शनिवार, दिसंबर 31, 2016

सीतामढ़ी जिला के 46 तालिमी मरकज शिक्षा स्वयं सेवी मानदेय से वंचित, राशि विमुक्त करने की माँग

सीतामढ़ी जिला में वर्ष 2016 जनवरी / जुलाई   से सेवा दे रहे तालिमी मरकज शिक्षा स्वयं सेवी मानदेय से वंचित हैं ।30/12/2016 को निदेशक जन शिक्षा, जन शिक्षा निदेशालय शिक्षा विभाग बिहार ने जिला सीतामढ़ी में कार्यरत टोला सेवक और तालिमी मरकज शिक्षा स्वयं सेवी के मानदेय भुगतान मद में सितम्बर 2016 से लेकर मार्च 2017 तक की राशि जिला को विमुक की गईं है मगर 2016 में नियोजित और कार्यरत 46 तालिमी मरकज शिक्षा स्वयं सेवी का मानदेय भुगतान राशि विमुक नही किया गया है जिससे शिक्षा स्वयं सेवी में ग़म व गुस्सा की लहर दौड़ गईं है।शिक्षा स्वयं सेवीओं ने 2016 में नियोजित और कार्यरत शिक्षा स्वयं सेवी के मानदेय भुगतान मद में अविलंब राशि विमुक करने की माँग निदेशक जन शिक्षा, जन शिक्षा निदेशालय शिक्षा विभाग बिहार पटना से की है ।

परिहार व्यापार मंडल के अध्यक्ष मोहम्मद सउद आलम ने थाना अध्यक्ष परिहार को गुल्दशता पेश कर दी नये साल की शुभ कामना

मोहम्मद दुलारे
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परिहार(सीतामढ़ी):-थाना क्षेत्र को अपराध मुक्त व शांति बनाए रखने ,बिहार सरकार के पूर्ण शराबबंदी को सफल करने ,व सभी पर्व त्योहार को शांतिपूर्ण सम्पन्न कराने  अच्छे कार्य कुशलता, आपसी भाईचारा कायम रखने के लिए  नव वर्ष 2017 के शुभ अवसर पर परिहार थानाध्यक्ष सुधीर कुमार को परिहार व्यापार मंडल अध्यक्ष मो○ सउद आलम ने गुलदस्ता देकर सम्मानित किया और लम्बी उम्र ,स्वास्थ्य व तरक्की के लिए भगवान से दुआ किया ।साथ ही सरकार से माँग किया कि परिहार थाना को आदर्श थाना घोषित किया जाए।मौके पर रेजाउल्लाह रेजा,गोपाल शुक्ला, युसूफ, आशिक हुसैन,गुलाब,मकसुद खुशरेजा ,लाल बाबू सहित अन्य लोग मौजूद थे।

इंसाफ इंडिया के बैनर तले पहाड़ो पर चौपाल कार्यक्रम

मुस्तक़ीम सिद्दीकी
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झारखंड के गिरीडीह ज़िला में पठाड़ों से घीरे , पठाड़ पर बसें गाँवों ज़हाँ सबसे तेज हवाओं में सफर करने वाला डिजीटल जिओ 4G नेटवर्क नही पहूँच पाया है वहाँ आज इंसाफ इन्डिया टीम ने दस्तक दी l मुद्दा था " न्याय और अधिकार l" गाँव के गरीब , मजदुर , किसान लोगों ने इंसाफ इन्डिया की दस्तक पर ज़मीन पर चटाई और बोरे बिछा कर  बैठ कर घंटों मुद्दे को सुना , इंसाफ इन्डिया के मुद्दे पर आम सहमती बनाकर पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की l

चुंके इंसाफ इन्डिया की टीम पर्वतों , पठारों और जंगलों से घीरे गाँव और मुहल्ले में जाकर कोई राजनीति नही कर रही है , किसी से आने वाले चुनाव में वोट और नोट की बात नही कर रही है , बल्के खेतों में , खलियानों में , चौपालों में बैठ कर देश के बिगड़ते हालात , अत्याचार एवं अन्याय के विरुद्ध जनआंदोलन के लिये जागरुकता अभीयान चला रही है l

