शुक्रवार, जुलाई 28, 2023

BRP चयन हेतु आवेदन देने के पश्चात भी BRC परिहार से जिला कार्यालय को उपलब्ध कराई गई सूची में नाम दर्ज नही

BRP चयन हेतु आवेदन देने के पश्चात भी BRC परिहार से जिला कार्यालय को उपलब्ध कराई गई सूची में नाम दर्ज नही होने की शिकायत सेवानिवृत्त शिक्षक मो0 ज़फर अहमद ने प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी परिहार से की है उन्होंने अपने आवेदन में लिखा है कि
 मै मो० जफर अहमद, म०वि० विष्णुपुर उत्तर, परिहार से दिनांक 31.10.2022 को सेवा निवृत्त हुआ हूँ। विभागीय निदेशालोक में BRP चयन हेतु दिनांक 13.07.2023 को स्पीड पोस्ट के माध्यम से भवदीय कार्यालय के पता पर निबंधित डाक द्वारा BRP पद हेतु आवेदन दिया था । स्थानीय डाकघर द्वारा भवदीय कार्यालय में दिनांक 14.07.2023 को आवेदन प्राप्त हुआ भी जिसकी कम्प्युटरीकृत  प्रति एवं प्राप्ति प्रति पत्र के साथ संलग्न है। दिनांक 26.07.2023 को जिला कार्यालय से मेरिट सूची पता करने पर ज्ञात हुआ है कि मेरिट सूची में मेरा नाम नही है। प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी परिहार को आवेदन प्राप्त नही है। इससे प्रतीत होता है कि भवदीय कार्यालय मे कार्यरत कर्मी / शिक्षक द्वारा द्वेष भावना एवं जानबुझ कर मेरा आवेदन गायब कर दिया गया है।



गुरुवार, जुलाई 27, 2023

भारत में आरक्षण खत्म करने की मांग क्यों होती रहती है❓

ℹ️आरक्षण ℹ️
 #भाग_1
भारत में #आरक्षण खत्म करने की मांग क्यों होती रहती है❓
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आरक्षण से संबंधित लगभग सभी #पूर्वाग्रहों और #आक्षेपों की सत्यता समझने में आपको मदद मिलेगी।  

पहले आरक्षण की #पृष्ठभूमि, #आवश्यकता, #रूप, और #प्रकार को थोड़ा समझने का प्रयास करते हैं:➖

 🌾#भारत में आरक्षण की पृष्ठभूमि -
 गुलाम भारत में दलितों के पास किसी भी प्रकार का राजनैतिक, आर्थिक,सामाजिक अधिकार नहीं था। पिछड़े और दलित गुलामों के भी गुलाम थे। महाराष्ट्र में कोल्हापुर के महाराजा #छत्रपति_साहूजी_महाराज ने 26 जुलाई 1902 में पिछड़े वर्ग से गरीबी दूर करने और राज्य प्रशासन में उन्हें उनकी हिस्सेदारी देने के लिए आरक्षण का प्रारम्भ किया था। #कोल्हापुर राज्य में पिछड़े वर्गों/समुदायों को नौकरियों में आरक्षण देने के लिए 1902 की अधिसूचना जारी की गयी थी। यह #अधिसूचना भारत में दलित वर्गों के कल्याण के लिए आरक्षण उपलब्ध कराने वाला पहला सरकारी आदेश था।

 📌 आरक्षण कोई #अनहोनी घटना नहीं है या एकदम से कोई नयी बात नहीं है। वंचित वर्ग को आरक्षण, भारत में ही नहीं, दुनियां के विभिन्न देशों में दिया जाता है, जिसका नाम और रूप भी भिन्न भिन्न हो सकता है। 
 #उदाहरण के लिए, #अमेरिका में आरक्षण को एफर्मेटिव एक्शन (Affirmative Action) कहा जाता है। Affirmative Action का मतलब समाज के "वर्ण " तथा "नस्लभेद" के शिकार लोगों के लिये सामाजिक समता का प्रावधान करना है। #स्वीडन में आरक्षण को जनरल अफर्मेटिव एक्शन कहा जाता है। इसी प्रकार #ब्राजील में आरक्षण को वेस्टीबुलर (westibular) के नाम से जाना जाता है। 
 #नार्वे के पीसीएल बोर्ड मे 40 % महिला आरक्षण है। इसी प्रकार दुनिया के विभिन्न देशों में भिन्न भिन्न नाम से आरक्षण दिया जाता है। 
अतः आरक्षण असमान्य नहीं, बल्कि बेहद सामान्य प्रणाली है। किंतु भारत में आरक्षण का विरोध क्यों होता है, इसे भी आप यहाँ आगे भलीभाँति समझ पायेंगे। 
 
👉आजाद भारत में #वास्तविक आरक्षण की पृष्ठभूमि और क्रियान्वयन:
 
गुलाम भारत में #बाबा_साहब_अम्बेडकर के अथक प्रयासों से #अछूतों को जो अधिकार दिया गया था, उसे #कम्यूनल_अवार्ड कहा जाता है। 16 अगस्त 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री #मैकडोनाल्ड ने कम्युनल अवार्ड की घोषणा की, जिसमें निम्नलिखित व्यवस्था की गई थी-

• प्रांतीय व्यवस्थापिका सभाओं की सदस्य संख्या बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई गयी।

• अल्पसंख्यक विशेष सीटों वाले संप्रदाय की संख्या बढ़ा दी गई, जिसमें मुसलमानों, सिखों, दलितों, पिछड़ी जातियों, भारतीय ईसाईयों, एंग्लो इंडियनों को रखा गया।

• अल्पसंख्यक के लिए अलग निर्वाचन की व्यवस्था की गई।

• दलितों को हिंदुओं से अलग मानकर उनके लिए भी #पृथक_निर्वाचन_तथा_प्रतिनिधित्व_का अधिकार दिया गया।

• स्त्रियों के लिए भी कुछ स्थान आरक्षित किए गए।

कम्युनल अवार्ड के द्वारा अंग्रेजी शासन ने दलितों (व अल्पसंख्यकों )के लिए भी प्रतिनिधित्व का अधिकार देने का प्रावधान किया था, जो की डॉ. बी.आर. अम्बेडकर जी के प्रयासों का नतीजा था, जिसका विरोध हिंदुओं ने किया, जो अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व को तो स्वीकार कर सकते थे, पर दलितों को अधिकार देना नहीं, क्योंकि वो उन्हें अपना खानदानी गुलाम समझते थे, और इस मानसिकता से आज भी कई हिन्दू उभर नहीं पा रहे हैं।

