आप हमें आवाज़ दें, हम आपकी आवाज़ बनेंगें,उठें जागें और ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द करें। "" कुफ़्र की हकुमत चल सकती है लेकिन ज़ुल्म की नहीं "" ।। बिना चिंगारी के आग नहीं लग सकती ।।
सोमवार, जून 12, 2017
Breaking News :-विधुत के ज़द में आने से लाईन मैन अनिल कुमार सिंह की मौत
शुक्रवार, जून 09, 2017
प्रखण्ड स्तरीय चक धूम-चक धूम कार्यशाला आयोजित
बिहार।सीतामढ़ी।परिहार प्रखण्ड अन्तर्गत प्रखण्ड स्तरीय चक धूम-चक धूम 2017 समर कैंप के सफल आयोजन के लिए प्रखण्ड संसाधन केंद्र परिहार के प्रशिक्षण कक्ष में प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी परिहार राम सेवक राम की अध्यक्षता में कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें प्रखण्ड कार्यक्रम समन्वयक अर्चना कुमारी साक्षर भारत, प्रखण्ड साधन सेवी कौशलेन्द्र कुमार कर्मेन्दु ,शमीम अंसारी, मारूफ आलम, सी आर सी सी इसराफिल अंसारी, बी एम सी मकतब के प्रधानाध्यापक शमीम अंसारी, सहायक फखरुल अंसारी, लेखा समन्वयक दुखा बैठा, टोला सेवक, तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी, पंचायत लोक शिक्षण केन्द्र के प्रेरक आदि उपस्थित थे।
गुरुवार, जून 08, 2017
11 जून 2017 रविवार को होगी प्रदेश टोला सेवक संघ की बैठक
बिहार प्रदेश टोला सेवक संघ पटना की एक आवश्यक बैठक 11जून 2017 रविवार को
बहादुर पुर शांति निकेतन मध्य विद्यालय में प्रदेश अध्यक्ष ब्रह्मानन्द की अध्यक्षता में में आहूत की गई है।
प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि बैठक बहुत ही अहम और गंभीर है बैठक में अगामी कार्य की रूप रेखा तैयार किया जाएगा।
सभा स्थल पर पहुँचने का पता:- पटना जंक्सन से टेम्पू या बस पकड़ कर राजेन्द्र नगर ,पटना सीटी,अगम कुँआ या भूतनाथ जाने वाली पकड़ कर बहादुर पुल के पास उतड़, पुल पर चढ उत्तर की ओर आ जाना है वहाँ दूर्गा मंदिर के पास किसी से भी पूछ लेना है कि सरकारी विद्यालय शांति निकेतन कहाँ है कोई बता देगा ।
विशेषः 9304048103 विनोदजी , 7654477788 राकेश रौशन जी ,या 9162899470 नम्बर पर संम्पर्क कर सकते हैं।
बुधवार, जून 07, 2017
हल्का कर्मचारी के जाँच रिपोर्ट के बाद भी सी ओ परिहार ने नही किया रक़बा सुधार, सुधार के एवज माँगी दस हजार
बिहार/सीतामढ़ी/परिहार ।।ज़मीन के रक़बा सुधार के लिए ग्राम पंचायत बेतहा ,बेतहा निवासिनी मुसमात प्रवीण कौसर पति मोहम्मद खुर्शीद आलम ने रक़बा सुधार कर दाखिल खारिज करने के लिए सी ओ परिहार को 13 जनवरी 2016 को आवेदन दिया था, सी ओ परिहार ने हल्का कर्मचारी को जाँच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया।हल्का कर्मचारी ने 19 जनवरी 2016 को जाँच प्रतिवेदन समर्पित कर अंचलाधिकारी परिहार को अंचल अमीन से नक़्शा मापी व सीमांकन प्रतिवेदन लेने का अनुरोध करते हुए आवेदिका के केबाल दर केबाल और दखल क़ब्ज़ा के आधार पर रक़बा सुधार कर दाखिल खारिज करने की अनुशंसा की मगर डेढ़ साल गुजर जाने के बाद भी अंचल पदाधिकारी परिहार ने आवेदिका के ज़मीन का रक़बा सुधार करने का प्रस्ताव संबंधित पदाधिकारी को नहीं दिया।
"" हल्का कर्मचारी के प्रतिवेदन देने के बाद भी जब रक़बा सुधार नही किया गया तो मैं सी ओ से मिली और रक़बा सुधार की बात कही तो सी ओ परिहार ने कहा अरे ! ये सब वैसे ही थोड़े होता है ज़मीन का मामला है पैसा खर्च करना होगा।दस हज़ार रुपये ले कर आना काम हो जाएगा।।""
