अंसारी, प्रखण्ड कार्यक्रम समन्वयक अर्चना कुमारी के आर पी वीरेन्द्र यादव और बी आर पी मारूफ आलम ने चिराग़ रौशन कर किया मौके पर सी आर सी सी मोहम्मद इसराफिल अंसारी, प्रखण्ड लेखा समन्वयक दुखा बैठा मौजूद थे।समर कैंप 14 जून तक चलेगा।


सोमवार, जून 12, 2017

Breaking News :-विधुत के ज़द में आने से लाईन मैन अनिल कुमार सिंह की मौत


परिहार सीतामढ़ी।परिहार चौक से दक्षिण परिहार क़ब्रिस्तान के निकट ट्रांसफॉर्मर पर फ्यूज़ ठीक करने के दौरान विधुत के ज़द में आने से लाईन मैन अनिल कुमार सिंह की मौत हो गई ।बताया जाता है कि अंसारी मुहल्लाह का फेज़ डाऊन चल रहा था उसी को ठीक करने के लिए सिरसिया फीडर से शॉर्ट डाऊन लेकर ट्रांसफॉर्मर पर चढ़ा था ट्रांसफॉर्मर पर चढ़ने के कुछ ही देर बाद लाईन दे देने के कारण करेंट लगने से मौके ए वारदात पर ही मौत हो गई।अनिल कुमार सिंह सहरगमा निवासी काफी मिलन साल आदमी थे इनके दर्दनाक मौत से इलाके में शोक की लहर दौड़ गई और देखने के लिए चारों तरफ से लोग दौड़ पड़े

शुक्रवार, जून 09, 2017

प्रखण्ड स्तरीय चक धूम-चक धूम 2017 समर कैंप कार्यशाला आयोजित

प्रखण्ड स्तरीय चक धूम-चक धूम कार्यशाला आयोजित

बिहार।सीतामढ़ी।परिहार प्रखण्ड अन्तर्गत प्रखण्ड स्तरीय चक धूम-चक धूम 2017 समर कैंप के सफल आयोजन के लिए प्रखण्ड संसाधन केंद्र परिहार के प्रशिक्षण कक्ष में प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी परिहार राम सेवक राम की अध्यक्षता में  कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें प्रखण्ड कार्यक्रम समन्वयक अर्चना कुमारी साक्षर भारत, प्रखण्ड साधन सेवी कौशलेन्द्र कुमार कर्मेन्दु ,शमीम अंसारी, मारूफ आलम, सी आर सी सी इसराफिल अंसारी, बी एम सी मकतब के प्रधानाध्यापक शमीम अंसारी, सहायक फखरुल अंसारी, लेखा समन्वयक दुखा बैठा, टोला सेवक, तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी, पंचायत लोक शिक्षण केन्द्र के प्रेरक आदि उपस्थित थे।

गुरुवार, जून 08, 2017

11 जून 2017 रविवार को होगी प्रदेश टोला सेवक संघ की बैठक

बिहार प्रदेश टोला सेवक संघ पटना की एक आवश्यक बैठक 11जून 2017 रविवार को
बहादुर पुर शांति निकेतन मध्य विद्यालय में प्रदेश अध्यक्ष ब्रह्मानन्द की अध्यक्षता में में आहूत की गई है।
प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि बैठक बहुत ही अहम और गंभीर है बैठक में अगामी कार्य की रूप रेखा तैयार किया जाएगा।
सभा स्थल पर पहुँचने का पता:- पटना जंक्सन से  टेम्पू या बस पकड़ कर राजेन्द्र नगर ,पटना सीटी,अगम कुँआ या भूतनाथ जाने वाली पकड़ कर बहादुर पुल के पास उतड़, पुल पर चढ उत्तर की ओर आ जाना है वहाँ दूर्गा मंदिर के पास किसी से भी पूछ लेना है कि सरकारी विद्यालय शांति निकेतन कहाँ है कोई बता देगा ।
विशेषः  9304048103 विनोदजी , 7654477788 राकेश रौशन जी ,या 9162899470 नम्बर पर संम्पर्क कर सकते हैं।

बुधवार, जून 07, 2017

हल्का कर्मचारी के जाँच रिपोर्ट के बाद भी सी ओ परिहार ने नही किया रक़बा सुधार, सुधार के एवज माँगी दस हजार

बिहार/सीतामढ़ी/परिहार ।।ज़मीन के रक़बा सुधार के लिए ग्राम पंचायत बेतहा ,बेतहा निवासिनी मुसमात प्रवीण कौसर पति मोहम्मद खुर्शीद आलम ने रक़बा सुधार कर दाखिल खारिज करने के लिए सी ओ परिहार को 13 जनवरी 2016 को आवेदन दिया था, सी ओ परिहार ने हल्का कर्मचारी को जाँच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया।हल्का कर्मचारी ने 19 जनवरी 2016 को जाँच प्रतिवेदन समर्पित कर अंचलाधिकारी परिहार को  अंचल अमीन से नक़्शा मापी व सीमांकन प्रतिवेदन लेने का अनुरोध करते हुए आवेदिका के केबाल दर केबाल और दखल क़ब्ज़ा के आधार पर रक़बा सुधार कर दाखिल खारिज करने की अनुशंसा की मगर डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी अंचल पदाधिकारी परिहार ने आवेदिका के ज़मीन का रक़बा सुधार करने का प्रस्ताव संबंधित पदाधिकारी को नहीं दिया।

              "" हल्का कर्मचारी के प्रतिवेदन देने के बाद भी जब रक़बा सुधार  नही किया गया तो मैं सी ओ से मिली और रक़बा सुधार की बात कही तो सी ओ परिहार ने कहा अरे ! ये सब वैसे ही थोड़े होता है ज़मीन का मामला है पैसा खर्च करना होगा।दस हज़ार रुपये ले कर आना काम हो जाएगा।।""
                                 
                              ''मुसमात प्रवीण कौसर ''

शुक्रवार, जून 02, 2017

शिक्षक भिखारी महतो जिसने इन्दरवा विद्यालय की तस्वीर बदल दी


रितु जायसवाल
एक सरकारी विद्यालय और एक शिक्षक ऐसा भी!