वास्तव में कम्युनल अवार्ड से दलितों को स्वंतत्र राजनैतिक अधिकार प्राप्त हुए थे जिससे वे अपने प्रतिनिधि स्वयं चुनने के लिए सक्षम हो गए थे और वे उनकी आवाज़ बन सकते थे। इस के साथ ही #दोहरे_वोट_के_अधिकार_के_कारण_सामान्य_निर्वाचन_क्षेत्र_में_सवर्ण_हिन्दू _भी _उन_पर निर्भर_रहते और दलितों को नाराज़ करने की हिम्मत नहीं करते. इस से हिन्दू समाज में एक नया समीकरण बन सकता था #जो_दलित_मुक्ति_का_रास्ता_प्रशस्त_करता! परन्तु गाँधी जी ने हिन्दू समाज और हिन्दू धर्म के विघटित होने की झूठी दुहाई दे कर तथा आमरण अनशन का अनैतिक हथकंडा अपना कर दलितों की राजनीतिक स्वतंत्रता का हनन कर लिया। जिस कारण दलित सवर्णों के फिर से राजनीतिक गुलाम बन गए. 
#गांधीजी 4 जनवरी 1932 से यरवदा जेल में ही थे।उन्होंने वहीं से इस कम्युनल अवार्ड के विरोध में #आमरण_अनशन शुरू कर दिया।

अंत में बाबा साहब अम्बेडकर और गांधी जी के बीच 24 सितम्बर 1932 को एक #समझौता हुआ जिसे #पूना_पैक्ट कहते हैं। इस पैक्ट के अनुसार कम्युनल अवार्ड को निरस्त कर दिया गया। 

अर्थात जो अधिकार बाबा साहब ने तीनों #गोलमेज़ सम्मेलन में जाकर (कम्यूनल अवार्ड के रूप में) #अछूतों के लिए हासिल किया था, उसे बाबा साहब अम्बेडकर को #गाँधीजी के जान देने की सनकी हठ के कारण छोड़ना पड़ा। 
यहीं से आज के आरक्षण का जन्म हुआ। 
कम्यूनल अवार्ड छोड़ने के बदले में प्रांतीय विधानमंडल में दलितों के लिए #71 के स्थान पर #147 सीट #आरक्षित कर दिया गया। केंद्रीय विधानमंडल में भी #18% सीट दलितों के लिए आरक्षित कर दिया गया।
इस पैक्ट के द्वारा शिक्षा बजट का कुछ भाग भी दलितों के लिए #आरक्षित किया गया और #सरकारी_नौकरियों में बिना किसी भेदभाव के दलित वर्ग के लोगों की भर्ती को सुनिश्चित किया। इस आरक्षण रूपी समझौते पर #हस्ताक्षर करके बाबासाहब ने गांधी जी को जीवनदान दिया।

अब आप समझ गये होंगे कि आरक्षण खैरात या भीख नहीं है। यह दलितों के #पृथक_निर्वाचन_के_अधिकार_को_छोड़ने के प्रतिफल के रूप में था।

यह #प्रतिफल भी नहीं कहा जाना चाहिए,वास्तव में, यह तो रोते हुए बच्चे के हाथ में से 100 का नोट छीन कर 1 रुपये मूल्य की कैण्डी पकड़ाने के समान है।
 
कम्यूनल अवार्ड में जो पृथक निर्वाचन का अधिकार मिला था वह #सोना था तो उसे छोड़ने के बदले जो आरक्षण मिला वह #पीतल है।

✅इस आरक्षण को भी आज तक सही तरीके से लागू नहीं किया जा सका है। यह आज भी आधा अधूरा ही है। इसका एक उदाहरण, उत्तर प्रदेश में 2021 में प्राथमिक विद्यालयों में 69000 शिक्षकों की भर्ती में पिछड़ा वर्ग की 6000 आरक्षित सीटों से उसे वंचित कर देना है। 

📌 आरक्षण का #उद्देश्य
 
#यह सही है कि संविधान में आरक्षण की व्यवस्था 10 वर्षों के लिए की गई थी, किंतु यह भी सही है कि आरक्षण का उद्देश्य आज तक पूरा नहीं हुआ।

🔥यदि आरक्षण का मंतव्य/उद्देश्य पूरा हो गया है तो क्या आप बता सकते हैं कि आज तक भारत का #प्रधानमंत्री कोई अनुसूचित जाति या जनजाति का क्यों नहीं बना? 
 (मैं #राष्ट्रपति पद की बात नहीं कर रहा हूँ।भारत में शासन की सर्वोच्च शक्ति प्रधानमंत्री पद में निहित होती है, न कि राष्ट्रपति के पद में।)
 
👉आजाद भारत के #प्रथम_आम_चुनाव में, बिना आरक्षण के कोई भी दलित, #संसद में या #विधानसभाओं में प्रवेश नहीं कर पाया था। वही स्तिथि आज 70 साल से आरक्षण के जारी रहने के बाद भी है।

 🔥आप कितने ऐसे दलित सांसद या विधायक का नाम बता सकते हैं, जो किसी सामान्य सीट से जीतकर आये हों? आप हैरान होंगे कि यह संख्या शायद #शून्य या शून्य के आसपास ही होगी।
 
अब आप बतायें, क्या आरक्षण का #उद्देश्य आपको पूरा होते हुये दिखाई दे रहा है?(उत्तर आप पर छोड़ रहा हूँ) 

 👉 आरक्षण #जाति आधारित क्यों है ❓
 
 भारत में सामाजिक विभाजन #जाति आधारित है। छुआछूत जाति आधारित है। #दलित के दलित होने का कारण जाति ही है। दलित की #गरीबी और संसाधन विहीनता का सबसे बड़ा कारण जातिवाद ही है। जाति एक वर्ग है, इसलिए विभिन्न वर्गों को आरक्षण देने के लिए जाति को आधार बनाया ।आरक्षण जातिवाद के कारण उत्पन्न विषमता की भरपाई तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को अमली जामा पहनाने का छोटा सा प्रयास है। 
 अगर शोषित और वंचित जनसंख्या के प्रतिशत को देखा जाये, तो उसके हिसाब से यह प्रयास बहुत ही न्यून है। #आरक्षण का सही #अनुपात में क्रियान्वयन तो हो नहीं पा रहा है, अलबत्ता उसे खत्म करने की मांग उठती रहती है। 
 
