बुधवार, जुलाई 15, 2020

गृह विभाग, बिहार सरकार द्वारा कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे बिहार में 16 जुलाई से 31 जुलाई तक लॉकडाउन

बिहार सरकार द्वारा कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे बिहार में 16 जुलाई से 31 जुलाई तक लॉकडाउन की घोषणा की गई है। तदनुसार  गृह विभाग द्वारा निर्गत पत्र के आलोक में जिलाधिकारी  ने समाहरणालय में बैठक कर लॉक डाउन का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश वरीय अधिकारियों को  दिया है। यद्यपि कोविड-19 के रोकथाम हेतु गृह मंत्रालय भारत सरकार द्धारा 29 जून 2020 के  निर्गत पत्र को संदर्भित किया गया है।

लॉकडाउन की अवधि में निम्न क्षेत्रों को शामिल किया गया है-
1/भारत सरकार के कार्यालय बंद रहेंगे।
अपवाद
रक्षा, केंद्रीय सैन्य पुलिस बल ट्रेजरी जनोपयोगी (पेट्रोलियम सीएनजी एलपीजी पीएनजी) आपदा प्रबंधन ,विद्युत उत्पादन एवं ट्रांसमिशन इकाई ,पोस्ट ऑफिस एनआईसी अर्ली वार्निंग एजेंसी।

2/राज्य सरकार के कार्यालय, इसकी स्वायत्त संस्थाएं, निगम आदि बंद रहेंगे।
अपवाद
क/ पुलिस होमगार्ड सिविल डिफेंस अग्नि एवं आपातकालीन सेवाएं आपदा प्रबंधन निर्वाचन एवं जेल।

ख/जिला प्रशासन एवं कोषागार आईटी सेवाएं , वेलट्रन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग।

ग/विद्युत ,जलापूर्ति, स्वच्छता, स्वास्थ्य, बाढ़ ,असैनिक आपूर्ति, जल संसाधन ,कृषि पशुपालन।

घ/म्युनिसिपल निकाय
 
ड़/वन विभाग के कार्यालय-चिड़ियाघर, नर्सरी, पार्क ,प्लांटेशन,वन्य जीव सुरक्षा, वन्यजीव अभयारण्य।

च/समाज कल्याण कार्यालय

क्रमांक संख्या क एवं ख कर्मियों की न्यूनतम संख्या के आधार पर कार्यालय चलेंगे वहीं दूसरी ओर अन्य कार्यालय में कार्यरत कर्मियों के 33% से अधिक की  उपस्थिति नहीं होगी। 

3/हॉस्पिटल एवं इससे संबंधित मेडिकल प्रतिष्ठान सरकारी/प्राइवेट खुले रहेंगे।

4/वाणिज्यिक एवं निजी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।
अपवाद
क/दुकान, जन वितरण प्रणाली की दुकान, ग्रॉसरी ,फल ,सब्जी ,दूध, मिल्क बूथ ,मीट, मछली ,पशु चारा, कृषि इनपुट आदि।

ख/बैंक, बीमा ऑफिस ,एटीएम, आईटी सर्विस आदि।

ग/प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया।

घ/संचार, इंटरनेट सेवा, ब्रॉडकास्टिंग एवं केबल सर्विस, आईटी आदि।

ड़/  ई-कॉमर्स

च/पैट्रोल पंप ,एलपीजी पैट्रोलियम।

छ/विद्युत उत्पादन, ट्रांसमिशन, वितरण इकाई एवं सेवा।

ज/कोल्ड स्टोरेज एवं वेयरहाउस सर्विस

झ/प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विस

ट/आतिथ्य सेवाएं होटल/ मोटल/ लॉज।
 रेस्टोरेंट्स ढावा होम डिलीवरी के लिए खुलेंगे

ठ/मरम्मत एवं मेंटेनेंस गतिविधि- मोबाइल रिपेयर  ,मरम्मति से संबंधित दुकान।

      अन्य सभी प्रतिष्ठान वर्क फ्रॉम होम कार्य करेंगे।

5/औद्योगिक प्रतिष्ठान खुलेंगे

6/सभी ट्रांसपोर्ट सर्विस निलंबित रहेंगे।
अपवाद
वायु एवं रेल सेवा कार्यरत
सभी आवश्यक सेवा से संबंधित वाहन चलेंगे।
सभी सरकारी वाहन एवं प्राइवेट वाहन जो सरकारी कार्यालयों में कार्यरत हैं  चलेंगे।

7/सभी निर्माण गतिविधियां एवं उससे संबंधित दुकान चालू रहेंगे

8/सभी कृषि गतिविधियां एवं उससे जुड़े दुकान खुलेंगे।

9/सभी शैक्षणिक प्रशिक्षण शोध कोचिंग संस्थान आदि बंद रहेंगे। ऑनलाइन एवं दूरस्थ शिक्षा चालू रहेंगे।

 *10 सभी धर्मस्थल सार्वजनिक पूजा के लिए बंद रहेंगे। इन स्थलों पर कोई धार्मिक भीड़ इकट्ठा नहीं किया जा* *सकता* ।

