मानदेय राशि/हौसला अफजाई रक़म
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बेरोज़गारी से तंग, परिवारों के तानों से परेशान मानदेय मिलने वाले कामों को करने पर मजबूर लोगों को मानदेय /हौसला अफजाई रक़म सरकार के पदाधिकारी देना नही चाहते हैं।मानदेय वाली नौकरी (काम) बेरोज़गार नौजवान मज़बूरी में करते हैं ताकि फ़ाक़ा कशी से तंग आकर खुदकशी न करना न पड़े मगर पदाधिकारी मानदेय राशि/हौशला अफ़ज़ाई रक़म का पेमेंट न कर मानदेय पर काम करने वाले लोगों को आत्महत्या करने पर उत्साहित नही करती है तो क्या कर रही है ?
सरकार के शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों को ये एहसास नहीं होता है कि भूख प्यास, बेरोज़गारी, परिवार के तानों का तंज़ क्या होता है ? अगर सरकार हौसला अफजाई रक़म भी वक़्त पर नही दे सकती तो हौसला अफजाई जैसे चलने वाले कार्यक्रम को सरकार को बन्द कर देनी चाहिए और कीमती मानव जीवन को खत्म करने का कानूनी हक दे देनी चाहिए।
आप हमें आवाज़ दें, हम आपकी आवाज़ बनेंगें,उठें जागें और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द करें। "" कुफ़्र की हकुमत चल सकती है लेकिन ज़ुल्म की नहीं "" ।। बिना चिंगारी के आग नहीं लग सकती ।।
सोमवार, जून 19, 2017
मानदेय राशि/हौसला अफजाई रक़म
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