आपको ज्ञात तो हो ही गया कि आरक्षण का मुद्दा समाज में व्याप्त जातिवादी अत्याचारों और शोषण के कारण उत्पन्न गहरे घावों पर मलहम लगाने का प्रयास मात्र है। 
  #सदियों_से_दबे_कुचले_वर्गों के लिए आरक्षण अपने आप में  मंजिल नहीं, बल्कि मंजिल की ओर बढ़ने के लिए #डूबते_को_तिनके_का_सहारा है। 
 
 ☀️आरक्षण का #स्वरूप एवं #आवश्यकता -
 
 आरक्षण की जरूरत इसलिए पड़ी कि दबे कुचले वर्ग(जातियों) का जो हक, सबल वर्गों (जातियों) द्वारा अतिक्रमित है, उसको वह प्राप्त कर सके। जैसे एक 10 साल का बच्चा एक 4 साल के बच्चे का खिलौना छीन लेता है,और उसका पिता फिर उस बड़े बालक से (छोटे बालक का) खिलौना छीन कर वापस करवा देता है, बस आरक्षण का स्वरूप यही है।छोटे बच्चे का अधिकार, छोटे बच्चे को लौटा दिया गया। इसमें बड़े बच्चे का क्या बलिदान है? छोटे बच्चे का खिलौना छोटे बच्चे को दे दिया गया तो यह बड़े बच्चे के अधिकार का हनन कहलायेगा क्या,
यह छोटे बच्चे के लिए भीख है  या खैरात? 

 आरक्षण को ऐसे समझिये। आपने भोजन करते समय यह ध्यान दिया होगा कि कुछ 2, 4 कुत्तों का झुंड आ जाता है, आप रोटी का टुकड़ा फेंकते हैं। आप क्या देखते हैं? उन दो, चार कुत्तों में से जो सबसे सबल होता है, वह उस रोटी के टुकड़े पर हक जमा लेता है और सभी की पहुंच उस रोटी तक रोक कर उस रोटी को खा लेता है। 
 आप दोबारा कमजोर या बीमार कुत्ते की तरफ रोटी का टुकड़ा फेंकते हैं लेकिन यह क्या? 
 वह सबल कुत्ता फिर उस रोटी को अपने बल के दम पर झपट्टा मार लेता है। आप रोटी फेंकते जाते हैं लेकिन कोई भी कमजोर कुत्ता उस रोटी के टुकड़े को नहीं पाता है और वह सबल कुत्ता उसे खाता जाता है। सबल कुत्ता खाकर मोटा होता जाता है और कमजोर तथा बीमार कुत्ते बिना खाये मर रहे होते हैं। 
  क्या आपको नहीं लगता कि किसी ऐसे व्यवस्था की जरूरत है जो रोटी के वितरण को सभी कुत्तों में समान रूप से सुनिश्चित कर सके। इस व्यवस्था का नाम ही आरक्षण होगा।
 
💪आरक्षित का प्रतिद्वंदी-

यदि कोई व्यक्ति आरक्षण प्राप्त कर लेता है तो,वह अपने वर्ग के लिए प्रतिनिधि है, न कि प्रतिद्वंदी। किन्तु बड़ी ही खूबसूरती से वे लोग जिन्होंने वास्तव में (आरक्षित वर्ग का ) हिस्सा खाया है,उस आरक्षण प्राप्त व्यक्ति को ही उसके वर्ग के लिए प्रतिद्वंदी बना दे रहे हैं। मानो आरक्षण प्राप्त करके उसने अपने ही समाज के साथ अन्याय कर दिया हो। उसे अपने वर्ग के बीच एक अपराधी की तरह पेश किया जा रहा है।

यदि एक व्यक्ति आरक्षण ले रहा है, तो उसकी लड़ाई अपने वर्ग के बीच नहीं है। उसकी लड़ाई सबल वर्ग के साथ है अर्थात एक निर्बल व्यक्ति को जो आरक्षण मिल रहा है वह उसके निर्बल वर्ग के लोगों के हिस्से को काटकर नहीं दिया जा रहा है, वह आरक्षण, (उसके अधिकार को ) सबल वर्ग के द्वारा जो हथिया लिया गया था, उनसे वापस ले करके उसे दिया जा रहा है। 
 यह कहना कि आरक्षण अगर कोई व्यक्ति छोड़ देता है तो उसी वर्ग के किसी दूसरे व्यक्ति को उसका लाभ मिलेगा, सैद्धांतिक और व्यावहारिक, दोनों तरह से गलत है, क्योंकि उसकी या उसके वर्ग की लड़ाई उनके बीच है ही नहीं, उनकी लड़ाई सबल वर्ग के साथ है अर्थात (निर्बल वर्ग के अधिकार को जिसने छीना है)उनसे अधिकार वापस कर निर्बल वर्ग को देने की प्रक्रिया आरक्षण है, तो किस प्रकार से आरक्षण प्राप्त व्यक्ति अपने वर्ग के लिए अहितकर हुआ या प्रतिद्वंदी हुआ। 
 वह तो आरक्षण प्राप्त करके (सबल वर्ग से अपना अधिकार छीन करके ) अपने वर्ग के उत्थान और विकास में योगदान दे रहा है। एक प्रकार से आरक्षण प्राप्त करके वह व्यक्ति अपने वर्ग में मजबूती ला रहा है।
 कल्पना कीजिये की एक सबल और एक निर्बल वर्ग है। निर्बल वर्ग में कोई आरक्षित नहीं है। अर्थात कोई मजबूत नहीं है। क्या वह सबल वर्ग का मुकाबला कर पायेगा? 
 अब कल्पना कीजिये कि निर्बल वर्ग में एक व्यक्ति आरक्षण पा जाता है तो उस व्यक्ति से निर्बल वर्ग में मजबूती आयेगी कि नहीं आयेगी। बस कुछ लोग यही मजबूती नहीं चाहते, इसी लिए आरक्षण का विरोध करते हैं। 
 