''मुसमात प्रवीण कौसर ''
शुक्रवार, जून 02, 2017
शिक्षक भिखारी महतो जिसने इन्दरवा विद्यालय की तस्वीर बदल दी
गुरुवार, जून 01, 2017
टोला सेवक, शिक्षा स्वयं सेवी और प्रेरकों का मासिक बैठक आयोजित
सोमवार, मई 29, 2017
योगदान के चौदह माह पश्चात भी तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी को मानदेय भुगतान नहीं, स्वयं सेवी के समक्ष भूख मरी उत्पन्न
सीतामढ़ी/ज़िला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सीतामढ़ी के निर्णयालोक निर्णय संख्या 40411-00383 व लोक प्राधिकार डी पी ओ साक्षरता सीतामढ़ी के आदेश के आलोक में जिला कार्यक्रम पदादिकारी साक्षरता सीतामढ़ी के पत्रांक 228 दिनांक 11.07.2016 के आदेशालोक में मोहम्मद कमरे आलम को महादलित अल्पसंख्यक एवं अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आँचल योजना में तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी के पद पर योगदान कर कार्य करने का आदेश प्राप्त हुआ। कमरे आलम आदेश का अनुपालन करते हुए समबंधित विद्यालय में दिनांक 11.07.2016 को योगदान कर नियमित रूप से कार्य करना प्रारम्भ कर दिया और कर रहे हैं मगर योगदान के चौदह महीने पश्चात भी मानदेय से वंचित हैं।
मोहम्मद कमरे आलम ने बताया कि मानदेय भुगतान हेतु ज़िला कार्यक्रम पदादिकारी साक्षरता को चार अभ्यावेदन विभिन्न तिथियों में दे चुका हूँ परन्तु अभी तक मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है, मानदेय राशि भुगतान के अभाव में मानसिक रूप से तनाव में रहता हूँ।
बुधवार, मई 24, 2017
भीषण गर्मी को देखते हुए विद्यालय संचालन समय में परिवर्तन
भीषण गर्मी को देखते हुए ज़िला शिक्षा पदाधिकारी सीतामढ़ी ने 25 मई से 06 जून तक विद्यालय संचालन समय में परिवर्तन कर दिया है अब ज़िले के सभी सरकारी/निजी स्कूलों का संचालन6:30 बजे से10:30बजे पूर्वाह्न तक होगा
मंगलवार, मई 23, 2017
28 मई को होगी बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक संघ,सीतामढ़ी की बैठक
बिहार अराजपत्रित प्रारंभिक शिक्षक
संघ,सीतामढ़ी की बैठक 28 मई 2017 रविवार को 11 बजे से ओरिएन्टल म.वि. सीतामढ़ी में रखी गई है ।जिस में सभी प्रखंड के अध्यक्ष/सचिव ,प्रखंड स्तरीय कार्य समिति एवं जिला स्तरीय कार्य समिति के सदस्यों से बैठक में भाग लेने का आह्वान किया गया है ।
सोमवार, मई 08, 2017
नवादा ज़िला में हुए पुलिस ज़ुल्म और फ़िरक़ा वाराना ज़्यादती के खिलाफ पटना में धरना
रविवार, मई 07, 2017
शिक्षा विभाग में तीन साल से पदस्थापित पदाधिकारियों का स्थानांतरण कर शिक्षा विभाग को साफ शफ़्फ़ाफ़ किया जाय
ज़िला सीतामढ़ी शिक्षा विभाग में तीन साल से पदस्थापित पदाधिकारियों का स्थानांतरण किया जाय ये बातें राकेश कुमार सिंह पूर्व अध्यक्ष जनता दल यू ने सरकार से की है उन्होंने बताया कि जिले में तीन साल से अधिक से पदस्थापित पदाधिकारियों ने सीतामढ़ी के शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है इतना ही नहीं बेरोज़गार नौ जवान को एक साजिश के तहत शिक्षक के रूप में बहाल फिर हटा कर आर्थिक शोषण और दोहन कर सड़क पर ला खड़ा कर दिया।
ज़िला साक्षरता कार्यालयों के भ्रष्ट नीति के कारण पूर्व तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी सड़कों पर भटकने पर मजबूर
