मंगलवार, अक्तूबर 18, 2016

झारखंड के दुमका प्रमंडल की पुलिस का गौरक्षा के नाम पर आतंक

मुसलामानों के विरुद्ध नफरत एवं अन्याय का पाठ पढने वालों के हाथों में जब हिंदुत्व के मुद्दे पर सत्ता हो तो उसकी क्रूरता एवं दबंगई को कौन रोक सकता है : यहाँ हम आपको दुमका प्रमंडल की पुलिस की गाय के नाम पर गुंडागर्दी की आँखों देखी तस्वीर पेश करते हैं (यह सच घटना पर आधारित है और मुस्तकीम सिद्दीकी के भावनाओं से जुडी है ):

एक सप्ताह पहले मिन्हाज़ अंसारी को गाय के नाम पर दुमका प्रमंडल की पुलिस ने पुलिस थाने में इतनी द्रन्द्गी , क्रूरता एवं अमानवीय तरीके से पिटती है के हॉस्पिटल में उसकी मौत हो जाती है , लेकिन दुमका प्रमंडल की पुलिस गाय के नाम पर किस तरह गुंडागर्दी कर रही है अगर इसके विरुद्ध हम आज आवाज़ नही उठाएंगे तो मिन्हाज़ अन्सारी की तरह कितनी माएं अपनी जवान बेटे को खो देगी | यहाँ हम आपको दुमका प्रमंडल की पुलिस की गाय के नाम पर गुंडागर्दी की आँखों देखी तस्वीर पेश करते हैं :

आज से लगभग डेढ़ महीने पहले 26 अगस्त 2016 को रात्री 3:45 बजे मेरा एक मित्र अख्तर हुसैन मुझे फोन करता है के आप कहाँ हों और किया कर रहे हो , चुनके मैं रात में लम्बे सफ़र से आकर थका गहरी नींद में घर पर सो रहा था, गुस्से में मैंने जवाब दिया सब्जी मंडी में बैगन खरीद रहा हूँ लेकिन उसने मेरी गुस्से भरी बातों को नज़र अंदाज़ करते हुए बड़े गंभीर होकर बोला के मैं आपके घर पर 15 मिनट में पहुँच रहाँ हों आप को पुलिस स्टेशन चलना है चुनके आपके मित्र रजा मुराद खान और कुछ साथियों को पुलिस ने गौ तस्कर के आरोप में पकड़ कर देवघर जिला (झारखंड) के सारठ थाना में बंद रखा हुआ है | इससे पहले की मैं कुछ समझ पता मुझे लगातार उनके घर वालों और रिश्तेदारों के फ़ोन आने शुरू हो गए के ऐसा कैसे हो सकता है के रजा मुराद खान गौतस्करी कराये और मैं भी बहुत अचंभित था के रजा मुराद खान ऐसा काम कर ही नही सकता है तो फिर पुलिस ने उसे क्यूँ , कहाँ और कैसे गिरफ्तार किया ,  फिर भी मैंने फ़ौरन अधिकारिक पुष्टी कर ली और जब पुलिस उपाधीक्षक से इस बारे में बात किया के आप की पुलिस ने झुटा आरोप लगा कर गिरफ्तार किया है , अत: उन्हें छोड़ दिया जाए तो पुलिस उपाधीक्षक क्रोधित होकर इस तरह फटकार लगा रहां था जैसे हम उनकी अपनी अम्मा के कातिल को छोड़वाने की बात कर रहे है| सुबह सवेरे हम पुलिस स्टेशन जा कर थाना प्रभारी को समझाने की कोशिश कर रहे थे के यह लोग गौतस्कर नहीं है लेकिन थाना प्रभारी भी अनाप सनाप तरीके से बेहूदगी पर उतर आया था और वर्दी की गर्मी को हम पर निकालने की धमकी देने लगा , हमने साफ़ साफ़ शब्दों में उन्हें संदेश दे दिया के अगर वह गलत तरीके से मुझ पर या हमारे लोगों पर किसी भी तरीके का अत्याचार करेगी या अपनी शक्ती का दुरूपयोग हमारे लोगों या मुझ पर करने की कोशिश करेंगे तो थाने पर हजारों की भीड़ इकट्ठा हो कर पुलिसिया अत्याचार एवं दबंगई को बेनकाब कर देगी और यह आन्दोलन का रूप ले लेगी |

