सोमवार, दिसंबर 28, 2020

700 रुपये का LPG Cylinder मिलेगा सिर्फ 200 में, जानिए ऑफर और कैसे उठाएं फायदा

Cashback Offer : 700 रुपये का LPG Cylinder मिलेगा सिर्फ 200 में, जानिए ऑफर और कैसे उठाएं फायदा


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रविवार, दिसंबर 27, 2020

बीजेपी के कारण छोड़ना पड़ा नीतीश को जेडीयू अध्यक्ष का पद ?

JDU की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने और आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सौंपने का प्रस्ताव देकर अपने कई नेताओं को चौंका दिया. लेकिन नीतीश के करीबी माने जाने वाले कई नेता ये समझ रहे थे कि वो कौन सी मजबूरी थी जिसके कारण उनके नेता को ये फैसला लेना पड़ा. ये वही नीतीश थे जो पांच साल पहले शरद यादव को जबरन राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी से हटाकर खुद उस पर काबिज हो गये थे. अब मजबूरी ही सामने थी जिसके कारण उन्हें ये कुर्सी छोड़नी पड़ी.

बीजेपी ने कर दिया मजबूर
नीतीश के किचन कैबिनेट के मेंबर माने जाने वाले एक नेता ने हमें बताया. नीतीश जी इन दिनों कई दफे ये जिक्र कर चुके थे कि बीजेपी से बात करने में दिक्कत हो रही है. बिहार बीजेपी का कोई नेता बात करने के लिए अधिकृत है ही नहीं. बीजेपी में जिनके पास बात करने का अधिकार है वे सब दिल्ली बैठते हैं. कौन बार-बार दिल्ली जाकर उनसे बात करेगा.

दरअसल नीतीश अपने किचन कैबिनेट को ये संकेत दे रहे थे कि वे किसी व्यक्ति को अधिकार देंगे जो बीजेपी से अधिकृत तौर पर बात कर सके. 10 दिन पहले नीतीश कुमार जब अपनी पार्टी के दफ्तर में कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे थे तो इसका संकेत भी दे दिया था कि वो अधिकृत व्यक्ति कौन होगा. तब उनसे किसी कार्यकर्ता ने सवाल पूछा तो नीतीश ने कहा था-पार्टी में मेरे बाद तो आरसीपी बाबू ही हैं न. लोग समझ नहीं पाये लेकिन नीतीश की बातों से उसी दिन साफ हो गया था कि आरसीपी सिंह की ताजपोशी होने वाली है.

बेबस हो गये नीतीश
दरअसल बिहार में इस दफे के चुनाव परिणाम के बाद नीतीश मुख्यमंत्री तो बन गये लेकिन बीजेपी ने उन्हें पूरी तरह से बेबस कर दिया है. बिहार में सरकार बनने से पहले बीजेपी के नेताओं ने नीतीश कुमार से औपचारिक बात की थी. इसमें तय हुआ कि पहले चरण में छोटे मंत्रिमंडल को शपथ दिला दिया जाये. फिर 15 दिनों के अंदर ही मंत्रिमंडल का पूर्ण विस्तार कर लिया जाये. इसी बात पर नीतीश कुमार ने अपने सिर्फ पांच और बीजेपी ने अपने सात मंत्रियों को शपथ दिलायी. लेकिन 15 दिन कौन कहे सवा महीने बीत गये मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ.

नीतीश कुमार खुलकर कह चुके हैं कि बीजेपी ने उनसे मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कोई बात नहीं की है. इसके कारण ही मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहा है. नीतीश सच बोल रहे हैं. बीजेपी के किसी अधिकृत नेता ने सरकार बनने के बाद उनसे कोई बात नहीं की है. नीतीश के इस बयान के बाद भी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल सिर्फ इतना बोले कि सही समय पर मंत्रिमंडल विस्तार हो जायेगा. बीजेपी ने ये नहीं बताया कि आखिरकार मंत्रिमंडल विस्तार होगा कब.