🤔आपके हिस्से की रोटी🍔किसने खायी ❓

आरक्षण का वास्तविक स्वरूप और आवश्यकता समझने में यह उदाहरण आपकी मदद करेगा,

उदाहरण देखिए -
(मान लीजिए) दो भाई हैं "अ" और "ब", अ के परिवार में 10 लोग हैं, ब के परिवार में 90 लोग हैं।  उनके बीच रोटी की एक टोकरी रख दी जाती है जिसमें 100 रोटियाँ हैं। इन दोनों लोगों के परिवार को उनकी संख्या के आधार पर रोटी लेना है।
 "अ" का परिवार चालाक है। वह "ब" परिवार को कहता है, चलिए सभी लोग स्नान करने के उपरांत भोजन करेंगे। 
 "अ" परिवार पहले स्नान कर लेता है और "ब" से कहता है कि आप लोग स्नान कर आइये, तब तक हम भोजन परोस रहे हैं।जब ब परिवार स्नान कर लौटता है तो, देखता है कि कहीं भोजन परोसा नहीं गया है। पूछने पर अ परिवार बताता है कि हमें बहुत भूख लगी थी, इसलिए हम लोग भोजन करने लगे। अतः अब आप लोग स्वयं भोजन निकाल कर खा लें। हम आराम करने चलते हैं। 
 
 परिवार "ब" ने देखा कि टोकरी में सिर्फ 50 रोटियाँ ही बची थीं, जबकि इन्हें 90 होना चाहिए था। परिवार "अ" के लोगों ने 5 -5 रोटियाँ खाई थीं, जबकि परिवार "ब" के प्रत्येक सदस्य को आधी रोटी भी कायदे से नहीं मिल रही थी। बेचारा ब परिवार आधा/टुक्का रोटी खाकर ही किसी प्रकार काम चलाता है!
 
 समाज में भी यही हो रहा है, 10%संख्या वाला समाज 90% समाज के हिस्से को खा जाता है।अगर 10% संख्या वाले परिवार को 10% रोटियाँ और 90% संख्या वाले को 90% रोटियाँ देने की व्यवस्था कर दी जाये, तो यही व्यवस्था आरक्षण कहलायेगी, आप अपनी भाषा में चाहे जो नाम इसे दे सकते हैं।
  अब आप समझ गये होंगे कि एक #वर्ग, दूसरे वर्ग की रोटियाँ न खा जाये, और इस कारण किसी एक वर्ग को भूखा न रहना पड़ जाये, इस हेतु ही आरक्षण का क्रियान्वयन जरूरी हुआ। 
  
अब थोड़ा पुनः विचार करते हैं। मान लीजिए "अ" परिवार के लोगों ने जब "ब" परिवार के हिस्से की 40 रोटियाँ (10 अपनी सम्मिलित करने पर 50रोटियाँ ) खायी थी, तब रोटी के लिए परिवार ब के लोगों को किससे लड़ना चाहिए,अपने परिवार से या उस "अ" परिवार से जिसने उनकी रोटियाँ खायी थी?

✅आपका हिस्सा जिसने खाया आप उससे लड़ेंगे

अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि आपके हिस्से की रोटी किसने खायी और रोटियों के लिए किससे लड़ना है?
अगर रोटियों के लिए आप अपने ही परिवार से लड़ते हैं और परिवार"अ"को दोषमुक्त देखते हैं तो यह आपके द्वारा आपके दुश्मन को पहचानने में आपकी महान विफलता है साथ ही, परिवार अ का परिवार ब में भुखमरी के कारण "फूट" डालने का मंतव्य भी पूरा हो जाता है। 
परिवार ब, परिवार अ का सरल शिकार हो जायेगा, क्योंकि ब के लोग ब से ही लड़ रहे हैं, अ से नहीं। ऐसी दशा में चूँकि ब जागरुक नहीं रहेगा, वह लड़ाई में व्यस्त रहेगा, अतः अ परिवार को ब की और अधिक रोटियाँ निगल जाने का सुनहरा अवसर प्राप्त होगा।

परिवार अ इतना चालाक है कि वह परिवार ब के सदस्यों को स्वनेतृत्व के प्रति यह कहकर उकसाता है कि देखो इतनी ज्यादा रोटियाँ (वास्तव में 50 ही) होने के बाद भी तुम भूखे हो। इनके भाई भूखे मर रहे हैं और ये खाकर मर रहे हैं।
लेकिन आपने देखा कि रोटी किसी को भी भरपेट नहीं मिली, सभी भूख से व्याकुल हो रहे हैं । आप बतायें कि परिवार ब के सदस्यों को अपने हिस्से का हिसाब अपने परिवार के लोगों से मांगना चाहिए या परिवार अ के लोगों से?
👉निश्चित रूप से "ब" के लोग "अ" से अपने हिस्से का हिसाब माँगेंगे। 

लेकिन यहाँ तो जिसने आपका हिस्सा दबाया हुआ है, उससे आप हिसाब ही नहीं माँग रहे हैं। ब के लोग आपस में ही एक दूसरे से हिसाब माँग रहे हैं।
अब आप समझ गये होंगे कि आरक्षण की लड़ाई परिवार अ और परिवार ब के बीच है, न कि परिवार ब के सदस्यों के ही बीच।
किन्तु चालबाज़ अ के लोगों ने बड़ी ही चतुराई से आरक्षण की लड़ाई को ➖'ब बनाम ब'➖ कर दिया है, जबकि यह 👉'अ बनाम ब'👈 की लड़ाई है। 

🇳🇪आरक्षण को आर्थिक आधार पर करने की माँग क्यों हो रही है❓

आरक्षण में आर्थिक आधार ❌ मुद्दा ही नहीं है।

 असली मुद्दा जाति और उससे उपजे #शोषण का है। इस असली मुद्दे को जानबूझकर आर्थिक आधार पर स्तिथ करने का सफल प्रयास किया जा रहा है। 
एक जातिवादी, आरक्षण का विरोध तो करता है, किन्तु जातीय भेदभाव और उससे उत्पन्न गरीबी अत्याचार, शोषण का रत्ती भर भी विरोध नहीं करता।
➡️क्या कभी आपने आरक्षण विरोधी को जाति व्यवस्था का विरोध करते हुये देखा है❓