थाना प्रभारी मेरे बातों को गंभीरता से लेते हुए बोला के हम जानते हैं के यह लोग गौतस्कर नही हैं फिर भी मुझे पुलिस उपाधीक्षक ने कुछ लोगों को गौतस्कर के नाम पर पकड़ने का आदेश दिया है , इसलिए हमारी मजबूरी है के हमें जो भी रास्ते में मिले उसे गौ तश्कर समझ कर गिरफ्तार कर लेते है |

इसी बिच इस झूटे आरोप को इतना गंभीर एवं सन्वेदनशील बना दिया गया के कुछ ही घंटों में यह संप्रादायीक रूप ले चुका था और झारखंड राज्य के कृषी मंत्री श्री रणधीर सिंह जो उसी छेत्र से आते हैं उसकी भूमिका इस झूटे बेबुनियाद मुद्दे को अशांत रूप धारण करवाने की ओर बढ़ चुका था हालांकी उसी छेत्र से चुन्ना सिंह जैसे जमीनी नेता का बहुत ही सराहनीये योगदान रहा और थाने पर जाकर खुद इस बात की पुष्टी की के रजा मुराद खान एक समाजसेवी एवं अच्छी छवी का व्यक्ती है , अत : इनलोगों को गलत तरीके से पुलिस फ़साने का षडयंत्र न रचे लेकिन मुसलामानों के विरुद्ध नफरत एवं अन्याय का पाठ पढने वालों के हाथों में जब हिंदुत्व के मुद्दे पर सत्ता हो तो उसकी क्रूरता एवं दबंगई को कौन रोक सकता है , उसके शातिर ब्र्ह्मंवादी विचारों को कौन बदल सकता है शकील बदायुन्वी के शब्दों में :
हालात मिटा दे हाथों की तहरीर बहुत ही मुस्किल है |
तदबीर बदल दे इंसान की तक़दीर बहुत ही मुश्किल है |

यह जानते हुए के मेरे दोस्त एवं कुछ और लोगों को मुसलमान होने के नाते एक षडयंत्र कर गौतस्कर के रूप में फसाया जा रहा है , उन्हें मुसलमान होने की सजा दी जा रही हैं , उसे शातिर ब्र्ह्मंवादी के शाज़िशों का शिकार होना पड़ रहा है और मैं कुछ भी करने में असहाय हूँ तब पुरे शांत मन एवं ठंडे विचार से मैंने फैसला लिया के हम इस षडयंत्र का पर्दा जल्द ही फास करेंगे और गौतस्कारों में जो लोग भी संलिप्त है उसके ठिकानों का पता लगा कर सच्चाई सामने लायेंगे अन्यथा मेरे मित्र की तरह न जाने कितने ओर युवक इस तरह बली का बकरा बनता रहेगा | लेकिन सबसे पहले मैंने फैसला किया के कानूनी तरीके से अपने मित्र का बेल कराया जाए चुनके इनके ऊपर पश्चिम बंगाल के रस्ते बंगलादेश में अवैध रूप से गौतस्कारी , पशु उत्पीडन , पशु हत्या , पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत कई आरोप लगाकर देवघर जेल भेज दिया गया था | राजा मुराद खान को उनके सामाजिक कार्यों के आधार पर ३० अगुस्त २०१६ को यानी ३ दिनों के अन्दर ही बेल दे दिया गया |

(रजा मुराद खान प्रस्तावित मैथन यूनिवर्सिटी एवं अल अंसार फाउंडेशन के कोषाध्यक्ष हैं एवं Mustaqim Siddiqui के मित्र हैं |)