11/सभी सामाजिक राजनीतिक खेल मनोरंजन एकेडमी सांस्कृतिक धार्मिक समारोह/जमाव पर प्रतिबंध है।........*
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*सजग रहे,सतर्क रहें,मास्क पहनकर ही बाहर निकले,सदैव सामाजिक दूरी का पालन करे,किसी भी प्रकार के लक्षण महसूस होने पर जिला प्रशसन के नंबर 06226...250316 पर सम्पर्क करें। हमेशा सरकार के दिशा निर्देशों का जरूर पालन करे। हम सब मिलकर ही कोरोना संक्रमण के चेन को रोक सकते है।*
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*# DPRO,sitamarhi*

शनिवार, जुलाई 11, 2020

मुख्यमंत्री गली नाली पक्कीकरण निश्चय योजनाओं में अनियमितता


ग्राम पंचायत परिहार उत्तरी प्रखंड परिहार ज़िला सीतामढ़ी के वार्ड नं 05 में सात निश्चय योजना के अन्तर्गत गली नाली पक्कीकरण कार्य किया गया है जिस में कनीय अभियंता की मिली भगत से प्राक्कलन के अनुरूप कार्य नहीं किया गया है ।सोलिंग में पुराने ईंट और ढलाई में लोकल सैंड,6mm सरिया का इस्तेमाल किया गया है।ढलाई की मोटाई भी प्राक्कलन के मुताबिक नहीं की गई है।कार्य स्थल पर योजना से संबंधित सूचना पट  भी प्रदर्शित नहीं किया गया है।घटिया निर्माण कार्य के कारण बरसात का पानी रोड पर ही लगा रहता है।घटिया निर्माण कार्य कर सरकारी राशि का गबन किया गया है जो आर्थिक अपराध के श्रेणी में आता है।राशि निकासी के पश्चात भी आधा अधूरा कार्य किया गया है यही हाल सम्पूर्ण पंचायत का है।

गुरुवार, जुलाई 02, 2020

बाहर से आये श्रमिक भाइयो को जिले में ही रोजगार उपलब्ध करवाने को लेकर जिला प्रशासन कृतसंकल्पित - ज़िला पदाधिकारी

 *211 श्रमिक भाइयो का डीआरसीसी के काउंसिलिंग सेटर में हुआ रजिस्ट्रेशन* 
   सीतामढ़ी। (मो अरमान अली)कोरोना महामारी संकटकाल में बाहर के प्रदेशो से आये सभी श्रमिक भाइयो को जिले में ही रोजगार उपलब्ध करवाने को लेकर जिला प्रशासन कृतसंकल्पित है।  नवप्रवर्तन योजना,क्लस्टर योजना,मनरेगा,जल-जीवन-हरियाली सहित केंद्र एवम राज्य सरकार की कई योजनाओ के तहत आप सभी को रोजगार उपलब्ध करवाने हेतू काफी तेजी के साथ कार्य किया जा रहा है।उक्त बातें जिलाधिकारी ने डीआरसीसी में प्रवासी श्रमिक भाइयो के साथ आयोजित बैठक में कही।उन्होंने कहा कि आप लोगो के लिए डीआरसीसी में डिस्ट्रीक्ट लेवल काउंसिलिंग सेन्टर बनाया गया है।आप सभी इच्छुक श्रमिक भाइयो का रजिस्ट्रेशन भी करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी पंजीकृत श्रमिक भाइयो को इस सेन्टर में उनके रोजगार को लेकर उन्हें परामर्श भी दिया जाएगा,साथ ही विभिन्न विभागों द्वारा स्टॉल लगाकर उनके कौशल के हिसाब से उन्हें रोजगार भी उपलब्ध  करवाया जाएगा। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत भी प्रवासी श्रमिको को लाभान्वित किया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि लगभग 29 हजार श्रमिको का स्किल सर्वे किया गया है। आज 211  श्रमिको ने डीआरसीसी में अपना पंजीकरण करवाया। इनमें अधिकतर रेडीमेट गारमेंट्स ,सिलाई,कढ़ाई आदि में दक्ष है। कलाम हुसैन,सफी अहमद, मोहम्द चाँद, नूर मोहम्मद आदि काफी खुश नजर आ रहे थे।ख़लीलुजमा जो सूरत में रेडीमेट गारमेंट्स फैक्ट्री में जेनरल मैनेजर थे,उन्होंने कहा कि मैं अपना अनुभब एवम कौशल का उपयोग अब अपने ही जिले में करूंगा। गौरतलब हो कि उन्हें क्लस्टर में भी शामिल किया गया है।उन्होंने कहा कि अपनो के बीच अपने ही घर में काम करना काफी अच्छा लगेगा।उन्होंने कहा कि अब हमारा हुनर अपने ही राज्य के विकास में काम आएगा, इससे हमलोगों को खुशी के साथ गर्व भी होगा। इस अवसर पर डीडीसी प्रभात कुमार,निदेशक डीआरडीए,मुमुक्ष चौधरी,डीपीआरओ परिमल कुमार महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र,जिला नियोजन पदाधिकारी,रजिया इदरीसी,प्रबंधक डीआरसीसी पूनम पाल सहित कई अधिकारी एवम काफी संख्या में प्रवासी श्रमिक उपस्थित थे।