खुले नालियों की बदबू और जानवरों के मल मूत्र के कारण ज़िस ज़गह कुछ लोग खड़ा होना भी पसंद नही करेंगें वहाँ भी इंसाफ इन्डिया की टीम  मुल्क व मिल्लत और इंसानियत के मुद्दे पर अपने कपड़ों और वजुद का ख्याल किये बीना ज़मीन , चटाई और बोरे पर बैठ कर घंटो लोगों से बात चीत , सवाल जवाब और चर्चा करती है l

फिर भी अगर किसी को लगता है कि यह राजनीति है तो हम इसी राजनीति के लिये गाँव गाँव घुम रहे हैं और यही राजनीति हमें पसंद है, हम खुशी खुशी खुल कर एलान करते हैं यह राजनीति करेंगें l

शुक्रवार, दिसंबर 30, 2016

प्रधानमंत्री जवाब दो मार्च का आयोजन

कृष्ण मोहन

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नोटबंदी के 50 दिन पूरा होने पर मुजफ्फरपुर में भाकपा माले..इंसाफ मंच..आइसा..नौजवान सभा.. ऐक्टू..ऐपवा..खेमस..किसान महासभा..रसोईया संघ ने संयुक्त रूप से  'प्रधानमंत्री जवाब दो मार्च ' निकाला और शहर के मुख्य चौराहा कल्याणी चौक पर सभा की गई ! इस दौरान "मोदी हटाओ-रोटी बचाओ!..लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ!..नोटबंदी कर देश पर आर्थिक आपातकाल थोपने वाले प्रधानमंत्री मोदी इस्तीफा दो!..इंदिराशाही नहीं चली तो मोदीशाही नहीं चलेगी!..हिटलरशाही नहीं चली तो मोदीशाही नहीं चलेगी!..नोटबंदी से परेशान  किसानों का कर्ज माफ करो!..नोटबंदी से तबाह  गरीबों के जन-धन खाते में 1-1लाख रूपया जमा करो!नोटबंदी से मौत के शिकार हुए लोगों के परिजनों को 20-20 लाख रूपये मुआवजा दो..नोटबंदी से संकट में फंसे छात्रों की फीस माफ करो!..अमीरों की बेनामी संपत्ति जब्त करो!..बैंक के अरबों कर्ज नहीं लौटाने वाले पूंजीपतियों की संपत्ति जब्त करो..सत्ताधारी पार्टियों की संपत्ति सार्वजनिक करो!..कैशलेस का कारपोरेट खेल बंद करो!" जैसे नारे लगाये गये!

नज़्रे खुर्शीद

क़ासिम खुर्शीद
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कभी - कभी मैं सोचने लगता हूँ कि अब तक मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है जो मेरी नज़र में अविस्मरणीय हो  ! मगर हम से बेहतर लोगों की बेपनाह दस्तावेज़ी मुहब्बतें मिलती हैं तो आँखों में नमी आ ही जाती है ।तारीख़ी शहर मुंगेर में गुज़स्ता रोज़ एक प्रोग्राम का मुझे चीफ़ गेस्ट बनाया गया था उस मंच पर उर्दू के बड़े शायर प्रो○ राशिद तराज़ भी थे । कल उन्होंने ख़बर दी कि एक बड़े पत्र में आप पर मेरी तहरीर छपी है ।राशिद तराज़ के ख़ुसूसी शुक्रिए के साथ आप के लिए भी उन की ये तहरीर।

गुरुवार, दिसंबर 29, 2016

मध्याह्न भोजन योजना के खाद्यान की काला बाजारी,एमडीएम प्रभारी के स्थानांतरण की माँग