आरक्षण सामाजिक मुद्दा है। यदि आरक्षण एक आर्थिक मुद्दा होता तो एक दलित द्वारा आरक्षण प्राप्त करते ही वह सवर्ण बन जाता।
इतना ही नहीं उस दलित के आरक्षण ले लेने के बाद भी उसका बच्चा दलित ही पैदा होता है। जाति जन्म आधारित है। वह बच्चे के जन्म लेते ही उसे समाज द्वारा प्रदान कर दी जाती है। अतः जब तक जाति रहेगी,जाति आधारित शोषण रहेगा, इस प्रकार आरक्षण की आवश्यकता बनी रहेगी, आरक्षण का औचित्य स्वयंसिद्ध हो जाता है। आरक्षण को इसीलिए सीधे सीधे समाप्त करने में दिक्कत हो रही है।अतः इसे समाप्त करने योग्य बनाने के लिए ही पहले इसे आर्थिक आधार देने का प्रयास किया जा रहा है। आर्थिक आधार पाते ही आरक्षण समाप्त हो सकने की लोचनीयता प्राप्त कर लेगा। उसके बाद क्या होगा आप जानते हैं। आरक्षण पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा। जाति व्यवस्था बनी रहेगी।

"आरक्षण को छोड़ने" का कंसेप्ट इसीलिए किसी स्तर पर पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि इसे समाप्त करने का आधार मिले। चूँकि जाति तो समाप्त नहीं हो सकती और आरक्षण इन्हें समाप्त करना है तो इसे जाति से हटाकर आर्थिक आधार पर करना होगा। आरक्षित का अपने वर्ग के लिए आरक्षण छोड़ने की पैरवी करना इसी षडयंत्र का भाग है कि किसी न किसी स्तर पर पहले आरक्षण छोड़ने हटाने की बात तो हो। 

✳️इसे एक और दिलचस्प उदाहरण से और बेहतर ढँग से समझा जा सकता है।
 मान लीजिए एक पैर से विकलांग कोई व्यक्ति है। उसे विकलांग कोटा के तहत आरक्षण का लाभ मिल जाता है। उस व्यक्ति को एक लड़की पैदा होती है जो विकलांग नहीं है और पूर्णतः स्वस्थ है। 

क्या उसे भी विकलांग कोटे के तहत आरक्षण का लाभ मिलेगा, जैसा कि उसके विकलांग पिता ने पाया था? 
उत्तर होगा "नहीं।"
अब दूसरे प्रश्न का उत्तर दीजिए-
👉मान लीजिए उस विकलांग व्यक्ति की बच्ची भी (दुर्भाग्य से) विकलांग पैदा होती है तो क्या उसे आरक्षण देने से इस आधार पर मना किया जायेगा कि उसके पिता ने आरक्षण का लाभ ले लिया है तो उसे यह आरक्षण नहीं मिलेगा?
क्या यह वास्तव में उस विकलांग बच्ची के साथ नैसर्गिक न्याय होगा?
नहीं न।
जिस प्रकार, एक विकलांग का बच्चा, विकलांग नहीं पैदा होता तो वह विकलांग कोटे के आरक्षण का हकदार नहीं होता है, उसी प्रकार यदि एक दलित का बच्चा दलित पैदा नहीं होता, तो वह भी आरक्षण का हकदार नहीं होता।

ठीक इसी प्रकार जब एक अनु जाति/जन जाति/पिछड़ी जाति का कोई व्यक्ति आरक्षण का लाभ ले लेता है तो क्या उसके बच्चे सवर्ण बन जाते हैं? अर्थात क्या वे जातीय भेदभाव और उत्पीड़न से मुक्त हो जाते हैं? 

एक दलित के आरक्षण प्राप्त कर लेने के बाद भी, उसके बच्चे दलित ही रहते हैं। अर्थात वे फिर भी जातीय प्रताड़ना से मुक्त नहीं हो पाते हैं। 
आरक्षण जाति व्यवस्था को समाप्त करने वाला महासागर नहीं है, बल्कि उसकी धारा को मोड़ने वाला बांध मात्र है। 
जिस प्रकार से टी.बी. की बीमारी में हल्का बुखार रहता है और उसमें बुखार की दवा पैरासिटामाल दिया जाये तो बुखार तो तत्काल में ठीक हो सकता है, किन्तु टी. बी. नहीं ठीक हो सकता, उसी प्रकार से आरक्षण से दलित की आर्थिक स्तिथि में तत्काल कुछ फायदा तो होता है, लेकिन उसकी दीर्घकालिक (जातिवाद की) समस्या बनी रहती है। आरक्षण पैरासिटामाल है, जिससे सिर्फ बुखार जाता है, टी. बी. नहीं। टी. बी. से मुक्ति तो MDT दवा को खाने से ही मिलेगी, वो भी लगातार  कई महीने तक।
💉MDT दवा है- जाति व्यवस्था की समाप्ति। 

एक सच्चा आरक्षण विरोधी हो ही नहीं सकता। सच्चा आरक्षण विरोधी बनने के लिए जाति विरोधी होना होगा, गोया, जाति खुद आरक्षण विरोधियों के लिए एक आरक्षण है।
 यदि सचमुच में कोई आरक्षण मिटाने के प्रति गंभीर होता तो वह जाति को मिटाने पर बल देता। सोचिये आरक्षण इतना ही विनाशकारी होता तो, जिस जाति के कारण वह उपजा है, वह जाति कितनी विनाशकारी होगी। तो भाइयों और बहनों, जाति उन्मूलन का आधार बनता है कि नहीं बनता? टी बी ज्यादा घातक है कि बुखार? आप बुखार को समाप्त करना चाहते हैं तो पहले टी बी को समाप्त कीजिए, बुखार अपने आप समाप्त हो जायेगा। 
जाति व्यवस्था के कारण आरक्षण है, न कि आरक्षण के कारण जाति। 
पेड़ की जड़ के कारण शाखाएँ हैं, शाखाओं के कारण जड़ नहीं। 
यदि शाखाओं को काटेगे तो शाखाएँ फिर से उग आयेंगी। शाखाओं को मिटाना चाहते हो तो जड़ को समाप्त करना होगा। 

🚫जाति_व्यवस्था को कायम रखते हुए आरक्षण को समाप्त करने की बात करना, उसी तरह है, जैसे टी बी का इलाज न करते हुये बुखार के लिए पैरासिटामाल देना। 
आरक्षण विरोधियों, यदि आप में जरा भी नैतिकता है, तो आज ही अपने जाति को त्याग दो। अपने जातीय लाभ (एक प्रकार का आरक्षण) को छोड़ दो। आप देखेंगे कि जाति व्यवस्था समाप्त होते ही, आरक्षण समाप्त हो गया है।