मंगलवार, जून 02, 2020

सीतामढ़ी में मिले नौ और कोरोना वायरस संक्रमित

सीतामढ़ी में मिले नौ और कोरोना वायरस संक्रमित

सीतामढ़ी में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. मंगलवार की रात सीतामढ़ी में 9 नए कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की पुष्टि हुई है. जिला प्रशासन ने बताया कि सीतामढ़ी में अब तक कुल 61 मामले सामने आए हैं.

डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार को 9 और कोरोना वायरस के नए संक्रमण मामले आए हैं. यह सभी प्रवासी श्रमिक है जो सोनबरसा के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे थे. सभी कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें कोविड-19 हेल्थ केयर में भेज दिया गया है, जहां स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनका इलाज किया जाएगा.
 
आपको बता दें कि सीतामढ़ी में जिला प्रशासन द्वारा अब तक कुल 61 मामलों की पुष्टि की गई है. इनमें से 20 लोग ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं, जबकि 39 लोगों का इलाज जारी है. अकेले मंगलवार को ही 12 लोग ठीक होकर अपने घर लौटे हैं तो वहीं 9 संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं और एक व्यक्ति की मौत भी हुई है. हालांकि राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़े और जिला प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी में आंकड़ों का अंतर है.सीतामढ़ी में मिले नौ और कोरोना वायरस संक्रमित


सीतामढ़ी में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. मंगलवार की रात सीतामढ़ी में 9 नए कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की पुष्टि हुई है. जिला प्रशासन ने बताया कि सीतामढ़ी में अब तक कुल 61 मामले सामने आए हैं.

डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार को 9 और कोरोना वायरस के नए संक्रमण मामले आए हैं. यह सभी प्रवासी श्रमिक है जो सोनबरसा के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे थे. सभी कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें कोविड-19 हेल्थ केयर में भेज दिया गया है, जहां स्वास्थ्य विभाग द्वारा उनका इलाज किया जाएगा.
 
आपको बता दें कि सीतामढ़ी में जिला प्रशासन द्वारा अब तक कुल 61 मामलों की पुष्टि की गई है. इनमें से 20 लोग ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं, जबकि 39 लोगों का इलाज जारी है. अकेले मंगलवार को ही 12 लोग ठीक होकर अपने घर लौटे हैं तो वहीं 9 संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं और एक व्यक्ति की मौत भी हुई है. हालांकि राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़े और जिला प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी में आंकड़ों का अंतर है.
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1282457992126744&id=100010876661518

बुधवार, मई 27, 2020

कार्यकाल पूरा कर चुके प्रखण्ड बी आर पी संसाधन केन्द्र परिहार को विरमित कर विद्यालय भेजा जाए

प्रखण्ड परिहार सीतामढ़ी में प्रखण्ड संसाधन केन्द्र परिहार में वर्ष 2013 में चार बीर आर पी क्रमशः मोहम्मद हैदर अली अंसारी, कौशलेंद्र कुमार कर्मेंदु ,उमाशंकर और कैसर नोमानी का चयन पाँच वर्ष के लिए किया गया था । बी आर पी कैसर नोमानी का स्थानांतरण 2015 में रुन्नीसैदपुर हो गया वहीं मोहम्मद हैदर अली अंसारी और उमाशंकर का पदोन्नति प्रधानाध्यापक के पद पर वर्ष 2016 में हो जाने से बी आर पी का तीन पद रिक्त हो गया था रिक्त तीन पदों के विरुद्ध दो पदों पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ,सर्व शिक्षा अभियान सीतामढ़ी ने मोहम्मद मारूफ आलम (नियोजित शिक्षक) और मोहम्मद शमीम अंसारी का मनोनयन बी आर पी के पद पर कर दिया ।
BRP का चयन पाँच वर्ष के लिए ही किये जाने का प्रावधान था चयन वर्ष 2013 में हुआ जिस का कार्यकाल 2018 में ही पूर्ण हो चुका है।