भूपेंद्र यादव तक नहीं कर रहे नीतीश से बात
बिहार की सियासत को जानने वाले ये जानते हैं कि बिहार बीजेपी के सर्वेसर्वा भूपेंद्र यादव हैं. पार्टी और सरकार को लेकर सारे फैसले उनके ही लेवल पर होने हैं. अमित शाह हों या जेपी नड्डा उनके पास फिलहाल बंगाल से बाहर की बात सोंचने का वक्त कम ही है. लेकिन हद तो ये है कि भूपेंद्र यादव भी नीतीश कुमार को भाव नहीं दे रहे हैं. बिहार में सरकार बनने के बाद भूपेंद्र यादव ने भी नीतीश कुमार से कोई बात नहीं की है.

15 दिन पहले भूपेंद्र यादव बिहार आये. दो दिनों तक वे बिहार में रहे. अपनी पार्टी के नेताओं के साथ कई बैठकें की. वैशाली में मंथन शिविर हुआ, पटना में बैठक हुई. लेकिन भूपेंद्र यादव ने अपनी सहयोगी पार्टी जेडीयू के किसी नेता के साथ औपचारिक बातचीत कर हाल-चाल तक नहीं पूछा. उम्मीद जतायी जा रही थी कि भूपेंद्र यादव नीतीश कुमार से मिलेंगे. लेकिन वे जेडीयू का कोई नोटिस लिये बगैर दिल्ली रवाना हो गये. लिहाजा न मंत्रिमंडल विस्तार पर बात हो पायी और न बीजेपी-जेडीयू के बीच फंसे दूसरे मामले सुलझ पाये.

जानकार बताते हैं कि भूपेंद्र यादव ने सरकार में अपने नुमाइंदे यानि दोनों डिप्टी सीएम के जरिये नीतीश को ये मैसेज भिजवा दिया था कि वे चुनाव से पहले बीजेपी द्वारा किये गये वायदे को पूरा करने पर काम करें. लिहाजा सरकार गठन के 28 दिनों बाद कैबिनेट की पहली बैठक कर नीतीश कुमार को उन घोषणाओं को पूरा करने का सरकारी फैसला लेना पड़ा.

अरूणाचल मामले में भी नीतीश की फजीहत
अरूणाचल प्रदेश में बीजेपी ने जेडीयू के 6 विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. दो सहयोगी पार्टियों के बीच ये मामला सियासी मर्यादाओं के खिलाफ था. लेकिन नीतीश चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाये. जेडीयू में ऐसा कोई दूसरा अधिकृत नेता भी नहीं था जो बीजेपी की इस सीनाजोरी पर कुछ बोलता या फिर भाजपा के आला नेताओं से बात करता. लिहाजा जेडीयू की भारी फजीहत हुई. कांग्रेस-आरजेडी से लेकर दूसरी विपक्षी पार्टियों ने जमकर नीतीश का मजाक उड़ाया और उनके पास खामोश बैठने के अलावा कोई रास्ता नहीं था.

अब आरसीपी करेंगे बीजेपी को हैंडल
जेडीयू के जानकारों की मानें तो बीजेपी के सामने बेबस हो गये नीतीश को सिर्फ यही रास्ता सूझा कि पार्टी में एक ऐसे व्यक्ति को खड़ा किया जाये जो उन्हें फजीहत से बचा सके. जो बीजेपी के सेकेंड लाइन के नेताओं से बात कर सके. जो बीजेपी की ज्यादती पर बोल सके और नीतीश कुमार ये कह कर पल्ला झाड सकें कि पार्टी अलग है और सरकार अलग. इस भूमिका के लिए आरसीपी सिंह से बेहतर व्यक्ति कौन हो सकता था.

जेडीयू के नेता जानते हैं कि पिछले पांच सालों से आरसीपी सिंह ही संगठन चला रहे थे. कहने को बिहार में वशिष्ठ नारायण सिंह प्रदेश अध्यक्ष थे लेकिन सारे फैसले आरसीपी सिंह ही रहे थे. आरसीपी पहले से ही पार्टी अध्यक्ष के रोल में थे. अब उन्हें पार्टी अध्यक्ष का औपचारिक जिम्मा सौंपा गया है तो कारण सिर्फ इतना ही है कि वे अधिकृत तौर पर बीजेपी को हैंडल कर सकें.