शनिवार, अक्तूबर 15, 2016

सुना है कि स्कूल से ग़ायब शिक्षकों पर ऑनस्पॉट फैसला किया जायेगा-मोहन मुरारी

दोस्तों बलि बकड़े की दी जाती है अतः जो बकड़े हैं वो कटने को तैयार हो जाएँ और जो शेर हैं वो प्रण लें कि निरीक्षण करने वालों पर ऑनस्पॉट फैसला लें। निरीक्षण कर्ता को ऐसा सबक सिखाएँ कि दुबारा किसी विद्यालय में निरीक्षण करने का सोंचे तक नहीं।
यह सब शिक्षा के गुणवत्ता के लिये नही हो रहा बल्कि अधिकारियों और मंत्रियों का जेब भरने के लिये हो रहा है।

और यदि वास्तव में सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा लाना चाहती है तो मैं दावे के साथ कहता हूँ मेरे बताये रास्ते पर चले सरकार तो न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लक्ष्य पूरा होगा बल्कि अरबों खरबों रूपये जो प्रतिमाह सरकार विद्यालयों में खर्च करती है उस दुरूपयोग को भी रोका जा सकता है।
इसके लिए सरकार को चाहिये कि एक ऐसा कानून लागू करे(जैसे शराबबन्दी के लिये लाया गया) जिसके अन्तर्गत सभी सरकारी कर्मचारियों;पंचायत प्रतिनिधियों;  विधायकों; सांसदों और मंत्रियों के बच्चों का नामांकन उसी सरकारी विद्यालय में हो जिस विद्यालय की स्थिति ठीक करनी हो।
उसके बाद न तो विद्यालय में MDM की आवश्यकता होगी न छात्रवृति और पोशाक योजना की और न ही किसी औचक निरीक्षण की आवश्यकता होगी।

यदि किसी शिक्षक मित्र का ऊपर तक पहुँच हो तो कृपया मेरा ये idea शिक्षामंत्री तक पहुंचा दें।
फ़िर मैं देखना चाहूँगा कि वाकई सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा चाहती है या केवल ग़रीब जनता को दग़ा दे रही है।
मोहन मुरारी

शुक्रवार, अक्तूबर 14, 2016

परिवर्तनकारी प्रारम्भिक शिक्षक संघ की बैठक 15नवम्बर को होगी

परिवर्तनकारी प्रारम्भिक शिक्षक संघ की जिला कमिटी की ओर से दिनांक 15 अक्टूबर 2016 दिन ,  शनिवार
समय :- 1:30 पूर्वाह्न , स्थान:-  गीता भवन ,  डुमरा ( कुमार चौक के समीप ) सीतामढ़ी में अति आवश्यक बैठक का आयोजन किया जा रहा है । जिसमें जिला कार्यकारणी के सभी सम्मानित प्रतिनिधिगण , सभी प्रखंड अध्यक्ष , महासचिव एवम सभी सम्मानित प्रतिनिधिगण की उपस्थिति अनिवार्य है । आप सभी  प्रतिनिधियों से आग्रह है की ससमय उपस्थित होकर बैठक को सफल बनाएँ ।
     कृपया इसे सर्वोच्य प्राथमिकता देगें ।

बुधवार, अक्तूबर 05, 2016

ब्रेकिंग न्यूज़ /डीपीई से सम्बंधित याचिका कोर्ट ने किया ख़ारिज

माननीय हाइकोर्ट ने इग्नू से डीपीई व सम्बर्धन करने वाले नियोजित शिक्षक को प्रशिक्षित शिक्षक की मान्यता दे दी है ।
इस कोर्स के मान्यता को रद्द करने की याचिका को आज माननीय हाइकोर्ट पटना ने ख़ारिज कर दिया गया है।