कार्यकाल पूर्ण होने के बावजूद BRP से कार्य लिया जा रहा है जबकि कई बार राज्य परियोजना निदेशक बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना ने पत्र निकाल कर कार्यकाल पूर्ण कर चुके BRP को कार्यमुक्त कर मूल विद्यालय में योगदान कराने का आदेश दिया था परन्तु आदेश का अनुपालन अभी तक नहीं हो पाया है।
मोहम्मद नौशाद आलम शिक्षक मध्य विद्यालय मसहा परिहार ने समाहर्ता सीतामढ़ी ,ज़िला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान सीतामढ़ी और जिला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी को लिखित आवेदन देकर कार्यकाल पूरा कर चुके BRP को हटाने और नए BRP को योगदान कराने की माँग अगस्त 2019 में ही की थी जिस पर कार्रवाई अभी तक लम्बित है।
मालूम हो कि राज्य परियोजना निदेशक बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना ने पत्रांक 4282 दिनांक 13.08.2018 को नव चयनित BRP की सूची ज़िला शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान को भेज कर नव चयनित BRP को योगदान करा पूर्व BRP को विरमित कर मूल पदस्थापित विद्यालय में भेजने का आदेश दिया था साथ ही रिक्ति की सूची संलग्न प्रपत्र के माध्यम से माँग की थी परन्तु सीतामढ़ी ज़िला में नव चयनित BRP का योगदान कराया ही नहीं गया।
          अंकनीय है कि पदोन्नति और स्थानांतरण से हुए रिक्त BRP पदों पर जिन शिक्षकों को मनोनित किया गया वह BRP के वांछित योग्यता को भी पूर्ण नहीं करते हैं। वर्ष 2013 में BRP के पदों पर चयन हेतू स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक ज़िला संवर्ग का होना आवश्यक था परन्तू पदोन्नति से हुए रिक्त पदों पर जिन शिक्षकों को BRP के पद पर मनोनीत किया गया उसमें मोहम्मद शमीम अंसारी स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं तो दूसरी ओर मोहम्मद मारूफ आलम स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक नहीं होने के साथ ही नियोजित शिक्षक हैं फिर भी तमाम नियमों को ताक पर रख गलत तरीके से BRP के पदों पर मनोनीत किया गया। राज्य परियोजना निदेशक बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना के निर्गत पत्रांक Quality/ EFE/332/2015 - 2016 दिनांक 18/08/2018 में स्पष्ट उल्लेख है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी, ज़िला कार्यक्रम पदाधिकारी या प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा BRP/CRCC के चयन सम्बंधी मार्गदर्शिका 2017 के प्रतिकुल निकाला गया कोई भी आदेश तत्काल प्रभाव से निष्प्रभावी होगा
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बुधवार, अप्रैल 25, 2018

डॉक्टर कफ़ील रातोंरात हीरो से विलेन बना दिए गए और फिर भुला दिए गए। हम उन्हें इंसाफ़ दिला सकें या नहीं, कम से कम उनकी चिट्ठी तो पढ़ ही सकते हैं। जेल में बंद डॉ. कफ़ील अहमद खान का का ख़त

डॉक्टर कफ़ील रातोंरात हीरो से विलेन बना दिए गए और फिर भुला दिए गए। हम उन्हें इंसाफ़ दिला सकें या नहीं, कम से कम उनकी चिट्ठी तो पढ़ ही सकते हैं।


जेल में बंद डॉ. कफ़ील अहमद खान का का ख़त

( दस अगस्त 2017 को बीआरडी मेडिकल कालेज  गोरखपुर में हुए आक्सीजन कांड में बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के प्रवक्ता एवं एनएचएम के नोडल प्रभारी रहे डॉ. कफील अहमद खान को दो सितम्बर 2017 को गिरफ्तार किया गया था. वह सात महीने से अधिक समय से जेल में बंद हैं. डॉ. कफ़ील के खिलाफ पुलिस ने 409, 308, 120 बी आईपीसी के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है.  उनकी जमानत गोरखपुर के विशेष न्यायाधीश (प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट )- 3 की अदालत से खारिज हो चुकी है. अब उनकी जमानत याचिका हाईकोर्ट में है. डॉ. कफील की पत्नी डॉ. शबिस्ता खान का कहना है कि उनके पति दिल के मरीज हैं लेकिन उनका ठीक से इलाज नहीं कराया जा रहा है. उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि उनके पति को एक षडयंत्र के तहत चिकित्सा सुविधा न देकर जान से मार डालने की साजिश की जा रही है. डॉ. कफ़ील की पत्नी डॉ.  शबिस्ता खान और भाई अदील अहमद खान आदिल खान ने 21 अप्रैल को नई दिल्ली में मीडिया के सामने अपनी बात रखी. डॉ. शबिस्ता खान ने डॉ. कफ़ील द्वारा 17 अप्रैल को जेल से लिखा एक पत्र भी जारी किया जिसमे डॉ. कफ़ील ने 10 अगस्त की रात के घटना क्रम और अपने द्वारा बच्चों की जान बचाने के लिए किये गए प्रयास की चर्चा की है. साथ ही जेल में दी जा रही यातना का भी जिक्र किया है. अंग्रेजी में लिखे इस पत्र को हम हिंदी में अनुवाद कर यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं. पत्र का हिंदी में अनुवाद उमा राग और गीतेश सिंह ने किया है. सं.)

बिना बेल 8 महीने से जेल, क्या मैं वाकई कुसूरवार हूँ ?