बिहार के ज़िला साक्षरता कार्यालय के भ्रष्ट नीति के कारण पूर्व तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी सड़कों पर भटकने पर मजबूर हैं।पूरे बिहार में जिला साक्षरता कार्यालयों की भ्रष्टाचार नीतियों के कारण सभी पूर्व शिक्षा स्वयं सेवियों को अक्षर आँचल योजना में स्वयं सेवी के रूप में नही रखा गया जिस कारण आज भी सैंकड़ों तालिमी मरकज़ के पूर्व स्वयं सेवी सड़कों की धुल छान व फाँक रहे हैं मगर जन शिक्षा निदेशालय बिहार पटना संज्ञान लेने को तैयार नहीं।
बिहार सरकार के प्रधान सचिव का स्पष्ट आदेश था कि इस योजना में पूर्व शिक्षा स्वयं सेवी स्वयं सेवक के रूप में कार्य करेंगें।जहाँ तालिमी मरकज़ के स्वयं सेवक नही थे या जिस इलाके में तालिमी मरकज़ का संचालन नही किया गया था वहीं तालिमी मरकज़ के स्वयं सेवक की बहाली करनी थी मगर ज़िलों के साक्षरता पदाधिकारियों ने बिल्कुल उलट कर पूर्व शिक्षा स्वयं सेवी को सड़क पर खड़ा कर धुल फांकने पर मजबूर कर दिया ऐसा क्यों किया स्पष्ट है नई बहाली में जम कर अवैध वसूली कर मोटी कमाई की गई।
मालूम हो कि 09दिसम्बर 2012 तक तालिमी मरकज़ का संचालन वैकल्पिक एवं नवाचारी कार्यक्रम सर्व शिक्षा अभियान बिहार शिक्षा परियोजना के अन्तर्गत होता था जिस को 10 दिसंबर 2012 से जन शिक्षा निदेशालय बिहार पटना के अधीन कर दिया गया है।
शनिवार, मई 06, 2017
ब्रेकिंग न्यूज़:- पुपरी अंचल पुलिस इंस्पेक्टर नितेन्द्र कुमार विजिलेंस के हत्थे चढ़े
बुधवार, मई 03, 2017
समायोजन की अभिलाषा लिए रानीगंज प्रखण्ड के टोला सेवक पंचानंद ऋषि देव का निंधन
शिक्षक के रूप में विद्यालय में समायोजन की अभिलाषा लिए रानीगंज प्रखंड के टोला सेवक पंचानंद ऋषि देव का आज निंधन हो गया।मोहम्मद कमरे आलम सीतामढ़ी और मो. गालिब जिला अ० अररिया तालीमी मरकज संघ रानीगंज प्रखंड के टोला सेवक पंचानंद ऋषि देव के निंधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। और साथ ही सरकार से शोका कुल परिवार को अविलम्ब अनुग्रह अनुदान राशि निर्गत करने और परिवार के एक सदस्य को बहाल करने की माँग की है।
मंगलवार, मई 02, 2017
लोक शिक्षा केन्द्रों को गतिशील करने को लेकर बैठक का आयोजन
सोमवार, मई 01, 2017
शनिवार, अप्रैल 22, 2017
22 मई 2017 को हिंदुस्तान के शिल्प कार महान शासक और बिहार के सपूत शेर शाह सूरी के वफात के 472 वर्ष
सोमवार, अप्रैल 17, 2017
विद्यालय भवण निर्माण में अनियमितता
शुक्रवार, अप्रैल 14, 2017
परिहार गाँधी उच्च विद्यालय में गुणवत्ता विहीन भवन निर्माण कार्य जारी
सोमवार, अप्रैल 10, 2017
हिन्दी सिनेमा के 65 साल
मेहजबीं
हिन्दी सिनेमा में पिछले 65 सालों में एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में बनी, क्लासिकल, रोमांटिक, कलात्मक, ऐक्शन, कमर्शल, डॉक्यूमेंट्री, टेली फिल्म, सभी मशहूर- ओ - माअरूफ़ नहीं हो सकी, लेकिन कुछ फिल्मों ने अमिट छाप छोड़ी जो आज भी प्रासंगिक हैं। हिन्दी - उर्दू भाषा में फिल्मों की स्क्रिप्ट तैयार की गई, गीत- ग़ज़लें तैयार की गई, साहित्यकारों, शायरों द्वारा। कुछ फिल्में साहित्यिक रचनाओं पर भी बनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि चरित्रों पर भी बनी, यहाँ तक कि मज़रूह सुल्तान पुरी, शाहिर लुधियानवी, शैलेन्द्र, गुलज़ार, निदा फ़ाज़लि, फैज़ अहमद फैज़, अहमद फ़राज़, जावेद अख़्तर जैसे साहित्यकार फिल्मी गीतों के ज़रिए ही ज़्यादा मशहूर हुए, लता मंगेशकर, आशा भोसले, सुरैया, हेमलता, कविता कृष्णमूर्ति, अनुराधा पोरवाल, नूरजहाँ, रफ़ी, मुकेश, किशोर