जानकारों का कहना है कि तत्कालीन शाखा प्रबन्धक ने उन्हीं ऋण धारक को नो डियूज़ सर्टिफिकेट दिया जिन ऋणियों ने अवैध राशि दिया।और माफ की गई राशि की पोस्टिंग रजिस्टर 9 में नही की गई और माफ़ कर दी गयी राशि की वसूली वर्तमान में बैंक के द्वारा की जा रही है।
आप हमें आवाज़ दें, हम आपकी आवाज़ बनेंगें,उठें जागें और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द करें। "" कुफ़्र की हकुमत चल सकती है लेकिन ज़ुल्म की नहीं "" ।। बिना चिंगारी के आग नहीं लग सकती ।।
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