शनिवार, अक्तूबर 01, 2016

Virasat

AZIZ BURNEY
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Rishtey khoon k,sukoon k,junoon k
Ji han aaj m aap k darwaze par ek naye rishtey ka paigham lekar aaya hun ji nahi ye us rishtey ka paigham nahin h Jo do afraid ya do khandanon k darmyan hota h
M us rishtey ka paigham lekar aaya hun Jo poori Qom aur tamam ham khyal logon k darmyan ho
Hamara ek chota pariwar WO pariwar hota h jin se hamara khoon ka rishta hota h Jo hamare khoon se paida hain ya ham jin k khoon se paida hain
Hamara ek barha pariwar WO pariwar ho sakta h jinse hamara sukoon ka rishta h jinhen ham khud qayam karte hain jinse hamara dil ka rishta h Jo hamare hamkhyal hain moonh bole aur god liye rishtey bhi isi dayre m aate hain inki tadad LA mehmood ho sakti h
Jin se aapka khoon ka rishta h WO aapki khandani virasat k haqdar hain aur jinse aapka sukoon w junoon ka rishta h WO aapki amli virasat k haqdar hain aaj meri virasat do hisson m bati h ek WO Jo mitti ki virasat h jise ek din mitti m mil Jana h WO zamin zaydat eint pathar k makanat Jo mitti k siwa kuch nahin
Meri ek virasat WO h Jo meri shanakht h Jo meri qalmi aur amli tehreek h jis k haqdar aap sab ho sakte hain bal k aap us k haqdar hain
Aaj m aapse isi rishtey ki bat karne aap k pas aaya hun tehreek e aazadi kisi ek khandan ki virasat nahin UN hazaron lakhon khandanon ki marhoone minnat h jinka khoon is aazadi ki tehreek m shamil h
Junoon ka rishta
Aaj ek bar phir m ek naye junoon k sath maidane amal m aaya hun Jo mere nazdeek zehni aazadi ki tehreek h haqiqi aazadi ki tehreek h m jis media team ki bat kar raha hun WO team h jis se mera junoon ka rishta h meri amli virasat ka hissa h is tehreek ko hamesha hamesha mere bad bhi UN k bad bhi zinda rehna h kya qayam hoga aap se mera ye junoon ka rishta kya banenge aap is tehreek ka hissa
Agar han to azrahe karam mere is rishtey k paigham ko qubool kar Len Jo aaj m aapki khidmat m lekar aaya hun aur pahuncha den ye paigham UN sab tak jin k sath sukoon ka aur junoon ka rishta qayam ho sakta h
Mujhe aap sab k jawab ka bahut besabri k sath intzar rahega m bat khatm karne se qabl ye arz kar dena chahta hun k Maine aaj tak ki zindgi m UN sab k sath apne rishtey ko poori imandari se nibhaya h jinse mera khoon ka rishta nahin h aur inshallh aage bhi isi imandari aur mohabbat se nibhane k azm k sath aaj k is paigham ko tamam karta hun .
aapka
Aziz Burney

अन्याय की कोख से क्रांति का जन्म होता है

बादशाह सदाक़त
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राजद के राष्टीय नेता डा.मोहम्मद शहाबुद्दीन को महज एक व्यक्ति समझकर नितीश जी और महागठबंधन के तथकथित नेताओं ने भारी भूल की है।अदालत को गुमराह करके उनको जेल भिजवाकर इन नेताओं ने बिहार के मुस्लिम समाज के दिलों पर ठेस पहुंचाई है।इसका परिणाम आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।शहाबुद्दीन आज की तारीख में व्यक्ति नहीं ,संस्था का नाम हो चूका है।जिन विधायकों की नसीब मुस्लिम मतदाता लिखने का काम करते हैं ,उनके सामने भविष्य की चिंता आ खड़ी हुई है।इस मामले में सरकार ने राज धर्म का अपमान किया है।शहाबुद्दीन को जेल में बन्द करके मुसलमानों पर राज करने का सपना देखने वाले यह मत भूलें कि जुल्म और अन्याय की कोख से ही परिवर्तन की क्रांति का जन्म होता है।