लेकिन ये आप से नहीं होगा, आप आरक्षण समाप्त करना चाहते हैं, किन्तु जाति नहीं। यदि जाति समाप्त हो गई तो फिर कौन आपको, देवता, पूजनीय, ठाकुर साहब, बाउ साहब, फलाँ साहब, ढिंका साहब, महाराज जी, आदि कहेगा। अतः आप अपना सदियों से चला आ रहा आरक्षण तो बरकरार रखना चाहते हैं, किन्तु दलितों को जो आधा अधूरा अधिकार संविधान की बदौलत मिला है, उसे आप समाप्त करना चाहते हैं।  

अब तो समझ गये होंगे, आरक्षण अपने आप में बीमारी नहीं है, जिस प्रकार बुखार अपने आप में बीमारी नहीं वह बीमारी का लक्षण है। (मान लीजिए बुखार टी बी का लक्षण है)। उसी प्रकार आरक्षण बीमारी नहीं बल्कि जाति व्यवस्था की बीमारी का लक्षण है।
बीमारी है तो लक्षण है, बीमारी नहीं तो लक्षण नहीं।बीमारी को समाप्त करो लक्षण अपने आप खत्म।

एक जातिवादी, जाति व्यवस्था का विरोध नहीं करता लेकिन जाति आधारित आरक्षण का विरोध करता है! 
   यह तो वही हाल हो गया कि गुड़ खाये लेकिन गुलगुले से परहेज। 
 हे आरक्षण विरोधियों!  तुम्हें आरक्षण से मिर्च लग जाती है लेकिन जाति इतना प्रिय क्यों है? 
क्या कारण है कि भारत में "#जाति_छोड़ो_आन्दोलन" आज तक किसी भी आरक्षण विरोधी के द्वारा नहीं चलाया गया। इसका कारण है भारतीय समाज द्वारा जाति व्यवस्था की 💯%सहमति। 
जाति व्यवस्था पर सहमति का अर्थ है- इसके कारण उत्पन्न अनवरत शोषण पर मुहर लगाना। 
आरक्षण:भाग-1
क्रमशः भाग 2 पढ़ने के लिए इस लिंक पर जायें 

https://m.facebook.com/groups/211860804135522/permalink/730491622272435/?mibext

सोमवार, जुलाई 10, 2023

नागेंद्र पासवान का पत्र शिक्षा विभाग के अवर मुख्य सचिव के नाम

सेवामे, 
         अवर मुख्य सचिव
            शिक्षा विभाग,
            बिहार सरकार
आदरणीय महोदय,
भोजन,वस्त्र,आवास के साथ साथ शिक्षा एवं स्वास्थ्य हमारी मौलिक आवश्यकता बन गई है, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सबको शिक्षा एवं गुवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना सरकार की नैतिक जिम्मेवारी है, यद्यपि सरकार ने इस दिशा में रचनात्मक कार्य भी किया है,और सतत प्रयत्नशील भी रही है, अपेक्षित उपलब्धि में मिल रही है।
   शिक्षा विभाग एक परिवार है,आप इस परिवार के मुखिया हैं, अपने अधीनस्थ शिक्षक कर्मचारी के सुविधा असुविधा कठिनाई परेशानी की सुधि लेना भी आपका दायित्व होना चाहिए,विभाग में एक दूसरे का सहयोग समर्थन आवश्यक है। विद्यालय में आनंदमय शिक्षा एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए भयमुक्त वातावरण शिक्षक छात्र एवं अभिभावक का परस्पर रचनात्मक समन्वय, सहयोग आवश्यक है। 
विद्यालय में आधारभूत संरचना, आवश्यक शिक्षण सामग्री,पाठयपुस्तक की उपलब्धता शिक्षको की नियमित उपस्थिति,नियमित वर्ग संचालन, बच्चो का सावधिक मूल्यांकन, हेतु विद्यालय का नियमित अनुश्रवण भी आवश्यक है,किंतु अनुश्रवण शैक्षिक रचनात्मक सहयोगात्मक होना चाहिए न कि शिक्षको को अन्यथा भयादोहन कर समाजाआर्थिक शोषण मानसिक उत्पीड़न एवं दंडात्मक नही होना चाहिए।
   महोदय वीणा के तार की इतना नही घुमाइए की टूट जाय, और इतना ढीला भी न छोड़ा जाय की बेसुरा हो आवाज ही ना दे।
विभाग के आप सर्व प्रमुख सर्व शक्तिशाली मुखिया है, मानवीय दृष्टिकोण से अपने अधीनस्थ कर्मचारियों शिक्षको की समस्या को ससमय निदान भी कराया जाय। आज लाखो शिक्षक विभागीय समस्या से परेशान स्थानीय शिक्षा विभाग के पाधिकारी के कोपभजन का शिकार बना दंश झेल रहा है।
  आज बीआरसी ,सीआरसी डीपीओ डीईओ कार्यालय में ताला लटका रहता है। शिक्षको के समस्या का निदान नहीं हो पाता है,जिससे शिक्षक दोहरे शोषण के शिकार हो रहे है।
    आग्रह है शिक्षको के वेतन अंतर्वेतन बकाया वेतन जो वर्षो से beo डीपीओ deo लेवल पर अन्यथा बिना वजह वर्षो से लंबित पड़ा है, कृपया प्राथमिकता के आधार पर ससमय निष्पादन करने की कृपा की जाय।
  अन्यथा शिक्षकी में असंतोष एवं आक्रोश व्याप्त है।
नागेंद्र कुमार पासवान
 अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ सीतामढ़ी

मंगलवार, मई 02, 2023

COMPLAINT & INVESTIGATION CELL, NATIONAL COMMISSION FOR WOMEN

COMPLAINT & INVESTIGATION CELL, NATIONAL COMMISSION FOR WOMEN

 The Complaints and Investigation Cell of the Commission processes all the complaints whether received written or suo-motu under Section 10 of the NCW Act. The complaints received relate to domestic violence, harassment, dowry, torture, desertion, bigamy, rape, refusal to register FIR, cruelty by husband, deprivation, gender discrimination and sexual harassment at work place.