बिहार! एक ऐसा राज्य जो अपनी ऐतिहासिक गौरवगाथा के साथ साथ सरकारी शिक्षा तंत्र के बदहाली केलिए भी जाना जाता है। प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा, सब के हालात दयनीय। माने न माने पर यह एक हकीकत है जिससे न मानने वाले भी अंदर ही अंदर सहमत होते हैं। कोशिश में लगी रहती हूँ की कम से कम पंचायत की मुखिया हूँ तो अपने पंचायत में शिक्षा की तस्वीर बदले पर बदलना तो दूर, तस्वीर बनती तक नहीं दिख रही। अपने पंचायत में जब विद्यालय नहीं मिला (विद्यालय हकीकत में तो खाना खाने का मेस बन गया है) तब थक कर ढूंढने निकली की कहीं तो कोई शिक्षक या विद्यालय होगा जहाँ हकीकत में बच्चों को "विद्यालय" और "शिक्षक" जैसे महान शब्द का मतलब का एहसास होता होगा। तो इस तलाश में मुलाक़ात हुई सोनबरसा के एक पत्रकार बीरेंद्र जी से जो जब मिलते थे तब यही कहते थे की इंदरवा स्कुल देखने कब चलिएगा? इस प्रश्न में उनकी उत्सुकता देखने योग्य रहती थी जैसे वो कुछ बड़ा ही अद्भुत चीज़ दिखाना चाहते हों। 4 से 5 बार उन्होंने कहा पर किसी न किसी कारण से नहीं ही जा पाई। पर आखिरकार एक दिन प्रखंड कार्यालय गई तो अचानक बीरेंद्र जी से मुलाक़ात हुई। उन्होनें फिर वही बात की और इतना कहना की प्रोग्राम बन गया हम सभी का की चलिये आज तो जाना ही है। चलते चलते कई गाँव पार करते भारत के अंतिम छोड़ पर जा पहुँचे हम लोग । गाँव था इंदरवा - नरकटिया, ग्राम पंचायत राज इंदरवा, जिससे सटे ही है भारत नेपाल सीमा। विद्यालय का माहौल ऐसा था कि बाहर से ही बदलाव की एक लहर का एहसास होने लगा था। अंदर गई तो बेहद ही विनम्र प्रवृति के शिक्षक मेरे आदर्श श्री भिखारी महतो जी अपनी मुस्कान के साथ स्वागत केलिए खरे थे। बच्चों के चप्पल बिलकुल ही कतार में कक्षा के बाहर रखे हुए थे। भिखारी जी, वहां के पूर्व मुखिया श्री सुरेंद्र कुमार जी, बीरेंद्र जी और उनके अन्य सहयोगियों ने पूरे विद्यालय का कोना कोना दिखाना शुरू किया, बच्चों से मिलवाया। विद्यालय के पूरे परिसर में धूल का एक कण न मिला और शौचालय में इतनी साफ़ सफाई की हम लोग खाली पैर वहां गए । जहाँ अधिकाँश विद्यालयों में मिड मील से पैसे बनाना शिक्षकों का पेशा बन गया है, वहां भिखारी जी के विद्यालय में मिड डे मील की सम्पूर्ण व्यवस्था बच्चों के ही हाथ में है। विद्यालय की शिक्षण प्रणाली पूर्णतः गुणवत्तापूर्ण। यहाँ से बच्चे कई बड़े बड़े स्थानों तक पहुँच चुके हैं। यहाँ के बच्चों में विषय की पढ़ाई के अलावा खेल कूद, कंप्यूटर शिक्षा, अनुशासन, जागरूकता और संस्कार को देखना भिखारी महतो जी के अथक प्रयास, उनकी लगन और कर्तव्यनिष्ठता का वास्तविक बोध कराता है। कक्षा समाप्त होने के बाद बच्चों का एकदम कतार में शांतिपूर्ण तरीके से विद्यालय से निकलना देखने योग्य था। बच्चे अपना चप्पल भी उतार कर किस अनुशासन से रखते हैं वह भी देखने योग्य था। शौचालय में ऐसी साफ़ सफाई की हम लोग खाली पैर भी आराम से वहां जा सके। मध्यान भोजन ऐसा की क्या गाँव के किसी घर में वैसा भोजन बनता होगा।