रविवार, सितंबर 25, 2016

संवेदना का ह्रास

महजबीं
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निचले तबक़े के आदमियों से दूर होती संवेदना बहुत चिंता का विषय है, दो तीन दिनों से झारखंड के एक सरकारी अस्पताल में, मरीज़ को फर्श पर भोजन परोसने जैसी संवेदनशील ख़बर, चर्चा में बहस का विषय है।

कौन कौन दोषी हो सकते हैं, इस घटना को अंजाम देने के लिए? सत्ता, पूंजीपति, व्यवस्था, अस्पताल की ऐडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट, इस घटना में सिर्फ आसमान में उड़ने वाले ही नहीं शामिल हैं, बल्कि ज़मीन से जुड़े लोग भी शामिल हैं, हम उन्हें अनदेखा कैसे कर सकते हैं? खाना परोसने वाला कोई पूंजीपति या राजनीतिज्ञ नहीं था, एक अदना सा कर्मचारी है, अस्पताल में डी ग्रेड कर्मचारियों की तनख़्वाह होती ही कितनी है, बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने मात्र ।  मतलब कि अस्पताल में जिस व्यक्ति ने निर्मम घटना को अंजाम दिया, वो एक आम आदमी है। बहुत भयावह स्थिति है, एक आम आदमी के भीतर से संवेदना, जिम्मेदारी का नष्ट हो जाना। फिर कटघरे में सिर्फ सत्तापक्ष और पूंजीवादी व्यवस्था ही क्यों?

साहित्यकार, लेखक, पत्रकार, अक्सर अपनी रचनाओं के माध्यम से,  समाज के उच्चवर्गीय, मध्यवर्गीय लोगों में, संवेदनाओं के नष्ट होने की दुहाई देते रहते हैं, पूंजीपतियों और नेताओं के व्यवहार पर टिप्पणी करते रहते हैं, व्यवस्था का विरोध करते रहते हैं, आम आदमी की स्थितियों- प्रस्थितियों , मज़बूरीयों का वर्णन करते हैं, लेकिन आज आम आदमी की भी संवेदना नष्ट हो गई है, वो भी दोषियों की श्रेणी में खड़ा है, तो उसे कटघरे में क्यों नहीं खड़ा करना चाहिए?

इस घटना में अगर सत्ता, व्यवस्था, पूंजीपति, अस्पताल का ऐडमिनिस्ट्रेटिव, डिपार्टमेंट जितना दोषी है उतना ही दोषी वह आम आदमी कहलाने वाला कर्मचारी भी है। और कहीं न कहीं सोशल मीडिया और बिकी हुई मिडिया भी, जिसने तस्वीर खींच कर सोशल मीडिया पर साझा की, सबसे बड़ा  असंवेदनशील व्यक्ति तो वही है, जिसने तस्वीर खींच कर पूरे हिन्दुस्तान में संप्रेषित करने की जहमत की, लेकिन उस खाना परोसते हुए कर्मचारी का हाथ नहीं पकड़ा, उसके मुँह पर तमाचा नहीं मारा। इतनी ही संवेदना थी तो पहले उस मरीज़ को प्लेट में खाना मुहैया करवाता, अस्पताल वालों ने नहीं दिया तो, वही अपने केमरा चलाने से पहले, उस मरीज़ को सम्मान पूर्वक भोजन करा देता, उसके बाद मिडिया और सोशल मीडिया की रोटियां सेकने का इंतजाम करता।

मरीज़ कितना विवश था कि, उसने विरोध नहीं किया, खाना खा लिया फर्श से ही उठाकर। उसके परिवार वाले कहाँ थे? क्या वो घर से ज़रूरी वस्तुएं मरीज़ के लिए नहीं ला सकते थे? या फिर  इस घटना का दूसरा पहलू यह है कि, वो मरीज़ अकेला ही था अस्पताल में भर्ती, और उसके परिवार के सदस्य उसके साथ अस्पताल में रहने के लिए असमर्थ होंगे, किन्हीं कारणों से। कैसी - कैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है एक ग़रीब आदमी को। जिसकी ओर सत्ता का ध्यान कभी केंद्रित नहीं होता, वर्तमान सत्ता से क़ितनी उम्मीदें थीं जनता को, लेकिन क्या हुआ, सरकार ने अपने वादे पूरे किये? यह छोटी-छोटी बुनियादी ज़रूरतें तो पूरी की नहीं, और मेहंगी दँवाईयों की सब्सिडी भी ख़त्म कर दी।

