श्री पासवान ने पत्र में कहा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सबको शिक्षा,अनिवार्य शिक्षा एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए यद्यपि राज्य सरकार कृत संकल्पित है। विद्यालयों में भवन निर्माण, शौचालय, सफाई, पेयजल व्यस्था, कुर्सी,टेबल, बेंच डेस्क,MDM खेल सामग्री, पोशाक,स्कूल बैग, बोतल, किताब कॉपी, तथा अन्य पाठ्य वस्तु, शिक्षा को सर्व सुलभ बनाने के लिए शिक्षको की विषय वार,छात्र शिक्षक अनुपात में शिक्षको की नियुक्ति उनका विषयवार प्रशिक्षण ,FLN कीट की आपूर्ति आदि क्रांतिकारी कदम है। शिक्षको की ससमय नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने हेतु ई शिक्षा कोष के माध्यम से ऑनलाइन उपस्थिति, बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने, समय पर पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए पाठ योजना, पाठ टिका , अवकाश पंजी का संधारण भी सकारात्मक पहल है।
सरकार के इन सभी सकारात्मक पहल का अंतिम उद्देश्य बच्चों में शिक्षा का इनपुट देना। सर आप केवल पदाधिकारी ही नहीं, शिक्षा विभाग/ परिवार का मुखिया ,अभिभावक भी है। स्वयं, विद्वान एवं शिक्षाशास्त्री भी है। शिक्षा के बहतरी के लिए नवाचार करते रहते है, किंतु एक बात सत्य है विद्यालय कोई वस्तु उत्पादन का कारखाना नहीं है, यह मानव निर्माण का कारखाना है, जहां बच्चों के भविष्य का निर्माण करने के लिए उसके मस्तिष्क में शिक्षा का इनपुट डाला जाता है, और जब इसका शिल्पकार, शिक्षक ही दबाव में ,मानसिक रूप से पजल रहेगा, बोझिल और पीड़ित रहेगा तो क्या वह बच्चों को सही इनपुट दे पायेगा ? हमलोग आनंदमई शिक्षा की परिकल्पना करते है, ठीक है,किंतु इसके लिए आनंदमई माहौल भी चाहिए। जब शिक्षक बोझिल होगा तो क्या आनंदमई शिक्षा दे पाएंगे। आदि काल से विद्यालय संचालन की अवधि 10.00बजे पूर्वाह्न से 4.00 बजे अपराह्न तक एवं शनिवार को 12.30 बजे तक रहा है। छात्र एवं शिक्षक पूरी तैयारी के साथ होमवर्क करके कक्षा में आते थे। आज समयभाव के कारण न शिक्षक तैयारी कर पाते है न छात्र, शिक्षको को 9.00 विद्यालय पहुंचने के लिए 8.00बजे घर से चलना पड़ता है, 9.00के पहले विद्यालय पहुंचने की जल्दी में वहां की गति तेज होने के कारण संतुलन बिगड़ जाता है और सैकड़ों शिक्षक दुर्घटना के शिकार हो गए है ,कइयों की तो मौत हो गई है। शाम 4.30 बजे संध्या में ठंड के मौसम में अंधेरा हो जाता है घर वापसी में शिक्षको विशेषकर महिला शिक्षकों को यातायात सवारी की असुविधा के कारण काफी कठिनाई होती है। बीपीएससी शिक्षक जिनका आवास आमतौर पर प्रखंड मुख्यालय के आसपास है जिसकी दूरी विद्यालय से 10 से 12 किमी है। अपराह्न पांच बजे के बाद देहात में ऑटो रिक्शा मिलना मुश्किल हो जाति है।
यद्यपि विगत दिनों माननीय मुख्यमंत्री जी ने विधान सभा और विधान परिषद में सरकार की ओर से सदन में घोषणा किया था और सदन को विश्वास के साथ वादा किया था कि वो विद्यालय संचालन की अवधि 10.00 बजे पूर्वाह्न से 4.00 बजे अपराह्न तक करना सुनिश्चित करेंगे। किंतु अफसोस ऐसा हो न सका।
