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बुधवार, जनवरी 04, 2017

चुनाव आयोग ने जारी किया चार राज्यों में विधान सभा चुनाव की तारीख

चुनाव आयोग ने आज यूपी, पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि  5 राज्यों में 690 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे और करीब 16 करोड़ मतदाता हिस्सा लेंगे। सभी राज्यों में एक साथ चुनाव कराए जाएंगे। गोवा-पंजाब से वोटिंग 4 फरवरी से शुरू होगी और 11 मार्च को एक साथ मतगणना होगी।

गोवा - वोटिंग 4 फरवरी 2017

 

पंजाब- नोटिफिकेशन 11 जनवरी 2017,  नामांकन की आखिरी तारीख 18 जनवरी, वोटिंग 4 फरवरी 2017 को।

उत्तराखंड- 27 जनवरी को नामांकन का आखिरी दिन, 15 फरवरी 2017 को चुनाव

मणिपुर- नोटिफिकेशन 8 फरवरी 2017,  नामांकन की आखिरी तारीख 15 फरवरी, वोटिंग 4 और 8 मार्च 2017 को।

उत्तर प्रदेश- सात चरणों में चुनाव होंगे

पहले चरण में 73 सीटों पर चुनाव।नोटिफिकेशन 11 फरवरी 2017,  वोटिंग 11 फरवरी 2017 को।

दूसरे चरण में 11 जिलों की 67 सीटों पर चुनाव। नोटिफिकेशन 20 जनवरी, नामांकन की आखिरी तारीख  जनवरी, वोटिंग 11 फरवरी 2017 को।

तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर चुनाव। नोटिफिकेशन 24 जनवरी 2017,  नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी, वोटिंग 19 फरवरी 2017 को।

चौथे चरण में 12 जिले की 53 सीटों पर चुनाव। नोटिफिकेशन 30 जनवरी 2017, नामांकन की आखिरी तारीख 6 फरवरी, वोटिंग 23 फरवरी 2017 को।

पांचवें चरण में 11 जिले की 52 सीटों पर चुनाव। नोटिफिकेशन 30 जनवरी 2017, नामांकन की आखिरी तारीख 6 फरवरी, वोटिंग 23 फरवरी 2017 को।

छठे चरण में 7 जिले की 49 सीटों पर चुनाव। नोटिफिकेशन 8 फरवरी 2017, वोटिंग 4 मार्च 2017 को।

सातवे चरण में 7 जिले की 40 सीटों पर चुनाव। वोटिंग 8 मार्च 2017 को।

-सभी राज्यों में मतगणना 11 मार्च को होगी।

क्या-क्या कहा चुनाव आयोग ने पढ़ें

-690 में से 133 सुरक्षित सीटों पर होगी वोटिंग

-सभी वोटरों को फोटो वोटर पर्ची दी जाएगी

-5 राज्यों में कुल 1 लाख 85 हजार पोलिंग बूथ बनाए गए हैं

-सभी राज्यों में ईवीएम लगा दी गई हैं

-वोटरों को रंगीन वोटर गाइड भी दिए जाएंगे

-गोवा में वोटर जान पाएंगे किसे वोट दिया

-ईवीएम पर नोटा विकल्प का भी इस्तेमाल कर सकते हैं वोटर

-कुछ जगहों पर महिलाओं के लिए अलग बूथ

-कई जगह ईवीएम मशीनों में उम्मीदवारों की फोटो भी होगी

-चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू

-उम्मीदवारों को बताना होगा कि उन पर कोई बकाया नहीं

-उम्मीदवारों को नो डिमांड सर्टीफिकेट देना होगा

-पार्टियां प्रचार में प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करें

-रात 10 से सुबह 6 बजे तक लाउड स्पीकर के इस्तेमाल पर रोक

-यूपी, पंजाब, उत्तराखंड में उम्मीदवार 28 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं

-मणिपुर और गोवा में उम्मीदवार 20 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं

-उम्मीदवार को फोटो देना होगा और बताना होगा कि विदेशी नहीं है

-20 हजार से ज्यादा का लेनदेन बैंक के जरिए किया जाए

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मार्च तक ही सरकारों का कार्यकाल

गोवा, मणिपुर और पंजाब विधानसभा का कार्यकाल 18 मार्च को खत्म हो रहा है जबकि उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल 26 मार्च तक है। उत्तर प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 27 मार्च को खत्म हो रहा है। बीते दिसंबर में, चुनाव आयोग ने राज्य सरकारों और शिक्षा बोर्ड्स को पत्र लिखकर कहा था कि वह आगामी मार्च महीने में होने वाली वार्षिक परीक्षाओं के कार्यक्रम को चुनाव आयोग के मश्विरे के बाद ही तय करें।

गोवा विधानसभा में 40 सीटें हैं। वहीं मणिपुर में 60, पंजाब में 117, उत्तराखंड में 70 सीटें हैं। चुनावी दृष्टि से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश है जहां विधानसभा में 403 सीटें हैं। चुनाव आयोग द्वारा तारीखों के ऐलान के तुरंत बाद ही इन सभी राज्यों में चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी।

इन 5 राज्यों में से यूपी और पंजाब में महीनों पहले से चुनावी घमासान मचा हुआ है। यूपी में सत्ताधारी पार्टी सपा खुद ही कलह का शिकार है। सीएम अखिलेश और उनके पिता मुलायम सिंह के बीच रस्साकशी का दौर चल रहा है। यहां टक्कर सपा और भाजपा के बीच देखी जा रही है। वहीं, पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) सत्ता में आने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। पंजाब में अकाली-भाजपा गठबंधन की दूसरी बार सत्ता में वापसी हुई थी और इस बार उसे कांग्रेस, आप से जबर्दस्त चुनौती मिल रही है।

यूपी में दलित वोटबैंक का ज्‍यादातर हिस्‍सा बसपा और कांग्रेस को मिलता रहा है। अब भाजपा ने इस वोट में से भी शेयर लेने की कोशिश तेज कर दी है ताकि बसपा को नुकसान पहुंचे और उसे फायदा। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्‍स के निदेशक प्रोफेसर एके वर्मा कहते हैं कि पहले दलित कांग्रेस का पारंपरिक वोट हुआ करता था, लेकिन 1989 के बाद वह बसपा की तरफ खिसक गया। अब दलितों में मायावती की स्‍थिति कमजोर हो रही है। उनका दलित वोटों पर एकाधिकार नहीं रहा। कहा जा रहा है कि इसीलिए अब इस पर अन्‍य दल भी दांव लगा रहे हैं। भाजपा की दलित सम्‍मेलन करवाने की रणनीति भी इसी का हिस्‍सा हो सकती है।