कुमार, कुमार शानू, उदित नारायण, पंकज उदास, जगजीत सिंह, भूपेन्द्र हज़ारिका, मनहर उदास द्वारा गुनगुनाए गीत और ग़ज़लें जो भारतीय सिनेमा की रीढ़ की हड्डी हैं, हिन्दुस्तान की ज़िंदगी हैं, जिनमें इस सरज़मीं का समाज राजनीति अर्थव्यवस्था मुहब्बत खूलूस है, आजकल पिछले 20 सालो में हज़ारों गीत हिन्दी सिनेमा में आए और गए, जिनसे दिल दिमाग को कोई राहत सुकून नहीं मिला, लेकिन पुराने समय के गीत और ग़ज़लें आज भी लाखों लोगों के दिल में समाए हैं, जो आम जन के अकेले पन के साथी हैं, मनोरंजन का ज़रिया हैं, हिन्दी- उर्दू की पहचान हैं, इन गीतों ग़ज़लों का संगीत और मधुर आवाज़ और कशिश अपनी और खींचती है, दु:ख में सहारा देती है, मुहब्बत का अहसास कराती है, कमज़ोर पड़ने पर मज़बूत बनाती है।
"चल अकेला चल अकेला तेरा मेला पीछे छूटा राही चल अकेला "
"कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है"
"ये होशल कैसे रूके ये आरज़ू कैसे झुके मंज़िल दूर तो क्या साहिल धुंधला तो क्या ये आरज़ू कैसे झुके "
"तेरी है ज़मीं तेरा आसमां तू बड़ा मेहरबां सबका है तू ख़ुदा मेरे तू बख़्शिश कर"
बाज़ार, लिबास, इजाज़त, उमराव जान, रज़िय सुल्तान, मुग्लेआज़म, पाक़िज़ा, काग़ज़ के फूल, प्यासा, साहब बीवी और ग़ुलाम, दिल दिया दर्द लिया, राम और श्याम, आख़िर क्यों, दस्तक, आँधी , अराधना, अमर प्रेम, सफर, किनारा, ख़ामोशी, गाईड, बम्बई का बाबू, तीसरी कसम, मेरा नाम जोकर, आनारकली, मदर इंडिया, गुमराह, द ट्रेन, मर्यादा, कश्मीर की कली, जंगली, साथ-साथ, कारवां, आपकी कसम, आप ऐसे तो न थे निकाह स्वीकार किया मैंने, मेरा साया, वक्त अनमोल घड़ी, मधुमति, जैसी हज़ारों फिल्में हैं जिनके हज़ारों गीत ग़ज़लें आज भी लोगों की ज़ुबां पर हैं।
कलात्मक फिल्में कुछ ऐसी हैं जो मशहूर भी हुई हैं और कुछ ऐसी भी हैं जो उपेक्षित रही, बहुत अच्छी होते हुए भी ज़्यादा नहीं चली, बल्कि लोग उनसे नावाकिफ़ हैं इसके लिए अख़बार, पत्रिका, मिडिया भी जिम्मेदार है और कुछ हद तक लोग भी जिम्मेदार हैं। ऐसे ही हिन्दी सिनेमा की इन कलात्मक फिल्मों, क्लीसिकल फिल्मों के कुछ गीत ग़ज़लें भी उपेक्षित रह गए जो बेहतरीन स्क्रिप्ट और संगीत, आवाज़ के होते हुए भी ज़्यादा नहीं चले जैसे
"महवे ख़्याले यार हम को फिज़ा से क्या अब रंजिशे ख़ुशी से बहारों ख़िजाँ से क्या "
"ख़ामोश सा अफसाना पानी से लिखा होता न तुमने कहा होता न हमने सुना होता "
हिन्दुस्तान की राज्य और केन्द्रीय विश्वविद्यालयों को अपने सिलेबस में हिन्दी सिनेमा का इतिहास और उसकी खासियत के बारे में गीत संगीत गीतकारों संगीतकारों के बारे में पढ़ाना चाहिए, बल्कि दसवीं- बारहवीं कक्षा के सिलेबस में भी, और समय- समय पर कैम्पस, कॉलेज, स्कूलों में कलात्मक फिल्में दिखाई जानी चाहिए, ताकी आने वाली पीढ़ी में अच्छी फिल्मों में संगीत में रुचि पैदा हो । लेकिन अफसोस अब ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है।
मेहजबीं
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BRP चयन हेतु आवेदन देने के पश्चात भी BRC परिहार से जिला कार्यालय को उपलब्ध कराई गई सूची में नाम दर्ज नही होने की शिकायत सेवानिवृत्त शिक्षक म...
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सेवामे, अवर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग, बिहार सरकार आदरणीय महोदय, भोजन,वस्त्र,आवास के साथ साथ शिक्षा एवं स्वा...