एक्शन फ़ॉर जीरो टोलरेंस व महा सचिव जिला जदयू सीतामढ़ी के अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह व अन्य लोगों ने संयुक्त आवेदन ग्रामीण विकास एवंम संसदीय कार्य मंत्री बिहार सरकार पटना को देकर एमडीएम प्रभारी परिहार नन्द किशोर पर एमडीएम के खाद्यान की काला बाजारी करने का आरोप लगा जाँच व स्थानांतरण की माँग की है।उन्होंने आवेदन में लिखा है कि एमडीएम प्रभारी नन्द किशोर गुप्ता आर्थिक रसूख का इस्तेमाल कर परिहार प्रखण्ड में अपनी पदास्थाना करवा लेते हैं क्योंकि परिहार प्रखण्ड के चालीस प्रतिशत इंटीरियर इलाकों में स्थित विद्यालयों में मध्याह्न भोजना का सुचारू रूप से संचालन नही किया जाता है, एमडीएम प्रभारी और प्रधानाध्यापक की मिली भगत से खाद्यान्न का उठाव कर आधा - आधा आपस में बाँट लिया जाता है, प्रखण्ड में ऐसे दस भवनहीन विद्यालय हैं जिसमें काग़ज़ी एमडीएम का संचालन होता है।
उन्होंने आगे लिखा है कि एमडीएम के खाद्यान्न को आसानी से कालाबाज़ारी करने के लिए सुरसंड से सटे गाँव नारफोड़ा में सुरक्षित भंडार केन्द्र बनाया गया है यहाँ से बचे खाद्यान्न को आसानी के साथ सुरसंड बाजार में कालाबाज़ारी कर दी जाती है। श्री सिंह ने एमडीएम प्रभारी को अति शिघ्र स्थानांतरित करने की माँग की है। एमडीएम प्रभारी से उनका अपना पक्ष जानने की कोशिश की मगर उन्होंने अपने सफाई में कुछ नहीं कहा।

नजीब की गुमशुदगी की सी बी आई जाँच हो

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ ने जे एन यू के छात्र नजीब अहमद के संदिग्ध परिस्थितियों में लापता होने की सी बी आई जाँच की माँग की है।
छात्र संघ ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिस नजीब के परिजन को न्याय दिलाने के बजाय उन्हें परेशान कर रही है।ए एम यू छात्र संघ के अध्यक्ष फैज़ुल हसन की नुमाइंदगी में यूनिवर्सिटी के सैकड़ो छात्रों ने मंगलवार देर रात परिसर में प्रदर्शन किया।

बुधवार, दिसंबर 28, 2016

04 जनवरी 2017 को होगी प्रदेश टोला सेवक संघके कार्य कारिणी की बैठक - ब्रह्मानंद दास

      सम्मानित साथियों ,            जय भीम

आप तमाम साथियों को सूचित करना है कि दिनांक 04/01/2017 को 11.00 बजे पूर्वाह्न गाँधी मैदान पटना में प्रदेश संगठन ने एक आवश्यक बैठक का आयोजन किया है जिस में सभी जिला अध्यक्षों,प्रदेश संगठन सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य है क्योंकि यह बैठक अति महत्वपूर्ण है ,बैठक में टोला सेवक और तालिमी मरकज़ के साथियों के वेतन मान " दशा और दिशा " पर चिंतन एवंम मंथन कर आखिरी निर्णय लिया जाएगा ।
                            ग्रुप से जुड़े हुए जिला अध्यक्ष एवंम साथियों अपने पड़ोसी जिला अध्यक्ष और साथियों को भी अपने स्तर से दिनांक 04 जनवरी 2017 को पटना में आने का आमंत्रण दें साथ ही आने के लिए प्रेरित भी करें।
       
निवेदक:-
ब्रह्मानंद दास
प्रदेश अध्यक्ष,
श्याम कुमार साफी
प्रदेश सचिव,
राकेश रौशन
प्रदेश कोषाध्यक्ष
और
समस्त प्रदेश संगठन बिहार,महा दलित टोला सेवक संघ पटना बिहार ✍

मंगलवार, दिसंबर 27, 2016

दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई जांच के बाद इरशाद अली को बेदाग करार दिया,

दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई जांच के बाद इरशाद अली को बेदाग करार दिया, लेकिन तब तक इरशाद अली की जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी थी. 11 साल में जेल में रहते हुए उन्होंने अपने माता-पिता और एक 6 महीने की बेटी को खो दिया. अब उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के इंदर इनक्लेव में एक कमरे के घर में वह अफसोस में बैठे हैं. उनके साथ उनकी पत्नी और दो बेटे हैं.
पुलिस ने आतंकियों के साथ संबंध होने के आरोप में उन्हें 11 साल पहले गिरफ्तार किया था. परिवार ने आरोपों से इनकार किया और मामले की सीबीआई जांच की मांग की और आखिर में अब वह बेदाग निकले हैं. लेकिन जेल से छूटने पर तो इंसाफ हो गया. क्या वाकई इंसाफ हुआ है, यही सवाल इरशाद और कई लोगों के मन में उठ रहे हैं.
जेल से छूटे हुए इरशाद को ज्यादा समय नहीं बीता है. अब अपनी किस्मत के भरोसे जी रहे इरशाद को हाल ही में 22 दिसंबर को दिल्ली की एक अदालत ने बरी किया है.

इंडियन एक्सप्रेस की कबर के अनुसार इरशाद को अफसोस है कि जेल जाने के एक साल के भीतर उनकी मां की मौत हो गई. मौत से पहले तक वह लगातार पुलिस के दरवाजे खटखटाती रही, सभी जगह कहती रही कि बेटा बेकसूर है, निर्दोष है, लेकिन पुलिस से उन्हें बार-बार सिर्फ अपमानित ही किया. बेटे की जेल से रिहाई की उम्मीद में इसी साल इरशाद के पिता का भी इंतकाल हो गया. इरशाद कहते हैं कि मुझे जेल से रिहा कराने के लिए पिता ने सारी कमाई खर्च कर दी.
अपने बच्चों के प्यार से मरहूम रहने का अफसोस जाहिर करते हुए इरशाद करते हैं कि मेरी बेटी आयफा सिर्फ 6 महीने की थी जब मुझे जेल हुई थी. अब वह बड़ी हो गई है. उसे मेरा और मुझे उसका प्यार नसीब नहीं हुआ.
गौरतलब है कि इरशाद अली के पिता मोहम्मद यूनुस 50 साल पहले बिहार के दरभंगा के पैगंबरपुर से दिल्ली आए थे. कारण, सिर्फ मेहनत कर परिवार का पेट पालना था. उनके आठ बच्चे थे, उन्होंने अली को पढ़ाई के लिए दरभंगा के मदरसे में भेज दिया.
लेकिन, अली को पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई क्योंकि एक मर्डर के केस में बड़े भाई की गिरफ्तारी हो गई. वह साल 1991 में दिल्ली आ गया. इसके बाद अली के भाई को आतंकवाद के केस में गिरफ्तार किया गया. 1996 में बड़े भाई और उसके पिता को पुलिस ने पकड़ लिया.अली ने बताया कि एसीपी राजबीर सिंह ने 10 दिन तक हमें मॉरिस नगर में रखा. मेरे पिता को मेरे सामने ही प्रताड़ित किया गया. पुलिस वाले कहते रहे कि मेरा भाई एक आतंकवादी है और मैं भी. उनकी मां ने जब कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तब पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया.
इसके बाद क्राइम ब्रांच ने उन्हें फिर पकड़ लिया और 8 दिनों तक टॉर्चर किया. उन पर इन्फॉर्मर बनने का दबाव भी डाला गया. 2001 में मुझे एक आईबी के अफसर मजीद अली ने पकड़ लिया, जिसका दूसरा नाम खालिद था. उन्होंने मेरे दर्जी दोस्त रिजवान को भी पकड़ लिया. उन्होंने कहा कि मैं अपने भाई को खत लिखूं और कहूं कि मुझे बचाने के लिए वही करे जो कहा जा रहा है.
नौशाद पुलिस की तरफ से जेल के अंदर काम करने के लिए तैयार हो गया और अली बाहर से. हमें 5000 रुपये मासिक तनख्वाह और एक फोन दिया गया. मेरे भाई का काम उन लोगों पर नजर रखना था जो आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तार हुए हैं और मेरा काम मजीद को रिपोर्ट करना था. आरोपी जो खत पोस्ट करने को देते थे वह मुझे मजीद को देने होते थे.

