मंगलवार, जनवरी 26, 2016

सीतामढ़ी के सभी प्रतिनियुक्त शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति रद्द

कुछ को छोड़ बाकी शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गयी रद्द

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सीतामढ़ी : जिले के कुछ शिक्षकों को छोड़ अन्य शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति तत्काल के प्रभाव से रद्द कर दी गयी है. शिक्षा मंत्री डा अशोक चौधरी के आदेश के आलोक में उक्त आशय का डीपीओ स्थापना प्रेमचंद्र द्वारा पत्र निर्गत कर दिया गया है.

 इन पर आदेश लागू नहीं

बीआरसीसी व सीआरसीसी के रूप में प्रतिनियुक्त शिक्षकों पर डीपीओ का उक्त आदेश लागू नहीं होगा. बंद एवं एक शिक्षकीय विद्यालयों एवं सरकार के आदेश से बुनियादी विद्यालयों में की गयी प्रतिनियुक्ति पर उक्त आदेश असर नहीं करेगा. उपरोक्त स्थिति के अलावे किसी भी स्तर से की गयी प्रतिनियुक्ति को रद्द कर दिया गया है.

24 घंटे में योगदान करें

डीपीओ ने प्रतिनियुक्त शिक्षक व शिक्षिकाओं को 24 घंटा के अंदर अपने मूल विद्यालय में योगदान करने का आदेश दिया है. सभी निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की नियमित शिक्षकों के मामले में यह जवाबदेही होगी कि विपत्र जारी करते समय इस आशय का प्रमाण पत्र देंगे.

डीपीओ का सख्त निर्देश

डीपीओ प्रेमचंद्र ने जारी पत्र में कहा है कि नियमित शिक्षकों के मामले में बीइओ की जवाबदेही होगी कि उपरोक्त स्थिति को छोड़ कर अन्य सभी मामले में यदि शिक्षक किसी भी स्तर के पदाधिकारी द्वारा प्रतिनियुक्त हैं तो ऐसे शिक्षकों का वेतन भुगतान ऋणात्मक सूची में डाल कर प्रतिवेदित करेंगे ताकि विभाग को ऐसे मामले से अवगत कराया जा सके.

 प्रतिनियुक्ति का खेल पुराना

बता दें कि जिले में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति का मामला काफी पुराना है. करीब-करीब सभी बीडीओ द्वारा प्रखंड कार्यालयों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गयी है. खास बात यह कि जिस काम के लिए प्रखंड कार्यालय में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की जाती है, वह काम पूरा हो जाने के बावजूद प्रतिनियुक्ति रद्द नहीं की जाती है. फलत: संबंधित शिक्षक अपने मूल विद्यालय में नहीं लौटते हैं. सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो बीडीओ को शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने का अधिकार नहीं है.

एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड

प्रतिनियुक्ति का हद यह है कि किसी प्रखंड के शिक्षक व शिक्षिका को उसी प्रखंड के एक से दूसरे स्कूल में प्रतिनियुक्ति की जाती है. हद तो यह कि एक प्रखंड से दूसरे प्रखंड के स्कूल में भी प्रतिनियुक्ति कर दी जाती है. हैरानी की बात यह कि सरकार के आदेश के आलोक में डीइओ के स्तर से इस तरह की प्रतिनियुक्ति को रद्द करने के लिए अब तक कई बार पत्र निकाला जा चुका है, लेकिन उनका तमाम पत्र संबंधित कार्यालयों में दब गया है. यही कारण है कि डीपीओ के स्तर से प्रतिनियुक्ति रद्द का एक बार फिर पत्र निर्गत किया गया है.
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