दुनिया की हकीकत देखनी है तो आॅखों पर पट्टी बाॅध कर देखों -इस दुनिया को अंधा बन कर बेहतर देख सकते हो।
मेहनत की रूखी सुखी खाने में जो मजा है वो चोरी चकारी से हासिल मुर्ग मुसल्लम में नहीं है ।
मर्द से बड़ा भेड़िया कोई नही होता, इंसान जानवर से ज्यादा बेरहम होता है।
नेता अपनी कारगुजारी दिखाने के लिए भीड़ जमा करते हैं और सरकार से भीड़ के लिए नही अपने लिए माँगतें हैं कि देख मेरे साथ कितने लोग है, मुझे भी कुर्सी दो,पैसा दो,ताकत दो।
पेड़ लगाकर नही तो पढ़ लिखकर अपने वक्त का इस्तेमाल करो तो ज्यादा सुख मिलेगा -सुअर की तरह हांक कर गलियों में ले जाए जाने पर कैसा सुख मिल सकता है ?।
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