शनिवार, दिसंबर 26, 2020

पंचायत चुनाव आम निवार्चन-2021 की तैयारियों की समीक्षा

आगामी पंचायत चुनाव आम निवार्चन-2021 की तैयारियों की समीक्षा वीसी के माध्यम से राज्य निर्वाचन आयुक्त बिहार की अध्यक्षता में की गई। जिसमें मतदाता सूची की तैयारी एवं संबंधित सभी कार्यों की समीक्षा की गई। पंचायत चुनाव आम निवार्चन-2021 के लिए वार्ड वार मतदाता सूची के विखंडीकरण का कार्य चल रहा है। इस बार पंचायत चुनाव आम निवार्चन-2021 ईवीएम के माध्यम से कराया जाना है। क्योंकि एक वार्ड में 8 पोस्ट का चुनाव होना है इसलिए मल्टी पोस्ट इलेक्ट्रॉनिकस वोटिंग मशीन से चुनाव होने हैं  जिसकी मूल रूप से समीक्षा की गई। पंचायत चुनाव को लेकर  कोविड-19 और नए सॉफ्टवेयर के प्रशिक्षण के लिए जिले से एक टीम को प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु पटना भेजा जा रहा है।

गुरुवार, दिसंबर 24, 2020

नियोजित शिक्षकों के लिए तैयार हो गया सॉफ्टवेयर, जानिये कब से करना होगा अप्लाई

 नियोजित शिक्षकों के लिए तैयार हो गया सॉफ्टवेयर, जानिये कब से करना होगा अप्लाई

 बिहार के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों के लिए बड़ी खबर है. राज्य सरकार ने उनकी नयी सेवा शर्तों में ट्रांसफर की मंजूरी दी थी. अब शिक्षा विभाग ने ट्रांसफर के लिए सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है. इसी सॉफ्टवेयर के जरिये नियोजित शिक्षकों के ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी की जायेगी.*
*ऑनलाइन करना होगा अप्लाई*
*बिहार के प्राथमिक शिक्षा* *निदेशक डॉ. रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि नियोजित शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए विभागीय कार्रवाई पूरी कर ली गई है. सरकार ने नियोजित शिक्षकों के लिए जो नई सेवा शर्त नियमावली बनायी है उसनमें दिव्यांगों और महिलाओं का ट्रांसफर किया जाना है. वहीं, पुरुष शिक्षकों ट्रांसफर म्युचुअल आधार पर किया जाना है. यानि दो नियोजित शिक्षक आपस में एक-दूसरे के स्कूल में ट्रांसफर ले सकते हैं. शिक्षा विभाग ने नियोजित शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है.*
*एक सप्ताह में तय होगा अप्लाई का डेट*
*प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने बताया कि इसी सॉफ्टवेर में शिक्षकों को अपने ट्रांसफर के लिए अप्लाई करना होगा. ट्रांसफर के लिए अप्लाई करने की प्रक्रिया कब से शुरू की जाये ये तय करने के लिए विभाग की कमेटी की बैठक एक सप्ताह में होने की उम्मीद है. 10 दिनों के अंदर बैठक कर पूरी प्रक्रिया को परख लिया जायेगा. अगर कोई परेशानी होगी तो उसे भी दूर कर लिया जायेगा. उसके बाद अप्लाई करने का डेट घोषित कर दिया जायेगा.*
*गौरतलब है कि बिहार में नियोजित शिक्षकों के ट्रांसफर का कोई प्रावधान नहीं था. इसके कारण एक लाख से ज्यादा शिक्षकों को भारी परेशानी झेलनी पड रही थी. सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और दिव्यांग शिक्षकों को ही रही थी. इनकी तादाद लगभग डेढ लाख है. सरकार ने नियोजित शिक्षकों के लिए नयी नियमावली में ट्रांसफर की मंजूरी दी है. इसके तहत महिलाओं और दिव्यांगों को अपने सेवाकाल में एक बार अंतर जिला और अंतर नियोजन इकाई ट्रांसफर किया जा सकता है. वहीं, पुरुष शिक्षकों के म्युचुअल ट्रांसफर का प्रावधान किया गया है. सरकार के एलान के बावजूद शिक्षा विभाग ने अब तक इसे अमल में नहीं लाया था. हालांकि अब विभाग कह अपनी तैयारी पूरी कर लेने की बात कह रहा है|
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