 CONTACT US

 complaintcell-ncw[at]nic[dot]in
 +91-11-26944880
 +91-11-26944883

शिकायत और जांच प्रकोष्ठ, राष्ट्रीय महिला आयोग

 आयोग का शिकायत और जांच प्रकोष्ठ एनसीडब्ल्यू अधिनियम की धारा 10 के तहत लिखित या स्वप्रेरणा से प्राप्त सभी शिकायतों पर कार्रवाई करता है।  प्राप्त शिकायतें घरेलू हिंसा, उत्पीड़न, दहेज, प्रताड़ना, परित्याग, द्विविवाह, बलात्कार, प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार, पति द्वारा क्रूरता, अभाव, लैंगिक भेदभाव और कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित हैं।

 संपर्क करें

 कंप्लेंटसेल-एनसीडब्ल्यू[एटी]एनआईसी[डॉट]इन
 +91-11-26944880
 +91-11-26944883

Complaint & Investigation Cell

  • Processes  the complaints received orally in writing or online via official website National Commission for Women.
  • Deals with the complaints received from all over the country including those relating to deprivation of rights of women and involving injustice to women takes suo motu cognizance of incidents related to commission of heinous crimes against women U/S 10 of the National Commission Act, 1990

Scrutiny of Complaints

  • The complaints received are  scrutinised as per Commission’s mandate and adopted procedure to handle complaints

  • The complaints which falls within the Commission’s mandate and adopted procedure to handle complaints are registered under 19 identified categories
  • The complaints of the following nature are  summarily dismissed:-
    1. Complaints which are illegible or vague, anonymous or pseudonymous;
    2. The issue raised relates to civil dispute between the parties;
    3. The issue raised relates to service matters;
    4. Matter is sub judice before a Court/Tribunal;
    5.  Complaints which are already pending before a State Commission or any other Commission
    6. Complaints only endorsed to the Commission
    7. Complaints involving no deprivation of women rights

Heads Under Which Complaints Are Registered

  1. Rape / Attempt to rape
  2. Acid Attack
  3. Sexual Assault
  4. Sexual harassment
  5. Stalking / Voyeurism
  6. Trafficking / prostitution of women
  7. Outraging modesty of women / Molestation 
  8. Cyber crimes against women
  9. Police Apathy against women
  10. Harassment of married women / Dowry Harassment
  11. Dowry Death
  12. Bigamy / Polygamy
  13. Protection of women against Domestic Violence
  14. Women’s right of custody of children / Divorce
  15. Right to exercise choice in marriage / Honour Crimes
  16. Right to live with dignity
  17. Sexual Harassment of women at workplace
  18. Denial of maternity benifits to women
  19. Gender discrimination including eqaul right to education and work
  20. Indecent representation of women
  21. Sex Selective Abortions; Female Foeticide / Amniocentesis
  22. Traditional practices derogatory to women rights like Sati Pratha, Devdasi Pratha and Witch Hunting
  23. Free legal aid for women

Processing of Complaints

To provide adequate relief to the complainant and ensure suitable redressal of her grievances. The complaints are acted upon in the following manner :

  1. Investigations by the police are expedited and monitored.
  2. Family disputes are resolved or compromised through counseling or hearing  before the Commission.. For serious crimes, the Commission constitutes an Inquiry Committee which makes spot enquiries, examines various witnesses, collects evidence and submits the report with recommendations. Such investigations help in providing immediate relief and justice to the victims of violence and atrocities. The implementation of the report is monitored by the NCW. There is a provision for having experts/lawyers on these committees.
  3. A few complaints are also forwarded to the respective State Commissions for Women and other forums like the National Human Rights Commission, National Commission for Scheduled Caste / Scheduled Tribe, etc., for disposal of the complaints at their end.
  4. In respect of complaints related to sexual harassment of women at their workplaces, the concerned organizations or departments are urged to constitute an Internal Complaints Committee(ICC) as per the mandatory provisions Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013 in order  to enquire into such complaints. The Commission regularly monitored and takes up these complaints with the concerned organizations/departments to expedite the disposal of the complaints by following the statutory provisions.

Analysis of Complaints:-

  1. The complaints received show the trend of crimes against women and suggests systemic changes needed for reduction in crimes.
  2. The complaints are analyzed to understand the gaps in routine functioning of government in tackling violence against women and to suggest corrective measures.
  3. The complaints are also used as case studies for sensitization programmes for the police, judiciary, prosecutors, forensic scientists, defence lawyers and other administrative functionaries.

    Here's what you will find in this section

    Complaint & Investigation Cell

    • Processes  the complaints received orally in writing or online via official website National Commission for Women.
    • Deals with the complaints received from all over the country including those relating to deprivation of rights of women and involving injustice to women takes suo motu cognizance of incidents related to commission of heinous crimes against women U/S 10 of the National Commission Act, 1990

    Scrutiny of Complaints

    • The complaints received are  scrutinised as per Commission’s mandate and adopted procedure to handle complaints

    • The complaints which falls within the Commission’s mandate and adopted procedure to handle complaints are registered under 19 identified categories
    • The complaints of the following nature are  summarily dismissed:-
      1. Complaints which are illegible or vague, anonymous or pseudonymous;
      2. The issue raised relates to civil dispute between the parties;
      3. The issue raised relates to service matters;
      4. Matter is sub judice before a Court/Tribunal;
      5.  Complaints which are already pending before a State Commission or any other Commission
      6. Complaints only endorsed to the Commission
      7. Complaints involving no deprivation of women rights

    Heads Under Which Complaints Are Registered

    1. Rape / Attempt to rape
    2. Acid Attack
    3. Sexual Assault
    4. Sexual harassment
    5. Stalking / Voyeurism
    6. Trafficking / prostitution of women
    7. Outraging modesty of women / Molestation 
    8. Cyber crimes against women
    9. Police Apathy against women
    10. Harassment of married women / Dowry Harassment
    11. Dowry Death
    12. Bigamy / Polygamy
    13. Protection of women against Domestic Violence
    14. Women’s right of custody of children / Divorce
    15. Right to exercise choice in marriage / Honour Crimes
    16. Right to live with dignity
    17. Sexual Harassment of women at workplace
    18. Denial of maternity benifits to women
    19. Gender discrimination including eqaul right to education and work
    20. Indecent representation of women
    21. Sex Selective Abortions; Female Foeticide / Amniocentesis
    22. Traditional practices derogatory to women rights like Sati Pratha, Devdasi Pratha and Witch Hunting
    23. Free legal aid for women