इसके बाद मजीद ने उससे एक मुस्लिम गांव में बतौर मौलवी जाने को कहा और वहां के लोगों को किसी आतंकी संगठन में भर्ती होने को बोला. मजीद ने यह भी कहा कि एक मीटिंग का आयोजन करो जिस वह छापा मारेगा. इसके बाद मैं भाग जाऊंगा और बाकी लोगों को पकड़ लिया जाएगा और कोई भी इस ऑपरेशन पर सवाल नहीं उठा पाएगा.
इरशाद ने बताया, साल 2004 में मुझे कश्मीरी फयाज से मिलवाया गया, जो आईबी के लिए काम करता था. योजना थी कि हम बॉर्डर पार कर एक विद्रोही संगठन में घुसपैठ करेंगे. लेकिन यह प्लान सफल नहीं हुआ. साल 2005 में मजीद ने मुझे धौला कुआं ऑफिस बुलाया. मुझे कार में बंद कर आंखों पर पट्टी बांध दी गई.
इसके बाद करनाल बायपास पर ले जाकर उन्होंने झूठी कहानी बनाई कि हम कश्मीर से आए हैं. उन्होंने मुझे आतंकी बना दिया. इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट में जब अर्जी लगाई गई तो स्पेशल सेल की कहानी संदिग्ध पाई गई और कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया. सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अली और नवाब नाम के दो इन्फॉर्मर्स को स्पेशल सेल ने झूठे केस में फंसाया.

नियोजित शिक्षकों को व्यक्तिगत ऋण नही देने को लेकर परिवाद दायर

बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ सीतामढ़ी जिला ईकाई द्वारा उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक द्वारा शिक्षकों को व्यक्तिगत ऋण नहीं देने की शिकायत जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी (सीतामढ़ी) के कार्यालय मे परिवाद-पत्र दायर कर किया है।जिसमें क्षेत्रीय प्रबंधक उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक, निदेशक मुजफ्फरपुर और ढेंग शाखा प्रबंधक के ऊपर आरोप लगाया गया है।जिसकी सुनवाई10जनवरी को 11बजे सीतामढी लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के कार्यालय में होनी है।
              

रविवार, दिसंबर 25, 2016

संघर्ष के लिये तैयार हैं :- इंसाफ इंडिया

इंसाफ इन्डिया : अब हम ना रुकेंगें , ना थकेंगें , ना डरेंगें , संघर्ष के लिये तैयार हैं , सड़क से संसद तक आवाज बुलंद करेंगें l हर जुल्म और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करेंगें l

झारखंड के जामताड़ा ज़िला में मिनहाज अंसारी के कत्ल के बाद सरकार , प्रशासन और व्यवस्था की लापरवाही , अनदेखी एवं कातिलों पर जानबुझ कर कोई कारवाई नही करना जामताड़ा के इंसाफपसंद , अमनपसंद एवं इंसानियत पसंद अवाम के बीच एक आक्रोश पैदा किया ज़िसकी एक उपज़ इंसाफ इन्डिया है , इंसाफ इन्डिया ने अवाम को इंसाफ दिलाने के लिये आवाज बुलंद करने एवं संघर्ष करने का जो पलेटफोर्म दिया उस पलेटफोर्म से आज दिनांक 24/12/2016 को भी गिरीडिह ज़िला के बदगुंदा गाँव में एक चौपाल कार्यक्रम में  Mustaqim Siddiqui ,  मुफती  Sayeed Alam  साहेब , मौलाना   Sarfraz Ahmad साहेब , मौलाना Liyaqat Riyazi  साहेब , डा. रकीब साहेब और जनाब रजा मुराद खां साहेब गाँव वालों के साथ l

इंसान ज़मींदोज़ हो रहे हैं... मुजस्समे बुलंद हो रहे हैं!!!