विद्यालय में घूमते हुए और उनके शिक्षा के प्रति लगन को देख कर ऐसा लगता है जैसे विद्यालय में इनके प्रयासों से निर्मित भवन की एक एक ईंट में, इनके द्वारा लगाए गए एक एक वृक्ष में, वहाँ की हवाओं में, ब्लैकबोर्ड में, वहाँ के चॉक में हर जगह उनकी आत्मा बसती है। यही कारण है कि मैंने चाहा था ऐसे शिक्षक हमारे पंचायत में आ जाएं, जिसके लिए भिखारी जी से मिलने से पहले उनके बारे में सिर्फ सुन कर, मैंने प्रयास भी किया था पर अब जब इनसे मिली, तब ये एहसास हुआ की स्वार्थवश कितनी बड़ी भूल करने जा रही थी मैं, किसी की आत्मा को उसके शरीर से अलग करने जा रही थी। धन्य हो ऐसे शिक्षक और ऐसे ग्रामीण जिनका सहयोग हर कदम पर भिखारी जी के साथ रहा। मातृभूमि का असल ऋण तो आप लोग चूका रहे हैं। इसी पंचायत के बाकी विद्यालयों का हाल वही है जिसके लिए बिहार सरकार के स्कुल जाने जाते हैं। इससे साफ होता है कि वर्तमान स्थिति में किसी भी विद्यालय में सुधार केलिए जब तक खुद शिक्षक के अंतरात्मा से आवाज़ नहीं आएगी तब तक बदलाव के बारे में सोचना भी व्यर्थ है। हम आप बस सहयोग कर सकते हैं, शिक्षण प्रणाली में सुधार नहीं ला सकते। 9 साल के अपने निस्वार्थ सेवा से पूजनीय भिखारी महतो जी और उनसे पहले राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित वही के शिक्षक श्री रामज्ञान बाबू जी और उनके साथ कंधे से कन्धा मिलाये खरे पंचायत के पूर्व मुखिया श्री सुरेंद्र जी और पत्रकार बीरेंद्र जी के सहयोग से जब एक विद्यालय की सूरत बदली जा सकती है, वहाँ के बच्चों को हर क्षेत्र में भविष्य के रास्ते दिखाये जा सकते हैं तो फिर ये कार्य बाकी कई जगहों पर भी किये जा सकते हैं।

बिहार के हर जिले में कहीं न कहीं ऐसी बदलाव की एक कहानी ज़रूर होगी जो सरकार के बड़े लोगों की उदासीनता के वजह से छिप जाती होगी। हमें ज़रूरत है सरस्वती के ऐसे मूर्तियों को ढूंढ कर उनकी कहानी देश दुनिया के सामने लाने की। आप सब से अपील करती हूँ की नेपाल घूमने तो सब जाते हैं पर हो सके तो सीमा से सटे ही सोनबरसा प्रखंड के इंदरवा पंचायत के इस विद्यालय के दर्शन ज़रूर कर आएं। ये जगह तो किसी मंदिर से भी बढ़ कर है। यदि कोई पत्रकार भाई बहन हमारे पेज से जुड़े हैं तो आप कृपया इस विद्यालय को और भिखारी महतो जी के प्रयासों को हर संभव तरीके से सम्मान ज़रूर दें। तसवीरें मेरे इस लेख का एक अदना सा प्रमाण है। बाकी आप जाएंगे तो वहां महसूस करेंगे।

वहाँ जाने पर ख्याल आया की विद्यालय में क्या योगदान दिया जाए तो राय विचार करने के बाद बात निकली की चूँकि वहां हॉस्टल भी है तो रात को रौशनी केलिए सोलर स्ट्रीट लाइट लगवाई जाए और हाई स्कूल के कक्षाओं में कुछ सीलिंग फैन की व्यवस्था की जाए क्योंकि इसका अभी अभाव है। 10 पंखों का छोटा सा योगदान तो मैंने आज विद्यालय के अपने दूसरे दौरे में कर दिया, बाकी लाइट बहुत जल्द ही किसी संस्था के माध्यम से लगवा दी जायेगी।

विद्यालय से निकल कर सिर्फ एक ही बात ज़ेहन में रह गई। काश! हमारे ग्राम पंचायत सिंहवाहिनी में भी एक भिखारी महतो होते। अपनी तनख्वाह का एक हिस्सा भी बच्चों के भविष्य निर्माण में लगाने वाले ऐसे महापुरुष को अंतर्मन से प्रणाम करती हूँ। और उन ग्रामीणों को भी प्रणाम जिन्होंने भिखारी जी की निष्ठा और लगन को देखते हुए अपनी जमीन, अपना पैसा, अपना कीमती वक्त सब कुछ बच्चों के बेहतर भविष्य केलिए न्योछावर कर दिया।

पहली ही तस्वीर में चश्मा लगाए साधारण सी वेश भूषा में पूजनीय श्री भिखारी ठाकुर जी मेरी दाहिनी ओर हैं।

गुरुवार, जून 01, 2017

टोला सेवक, शिक्षा स्वयं सेवी और प्रेरकों का मासिक बैठक आयोजित

सीतामढ़ी/परिहार टोला सेवक, शिक्षा स्वयं सेवी और प्रेरकों का संयुक्त मासिक बैठक प्रखण्ड संसाधन केन्द्र परिहार के सभागार में प्रखण्ड कार्यक्रम समन्वयक अर्चना कुमारी की अध्यक्षता में आयोजित की गई।बैठक को संबोधित करते हुए कुमारी ने प्रेरकों को मानदेय भुगतान से संबंधित विवरणी 8जून तक समर्पित करने की बात कही अन्यथा बकाया राशि विभाग से विमुक्त नही की जाएगी।ज़िला स्तरीय पत्र के आलोक में साक्षरता केन्द्रों और और बच्चों का ट्यूशन नियमित रूप से संचालित करने का निदेश दिया अनियमितता की स्थिति में कार्रवाई की बात की गई।निदेशक जन शिक्षा के पत्र के आलोक में ग्रीष्म अवकाश में बच्चों का ट्यूशन 8बजे से10बजे तक संचालित किया जाएगा और साक्षरता केंद्र का संचालन 1बजे से3बजे तक संचालित होगा।बैठक में के आर पी वीरेन्द्र यादव लेखा समन्वयक दुखा बैठा, शिक्षा स्वयं सेवी मोहम्मद कमरे आलम,मोहम्मद हामिद अंसारी टोला सेवक महेन्द्र बैठा प्रेरक विमलेश यादव, लक्ष्मण यादवआदि उपस्थित थे।

