मंगलवार, अगस्त 23, 2016

जमुई में ब्रेन हेम्रेज से प्रखंड शिक्षक की मौत

बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ ने, ढ़ाई लाख रुपया का सहयोग राशि देने का लिया निर्णय

23-08-16 को प्रातः 3 बजे प्रखंड शिक्षक योगेन्द्र मंडल ums बिचला कटौना , प्रखंड बरहट, जिला जमुई का निधन ब्रेन हेम्रेज के कारण हो गया है।
सैकड़ों शिक्षक ने उनके पार्थिव शरीर के स्कूल पहुँचते ही भावभीनी श्रधांजलि अर्पित किया |

साथ ही बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के बरहट प्रखंड अधयक्ष महेश शर्मा की अध्यक्षता में अपात बैठक कर जिला सचिव रवि यादव के नेतृत्व में बरहट प्रखंड के सभी शिक्षकों ने एक दिन का वेतन के रूप में  कुल ढ़ाई लाख रुपया स्व. शिक्षक के परिजन को बतौर सहयोग राशि के रूप में देने का निर्णय लिया है |

वही प्रदेश सचिव आनंद कौशल सिंह श्रधांजलि अर्पित करने के बाद डीईओ जमुई से अबिलम्ब स्व. योगेन्द्र मंडल के परिजन को 20 लाख रुपया बतौर मुआवजा व नौकरी देने की भी मांग की है |
        
        

गुरुवार, अगस्त 18, 2016

Nobody's friend

She had some sweets that she wouldn't share,
she had a book that she wouldn't lend,
she wouldn't let anyone play with her doll,
she's nobody's friend !
He had some toffee, and ate every bit,
He had a tricycle he wouldn't lend,
He never let anyone play with his train.
He's nobody's friend !
But I'll share all of my sweets with you,
My ball and my books, games I Will lend,
Here's half my Apple and half my cake.
                                  I'my your friend !

बुधवार, अगस्त 17, 2016

काउंसिलिंग स्थगित

सीतामढ़ी। प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति के लिए आगामी 16 व 17 अगस्त को होनवाली काउंसिलिंग स्थगित कर दी गई है। इस आशय की जानकारी डीपीओ प्रेमचंद ने देते हुए कहा कि डीओ के निर्देश के आलोक में यह निर्णय लिया गया है। बताया कि प्रोन्नति के लिए आगामी तिथि बाद में निर्धारित की जायेगी।

बुधवार, अगस्त 10, 2016

शिक्षा मंत्री ने नियोजित शिक्षकों को बताया डिरेल, कहा- टीचर की तरह रहें भाषण न दें

अपनी मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी से मिलने पहुंचे नियोजित शिक्षकों को बुधवार को समाधान के बजाय फटकार मिली.
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने नियोजित शिक्षकों को यहां तक कह दिया कि टीचर की तरह रहें और भाषण न दें. इसके बाद भी जब नियोजित शिक्षकों ने अपनी मांगों को दोहराना जारी रखा तो शिक्षा मंत्री ने उन्हें ये कहकर डपट दिया और कहा कि टीचर डीरेल हो गए हैं.
दरअसल शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी बुधवार को पटना कॉलेजिएट स्कूल के स्थापना दिवस में पहुंचे थे. बाहर निकलते वक्त शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी का नियोजित शिक्षकों ने घेराव किया और उन्हें बताया कि पिछले 6 माह से बिहार के नियोजित शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है जिसके कारण शिक्षक भूखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले 15 सालों की यह व्यवस्था खराब है और 6 महीने में ठीक नहीं किया जा सकता है.
उधर नियोजति शिक्षक विनोद कुमार का कहना है कि पिछले 6 महीने से वेतन नहीं मिल है और उनकी स्थिति खराब हो गई है.
नियोजित शिक्षकों ने मंत्री के सामने एक समान वेतनमान देने की भी गुहार लगाई लेकिन शिक्षा मंत्री ने इसे एक सिरे से खारिज कर दिया।

रविवार, अगस्त 07, 2016

Diffuse reflections

Diffuse reflection is the reflection oflight from a surface such that an incident ray is reflected at manyangles rather than at just one angle as in the case of specular reflection. An illuminated ideal diffuse reflecting surface will have equal luminancefrom all directions which lie in the half-space adjacent to the surface (Lambertian reflectance).