मुस्लिम बहुल सीटों को अनारक्षित करने और समान अवसर आयोग गठित करने की मांग के साथ ‘सच्चर कमेटी के १० साल :एक समीक्षा’ संगोष्‍ठी समाप्‍त


जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के 10साल पूरा होने पर सोशलिस्‍ट युवजन सभा (एसवाईएस), पीयूसीएल और खुदाई खिदमतगार ने दिल्‍ली में 22 दिसंबर को एक संगोष्‍ठी का आयोजन किया। संगोष्‍ठी का मकसद यह जानना था कि कमेटी की सिफारिशों पर पिछले दस सालों में कितना अमल हुआ है। सोशलिस्‍ट पार्टी के अध्‍यक्ष डॉ. प्रेम सिंह ने संगोष्‍ठी का परिचय देते हुए कहा कि इस विषय पर यह संगोष्‍ठी आगे की जाने वाली चर्चाओं की पहली कडी है। इसमें बुदि्धजीवियों और मुस्लिम समुदाय के प्रमुख संगठनों के नमाइंदों को वक्‍ता के तौर पर बुलाया गया है। बाद में विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के नुमाइंदों को भी बुलाया जाएगा। ताकि वे बता सकें कि उनकी सरकारों ने केंद्र और राज्‍यों के स्‍तर पर सच्‍चर कमेटी की सिफारिशों को किस हद तक लागू किया है।

       पहले सत्र के अध्‍यक्ष वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट ने असलियत से पर्दा उठाने का काम किया है। मुस्लिमों को उनके अधिकार मिलें। आज के समय में मुस्लिमों की स्थिति बद से बदतर हुई है। उनके साथ अच्छा बर्ताव नहीं हो रहा है। पहले राजनीति को मजहब से नहीं जोड़ा जाता था। मगर आज राजनीति पर मजहब हावी हो गया है। संविधान के तहत सभी समान है। हम सभी को अपना दिल टटोलना चाहिए कि हम कैसा समाज चाहते हैं। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आज भी उतनी प्रासंगिक है जितनी वह पहले थी।

       सच्‍चर कमेटी के सदस्‍य रहे प्रो. टी.के ओमन ने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट एक जाना-माना ऐतिहासिक दस्तावेज है। इस रिपोर्ट के जरिए मुस्लिम समाज के बहाने पूरी भारतीय समाज की झलक मिलती है। मनुष्य को जीवन जीने के लिए सिर्फ रोटी ही नहीं बल्कि समानता, सुरक्षा,पहचान और सम्मान भी चाहिए। आज अल्पसंख्यक समुदाय में जिन लोगों के पास भौतिक संसाधन मौजूद हैं उन्हें भी नागरिक के नाते सम्मान नहीं मिलता जिसके वे संविधान के तहत वह अधिकारी हैं। सुरक्षा की जब हम बात करते हैं तो हम शारिरिक हिंसा को ही हिंसा मानते हैं मगर हिंसा संरचनात्मक और प्रतीकात्मक भी होती है जिसे समझना अति आवश्यक है। मुसलमानों को इस तरह की हिंसा का अक्‍सर सामना करना पडता है। उदाहरण के लिए उन्‍हें बीफ खाने का वाला बताने का मामला मनोवैज्ञानिक और मानसिक उत्पीड़न का जीता-जागता उदाहरण है। मुस्लिम को शक की निगाह से देखा जाता है। हालांकि असमानता सभी समुदायों में देखने को मिलती है मगर जो असममानता किसी समुदाय विशेष का सदस्य होने से पैदा हुई हो यह एक बडी समस्या है।