सोमवार, मई 29, 2017

योगदान के चौदह माह पश्चात भी तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी को मानदेय भुगतान नहीं, स्वयं सेवी के समक्ष भूख मरी उत्पन्न

सीतामढ़ी/ज़िला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सीतामढ़ी के निर्णयालोक निर्णय संख्या 40411-00383 व लोक प्राधिकार डी पी ओ साक्षरता सीतामढ़ी के आदेश के आलोक में जिला कार्यक्रम पदादिकारी  साक्षरता सीतामढ़ी के पत्रांक 228 दिनांक 11.07.2016 के आदेशालोक में मोहम्मद कमरे आलम को महादलित अल्पसंख्यक एवं अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आँचल योजना में तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी के पद पर योगदान कर कार्य करने का आदेश प्राप्त हुआ। कमरे आलम आदेश का अनुपालन करते हुए समबंधित विद्यालय में दिनांक 11.07.2016 को योगदान कर नियमित रूप से कार्य करना प्रारम्भ कर दिया और कर रहे हैं मगर योगदान के चौदह महीने पश्चात भी मानदेय से वंचित हैं।
मोहम्मद कमरे आलम ने बताया कि मानदेय भुगतान हेतु ज़िला कार्यक्रम पदादिकारी साक्षरता को चार अभ्यावेदन विभिन्न तिथियों में दे चुका हूँ परन्तु अभी तक मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है, मानदेय राशि भुगतान के अभाव में मानसिक रूप से तनाव में रहता हूँ।

बुधवार, मई 24, 2017

भीषण गर्मी को देखते हुए विद्यालय संचालन समय में परिवर्तन

भीषण गर्मी को देखते हुए ज़िला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी ने 25 मई से 06 जून तक विद्यालय संचालन समय में परिवर्तन कर दिया है अब ज़िले के सभी सरकारी/निजी स्कूलों का संचालन6:30 बजे से10:30बजे पूर्वाह्न तक होगा

मंगलवार, मई 23, 2017

बिहार की दूसरी सरकारी ज़ुबान उर्दू कहीं नज़र नही आती

28 मई को होगी बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ,सीतामढ़ी की बैठक

बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक 
संघ,सीतामढ़ी की बैठक 28 मई 2017 रविवार को 11 बजे से ओरिएन्टल म.वि. सीतामढ़ी में रखी गई है ।जिस में सभी प्रखंड के अध्यक्ष/सचिव ,प्रखंड स्तरीय कार्य समिति एवं जिला स्तरीय कार्य समिति के सदस्यों से बैठक में भाग लेने का आह्वान किया गया है ।

नगर परिषद सीतामढ़ी वार्ड 27 से आफ़ताब अंजुम वार्ड पार्षद निर्वाचित





सोमवार, मई 08, 2017

नवादा ज़िला में हुए पुलिस ज़ुल्म और फ़िरक़ा वाराना ज़्यादती के खिलाफ पटना में धरना


इंसाफ इन्डिया के ज़ेरे एहतमाम आज ही 8 मई को गर्दनीबाग , पटना में 11 बजे दिन से बिहार के नवादा ज़िला में पुलिस संप्रदायिकता के विरुद्ध संयुक्त धरना का आयोजन किया जा रहा है l

पटना और आस पास के इंसाफ़ पसन्द लोगों से गुजारिश है कि धरनास्थल पर आ कर इंसाफ की लड़ाई में साथ दिजिये l

रविवार, मई 07, 2017

शिक्षा विभाग में तीन साल से पदस्थापित पदाधिकारियों का स्थानांतरण कर शिक्षा विभाग को साफ शफ़्फ़ाफ़ किया जाय

ज़िला सीतामढ़ी शिक्षा विभाग में तीन साल से पदस्थापित पदाधिकारियों का स्थानांतरण किया जाय ये बातें राकेश कुमार सिंह पूर्व अध्यक्ष जनता दल यू ने सरकार से की है उन्होंने बताया कि जिले में तीन साल से अधिक से पदस्थापित पदाधिकारियों ने सीतामढ़ी के शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है इतना ही नहीं बेरोज़गार नौ जवान को एक साजिश के तहत शिक्षक के रूप में बहाल फिर हटा कर आर्थिक शोषण और दोहन कर सड़क पर ला खड़ा कर दिया।

ज़िला साक्षरता कार्यालयों के भ्रष्ट नीति के कारण पूर्व तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी सड़कों पर भटकने पर मजबूर