सलाखों के पीछे इन 8 महीनों की न-काबिले बर्दाश्त यातना, बेइज्ज़ती के बावजूद आज भी वो एक एक दृश्य मेरी आँखों के सामने उतना ही ताज़ा है जैसे यह सब कुछ ठीक यहाँ अभी मेरी आँखों के सामने घटित हो रहा हो. कभी कभी मैं ख़ुद से यह सवाल करता हूँ कि क्या वाकई मैं कुसूरवार हूँ ? और मेरे दिल की गहराइयों से जो जवाब फूटता है वह होता है- नहीं! बिलकुल नहीं !

मेरे भाग्य में लिखे उस 10 अगस्त की रात को जैसे ही मुझे वह व्हाट्स एप सन्देश मिला तो मैंने वही किया जो एक डॉक्टर को, एक पिता को, एक ज़िम्मेदार नागरिक को करना चाहिए था. मैंने हर उस ज़िन्दगी को बचाने की कोशिश की जो अचानक लिक्विड ऑक्सीजन  की सप्लाई रुक जाने के कारण ख़तरे में अया गयी थी. मैंने अपना हर वो संभव प्रयास किया जो मैं उन मासूम बच्चों की जिंदगियों को बचाने के लिए कर सकता था.

मैंने पागलों की तरह सबको फ़ोन किया, गिड़गिड़ाया, बात की, यहाँ-वहाँ भागा, गाड़ी चलाई, आदेश दिया, चीखा-चिल्लाया, सांत्वना दी, खर्च किया, उधार लिया, रोया, मैंने वो सब कुछ किया जो इंसानी रूप से किया जाना संभव था .

मैंने अपने संस्थान के विभागाध्यक्ष को फ़ोन किया. सहकर्मियों, बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य, एक्टिंग प्राचार्य, गोरखपुर के डीएम, गोरखपुर के स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल डायरेक्टर, गोरखपुर के सीएमएस/एसआईसी, बीआरडी मेडिकल कालेज के सीएमएस/एसआईसी को फ़ोन किया और अचानक लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई रुक जाने के कारण पैदा हुई गंभीर स्थिति के बारे में सबको अवगत करवाया और यह भी बताया की किस तरह से ऑक्सीजन की सप्लाई रुकने से नन्हें बच्चों की जिंदगियां खतरे में हैं. (मेरे पास की गयी उन सभी फ़ोन कॉल के रिकॉर्ड मौजूद हैं )

सैकड़ों मासूम बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए मैंने मोदी गैस, बाला जी, इम्पीरियल गैस, मयूर गैस एजेंसी से जम्बो आक्सीजन सिलिंडर्स मांगे. आस-पास के सभी अस्पतालों के फ़ोन नम्बर इकठ्ठे किये और उनसे जम्बो आक्सीजन सिलिंडर्स की गुज़ारिश की.

मैंने उन्हें नकद में कुछ भुगतान किया और उन्हें विश्वास दिलाया की बाकी की राशि डिलीवरी के समय दे दी जाएगी. हमने प्रतिदिन के हिसाब से 250 सिलेंडरों की व्यवस्था की जब तक कि लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो गयी. एक जंबो सिलिंडर की कीमत रु. 216 थी.

हॉस्पिटल में एक क्यूबिकल से दूसरे क्यूबिकल, वार्ड 100 से वार्ड 12, इमरजेंसी वार्ड, जहाँ ऑक्सीजन सप्लाई होनी थी उस पॉइंट से लेकर वहीँ तक जहाँ उसकी डिलीवरी होनी थी, मैं दौड़-भाग करता रहा ताकि बिना किसी दिक्कत के ऑक्सीजन की सप्लाई बनी रह सके.
बीआरडी मेडिकल कालेज

अपनी गाड़ी से मैं आस-पास के अस्पतालों से सिलिंडर्स लेने गया. लेकिन जब मुझे अहसास हुआ कि यह प्रयास भी अपर्याप्त है तब मैं एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) गया और उसके डीआईजी से मिला और सिलेंडरों की कमी की वजह से उत्पन्न हुई आपद स्थिति के बारे में बताया. उन्होंने तुरंत स्थिति को समझा और सहयोग किया. उन्होंने जल्द ही सैनिकों के एक समूह और एक बड़े ट्रक की व्यवस्था की जिससे कि बीआरडी मेडिकल कालेज में खाली पड़े सिलिंडरों को गैस एजेंसी तक जल्द से जल्द लाया जा सके और फिर उन्हें भरवाकर वापस बीआरडी  पहुंचाया जा सके. उन्होंने 48 घंटों तक यह काम किया.

उनके इस हौसले से हमें हौसला मिला. मैं एसएसबी को सलाम करता हूँ और उनकी इस मदद के लिए उनका आभारी हूँ. जय हिन्द .

मैंने अपने सभी जूनियर और सीनियर डाक्टरों से बात की, अपने स्टाफ को परेशान न होने के निर्देश दिए और कहा कि हिम्मत न हारें, और परेशान बेबस माता-पिताओं पर क्रोध न करें. कोई छुट्टी या ब्रेक न लें. हमें बच्चों की जिंदगियां बचाने के लिए एक टीम की तरह काम करना होगा.