A surface built from a non-absorbing powder such as plaster, or from fibers such as paper, or from apolycrystalline material such as whitemarble, reflects light diffusely with great efficiency. Many common materials exhibit a mixture of specular and diffuse reflection.

The visibility of objects, excluding light-emitting ones, is primarily caused by diffuse reflection of light: it is diffusely-scattered light that forms the image of the object in the observer's eye.

सोमवार, अगस्त 01, 2016

बिहार पंचायत- नगर प्रारम्भिक शिक्षक संघ (2565/11) का विधानसभा के मानसून सत्र के दॊरान कार्यक्रम नहीं।

प्रदेश अध्यक्ष पूरण कुमार ने बताया कि बिहार के दर्जनों  जिला बाढ़ग्रस्त होने एवं सिर्फ चार दिन का विधानसभा का मानसून सत्र होने के कारण संघ द्वारा कोई कार्यक्रम नहीं करने का निर्णय लिया  गया हॆ। साथ ही सेवा शर्त, ऎच्छिक स्थानान्तरण, अप्रशिक्षित शिक्षकों का एकमुश्त प्रशिक्षण, बेसिक ग्रेड से स्नातक ग्रेड में समायोजन, अप्रशिक्षित शिक्षकों को ग्रेड पे,स्थानीय पदाधिकारी द्वारा शिक्षकों का आर्थिक शोषण ,जीविका द्वारा विद्यालय का निरीक्षण सहित मूलभूत समस्याओं के बावजूद शिक्षामंत्री द्वारा शिक्षारथ के माध्यम से बिहार भ्रमण का सभी जिला में विरोध करने का निर्णय लिया गया हॆ, जिसकी शुरुआत सुपॊल जिला से हो चुकी हॆ। शिक्षकों से अपील हॆ कि अन्य संगठन द्वारा किए गए कार्यक्रम का हिस्सा ना बनें।शिक्षक अपने-अपने प्रखंड इकाई के माध्यम से सम्मेलन सह सेमिनार का आयोजन कर एकजुटता का परिचय दें ताकि आने वाले दिनों में लाखों  शिक्षकों की मॊजूदगी में विधानसभा का घेराव कर पूर्ण वेतनमान की मांग को जोरदार ढंग से रखा जाए ।                                   

गुरुवार, जून 02, 2016

मेरा नाम निसार है और मैं एक ज़िंदा लाश हूँ

Written by : रवीश कुमार
Date : 2016-06-01
“मैंने जेल के भीतर अपनी ज़िंदगी के 8,150 दिन बिताये हैं। मेरे लिए ज़िंदगी ख़त्म हो चुकी है। आप जो देख रहे हैं वो एक ज़िंदा लाश है। “

क्या ये पंक्ति इतनी सामान्य है कि इसे पढ़ने के बाद किसी को फर्क़ ही नहीं पड़ा हो। जिस दिन के इंडियन एक्सप्रेस में मुज़ामिल जलील की यह कहानी छपी है उस दिन बेहतरीन संसाधनों और रिसर्च टीम से लैस मीडिया के नायंकर ( एंकर और नायक से मिलकर बना एक नया शब्द है) इस कहानी से बेख़बर रहे। इंडियन एक्सप्रेस तो सब पढ़ते हैं फिर भी इस बात से समाज, संस्था, मीडिया, राजनीति और पत्रकारों में शांति पसरी रही। इसका मतलब है कि अब हम सामान्य होने लगे हैं। एक आदमी जो ख़ुद को ज़िंदा लाश की तरह दिखाना चाहता है, हम उसकी लाश को देखकर सामान्य होने लगे हैं। हमें न तो मर चुके को देख कर फर्क पड़ता है न ही मरे जैसे को देखकर।

निसार की कहानी तन्मय की कहानी से हार गई। तन्मय ने भारत रत्नों का कथित रूप से अपमान कर दिया था जिसे लेकर तमाम चैनलों की प्राइम रातें बेचैन हो गईं थीं। आख़िर वे भारत रत्न के साथ हुए अपमान को कैसे बर्दाश्त कर सकते थे। राष्ट्रपति के द्वारा मनोनित सांसद रियालिटी टीवी में फूहड़ हंसी हंसते हैं,सब बर्दाश्त कर लेते हैं। चुने गए सांसद साबुन तेल और शैंपू का विज्ञापन कर रहे हैं क्या किसी को फर्क पड़ता है। क्या किसी ने पूछा कि स्टुडियो में जितना घंटा देते हैं क्या ये सांसद जनता के बीच भी उतने ही आराम से बतियाते हैं। भारत रत्न से पुरस्कृत नायक पंखा घड़ी और लेमचूस का विज्ञापन करते हैं क्या किसी को फर्क पड़ता है। क्या भारत सरकार अपने भारत रत्नों के रहने-खाने का प्रबंध नहीं कर सकती जिससे उन्हें बिल्डलर से लेकर बर्तन तक का विज्ञापन न करना पड़े। मुझे नहीं मालूम कि भारत रत्नों की चिन्ता में ये सवाल आए या नहीं लेकिन मुझे तन्मय की हरकतों पर भी कुछ नहीं कहना है।