बिहार के ज़िला साक्षरता कार्यालय के भ्रष्ट नीति के कारण पूर्व तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी सड़कों पर भटकने पर मजबूर हैं।पूरे बिहार में जिला साक्षरता कार्यालयों की भ्रष्टाचार नीतियों के कारण सभी पूर्व शिक्षा स्वयं सेवियों को अक्षर आँचल योजना में स्वयं सेवी के रूप में नही रखा गया जिस कारण आज भी सैंकड़ों तालिमी मरकज़ के पूर्व स्वयं सेवी सड़कों की धुल छान व फाँक रहे हैं मगर जन शिक्षा निदेशालय बिहार पटना संज्ञान लेने को तैयार नहीं।
बिहार सरकार के प्रधान सचिव का स्पष्ट आदेश था कि इस योजना में पूर्व शिक्षा स्वयं सेवी स्वयं सेवक के रूप में कार्य करेंगें।जहाँ तालिमी मरकज़ के स्वयं सेवक नही थे या जिस इलाके में तालिमी मरकज़ का संचालन नही किया गया था वहीं तालिमी मरकज़ के स्वयं सेवक की बहाली करनी थी मगर ज़िलों के साक्षरता पदाधिकारियों ने बिल्कुल उलट कर पूर्व शिक्षा स्वयं सेवी को सड़क पर खड़ा कर धुल फांकने पर मजबूर कर दिया ऐसा क्यों किया स्पष्ट है नई बहाली में जम कर अवैध वसूली कर मोटी कमाई की गई।
मालूम हो कि 09दिसम्बर 2012 तक तालिमी मरकज़ का संचालन वैकल्पिक एवं नवाचारी कार्यक्रम सर्व शिक्षा अभियान बिहार शिक्षा परियोजना के अन्तर्गत होता था जिस को 10 दिसंबर 2012 से जन शिक्षा निदेशालय बिहार पटना के अधीन कर दिया गया है।

शनिवार, मई 06, 2017

ब्रेकिंग न्यूज़:- पुपरी अंचल पुलिस इंस्पेक्टर नितेन्द्र कुमार विजिलेंस के हत्थे चढ़े

सीतामढी! पुपरी अंचल पुलिस इंस्पेक्टर नितेन्द्र कुमार को 6000/ हजार घूस लेते  विजिलेंस ने किया गिरफ्तार किया है। 
" पुलिस महकमा में हड़कंप "

 बथनाहा थाना कांड संख्या 111/17 के पर्यवेक्षण के लिए पुपरी पुलिस अंचल कार्यालय के निरीक्षक नितेन्द्र कुमार  कमलदह निवासी मो सन्नाउल्लाह से छह हजार घूस ले रहे थे।धावा दल का नेतृत्व विजिलेंस डी एस पी महाराजा कनिष्क कुमार सिंह ने किया। औपचारिक कार्रवाई के बाद घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार पुलिस निरीक्षक को धावा दल सीधे पटना के लिए रवाना हो गई जहाँ विजिलेंस का मुख्यालय है दस्तावेज़ी खाना पूरी के पश्चात उत्तर बिहार स्थित मुज़फ़्फ़रपुर विजिलेंस अदालत में पेश किया जाएगा जहाँ से खुदी राम बोस कार भेजा जाएगा।सीतामढ़ी जिला में ये कोई पहली कार्रवाई नही है इस से पहले भी कई पदाधिकारी विजिलेंस के हत्थे चढ़ चुके हैं मगर मज़ाल के सीतामढ़ी ज़िला में भ्रष्टाचार में कमी आई हो।

बुधवार, मई 03, 2017

समायोजन की अभिलाषा लिए रानीगंज प्रखण्ड के टोला सेवक पंचानंद ऋषि देव का निंधन

शिक्षक के रूप में विद्यालय में समायोजन की अभिलाषा लिए रानीगंज प्रखंड के टोला सेवक पंचानंद ऋषि देव का आज  निंधन हो गया।मोहम्मद कमरे आलम सीतामढ़ी और मो. गालिब जिला अ० अररिया तालीमी मरकज संघ रानीगंज प्रखंड के टोला सेवक पंचानंद ऋषि देव के निंधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। और साथ ही सरकार से शोका कुल परिवार को अविलम्ब अनुग्रह अनुदान राशि निर्गत करने और परिवार के एक सदस्य को बहाल करने की माँग की है।

मंगलवार, मई 02, 2017

लोक शिक्षा केन्द्रों को गतिशील करने को लेकर बैठक का आयोजन

पंचायत लोक शिक्षा केंद्रों और अक्षर आँचल योजना केन्द्रों को गतिशील और क्रियात्मक रूप देने को लेकर लेकर प्रखण्ड संसाधन केन्द्र परिहार के सभा कक्ष में टोला सेवक, शिक्षा स्वयं सेवी और प्रेरकों की संयुक्त बैठक का आयोजन किया गया।जिला से आए मुख्य कार्यक्रम समन्वयक सह सचिव साक्षर भारत मिशन सीतामढ़ी नागेंद्र पासवान ने विस्तार से चर्चा की।सम्बंधित कार्यरत टोला सेवक और शिक्षा स्वयं सेवी को दो दिन के अन्दर बीस-बीस महिलाओं की सूची जमा करने का निदेश दिया गया ताकि महिलाओं का साक्षरता केन्द्र शुरू करवाया जा सके।उन्होंने ने दस्तावेज़ीकरण पर खासा जोड़ दिया और कहा कि दस्तावेज़ीकरण किसी भी कार्यक्रम की सफलता की रीढ़ होती है।बैठक में प्रखण्ड कार्यक्रम समन्वयक अर्चना कुमारी, लेख समन्वयक दुखा बैठा, के आर पी वीरेन्द्र कुमार, शिक्षा स्वयं सेवी मोहम्मद कमरे आलम, टोला सेवक महेन्द्र बैठा आदि उपस्थित थे।

