आज हम अपने अस्लाफ के कारनामों और क़ुर्बानियों से नावाक़फ़ीयत रखते हैं हमें अपने अस्लाफ के कारनामों की जानकारी नही उसी का नतीजा है कि हम अपना दफाह सही तरीके से नही कर पाते।और आसानी से बातिल ताक़त हम को ग़द्दार ए वतन साबित करने की कोशिश करते रहते हैं और हम जानकारी न होने की वजह से अपनी बात गहराई से रख नही पाते।आज ज़रूरत इस बात की है कि हम अपने तांबनाक तारीख़ का गहराई से मुतालः करें और वक़्तन फवक्तान अपने अस्लाफ को याद कर उनको खेराज ए अक़ीदत पेश किया करें साथ ही उनके कारनामों, क़ुर्बानियों से नौ जवान नस्ल को रौशनाश कराने का काम करें।
मुल्क की आज़ादी के लिए जिस क़ौम के आबा व अजदाद ने बड़ी से बड़ी कुर्बानिया दीं उस की नस्ल को नाम नेहाद देश भक्त की नस्ल ग़द्दार ए वतन कहती हैं आज हमें मुत्तहिद होकर अपने हक़ की लड़ाई खुद लड़नी होगी अगर आप ये सोचते हैं कि आपके हक़ की लड़ाई कोई दूसरा बुलंद करेगा तो आप खुली हुई आँखों से ख्वाब देख रहे हैं।आज़ादी की लम्बी लड़ाई में जिन मुस्लिम रहनुमाओं, उलमाओं ने ने शहादत दी थी उन्हें हम ही ने फरामोश कर दिया है और उम्मीद दूसरों से लगाये बैठें हैं कि वे याद करें ,सोचने वाली बात है कहीं ऐसा होता है ? अपने माजी से फरामोशी ही हमारी पस्ती का सबब बन गई है।
"" जो अपनों को भुला देते हैं उनको याद रखनी चाहिए उनको दुनिया भुला देती है ""
" फज़ूल समझ कर बुझा दिया है जिन चरागों को,ऐसा चराग़ जलाओ तो रौशनी होगी "।।
1 टिप्पणियाँ
जो अपनों को ठुकराता है, ग़ैरों की ठोकर खाता है।
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