ग्राम पंचायत राज कुम्मा के संवेदक-सह- पंचायत सचिव पर प्रपत्र 'क' गठित कर कार्रवाई का आदेश

सीतामढ़ी । ग्राम कुम्मा निवासी ज़फर नेहाल ने एक परिवाद पत्र शपथ पत्र के साथ दिनांक - 26 /07/2024  को ज़िला पदाधिकारी सीतामढ़ी को दिया गया था जिसे ज़िला पदाधिकारी सीतामढ़ी ने लोक शिकायत निवारण प्राधिकार को हस्तांतरित कर दिया गया था और अनन्य संख्या- 504318031072400844 दर्ज की गई थी।


 परिवाद पत्र पर सुनवाई करते हुए अनुमण्डली लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी पुपरी ने योजना में अनियमितता पा कुम्मा पंचायत के पंचायत सचिव पर प्रपत्र ' क ' गठित कर नियमानुसार कार्रवाई का आदेश करने का आदेश प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सुरसंड को दिया है।परन्तु उक्त आदेश से ज़फर नेहाल पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं और ज़िला लोक शिकायत निवारण प्राधिकार सीतामढ़ी के समक्ष अपील दर्ज करवाई है उन्होंने अपने अपील आवेदन में लिखा है कि उन के परिवाद पत्र पर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी पुपरी द्वारा ऊचित कार्रवाई नहीं की गई ।अनन्य संख्या- 504318031072400844 में लोक प्राधिकार सह प्रखण्ड विकास पदाधिकारी सुरसंड के द्वारा अनुमण्डली लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी पुपरी को समर्पित प्रतिवेदन  पत्रांक- 936, दिनांक- 27.08.2024 से प्रतिवेदित है जो पंचायत सचिव, कुम्मा के द्वारा प्रतिवेदित किया गया है कि ग्राम पंचायत कुम्मा में सभी योजना का कार्य प्राक्कलन के अनुरूप किया गया है एवं योजना से संबंधित भुगतान मापीपुस्त के आलोक में नियमानुकूल की गई है जो सरासर ग़लत और भ्रामक है और सरकारी योजनाओं में अनियमितता कर सरकारी राशि ग़बन करने वाले को बचाने का किया गया कृत है

महाशय, हमारे द्वारा परिवाद पत्र में लगाए गए आरोप का विंदू निम्नवत है:-

1.   ग्राम पंचायत कुम्मा में प्राक्कलन के विरुद्ध कार्य कर एवं कनीय अभियंता की संलिप्तता से मापी पुस्त कर सरकारी राशि का लाखों रुपया ग़बन कर लिया गया है।वार्ड 08 और वार्ड 05 में पुराने नाले का मरम्मती कर नए नाला का प्राक्कलन तैयार कर कनीय अभियंता के संलिप्तता से सरकरी राशि निकल ली गई है  उसमे भी प्राक्कलन के अनुसार कार्य नहीं किया गया है।

2.   वार्ड 02 में ही व्यक्ति विशेष को निजी लाभ पहुँचाने की नीयत से प्राक्कलन तैयार कर मेन रोड से रहमतुल्लाह खान के घर तक मिट्टी भराई, सोलिंग, PCC किया गया गया है जो विभागीय दिशा निर्देश के विपरीत है।

3.   पंचायत में किसी योजना स्थल पर सूची पट्ट का प्रदर्शन नहीं किया गया है    ।

4.   योजनाओं में तीन नंबर ईट ,लोकल बालू का प्रयोग किया गया है। साक्ष्य के तौर पर मोबाइल से ली गई फ़ोटो संलग्न  ।

5.   वार्ड 01 में रामबाबू के घर से बेला रोड तक PCC कार्य जो हुआ ही नहीं परन्तु सरकारी राशि की निकासी कर ली गई जब कि यह कार्य 7 निश्चय से पूर्व में हुआ था ।

उक्त आरोप के सम्बंध में लोक प्राधिकार ने पत्रांक- 1017, दिनांक- 10.09.2024 के द्वारा जो जाँच प्रतिवेदन निवारण पदाधिकारी को समर्पित किया गया है वह बिना स्थलीय जाँच किए ही कार्यालय में बैठ कर तकनीकी सहायक द्वारा बुक मापी पुस्त को हूबहू अंकित कर हमारे द्वारा लगाए गए अनियमितता के आरोप को खारिज कर दिया गया है जबकि उक्त योजनाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितता की गई है जिसका साक्ष्य मेरे द्वारा प्रस्तुत किया गया था मगर नकार दिया गयालोक प्राधिकार ने प्रतिवेदन के साथ सामग्री (इंट एवं सिमेन्ट मुक्त कंक्रीट) की गुणवत्ता एम०आई०टी मुजफ्फरपुर से कराने की बात की है और योजना में प्रयुक्त सामग्री मानक के अनुसार होने की बात की गई है यह रिपोर्ट पैसा देकर तैयार करवाया गया है और प्रतिवेदन के साथ संलग्न कर दिया गया हैलोक प्राधिकार ने अपने पत्रांक-405, दिनांक 07.10.2024 से पुनः प्रतिवेदित किया कि (1) वार्ड संख्या-05 में मनोज के दुकान से अधवारा नदी तक एवं (2) मस्जिद के पास से मंजर हसन के घर तक नाला निर्माण कार्य की जांच की और ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि वर्ष 2005-06 में ग्राम पंचायत द्वारा की गई थीजिसका अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैउक्त योजना को योजना संख्या-06/2013-14 में तेजनारायण सिंह के घर से लेकर असगरी खातुन के घर तक नाला सफाई      कार्य
योजना संख्या-07/2013/14 शमशेरपुर टोला में मस्जिद से लेकर लक्ष्मण बैठा के घर तक नाला सफाई कार्य किया गया हैविगत 15 वर्षों के उपरांत नाला की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी थीपुनः उक्त नाला को 2020-21 में जनोपयोगी हेतु ग्राम पंचायत के द्वारा निर्माण कराया गया।"
महाशय, इस सम्बंध में कहना है कि उक्त कार्य काग्राम पंचायत द्वारा मरम्मती कार्य किया गया था मगर नये नाला निर्माण का प्राक्कलन तैयार कर सरकारी राशि निकाल ली गई है मगर सत्यता को झुठलाते हुए ग़बन कर्ताओं को बचाने का कृत किया गया

है हमारे द्वारा परिवाद पत्र के आरोप संख्या 02 के सम्बंध में लोक प्राधिकार ने पत्रांक- 406, दिनांक 07.10.2024 में लिखा है कि योजना वार्ड संख्या-02 में मुख्य सड़क से रहमतुल्लाह खान के घर तक पी०सी०सी० सड़क निर्माण कार्य की जांच तकनीकी सहायक से करवाई गई जांच में योजना जनोपयोगी नहीं पाया गयाइसके उपरान्त योजना के अभिकर्ता से भुगतान की गई कुल राशि मो०-550000.00 (रूपये पांच लाख पचास हजार) मात्र चेक संख्या-02022578 एवं 02022573 से ग्राम पंचायत के खाता संख्या- 75422210009467 पंद्रहवीं वित्त आयोग में जमा कर दी गई हैमहाशय इस सम्बंध में कहना है कि चेक संख्या और खाता नम्बर तो दिया गया परंतु उक्त राशि बैंक खाता में जमा हो चुका इसका कोई साक्ष्य नहीं दिया गया और ही बैंक खाता अद्यतन जमा किया गया हैमहाशय, योजना के बारे में यह कहा जा रहा है कि उक्त योजना भूल वश हो गई है महाशय, क्या 5,50,000/ साढ़े पाँच लाख की योजना का क्रियान्वयन भूलवश हो सकता है ? महाशय यह कृत जानबूझ कर किया गया है और व्यक्ति विशेष को राजकीय कोष का लाभ दिया गया जो आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है महाशय, उक्त कार्य मे पंचायत सचिव को दोषी मानते हुए निवारण पदाधिकारी ने उक्त योजना के अभिकर्ता सह पंचायत सचिव के ऊपर लोक प्राधिकार सुरसंड को प्रपत्र ' ' गठित के सक्षम प्राधिकार को भेजने का निदेश तो दिया मगर योजना में संलिप्त मुखिया, तकनीकी सहायक और प्रखण्ड पंचायती राज पदाधिकारी पर कोई कार्रवाई करने का निर्णय पारित नहीं किया गया जो नियम संगत नहीं हैमहाशय,

परिवाद पत्र के आरोप नंबर 03 के सम्बंध में  पंचायत सचिव कुम्मा द्वारा प्रतिवेदित किया गया कि पंचायत में सभी योजनाओं का सूचना पट्ट लगा हुआ है जो सरासर ग़लत है सत्यता की जाँच स्थली जाँच से  उजागर हो जायगाआरोप संख्या 05 के सम्बंध में  जो वार्ड 01 में रामबाबू के घर से बेला रोड तक PCC निर्माण से संबंधित आरोप है पंचायत सचिव कुम्मा द्वारा  प्रतिवेदित किया गया कि यह योजना ग्राम पंचायत द्वारा नहीं की गई है।  इस सम्बंध में कहना है कि उक्त योजना पूर्व में किया गया था पुनः बिना कोई कार्य किए ही पंचायत से सरकारी राशि निकाल ग़बन कर ली गई है इस सम्बंध में मेरे द्वारा साक्ष्य भी दिया गया परन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई महाशय, अंकनिय है कि मेरे द्वारा परिवाद पत्र में मुखिया, अभिकर्ता सह पंचायत सचिव, तकनीक सहायक के ऊपर योजनाओं में बरती गई अनियमितता का आरोप लगा जाँच कर कार्रवाई की माँग की गई थी ,जिस पर मेरे द्वारा आरोप लगाया गया और उसी व्यक्ति से जाँच करवाई जाती है और उसके जाँच प्रतिवेदन को सही मान लिया जाता है क्या आरोपी व्यक्ति से जाँच करवाना ऊचित और न्याय संगत है ?

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