और शिक्षक समुदाय अपने को ठगा सा मासूस कर रहा है। आप शिक्षक की पीड़ा को अपनी अंतरात्मा की गहराई से महसूस कीजिए, और अगर आपको कोई वैधानिक कठिनाई नहीं हो तो मेरा व्यक्तिगत आग्रह है छात्र, शिक्षा और शिक्षक हित में विद्यालय की संचालन अवधि 10.00 बजे पूर्वाह्न से 4.00 बजे अपराह्न तक करने पर पुनर्विचार किया जाय। और विधान सभा में माननीय मुख्यमंत्री का कमिटमेंट जो सदन के प्रोसिडिंग में है, उसका अनुपालन करते हुए विद्यालय संचालन की अवधि 10.00 बजे पूर्वाह्न से 4.00 बजे अपराह्न किया जाए।
विद्यालय संचालन अवधि 10.00 बजे पूर्वाह्न से 4.00 बजे अपराह्न तक किया जाए :- नागेंद्र पासवान
सरकार के इन सभी सकारात्मक पहल का अंतिम उद्देश्य बच्चों में शिक्षा का इनपुट देना। सर आप केवल पदाधिकारी ही नहीं, शिक्षा विभाग/ परिवार का मुखिया ,अभिभावक भी है। स्वयं, विद्वान एवं शिक्षाशास्त्री भी है। शिक्षा के बहतरी के लिए नवाचार करते रहते है, किंतु एक बात सत्य है विद्यालय कोई वस्तु उत्पादन का कारखाना नहीं है, यह मानव निर्माण का कारखाना है, जहां बच्चों के भविष्य का निर्माण करने के लिए उसके मस्तिष्क में शिक्षा का इनपुट डाला जाता है, और जब इसका शिल्पकार, शिक्षक ही दबाव में ,मानसिक रूप से पजल रहेगा, बोझिल और पीड़ित रहेगा तो क्या वह बच्चों को सही इनपुट दे पायेगा ? हमलोग आनंदमई शिक्षा की परिकल्पना करते है, ठीक है,किंतु इसके लिए आनंदमई माहौल भी चाहिए। जब शिक्षक बोझिल होगा तो क्या आनंदमई शिक्षा दे पाएंगे। आदि काल से विद्यालय संचालन की अवधि 10.00बजे पूर्वाह्न से 4.00 बजे अपराह्न तक एवं शनिवार को 12.30 बजे तक रहा है। छात्र एवं शिक्षक पूरी तैयारी के साथ होमवर्क करके कक्षा में आते थे। आज समयभाव के कारण न शिक्षक तैयारी कर पाते है न छात्र, शिक्षको को 9.00 विद्यालय पहुंचने के लिए 8.00बजे घर से चलना पड़ता है, 9.00के पहले विद्यालय पहुंचने की जल्दी में वहां की गति तेज होने के कारण संतुलन बिगड़ जाता है और सैकड़ों शिक्षक दुर्घटना के शिकार हो गए है ,कइयों की तो मौत हो गई है। शाम 4.30 बजे संध्या में ठंड के मौसम में अंधेरा हो जाता है घर वापसी में शिक्षको विशेषकर महिला शिक्षकों को यातायात सवारी की असुविधा के कारण काफी कठिनाई होती है। बीपीएससी शिक्षक जिनका आवास आमतौर पर प्रखंड मुख्यालय के आसपास है जिसकी दूरी विद्यालय से 10 से 12 किमी है। अपराह्न पांच बजे के बाद देहात में ऑटो रिक्शा मिलना मुश्किल हो जाति है।
यद्यपि विगत दिनों माननीय मुख्यमंत्री जी ने विधान सभा और विधान परिषद में सरकार की ओर से सदन में घोषणा किया था और सदन को विश्वास के साथ वादा किया था कि वो विद्यालय संचालन की अवधि 10.00 बजे पूर्वाह्न से 4.00 बजे अपराह्न तक करना सुनिश्चित करेंगे। किंतु अफसोस ऐसा हो न सका।
और शिक्षक समुदाय अपने को ठगा सा मासूस कर रहा है। आप शिक्षक की पीड़ा को अपनी अंतरात्मा की गहराई से महसूस कीजिए, और अगर आपको कोई वैधानिक कठिनाई नहीं हो तो मेरा व्यक्तिगत आग्रह है छात्र, शिक्षा और शिक्षक हित में विद्यालय की संचालन अवधि 10.00 बजे पूर्वाह्न से 4.00 बजे अपराह्न तक करने पर पुनर्विचार किया जाय। और विधान सभा में माननीय मुख्यमंत्री का कमिटमेंट जो सदन के प्रोसिडिंग में है, उसका अनुपालन करते हुए विद्यालय संचालन की अवधि 10.00 बजे पूर्वाह्न से 4.00 बजे अपराह्न किया जाए।
विद्यालय संचालन अवधि 10.00 बजे पूर्वाह्न से 4.00 बजे अपराह्न तक किया जाए :- नागेंद्र पासवान
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