बुलेट ट्रेन का ही तोहफा मिलेगा क्या इन पाँच सालों में? शिक्षा- स्वास्थ्य, बेरोजगारी, प्रदूषण, ग़रीबी जैसी समस्याओं पर वर्तमान सरकार का ध्यान क्यों नहीं जाता है? बीफ, कश्मीर, पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दे मिडिया में उछलते रहते हैं, सरकार न तो ग़रीब मज़दूर के बारे में सोच रही है, और न ही दलितों- मुसलमानों, स्त्रियों के बारे में कुछ कर रही है। फिर कौन खुश हैं, संतुष्ट हैं इस सरकार से। हक़ीक़त यह है कि न कोई खुश हैं, और न ही कोई सुरक्षित हैं।

पिछले साठ सालों में कॉग्रेस ने राज किया, उसने भी इस बुनियादी ढांचे में कोई सुधार नहीं किया, और आज विपक्ष में बैठकर चिल्ला रही है। और बीजेपी पिछले साठ सालों से विपक्ष में रहकर चिल्ला रही थी, आज सत्ता में है। यह हिन्दुस्तान की बहुत बदकिस्मती है कि, उसके पास बड़े राष्ट्रीय स्तर की दो पार्टियां हैं कॉग्रेस और बीजेपी, यही सत्तापक्ष और विपक्ष में रहती हैं, और एक-दूसरे पर कीचड़ उछालती रहती हैं। और तीसरा विकल्प मज़बूत नहीं होता।

-मेहजबीं

गुरुवार, सितंबर 22, 2016

खबर का असर परिहार में अतिक्रमण मुक्त अभियान जारी

परिहार  (सीतामढी )।dailychingari ने दिनांक 19/09/2016 को "बस से कुचल कर 06 वर्षीयबच्चे की मौत " शीर्षक से खबर प्रकाशित किया था जिसमें घटना के पीछे सड़कों का अतिक्रमण को मुख्य कारण माना था प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया और परिहार की सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करने का अभियान शुरू कर दिया है देखना अब यह है कि प्रशासन इसे कितनी तत्परता से लेती है।

ज्ञात हो कि सड़कों के अतिक्रमण और जर्जर सड़क के कारण पूर्व में भी हाईस्कूल के समीप ट्रक से कुचल कर इंदरवा निवासी एक नौजवान की मौत घटना स्थल पर ही हो गईं थी अगर उस समय घटना को गंभीरता से ले लिया जाता तो घटना की पुनः पूर्णावृति नहीं होती और एक जान काल के गाल में जाने से बच जाता ।

सोमवार, सितंबर 19, 2016

बस से कुचल कर 10 वर्षीय बच्चे की मौत

परिहार  (सीतामढी )।बस से कुचल कर 10 वर्षीय बालक की मौत घटना स्थल पर ही हो गई।घटना  परिहार चौक से सटे ट्रांस्फ़र्मर के निकट की है मृतक परिहार निवासी तेज नारायण सिंह का पौत्र है।मृतक शुभम कुमार अजय कुमार सिंह का पुत्र है
                घटना को लेकर आक्रोशित लोगों ने परिहार को पुरी तरह बंद कर दिया है।साथ ही घटना के विरोध में टायर जला कर मुख्य मार्ग को बंद कर दिया ।परिहार में अक्सर दुर्घटनाओं में मृत्यु होती रहती है मगर शासन प्रशासन सचेत नही हो रही है जो चिंता का विषय है दुर्घटनाओं के पीछे एक अहम कारण सड़कों का अतिक्रमणकारिओ के द्वारा सड़कों का अतिक्रमण है।