सोमवार, मई 01, 2017

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शनिवार, अप्रैल 22, 2017

22 मई 2017 को हिंदुस्तान के शिल्प कार महान शासक और बिहार के सपूत शेर शाह सूरी के वफात के 472 वर्ष

22 मई 2017 को हिंदुस्तान के शिल्प कार महान शासक और बिहार के सपूत शेर शाह सूरी के वफात को पुरे 472 वर्ष हो जायेंगे।
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शाह सूरी (1472-22 मई 1545) (फारसी/पश्तो: فريد خان شير شاہ سوري, जन्म का नाम फ़रीद खाँ) भारत में जन्मे पठान थे, जिन्होनें हुमायूँ को 1540 में हराकर उत्तर भारत में सूरी साम्राज्य स्थापित किया था। शेरशाह सूरी ने पहले बाबर के लिये एक सैनिक के रूप में काम किया था जिन्होनें उन्हे पदोन्नति कर सेनापति बनाया और फिर बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया। 1537 में, जब हुमायूँ कहीं सुदूर अभियान पर थे तब शेरशाह ने बंगाल पर कब्ज़ा कर सूरी वंश स्थापित किया था।[2] सन् 1539 में, शेरशाह को चौसा की लड़ाई में हुमायूँ का सामना करना पड़ा जिसे शेरशाह ने जीत लिया। 1540 ई. में शेरशाह ने हुमायूँ को पुनः हराकर भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया और शेर खान की उपाधि लेकर सम्पूर्ण उत्तर भारत पर अपना साम्रज्य स्थापित कर दिया।[3]

एक शानदार रणनीतिकार, शेर शाह ने खुद को सक्षम सेनापति के साथ ही एक प्रतिभाशाली प्रशासक भी साबित किया। 1540-1545 के अपने पांच साल के शासन के दौरान उन्होंने नयी नगरीय और सैन्य प्रशासन की स्थापना की, पहला रुपया जारी किया है, भारत की डाक व्यवस्था को पुनः संगठित किया और अफ़गानिस्तान में काबुल से लेकर बांग्लादेश के चटगांव तक ग्रांड ट्रंक रोड को बढ़ाया।[4] साम्राज्य के उसके पुनर्गठन ने बाद में मुगल सम्राटों के लिए एक मजबूत नीव रखी विशेषकर हुमायूँ के बेटे अकबर के लिये।

सोमवार, अप्रैल 17, 2017

विद्यालय भवण निर्माण में अनियमितता

परिहार सीतामढ़ी परिहार गाँधी उच्च विद्यालय परिहार में कार्यालय कक्ष और भवन निर्माण कार्य किया जा रहा है जिस में प्राकलन का अनुपालन नही कर अनियमितता बरती जा रही है।जब भवन निर्माण में कार्य कर रहे मिस्त्री/मज़दूर से पूछा गया कि बालू और सीमेंट कितना मिलाते हो तो स्पष्ट कहा कि 1/7 के अनुपात में जुड़ाई का कार्य हो रहा है मगर देखने से ऐसा प्रतित नही होता है जुड़ाई का अनुपात कुछ और ही लगता है इतना ही नही जुड़ाई भी सही ढंग से नही किया जा रहा है।निर्माण स्थल पर साइन बोर्ड और प्राक्कलन का भी प्रदर्शन नही किया गया है।ये हाल तब है जब बिहार के माननीय मुख्यमंत्री ताजमहल की तरह भवण निर्माण की कामना रखते हैं 

शुक्रवार, अप्रैल 14, 2017

परिहार गाँधी उच्च विद्यालय में गुणवत्ता विहीन भवन निर्माण कार्य जारी

परिहार सीतामढ़ी परिहार गाँधी उच्च विद्यालय परिहार में कार्यालय कक्ष और भवन निर्माण कार्य किया जा रहा है जिस में प्राकलन का अनुपालन नही कर अनियमितता बरती जा रही है।जब भवन निर्माण में कार्य कर रहे मिस्त्री/मज़दूर से पूछा गया कि बालू और सीमेंट कितना मिलाते हो तो स्पष्ट कहा कि 1/7 के अनुपात में जुड़ाई का कार्य हो रहा है मगर देखने से ऐसा प्रतित नही होता है जुड़ाई का अनुपात कुछ और ही लगता है इतना ही नही जुड़ाई भी सही ढंग से नही किया जा रहा है।निर्माण स्थल पर साइन बोर्ड और प्राक्कलन का भी प्रदर्शन नही किया गया है।ये हाल तब है जब बिहार के माननीय मुख्यमंत्री ताजमहल की तरह भवण निर्माण की कामना रखते हैं ।

