टीचर्स अब करेंगे पियक्कड़ों की पहचान, विभाग ने शुरू किया है अभियान
शिक्षा विभाग ने मद्यपान निषेध अभियान की शुरुआत की है।
पटना. गांवों में अब शिक्षक शराबियों की पहचान करेंगे। उन्हें शराब से होने वाले नुकसान के बारे में बताएंगे। अगर कोई नशेड़ी शराब के बिना नहीं रह सकता, सुबह उठकर उसे शराब की तलब होती है या अगर उसने अपने परिवार या नौकरी शराब के कारण खोई है, तो उसे बीमार माना जाएगा। ऐसे लोगों को डिएडिक्शन सेंटर पहुंचाया जाएगा।
शिक्षा विभाग ने शुरू किया है अभियान
अधिवेशन भवन में शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित डीईओ, डीपीओ साक्षरता और जीविका के जिलास्तरीय अधिकारियों की बैठक में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि सभी विभागों को मिलकर शराबखोरी के नकारात्मक पहलू को समाज के समक्ष पेश करना होगा। शिक्षा विभाग ने मद्यपान निषेध अभियान की शुरुआत की है। इससे घर-घर तक पहुंचा जा सकता है।
हर गांव तक संदेश पहुंचाने का लक्ष्य
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डीएस गंगवार ने कहा कि हर गांव तक बच्चों व शिक्षक के माध्यम से शराबबंदी के संदेश को पहुंचाने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री के शराबबंदी के निर्णय को पूरी तरह से लागू कराने के लिए हर प्रकार का प्रयास विभाग की ओर से किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के सचिव आरके महाजन ने कहा कि हर जिले में डीएडिक्शन सेंटर खोले जाएंगे। वहां चिकित्सकों की नियुक्ति की जाएगी। अभी वे शराब पीने वालों को उचित सलाह देंगे।
इसके अलावा हर सदर अस्पताल स्तर पर 50 बेड वाले शराबबंदी अस्पताल की व्यवस्था होगी। अगर शराब छोड़ने के कारण किसी प्रकार की परेशानी होती है, तो इलाज की सुविधा होगी। इसके अलावा एनजीओ के चयन की भी प्रक्रिया चल रही है। उनके माध्यम से भी लोगों को शराब छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
डीपीओ ने गाया गाना- शराब पीयल छोड़ द...
बैठक में कई डीईओ व डीपीओ ने शराबबंदी के लिए अपने विचार दिए। एक डीपीओ ने गाना सुनाया- शराब पीयल छोड़ द, दूध पिय ताजा। गीत सुनकर मुख्य सचिव ने कहा कि इसे गांवों में बजवाइए। कई डीईओ व डीपीओ ने अल्कोहलिक लोगों को कार्य से जोड़ने व उन्हें मुख्य धारा में लाने से संबंधित सुझाव दिए। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन भी उनके बीच कराए जए.
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