मैंने उन बेहाल माता-पिताओं को ढांढस बंधाया जो अपने बच्चों को गँवा चुके थे. उन माता-पिताओं को समझाया जो अपने बच्चों को खो देने के कारण क्रोधित थे. वहाँ स्थिति बहुत तनावपूर्ण थी. मैंने उन्हें बताया कि लिक्विड ऑक्सीजन खत्म हो गया है पर हम जम्बो सिलिंडरों की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं.

मैं कई लोगों पर चीखा-चिल्लाया ताकि लोग अन्य सब बातों से ध्यान हटाकर बच्चों की जिंदगियों को बचाने में ध्यान केन्द्रित करें. मैं ही नहीं बल्कि मेरी टीम के कई लोग उस स्थिति में यह देखकर रो दिए कि किस तरह से प्रशासन की लापरवाही से गैस सप्लायर्स को पैसे न मिलने के कारण आज यह आपद स्थिति पैदा हो गयी जिसकी वजह से इतनी सारी मासूम जिंदगियां दांव पर लग गयी हैं. हम लोगों ने अपनी इन कोशिशों को तब तक जारी रखा जब तक 13/8/17 को सुबह 1:30 बजे लिक्विड ऑक्सीजन टैंक अस्पताल में पहुँच नहीं गया.

मेरी ज़िन्दगी में उथल-पुथल उस वक्त शुरू हुई जब 13/8/17 की सुबह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी महाराज अस्पताल पहुंचें. और उन्होंने कहा – “ तो तुम हो डॉक्टर कफ़ील जिसने सिलिंडर्स की व्यवस्था की. मैंने कहा –“ हाँ सर ”. वो नाराज़ हो गए और कहने लगे “तुम्हें लगता है कि सिलिंडरों की व्यवस्था कर देने से तुम हीरो बन गए, मैं देखता हूँ इसे .”

योगी जी नाराज़ थे क्योंकि यह ख़बर किसी तरह मीडिया तक पहुँच गयी थी, लेकिन मैं अपने अल्लाह की कसम खाकर कहता हूँ कि मैंने उस रात तक इस सम्बन्ध में किसी मीडिया कर्मी से कोई बात नहीं की थी. मीडियाकर्मी पहले से ही उस रात वहाँ मौजूद थे.

इसके बाद पुलिस ने हमारे घरों पर आना शुरू कर दिया, हम पर चीखना-चिल्लाना, धमकी देना, मेरे परिवार को डराना. कुछ लोगों ने हमें यह चेतावनी भी दी कि मुझे एनकाउंटर में मार दिया जायेगा. मेरा परिवार, मेरी माँ, मेरी बीवी, बच्चे सब किस कदर डरे हुए थे इसे बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं.

अपने परिवार को इस दुःख और अपमान से उबारने के लिए मैंने सरेंडर कर दिया, यह सोचकर कि जब मैंने कुछ ग़लत नहीं किया है तो मुझे न्याय ज़रूर मिलेगा.

पर कई दिन, हफ्ते और महीने बीत चुके हैं. अगस्त 2017 से अप्रैल 2018 आ गयी, दीवाली आई, दशहरा आया, क्रिसमस आया, नया साल आया, होली आई, हर तारीख़ पर मुझे लगता था कि शायद मुझे बेल मिल जाएगी. और तब मुझे अहसास हुआ कि न्याय प्रक्रिया भी दबाव में काम कर रही है (वो ख़ुद भी यही महसूस करते हैं)

150 से भी ज़्यादा कैदियों के साथ एक तंग बैरक में फ़र्श पर सोते हुए जहाँ रात में लाखों मच्छर और दिन में हज़ारों मख्खियाँ भिनभिनाती हैं, जीने के लिए खाने को हलक के नीचे उतारना पड़ता है, खुले में लगभग नग्नावस्था में नहाना पड़ता है, जहाँ टूटे हुए दरवाजों वाले शौचालयों में गंदगी पड़ी रहती है, अपने परिवार से मिलने के लिए जहाँ बस रविवार, मंगलवार, वृहस्पतिवार, का इंतज़ार रहता है.

ज़िन्दगी नर्क बन गयी है. सिर्फ़ मेरे लिए ही नहीं बल्कि मेरे पूरे परिवार के लिए. उन्हें न्याय की तलाश में यहाँ-वहाँ भागना पड़ रहा है, पुलिस स्टेशन से कोर्ट तक, गोरखपुर से इलाहाबाद तक पर सब व्यर्थ साबित हो रहा है.

मैं अपनी बेटी के पहले जन्मदिन में भी शामिल नहीं हो सका  जो अब 1 साल 7 महीने की हो गयी है. बच्चों के डॉक्टर होने के नाते भी यह बहुत दुःख देने वाली बात है कि मैं उसे बढ़ते हुए नहीं देख पा रहा. बच्चों का डॉक्टर होने के नाते मैं अक्सर अभिभावकों से बढ़ते हुए बच्चों की उम्र के कई महत्वपूर्ण पड़ावों के प्रति उन्हें सचेत किया करता था और अब मैं ख़ुद ही नहीं जानता कि मेरी बेटी ने कब चलना, बोलना, शुरू किया ? तो अब मुझे फिर से वही सवाल सता रहा है कि क्या मैं वाकई में गुनाहगार हूँ ? नहीं ! नहीं ! नहीं !