आज़ादी और ज़िम्मेदारी का मुद्दा चलता रहेगा। कुछ लतीफे अपमानजनक न भी हो तो इतने घटिया तो होते ही हैं कि सुनकर चुप रहा जाए। मगर इंटरनेट पर राजनीतिक रूप से गाली गलौज की संस्कृति को पचाने और नज़रअंदाज़ करने का लेक्चर देने वाले भी इस बहस में कूद पड़े। हो सकता है कि यह गंभीर मुद्दा हो और राष्ट्र की प्राइम रातों की हसीन चर्चाओं से इसका निपटारा हुआ हो लेकिन बिना किसी प्रमाणित सबूत के निसार की ज़िंदगी के 23 साल जेल में बीत गए। क्या उसके साथ जो मज़ाक हुआ वो किसी तन्मय के फूहड़ मज़ाक से कम भद्दा था। अगर हमें भद्दे मज़ाक की फिकर है तब तो फिर नासिर का ही मसला नायंकरों के मुखमंडलों पर छा जाना चाहिए था।

निसार-उद-द्दीन अहमद 23 साल पहले बाबरी मस्जिद ध्वंस की पहली बरसी पर हुए धमाके के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। इस घटना में दो यात्री मारे गए और 11 घायल हो गए थे। फार्मेसी के छात्र नासिर को पुलिस ने कर्नाटक के गुलबर्गा से उठा लिया। उसका भाई ज़हीर भी साज़िश के आरोप में उठा लिया गया। 23 साल तक जेल में रहा लेकिन पुलिस एक भी सबूत पेश नहीं कर पाई।

निसार ने कहा है कि वो 20 साल का था जब जेल में बंद कर दिया गया। आज 43 साल का है। तब उसकी छोटी बहन 12 साल की थी जिसकी शादी हो चुकी है। अब उसकी बेटी 12 साल की है। मेरी भतीजी एक साल की थी अबउसकी शादी हो चुकी है। मेरी रिश्ते की बहन मुझसे दो साल छोटी थी, अब वो दादी बन चुकी है। मेरी ज़िंदगी से एक पूरी पीढ़ी चली गई है।

15 जनवरी 1994 को उसे कर्नाटक के गुलबर्गा से उठाकर हैदराबाद लाया गया था। कर्नाटक पुलिस को भी पता नहीं था कि निसार को गिरफ्तार किया गया है। जब निसार के घरवालों को पता चला तो मुकदमा लड़ने की तैयारी में जुट गए। उसके पिता मुकदमा लड़ते लड़ते 2006 में चल बसे। ज़हीर को भी आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी मगर फेफड़े में कैंसर के कारण वो बाहर आ गया। वो कैंसर से लड़ता रहा और अपने भाई की बेगुनाही के लिए।

निसार को पहले पुलिस ने उसे हैदराबाद में 1993 में एक मुस्लिम संस्थान में हुए धमाके के आरोप में गिरफ्तार किया। बाद में दोनों भाइयों को कई और धमाकों में आरोपी बनाकर टाडा लगा दिया गया। इकबालिया बयान के दम पर पुलिस ने दावा किया कि निसार ने एपी एक्सप्रेस में बम रखने की बात कबूल कर ली है। कर्नाटक और हैदराबाद पुलिस जांच कर ही रही थी कि यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। 21 मई 1996 को हैदराबाद की कोर्ट ने इन पर लगाए गए टाडा के प्रावधानों को हटा दिया और कहा कि बिना किसी गंभीरता के टाडा के प्रावधान लगा दिये गए हैं।

पत्रकार मुज़ामिल जलील को निसार ने बताया है कि डीसीपी के वी रेड्डी और इंस्पेक्टर बी श्यामा ने उसका बयान लिखवाया था, उस पर दस्तख़त तक नहीं थे। हैदराबाद के ट्रायल क