       सच्‍चर कमेटी में सरकारकी तरफ से ओएसडी नियुक्‍त किए गए सईद महमूद जफर ने बताया कि मुस्लिम भारत में 14.2प्रतिशत हैं। जो तमाम अल्पसंख्यक समुदायों के 73 प्रतिशत हैं। अनुच्छेद 46 में समाज के कमजोर वर्गों को विशेष देखरेख का प्रावधान है। सच्चर कमेटी की रिर्पोट के अनुसार मुस्लिम समाज सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्तर पर खासा पिछड़ा हुआ है और 2006 से इनका स्तर नीचे गिरता जा रहा है। कमेटी की सिफारिशों में से अब तक मात्र 10 प्रतिशत ही लागू किया गया है। इसका एक बडा कारण प्रशासनिक पदों पर मुस्लिमों का नामात्र का प्रतिनिधित्व भी है।

       जमीयत उलेमा ए हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि आज मुसलमानों के प्रति समाज में विश्वास खत्म होता जा रहा है। सामाजिक तौर पर आज वह अलग-थलग पड़ गए हैं। मुसलमान होना आज खतरे का निशान बन चुका है। हमें मुस्लिम बच्‍चों व युवाओं की तालीम पर ध्यान देना चाहिए तथा सरकार और मीडिया को भी इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए।

       दूसरे सत्र के अध्यक्ष प्रो. मनोरंजन मोहंती ने कहा कि अल्पसंख्यकों समेत सभी वंचित समूहों के बारे में विधिवत अध्‍ययन और काम होना चाहिए। सबको अलग-अलग रख कर फुटकर काम करने से  कार्य व्यवस्थित और नियमित नहीं हो पाता। अखबार, किताब और पत्रिकाओं पर नजर डाली जाए तो मुस्लिमों की सामाजिक,आर्थिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्‍ध है। अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। अल्पसंख्यकों के हित असुरक्षित होने पर हिंसा बढ़ती है। जब अधिकार सुरक्षित होते हैं तो उनके प्रतिनिधित्व के जरिए समाज में बदलाव आता है।

       जमाते इस्‍लामी हिंद के प्रधान महासचिव डॉ. सलीम इंजीनियर ने कहा कि सच्चर कमेटी की सिफारिश से पहले भी कई सिफारिशें की गई मगर यह अलग और अनूठी रिपोर्ट है, वास्तविक है, जमीनी स्तर पर काम किया गया है। क्या कारण है कि ऐसी चर्चित रिपोर्ट के बावजूद अल्पसंख्यकों की वास्तविक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आ रहा है? इसके पीछे का कारण है सरकार और राजनैतिक पार्टियों की नीयत में खोट और प्रतिबद्धता की कमी। भारतीय जेलों में सबसे ज्यादा संख्या में अल्पसंख्यक मौजूद हैं जिनमें 85 प्रतिशत मुस्लिम हैं। सबका साथ सबका विकास एक भावनात्मक जुमला है, वास्तविकता इसके उलट है। देश लोकतंत्र से फासीवाद की ओर बढ़ रहा है। देश की पहचान विविधता और बहुलता से है नाकि हिंदू राष्ट्र से।

       वरिष्‍ठ पत्रकार कुर्बान अली ने कहा कि इस रिपोर्ट पर मुसलमानों के तुष्टीकरण का आरोप लगता रहा है। मधु लिमय जी ने एक जन सभा को संबोधित करते हुए एक सवाल खडा किया था कि मुसलमानों का तुष्टीकरण कहां हो रहा है? क्या वह सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक स्तर पर हुआ है? आपकी मानसिकता भेदभावपूर्ण है तो आप भलाई का काम नहीं कर सकते। यह भेदभाव सामाजिक ही नहीं, सरकारी स्‍तरपर होता है। उन्‍होंने याद दिलाया कि 1950 का वह परिपत्र अभी तक नहीं बदला गया हे जिसमें संवेदनशील पदों पर मुसलमानों को नहीं रखने की बात लिखी गई है।

       पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने कहा कि तुष्टीकरण का आरोप एक गलत सोच का नतीजा है। जब हिंदू पर्सनल लॉ है तो मुस्लिम पर्सनल लॉ पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। विविधता भारत की पहचान है। यूनिफार्म सिविल कोड के लागू करने के पीछे सबकी समानता का विचार न होकर,मुस्लिमों की पहचान खत्‍म करने की मंशा है। उन्‍होंने स्‍वीकार किया कि सच्‍चर कमेटी की सिफारिशों पर कांग्रेस की सरकारों ने भी वाजिब काम नहीं किया। इन सिफारिशों को लागू किया जाना चाहिए।

       जमीयत उलेमा ए हिंद के सचिव हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि मुसलमानों को खुद पहल करके सबके साथ मिल कर अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए। डर और निराशा की मानसिकता को छोडना चाहिए। हिंदुस्‍तान के समाज में और भी समुदाय हैं जिनके साथ भेदभाव होता है। सच्‍चर कमेटी की सिफारिशों पर आगे भी चर्चा जारी रहनी चाहिए। जमीयत उलेमा ए हिंद के दिल्‍ली प्रांत के सचिव जावेद कासमी ने कहा कि पराजय या किसी से बदले की भावना से काम नहीं करना चाहिए। सभी वंचित तबकों को मिल कर अपने समुदाय और देश की तरक्‍की का काम करना चाहिए।

       डॉ प्रेम सिंह सत्र के अंत में निष्कर्ष वक्तव्य देते हुए कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट केवल आंकडे़ नहीं देती बल्कि सभ्य समाज के क्या तकाजे हैं, एक सभ्य समाज के रूप भारत को दुनिया में कैसे रहना चाहिए उसकी जानकारी देती है। इस कमेटी की सिफारिशों पर अमल बहुत कम और वादे बहुत ज्‍यादा हुए हैं। हमें एक समतामूलक, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष समाज की ओर बढ़ना चाहिए था मगर नतीजा उसके उलट है। ऐसा क्‍यों हुआ कि आजादी के संघर्ष में अंग्रेजों का साथ देने वालों को आज न केचल राजनीति में, समाज में स्‍वीकृति मिल गई है। अंग्रेजों के साथ आने वाली साम्प्रदायिकता जो पहले शहरों के कुछ कोनों तक सीमित थी वह आज गांवों-कस्‍बों यहां तक कि आदिवासी समाज तक पहुंच चुकी है। आखिर ऐसा क्‍या हुआ कि सारे संस्‍थान सेकुलर लोगों के हाथ में होने के बावजूद साम्प्रदायिक ताकतों को आज इतनी ज्‍यादा जगह मिल गई है? हमें आत्‍मालोचन की भी जरूरत है। 1991 में लागू की गई नई आर्थिक नीतियों की मार्फत देश पर नवसाम्राज्यवादी गुलामी थोप दी गई। उसीका नतीजा आज के हालात हैं। आरएसएस विरोधी उसके पुराने एजेंडे को दोहराते रहते हैं। जबकि उसने तकनीक द्वारा विचारधारा को नष्‍ट करने का नया अजेंडा चलाया हुआ है। हम व्यावहारिक और सैद्धांतिक स्तर पर नए नजरिए से एकजुट होकर काम करेंगे तभी समतापूर्ण सभ्‍य समाज बना पाएंगे।     उन्‍होंने संगोष्‍ठी की तरफ से प्रस्‍ताव रखा जिसे स्‍वीकार किया गया। प्रस्‍ताव में सच्‍चर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों को अनारक्षित करने और समान अवसर आयोग बनाने की मांग की गई।
      
वक्‍ताओं का स्वागत डॉ अश्विनी कुमार और धन्‍यवाद ज्ञापन फैजल खान ने किया। पहले सत्र का संचालन एसवाईएस की राष्‍ट्रीय महासचिव वंदना पांडे और दूसरे सत्र का संचालन डॉ हिरण्‍य हिमकर ने किया।