मैं 10 अगस्त 2017 को छुट्टी पर था जिसकी अनुमति मुझे मेरे विभागाध्यक्ष ने दी थी. छुट्टी पर होने के बावजूद मैं अस्पताल में अपना कर्तव्य निभाने पहुंचा. क्या ये मेरा गुनाह है ? मुझे हेड आफ डिपार्टमेंट,मेडिकल कालेज का वाइस चांसलर, 100 नम्बर वार्ड का प्रभारी बताया गया जबकि मैं 8/8/16 को ही स्थाई सदस्य के रूप में बीआरडी से जुड़ा था, और विभाग में सबसे जूनियर डॉक्टर था. मैं एनआरएचएम के नोडल अधिकारी और बाल रोग विभाग में लेक्चरर के रूप में कार्यरत था, जहाँ मेरा काम सिर्फ छात्रों को पढ़ना और बच्चों का इलाज करना था.

मैं किसी भी रूप में लिक्विड ऑक्सीजन/जम्बो सिलिंडर के ख़रीद/ फ़रोख्त/ ऑर्डर देने/ सप्लाई/ देखरेख/ भुगतान आदि से जुड़ा हुआ नहीं रहा हूँ. अगर पुष्पा सेल्स ने अचानक लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई रोक दी तो उसके लिए मैं ज़िम्मेदार कैसे हो गया ? एक ऐसा व्यक्ति जो चिकित्सा से नहीं जुड़ा हो, वो भी बता सकता है कि एक डॉक्टर का काम इलाज करना है न कि ऑक्सीजन खरीदना.

पुष्पा सेल्स द्वारा अपनी 68 लाख की बकाया राशि के लिए लगातार 14 बार रिमाइंडर भेजे जाने के बावजूद भी अगर कोई इस सन्दर्भ में लापरवाही बरती गई और कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो इसके लिए गोरखपुर के डीएम , डीजी मेडिकल एजुकेशन, और स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी दोषी हैं. यह पूरी तरह से एक उच्च स्तरीय  प्रशासकीय फेल्योर है कि जिन्होंने स्थिति की गंभीरता को नहीं समझा.

हमें जेल में डालकर उन्होंने हमें बलि के बकरे की तरह इस्तेमाल किया ताकि सच हमेशा-हमेशा के लिए गोरखपुर जेल की सलाखों के पीछे दफ्न रहे.

जब मनीष (आक्सीजन सप्लायर पुष्पा सेल्स के निदेशक मनीष भंडारी) को बेल मिली तो हमें उम्मीद की एक किरण नज़र आई कि शायद हमें भी न्याय मिलेगा और हम बाहर आ पायेंगें और अपने परिवार के साथ रह पायेंगें और फिर अपना काम करेंगें. पर नहीं, हम अभी भी इंतजार कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट कहता है कि बेल अधिकार होता है और जेल अपवाद. यह न्याय प्रक्रिया के हनन का क्लासिकल उदाहरण है.

मैं आशा करता हूँ कि वो समय ज़रूर आएगा जब मैं आज़ाद हो जाऊंगा और अपने परिवार और अपनी बेटी के साथ आज़ादी की ज़िन्दगी जी पाउँगा. सच बाहर ज़रूर आएगा और न्याय होकर रहेगा.

एक बेबस और दुखी पिता/ पति/ भाई/ बेटा/ और दोस्त

डॉ. कफ़ील खान, 18/4/18
साभार  samkaleenjanmat.in

राजकिशोर जी की फेसबुक पोस्ट

बुधवार, अप्रैल 11, 2018

बा ख़बर होशियार, होशियार,होशियार सहारा इण्डिया परिवार में राशि जमा कर्ता होशियार


बा ख़बर होशियार, होशियार,होशियार सहारा इण्डिया परिवार में राशि जमा कर्ता होशियार  सहारा इण्डिया में राशि जमा करने वाले जमाकर्ता होशियार हो जायें क्योंकि समय पूरा हो जाने पर maturity amount का भुगतान नहीं किया जाता है री इन्वेस्ट या प्रतीक्षा करने का मशवरा दिया जाता है इसलिए अपनी रक़म जमा करने में विवेक का प्रयोग करें ताकि समय आने पर अफसोस न करना पड़े।

