शनिवार, मार्च 19, 2016

आज होगा रेड क्रोस के दस सदस्यों का चुनाव

सीतामढ़ी रेड क्रोस सोसायटी के कार्यकारिणी के दस सदस्यों का चुनाव सोसायटी के 1594 सदस्यों के द्वारा चुनाव के माध्यम से होगा निर्वाचित सदस्यों में से ही आम सभा के जरिए सभापति, उप सभापति और कोषाध्यक्ष का चुनाव होगा ।
             सोसायटी के दस सदस्यों के लिए 16उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं ।

बुधवार, मार्च 16, 2016

शेखपुरा के मुजफ्फर इलियास ने दिव्यांगो के लिये बनाया भवाइस शाफ्ट वेयर

"कौन कहता है कि अश्मा में सुराग हो नहीं सकता,
एक पत्थर तो तबियत से ऊछालों यारों ।।"
     कुछ ऐसा ही किया है सीवान के हसनपुरा प्रखंड के शेखपुरा निवासी मीर मोहम्मद के पुत्र मुजफ्फर इलियास ने...
सीवान के इस  लाडले ने  एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है जो अंधा व दिव्यांग  जिसका हाथ नही है वह भी कंप्यूटर आसानी से चला सकते हैं, मुजफ्फर इलियास वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी के बी-टेक फाइनल इयर के छात्र है, दिव्यांगो  व अंधे के लिए भवाईस शाफ्ट वेयर
बनाकर  एक मिशाल कायम की है, या यू कहे कि दिव्यांगो  व अंधे के लिये अनमोल तोहफा पेश किया है, इलियास ने दिव्यांगो  के लिए विशेष सॉफ्टवेयर का निर्माण करने के बाद कहा है इस शाफ्ट वेयर से अंधे और हाथों से दिव्यांग  भी कंप्यूटर को बोल कर ऑपरेट कर सकेंगे , हालांकि इलियास ने इस सॉफ्टवेयर का कोई नाम नही दिया हैं, वही मुजफ्फर इलियास का पिता मीर मोहम्मद सलाउद्दीन पेशे से ट्रक ड्राईवर है और उन्होंने बेटे की प्रतिभा को देखते हुए उसे उच्च शिक्षा दिलाने में भरपूर सहयोग किया, तीन भाई बहन के बीच के मुजफ्फर इलियास जनपत श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी में बी-टेक के छात्र है,बड़ी बहन राशिदा खातून की शादी हो चुकी जबकि छोटा भाई रेहान राजा अभी पढ़ाई कर रहा हैं, मुजफ्फर इलियास बी-टेक मकैनिकल से के रहे कंप्यूटर से उनका वास्ता भी नही है ,लेकिन दिव्यांग लोगो की परेशानी देखते हुए उनके लिए विशेष सॉफ्टवेयर बनाने में सफलता हासिल की हैं,इस काम में उनके गुरु जानो ने भरपूर सहयोग किया श्री इलियास ने बताया की जो आदमी देख भी नही सकता है वह आसानी से कंप्यूटर चला सकता हैं, जिन लोगो के हाथ नही है वह भी किसी कीबोर्ड और माउस के बगैर कंप्यूटर चला सकते है,वही विश्वविधालय परबंधन ने भी हर संभव मदद का एलान किया हैं, इलियास के इस बड़ी उपलब्धि पर सीवान के कई प्रबुद्ध लोगो ने बधाई दे ते हुए उसके उज्जवल भविष्य की कामना की है ।  मुजफ्फर इलियास को बधाई ।

सोमवार, मार्च 14, 2016

झपट्टा गिरोह का सदस्य पकड़ा गया

Edited by MD QAMRE ALAM

Report Md Dulare

परिहार (सीतामढ़ी ):इन्दरवा निवासी अताउररहमान की पत्नी अशरफुन्निशा सोमवार को स्टेट बैंक की परिहार शाखा से 25,000 रु निकासी की।झपट्टा गिरोह का स्दस्य ताक लगाये बैठा था ।अशरफुन्निशा के मोबाईल पर उसके बेटा का फोन आता है मौका का फायदा उठा अज्ञात लड़का झपट्टा मार भागने लगता है महिला चिल्लाती है तब दौड़ कर लोगों ने बैंक के बाहर भाग रहे लड़के को पकड़ा उसके पास से राशि बराम किया और पुलिस को सूचना दी सूचना पर पुलिस उसे गिरफ्तार कर थाने ले आई पुछ-ताछ मे उसने अपना नाम राहुल तिवारी पिता अमित तिवारी घर डोमटोली जयनगर मधुबनी बताया है इनके साथ दो और लोग थे जो भागने मे कामयाब हो गय

आवाज़ सुनो

बुधवार, मार्च 09, 2016

रेड क्रोस सोसायटी के कार्यकारिणी के लिए नामांकन जारी

रेड क्रोस सोसायटी सीतामढ़ी के कार्यकारिणी सदस्यों के लिए नामांकन 03/03/2016 से ही  निर्वाचन पदाधिकारी सह अनुमंडल पदाधिकारी  सीतामढ़ी सदर के यहाँ जारी है नामांकन की अंतिम तिथि 09/03/2016 समय 3:00बजे तक है।चुनाव 19/03/2016 को होना है

मो○रेयाज अहमद नामांकन देकर अनुमंडल कार्यालय सीतामढ़ी सदर से निकलते हुए साथ में मोहम्मद कमरे आलम, मोहम्मद युसूफ रेजाअहमद 

मो○रेयाज अहमद 

मंगलवार, मार्च 08, 2016

प्रधानमंत्री को अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी के कुलपति की सलाह

परिहार ।अलीगढ़/: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) अलीगढ़ के वाइस चांसलर (VC) जमीरुद्दीन शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारी नुकसान भुगतने की धमकी दी है. आज वाइस चांसलर अलीगढ़ में जमीरुद्दीन शाह एक संगोष्ठी में शिरकत कर रहे थे.

लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायार्ड )जमीरुद्दीन शाह ने कम्युनल हार्मोनी एंड कंपोजिट कल्चर ऑफ़ इंडिया कार्यक्रम में बात करते हुए नये विवाद को जन्म दिया. उन्होंने संगोष्ठी में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगर कहीं पर भी अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में दखल दिया तो उनको और भारत को भी बड़ा नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि अगर अल्पसंख्यक दर्जा नहीं मिला तो देश के मुसलमानों को ठेस पहुंचेगी. मुसलमानों को ठेस पहुंची तो भी तय है कि मोदी तथा देश को भी गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा.

सोमवार, मार्च 07, 2016

काम नही लोगों की सोच छोटी होती है

8 मार्च महिला दिवस पर विशेष लेख
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निकहत प्रवीन
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कभी भगवान मेरे सपने में आएं और पुछे की क्या वरदान दुँ तो मै ज्ञान का वरदान मागुँगी, ये वाक्य है राजधानी दिल्ली के आजादपुर में रहने वाली सुनीता कुमारी के, जिन्होंने तीसरी कक्षा के बाद आगे की पढ़ाई नही की लेकिन अब जब उनकी उम्र तकरीबन 34 साल हो गई है और दिल्ली शहर में वो रोज  अन्य लड़कियों को नौकरी पर जाते हुए देखती हैं तो उन्हे अहसास होता है कि काश बचपन में मैंने अपनी पढ़ाई पर ठीक तरह से ध्यान दिया होता तो आज लोगों के बीच मेरी भी पहचान नौकरी करने वाली औऱ लड़कियों की तरह होती न की काम करने वाली की ।
सुनीता वर्ष 2002 मे अपने पति और तीन बेटियों के साथ इस शहर मे रोजगार की तलाश मे आई क्योंकि गाँव में होने वाली खेती से परिवार का खर्च पुरा नही हो पा रहा था कारणवश सुनीता और उसके परिवार ने दिल्ली शहर का रुख किया और शहर में एक अच्छा जीवन जीने के लिए सुनीता ने किस तरह अपने पति का साथ दिया इस बारे मे सुनीता विस्तार से बताती हैं “ मै कानपुर जिला उन्नाव के गांव चंदरी खेड़ा की रहने वाली हूँ परिवार में बस मैं और मेरा भाई है माँ – बाप पढ़े लिखे नही थे पर उन्होंने हम दोनो भाई बहनो को जिंदगी की सारी सुख सुविधाएँ देने के साथ साथ पढ़ने का भी समान अवसर दिया लेकिन मैंने हमेशा पढ़ाई को हल्के में लिया और किसी तरह जब तीसरी कक्षा पास कर गई तो आगे पढ़ाई नही की तब खेल कुद और घर के कामों में ही मेरा मन लगता था 16 साल की थी जब मेरी शादी हुई और शादी के ठीक एक साल बाद पहली बेटी पुष्पा का जन्म हुआ ।
वो सही समय याद करने की कोशिश करते हुए कहती है “ ठीक तरह से याद नही पर इतना याद है कि शादी के 6 साल के भीतर मैं तीन बेटियों की माँ बन चुकी थी पति की खेती बाड़ी से होने वाली आमदनी से जब घर खर्च चलाना और बच्चों की परवरिश करना मुशकिल लगने लगा तो अपनी जेठानी के कहने पर दिल्ली आने का फैसला किया । यहाँ आकर भी लगा कि सिर्फ पति की कमाई से घर नही चल पाएगा तो मैंने काम करने का फैसला किया हालांकि मैं जानती थी कि ज्यादा पढ़ी लिखी न होने के कारण मुझे कोई अच्छी नौकरी तो मिल नही पाएगी इसलिए अपनी जेठानी की मदद से पहले दो घरो मे खाना बनाने और साफ सफाई का काम शुरु किया जिससे 700 रु महिने के कमा लेती थी ज्यादा कुछ तो नही पर इससे मेरे घर का किराया निकल जाता था पति ने भी 2000 रु महिने पर एक कोचिंग मे चपरासी की नौकरी शुरु कर दी थी । इस समय वह किराने की दुकान पे काम करते हैं और लोगो के आर्डर पर घर जाकर सामान भी पहुँचाते हैं, मैं अब भी काम कर रही हूँ फर्क सिर्फ इतना है कि पहले कम पैसे कमाती थी क्योंकि कम घरों मे काम करती थी औऱ अब ज्यादा घरों मे काम करना पड़ता हैं न करु तो इस महंगाई मे घर कैसे चलेगा बड़ी बेटी की तो शादी कर दी लेकिन बाकी दोनो बेटियाँ सरकारी स्कूल में पढ़ाई कर रही हैं हाँ ये अच्छी बात है कि वो दोनो मेरे जैसी नही बल्कि मन लगाकर पढ़ रही है इसलिए मुझे भी उनके लिए मेहनत करना अच्छा लगता है वो जहाँ तक पढ़ना चाहें जरुर पढ़ाऊंगी बेटियों के सपने पुरे हो गए तो समझुंगी मेरी तपस्या पुरी हुई। माँ की इस तपस्या को बेटियाँ पुरा करना चाहती हैं या नहीं इस बारे मे सुनीता की सबसे छोटी बेटी शालिनी कहती है“ हम जानते हैं माँ हमारे लिए ही सुबह से लेकर शाम तक लोगों के घरों में काम करती हैं और हमे सारी सुख सुविधाएँ देने मे लगी है, ताकि भविष्य में कभी हमें ऐसा काम न करना पड़े शायद इसलिए माँ बार बार हमें मन लगाकर पढ़ने को कहती हैं मेरा भी सपना है कि पढ़ लिख कर या तो सरकारी नौकरी करु या अच्छी फैशन डिजाइनर बनुँ क्योंकि मुझे सिलाई करना बहुत पसंद है। बेटी के सपने और सुनीता की मेहनत से पति खुश है या नही इस सवाल के जवाब मे सुनीता के पति कहते है "जिसे ऐसी बहादुर पत्नी और बेटियाँ मिली हो वो खुश कैसे नही होगा हाँ शुरु -शुरु मे थोड़ा अफसोस होता था कि मेरा कोई बेटा नही है तो बुढ़ापा कैसे कटेगा लेकिन मेरी पत्नी ने जिस तरह अब तक मेरा साथ दिया औऱ कम पढ़ी लिखी होने के बाद भी  बेटियों को जो संस्कार दिए है उसपर मुझे गर्व है ये और बात है कि कुछ लोग मुझे इस बात का ताना देते हैं कि मेरी पत्नी लोगों के घरों में काम करती है उनके जुठे बर्तन साफ करती है जबकि औरों की पत्नियाँ अच्छे दफ्तरों में जाती हैं तो मैं ऐसे लोगों को बस एक ही जवाब देता हूँ कि काम नही लोगों की सोच छोटी होती है। मुझे हमेशा अपनी पत्नी पे गर्व था और रहेगा"।
सुनीता के पति की ये बाते उन तमाम लोगों के लिए एक सीख है जो कम पढ़ी लिखी महिलाओं को समाज का एक अलग हिस्सा समझते हैं, महिला दिवस के अवसर पर सुनीता की मेहनत औऱ उसकी पति की सोंच को हम सबका सलाम ।

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