सोमवार, अप्रैल 10, 2017

हिन्दी सिनेमा के 65 साल

मेहजबीं

हिन्दी सिनेमा में पिछले 65 सालों में एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में बनी, क्लासिकल, रोमांटिक, कलात्मक, ऐक्शन, कमर्शल, डॉक्यूमेंट्री, टेली फिल्म, सभी मशहूर- ओ - माअरूफ़ नहीं हो सकी, लेकिन कुछ फिल्मों ने अमिट छाप छोड़ी जो आज भी प्रासंगिक हैं। हिन्दी - उर्दू भाषा में फिल्मों की स्क्रिप्ट तैयार की गई, गीत- ग़ज़लें तैयार की गई, साहित्यकारों, शायरों द्वारा। कुछ फिल्में साहित्यिक रचनाओं पर भी बनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि चरित्रों पर भी बनी, यहाँ तक कि मज़रूह सुल्तान पुरी, शाहिर लुधियानवी, शैलेन्द्र, गुलज़ार, निदा फ़ाज़लि, फैज़ अहमद फैज़, अहमद फ़राज़, जावेद अख़्तर जैसे साहित्यकार फिल्मी गीतों के ज़रिए ही ज़्यादा मशहूर हुए, लता मंगेशकर, आशा भोसले, सुरैया, हेमलता, कविता कृष्णमूर्ति, अनुराधा पोरवाल, नूरजहाँ, रफ़ी, मुकेश, किशोर कुमार, कुमार शानू, उदित नारायण, पंकज उदास, जगजीत सिंह, भूपेन्द्र हज़ारिका, मनहर उदास द्वारा गुनगुनाए गीत और ग़ज़लें जो भारतीय सिनेमा की रीढ़ की हड्डी हैं, हिन्दुस्तान की ज़िंदगी हैं, जिनमें इस सरज़मीं का समाज राजनीति अर्थव्यवस्था मुहब्बत खूलूस है, आजकल पिछले 20 सालो में हज़ारों गीत हिन्दी सिनेमा में आए और गए, जिनसे दिल दिमाग को कोई राहत सुकून नहीं मिला, लेकिन पुराने समय के गीत और ग़ज़लें आज भी लाखों लोगों के दिल में समाए हैं, जो आम जन के अकेले पन के साथी हैं, मनोरंजन का ज़रिया हैं, हिन्दी- उर्दू की पहचान हैं, इन गीतों ग़ज़लों का संगीत और मधुर आवाज़ और कशिश  अपनी और खींचती है, दु:ख में सहारा देती है, मुहब्बत का अहसास कराती है, कमज़ोर पड़ने पर मज़बूत बनाती है।

"चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला "

"कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है"

"ये होशल कैसे रूके ये आरज़ू कैसे झुके मंज़िल दूर तो क्या साहिल धुंधला तो क्या ये आरज़ू कैसे झुके "

"तेरी है ज़मीं तेरा आसमां तू बड़ा मेहरबां  सबका है तू ख़ुदा मेरे तू बख़्शिश कर"

बाज़ार, लिबास, इजाज़त, उमराव जान, रज़िय सुल्तान, मुग्लेआज़म, पाक़िज़ा, काग़ज़ के फूल, प्यासा, साहब बीवी और ग़ुलाम, दिल दिया दर्द लिया, राम और श्याम, आख़िर क्यों, दस्तक, आँधी , अराधना, अमर प्रेम, सफर, किनारा, ख़ामोशी, गाईड, बम्बई का बाबू, तीसरी कसम, मेरा नाम जोकर, आनारकली, मदर इंडिया, गुमराह, द ट्रेन, मर्यादा, कश्मीर की कली, जंगली, साथ-साथ, कारवां, आपकी कसम, आप ऐसे तो न थे निकाह स्वीकार किया मैंने, मेरा साया, वक्त अनमोल घड़ी, मधुमति, जैसी हज़ारों फिल्में हैं जिनके हज़ारों गीत ग़ज़लें आज भी लोगों की ज़ुबां पर हैं।

कलात्मक फिल्में कुछ ऐसी हैं जो मशहूर भी हुई हैं और कुछ ऐसी भी हैं जो उपेक्षित रही, बहुत अच्छी होते हुए भी ज़्यादा नहीं चली, बल्कि लोग उनसे नावाकिफ़ हैं इसके लिए अख़बार, पत्रिका, मिडिया भी जिम्मेदार है और कुछ हद तक लोग भी जिम्मेदार हैं। ऐसे ही हिन्दी सिनेमा की इन कलात्मक फिल्मों, क्लीसिकल फिल्मों के कुछ गीत ग़ज़लें भी उपेक्षित रह गए जो बेहतरीन स्क्रिप्ट और संगीत, आवाज़ के होते हुए भी ज़्यादा नहीं चले जैसे

"महवे ख़्याले यार हम को फिज़ा से क्या अब रंजिशे ख़ुशी से बहारों ख़िजाँ से क्या "

"ख़ामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता न तुमने कहा होता न हमने सुना होता "

हिन्दुस्तान की राज्य और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को अपने सिलेबस में हिन्दी सिनेमा का इतिहास और उसकी खासियत के बारे में गीत संगीत गीतकारों संगीतकारों के बारे में पढ़ाना चाहिए, बल्कि दसवीं- बारहवीं कक्षा के सिलेबस में भी, और समय- समय पर कैम्पस, कॉलेज, स्कूलों में कलात्मक फिल्में दिखाई जानी चाहिए, ताकी आने वाली पीढ़ी में अच्छी फिल्मों में संगीत में रुचि पैदा हो । लेकिन अफसोस अब ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है।

मेहजबीं

दिल्ली सल्तनत गुलाम वंश से नरेन्द्र मोदी तक का इतिहास

*👉गुलाम वंश*
1=1193 मुहम्मद  गौरी
2=1206 कुतुबुद्दीन ऐबक
3=1210 आराम शाह
4=1211 इल्तुतमिश
5=1236 रुकनुद्दीन फिरोज शाह
6=1236 रज़िया सुल्तान
7=1240 मुईज़ुद्दीन बहराम शाह
8=1242 अल्लाउदीन मसूद शाह
9=1246 नासिरुद्दीन महमूद 
10=1266 गियासुदीन बल्बन
11=1286 कै खुशरो
12=1287 मुइज़ुदिन कैकुबाद
13=1290 शमुद्दीन कैमुर्स
1290 गुलाम वंश समाप्त्
(शासन काल-97 वर्ष लगभग )

