Abhi sham ka waqt hai aur bunda bandi ho raha raha hai barrish aur dehat ka lagao kabhi nazar andaz nahi kiya ja sakta dehati zindgi ka kuch apna hi maza hai magar waqt ke sath is me bhi tabdili hoti ja rahi hai pahle jo rishto ki chashni thi us me girawat aai hai hir bhi dehati zindgi anmol hai
आप हमें आवाज़ दें, हम आपकी आवाज़ बनेंगें,उठें जागें और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द करें। "" कुफ़्र की हकुमत चल सकती है लेकिन ज़ुल्म की नहीं "" ।। बिना चिंगारी के आग नहीं लग सकती ।।
रविवार, अगस्त 02, 2015
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
-
BRP चयन हेतु आवेदन देने के पश्चात भी BRC परिहार से जिला कार्यालय को उपलब्ध कराई गई सूची में नाम दर्ज नही होने की शिकायत सेवानिवृत्त शिक्षक म...
-
सेवामे, अवर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग, बिहार सरकार आदरणीय महोदय, भोजन,वस्त्र,आवास के साथ साथ शिक्षा एवं स्वा...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें