रविवार, जनवरी 29, 2017

मोहम्मद कमरे आलम का पैग़ाम तालिमी मरकज़ सदूर(अध्यक्षों) के नाम

जिस क़ौम के अकाब्रिनों ने अपने क़ौम से ये तलक़ीन की के तुम्हारी सफे ऐसी हों जैसे शीशा पिलाई हुई दीवार आज वही क़ौम इंतेशार का शिकार हो गई है ।जिस के अकाबरीन ने कहा कभी भी अपने से अपना नाम किसी औहदे के लिए मत पेश करो आज उसी क़ौम के लोग किसी की क़यादत मानने के लिए तैयार नहीं, अपने आप को खुद शाख्ता आर्गेनाइजेशन के सदूर बन बैठते हैं।अपने अस्लाफ के बातों से मुन्किर होकर अपने फ़लाह व बहबूद की बात करना बेमानी होगी। टोला सेवक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने बतलाया 28 जनवरी को पटना में टोला सेवक संघ की बैठक आहूत की गई थी जिस में तालिमी मरकज़ के प्रदेश स्तरीय साथियों को भी आमंत्रित किया गया था, बैठक में एक साथ तालिमी मरकज़ के चार- चार प्रदेश अध्यक्ष पहुँच गए और अपनी अपनी दावेदारी पेश करने लगे कि मैं ही तालिमी मारकज का प्रदेश अध्यक्ष हूँ ।यह देखकर  प्रदेश अध्यक्ष टोला सेवक संघ का कहना है मैं तो असमंजस में पड़ गया कि ये क्या हो रहा है ? तालिमी मरकज़ के खुद शाख्ता सादूरों अगर आप को अपने वक़ार की कोई फ़िक्र नही है तो न सही मगर क़ौम के वक़ार की तो फ़िक्र करें।
             तालिमी मरकज़ का वजूद 2009 में हुआ आज तक आप लोगों( सदूर )से ये नही हुआ कि तालिमी मरकज़ संघ का रजिस्ट्रेशन रजिस्ट्रेशन विभाग बिहार पटना से करवा इस की तशकील बिहार के हर जिले में करें ।और आप तमाम लोग आपस में लड़ कर तमाम तालिमी मरकज़ के साथी को शर्मिंदा कर रहे हैं।आप तमाम तालिमी मरकज़ सदूर तालिमी मरकज़ अध्यक्ष की दावेदारी छोड़ आपस में इत्तेहाद क़ायम करें और जितने भी प्रदेश सतही( किसी भी ग्रुप के हों) कमिटी के ओहदेदारान हैं एक जगह मिल बैठ कर बात करें और तालिमी मरकज़ के वजूद कैबिनेट पर बात करें और जो इत्तफ़ाक़ राय सामने आती है उस पर अमल करें,और प्रदेश सतह पर एक मज़बूत कमिटी की तशकील की जाए जिस में बिहार के हर जिले की नुमाइंदगी हो।और यह कमिटी नुमाइंदा कमिटी हो जिस में कोई फ़िलहाल अध्यक्ष, सचिव आदि आदि कुछ भी न हो बल्कि प्रदेश समन्वयक व मेम्बरों पर मुश्तमिल हो।ये काम हो जाने के बाद बिहार के हर एक जिला में इत्तफ़ाक़ राय से वहाँ के तालिमी मरकज़ साथियों की राय से ब्लॉक सतह की कमिटी पूरी तरह से तशकील दे दी जाय।ब्लॉक सतही कमिटी के बाद जिला सतही कमिटी का इंतखाब के बाद ही प्रदेश कमिटी का इंतखाब होनी चाहिए तभी जाकर आर्गेनाइजेशन में मज़बूती आएगी वरना कमिटी का वजूद कागज़ी ही रहेगा।

लेख जारी रहेगा अगले भाग का इंतज़ार करें

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