*👉खिलजी वंश*
1=1290 जलालुदद्दीन फ़िरोज़ खिलजी
2=1296
अल्लाउदीन खिलजी
4=1316 सहाबुद्दीन उमर शाह
5=1316 कुतुबुद्दीन मुबारक शाह
6=1320 नासिरुदीन खुसरो  शाह
7=1320 खिलजी वंश स्माप्त
(शासन काल-30 वर्ष लगभग )

*👉तुगलक  वंश*
1=1320 गयासुद्दीन तुगलक  प्रथम
2=1325 मुहम्मद बिन तुगलक दूसरा  
3=1351 फ़िरोज़ शाह तुगलक
4=1388 गयासुद्दीन तुगलक  दूसरा
5=1389 अबु बकर शाह
6=1389 मुहम्मद  तुगलक  तीसरा
7=1394 सिकंदर शाह पहला
8=1394 नासिरुदीन शाह दुसरा
9=1395 नसरत शाह
10=1399 नासिरुदीन महमद शाह दूसरा दुबारा सता पर
11=1413 दोलतशाह
1414 तुगलक  वंश समाप्त
(शासन काल-94वर्ष लगभग )

*👉सैय्यद  वंश*
1=1414 खिज्र खान
2=1421 मुइज़ुदिन मुबारक शाह दूसरा
3=1434 मुहमद शाह चौथा
4=1445 अल्लाउदीन आलम शाह
1451 सईद वंश समाप्त
(शासन काल-37वर्ष लगभग )

*👉लोदी वंश*
1=1451 बहलोल लोदी
2=1489 सिकंदर लोदी दूसरा
3=1517 इब्राहिम लोदी
1526 लोदी वंश समाप्त
(शासन काल-75 वर्ष लगभग )

*👉मुगल वंश*
1=1526 ज़ाहिरुदीन बाबर
2=1530 हुमायूं
1539 मुगल वंश मध्यांतर

*👉सूरी वंश*
1=1539 शेर शाह सूरी
2=1545 इस्लाम शाह सूरी
3=1552 महमूद  शाह सूरी
4=1553 इब्राहिम सूरी
5=1554 फिरहुज़् शाह सूरी
6=1554 मुबारक खान सूरी
7=1555 सिकंदर सूरी
सूरी वंश समाप्त,(शासन काल-16 वर्ष लगभग )

*मोगल वंश पुनःप्रारंभ*
1=1555 हुमायू दुबारा गाद्दी पर
2=1556 जलालुदीन अकबर
3=1605 जहांगीर सलीम
4=1628 शाहजहाँ
5=1659 औरंगज़ेब
6=1707 शाह आलम पहला
7=1712 जहादर शाह
8=1713 फारूखशियर
9=1719 रईफुदु राजत
10=1719 रईफुद दौला
11=1719 नेकुशीयार
12=1719 महमूद शाह
13=1748 अहमद शाह
14=1754 आलमगीर
15=1759 शाह आलम
16=1806 अकबर शाह
17=1837 बहादुर शाह जफर
1857 मोगल वंश समाप्त
(शासन काल-315 वर्ष लगभग )

*👉ब्रिटिश राज (वाइसरॉय)*
1=1858 लोर्ड केनिंग
2=1862 लोर्ड जेम्स ब्रूस एल्गिन
3=1864 लोर्ड जहॉन लोरेन्श
4=1869 लोर्ड रिचार्ड मेयो
5=1872 लोर्ड नोर्थबुक
6=1876 लोर्ड एडवर्ड लुटेन
7=1880 लोर्ड ज्योर्ज रिपन
8=1884 लोर्ड डफरिन
9=1888 लोर्ड हन्नी लैंसडोन
10=1894 लोर्ड विक्टर ब्रूस एल्गिन
11=1899 लोर्ड ज्योर्ज कर्झन
12=1905 लोर्ड गिल्बर्ट मिन्टो
13=1910 लोर्ड चार्ल्स हार्डिंज
14=1916 लोर्ड फ्रेडरिक सेल्मसफोर्ड
15=1921 लोर्ड रुक्स आईजेक रिडींग
16=1926 लोर्ड एडवर्ड इरविन
17=1931 लोर्ड फ्रिमेन वेलिंग्दन
18=1936 लोर्ड एलेक्जंद लिन्लिथगो
19=1943 लोर्ड आर्किबाल्ड वेवेल
20=1947 लोर्ड माउन्टबेटन
ब्रिटिस राज समाप्त

*🇮🇳आजाद भारत,प्राइम मिनिस्टर🇮🇳*
1=1947 जवाहरलाल नेहरू
2=1964 गुलजारीलाल नंदा
3=1964 लालबहादुर शास्त्री
4=1966 गुलजारीलाल नंदा
5=1966 इन्दिरा गांधी
6=1977 मोरारजी देसाई
7=1979 चरणसिंह
8=1980 इन्दिरा गांधी
9=1984 राजीव गांधी
10=1989 विश्वनाथ प्रतापसिंह
11=1990 चंद्रशेखर
12=1991 पी.वी.नरसिंह राव
13=अटल बिहारी वाजपेयी
14=1996 ऐच.डी.देवगौड़ा
15=1997 आई.के.गुजराल
16=1998 अटल बिहारी वाजपेयी
17=2004 डॉ.मनमोहनसिंह
*18=2014 से  नरेन्द्र मोदी