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शुक्रवार, अप्रैल 06, 2018

सहारा इण्डिया परिहार सीतामढ़ी से maturity amount का भुगतान नहीं, जमाकर्ता परेशान


परिहार सीतामढ़ी(बिहार)।सहारा इण्डिया परिहार शाखा द्वारा maturity amount का भुगतान नहीं किया जाता है इतना ही नहीं maturity amount के भुगतान में सहारा इंडिया के मुख्य कार्यालय द्वारा भी असमर्थता जताई जाती है और कहा जाता है कि सहारा इंडिया के तमाम एसेट्स पर पाबंदी लगी हुई है जब तक पाबंदी नही हटती भुगतान मुमकिन नहीं।मालूम हो कि ग्राम एकडण्डी परिहार निवासी श्रीमति रूमाना परवीन ने सहारा इंडिया के सहारा यूनिक स्कीम के तहत मात्र 5000/रुपये की राशि फिक्स्ड डिपॉजिट 2008 में की थीं जिसकी maturity 2018 के जनवरी में पूरी हो गई मगर आज तक maturity anount का भुगतान मुमकिन नहीं हो सका जिसको लेकर ईमेल शिकायत सहारा इंडिया के मुख्य कार्यालय से की गई मगर ईमेल शिकायत का कोई जवाब नही दिया गया और न ही भुगतान की दिशा में कोई कार्रवाई ही की गई तब दूरभाष से मुख्य कार्यालय सम्पर्क किया गया तो बताया गया कि पाबन्दी के कारण भुगतान मुमकिन नहीं पाबंदी हटने का इंतज़ार करें या पुनः रिइंवेस्ट कर दें  लोगों ने बड़े अरमान से कुछ राशि बचत कर सहारा इंडिया में जमा किया था कि समय पर काम आएगा मगर सभी अरमान पर सहारा इंडिया ने पानी फेर दिया कितने लोगों के बेटी की शादी टूट गई।सहारा इंडिया के द्वरा maturity amount का भुगतान नही किया जाना जमाकर्ताओं को परेशानी में डाल रखा है।

हेड ऑफिस को भेजा गया ईमेल

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प्रिय महोदय,

मैं सहारा इंडिया के शाखा परिहार ज़िला सीतामढ़ी अन्तर्गत स्कीम के तहत @RS 5000/ पाँच हज़ार रुपये सहारा यूनिक स्कीम के तहत 04 जनवरी 2008 को फिक्स्ड डिपॉजिट की थी जिसका एकाउंट नम्बर 20232300186 है  जिसका maturity माह जनवरी 2018 में ही पूरा हो गया मगर अभी तक maturity amount का भुगतान नहीं किया जा रहा है मैं तीन महीने से शाखा का चक्कर काट कर थक चुकी हूँ।

अतः मेरे maturity amount का भुगतान करवाया जाए।

धन्यवाद

रूमाना परवीन

Account number 202*********

(सहारा यूनिक)

Village Ekdandi ,Po.Parihar

Distt. Sitamarhi pin 843324 Bihar

मोबाइल *********

maturity amount का भुगतान नहीं होने के कारण मैं जीवन बीमा का parimium amount समय पर जमा नही कर पाई परिणाम स्वरूप क़र्ज़ लेकर प्रीमियम जमा की हूँ।आखिर सहारा इंडिया में राशि जमा करने का लाभ किया हुआ

प्रिय महोदय,

मैं सहारा इंडिया के शाखा परिहार ज़िला सीतामढ़ी अन्तर्गत स्कीम के तहत @RS 5000/ पाँच हज़ार रुपये सहारा यूनिक स्कीम के तहत 04 जनवरी 2008 को फिक्स्ड डिपॉजिट की थी जिसका एकाउंट नम्बर 202323001** है  जिसका maturity माह जनवरी 2018 में ही पूरा हो गया मगर अभी तक maturity amount का भुगतान नहीं किया जा रहा है मैं तीन महीने से शाखा का चक्कर काट कर थक चुकी हूँ।

अतः मेरे maturity amount का भुगतान करवाया जाए।

धन्यवाद

रूमाना परवीन

Account number 202323001**

(सहारा यूनिक)

Village Ekdandi ,Po.Parihar

Distt. Sitamarhi pin 843324 Bihar

मोबाइल ××××××××××

रविवार, अप्रैल 01, 2018

अनुसूचित जाति अत्याचार अधिनियम को निष्प्रभावी बनाने हेतु माननीय सर्वोच्च न्यायालय के संविधान विरोधी फैसला के विरोध में मशाल जुलूस निकाला गया

अनुसूचित जाति अत्याचार अधिनियम को निष्प्रभावी बनाने हेतु माननीय सर्वोच्च न्यायालय के संविधान विरोधी फैसला के विरोध में अनुसूचित जाति कर्मचारी संघ के आह्वान पर 2 अप्रैल को भारत बन्द करने हेतु  आज 1 अप्रैल को नागेन्द्र कुमार पासवान के नेतृत्व में अम्बेडकर स्मारक डुमरा से हजारों की संख्या में मसाला जुलुस शङ्कर चौक बड़ी बाजार हनुमान चौक विश्वनाथपुर चौक होते हुए अम्बेडकर स्थल पर समाप्त हुआ।इसमें प्रमुख रूप से रघुनंदन बैठा मनोज कुमार, सरोज कुमार, महेंद्र राम, अंजनी बैठा, समोद कुमार , हरिनारायण राउत, रामप्रीत राम आदि ने प्रमुखता से भाग लिया