    Processing of Complaints

    To provide adequate relief to the complainant and ensure suitable redressal of her grievances. The complaints are acted upon in the following manner :

    1. Investigations by the police are expedited and monitored.
    2. Family disputes are resolved or compromised through counseling or hearing  before the Commission.. For serious crimes, the Commission constitutes an Inquiry Committee which makes spot enquiries, examines various witnesses, collects evidence and submits the report with recommendations. Such investigations help in providing immediate relief and justice to the victims of violence and atrocities. The implementation of the report is monitored by the NCW. There is a provision for having experts/lawyers on these committees.
    3. A few complaints are also forwarded to the respective State Commissions for Women and other forums like the National Human Rights Commission, National Commission for Scheduled Caste / Scheduled Tribe, etc., for disposal of the complaints at their end.
    4. In respect of complaints related to sexual harassment of women at their workplaces, the concerned organizations or departments are urged to constitute an Internal Complaints Committee(ICC) as per the mandatory provisions Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013 in order  to enquire into such complaints. The Commission regularly monitored and takes up these complaints with the concerned organizations/departments to expedite the disposal of the complaints by following the statutory provisions.

    Analysis of Complaints:-

    1. The complaints received show the trend of crimes against women and suggests systemic changes needed for reduction in crimes.
    2. The complaints are analyzed to understand the gaps in routine functioning of government in tackling violence against women and to suggest corrective measures.
    3. The complaints are also used as case studies for sensitization programmes for the police, judiciary, prosecutors, forensic scientists, defence lawyers and other administrative functionaries.

      Here's what you will find in this section

      Complaint & Investigation Cell

      • Processes  the complaints received orally in writing or online via official website National Commission for Women.
      • Deals with the complaints received from all over the country including those relating to deprivation of rights of women and involving injustice to women takes suo motu cognizance of incidents related to commission of heinous crimes against women U/S 10 of the National Commission Act, 1990

      Scrutiny of Complaints

      • The complaints received are  scrutinised as per Commission’s mandate and adopted procedure to handle complaints

      • The complaints which falls within the Commission’s mandate and adopted procedure to handle complaints are registered under 19 identified categories
      • The complaints of the following nature are  summarily dismissed:-
        1. Complaints which are illegible or vague, anonymous or pseudonymous;
        2. The issue raised relates to civil dispute between the parties;
        3. The issue raised relates to service matters;
        4. Matter is sub judice before a Court/Tribunal;
        5.  Complaints which are already pending before a State Commission or any other Commission
        6. Complaints only endorsed to the Commission
        7. Complaints involving no deprivation of women rights

      Heads Under Which Complaints Are Registered

      1. Rape / Attempt to rape
      2. Acid Attack
      3. Sexual Assault
      4. Sexual harassment
      5. Stalking / Voyeurism
      6. Trafficking / prostitution of women
      7. Outraging modesty of women / Molestation 
      8. Cyber crimes against women
      9. Police Apathy against women
      10. Harassment of married women / Dowry Harassment
      11. Dowry Death
      12. Bigamy / Polygamy
      13. Protection of women against Domestic Violence
      14. Women’s right of custody of children / Divorce
      15. Right to exercise choice in marriage / Honour Crimes
      16. Right to live with dignity
      17. Sexual Harassment of women at workplace
      18. Denial of maternity benifits to women
      19. Gender discrimination including eqaul right to education and work
      20. Indecent representation of women
      21. Sex Selective Abortions; Female Foeticide / Amniocentesis
      22. Traditional practices derogatory to women rights like Sati Pratha, Devdasi Pratha and Witch Hunting
      23. Free legal aid for women

      Processing of Complaints

      To provide adequate relief to the complainant and ensure suitable redressal of her grievances. The complaints are acted upon in the following manner :

      1. Investigations by the police are expedited and monitored.
      2. Family disputes are resolved or compromised through counseling or hearing  before the Commission.. For serious crimes, the Commission constitutes an Inquiry Committee which makes spot enquiries, examines various witnesses, collects evidence and submits the report with recommendations. Such investigations help in providing immediate relief and justice to the victims of violence and atrocities. The implementation of the report is monitored by the NCW. There is a provision for having experts/lawyers on these committees.
      3. A few complaints are also forwarded to the respective State Commissions for Women and other forums like the National Human Rights Commission, National Commission for Scheduled Caste / Scheduled Tribe, etc., for disposal of the complaints at their end.
      4. In respect of complaints related to sexual harassment of women at their workplaces, the concerned organizations or departments are urged to constitute an Internal Complaints Committee(ICC) as per the mandatory provisions Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act, 2013 in order  to enquire into such complaints. The Commission regularly monitored and takes up these complaints with the concerned organizations/departments to expedite the disposal of the complaints by following the statutory provisions.

      Analysis of Complaints:-

      1. The complaints received show the trend of crimes against women and suggests systemic changes needed for reduction in crimes.
      2. The complaints are analyzed to understand the gaps in routine functioning of government in tackling violence against women and to suggest corrective measures.
      3. The complaints are also used as case studies for sensitization programmes for the police, judiciary, prosecutors, forensic scientists, defence lawyers and other administrative functionaries.

        शुक्रवार, अप्रैल 28, 2023

        संविधान निर्माता डा भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ फोड़ करने/ क्षतिग्रस्त करने के आरोपी के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह, रासुका,गुंडा ऐक्ट तथा अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत विधि सम्मत कार्यवायी को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन

        संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ फोड़ करने/ क्षतिग्रस्त करने के आरोपी के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह, रासुका,गुंडा ऐक्ट तथा अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत विधि सम्मत कार्यवायी को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन अम्बेडकर स्थल डुमरा में अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी संघ सीतामढ़ी के बैनर तले आयोजित किया गया।
        धरना प्रदर्शन समाप्ति के बाद जिला पदाधिकारी सीतामढ़ी के माध्य्म से एक ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति और महामहिम राज्यपाल बिहार को सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि
         जहां एक ओर न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में विश्व के शक्तिशाली देश के राष्ट्रध्यक्ष,संयुक्त राष्ट्र संघ में विश्व के धरोहर,भारत के भाग्य विधाता ,भारतीय संविधान के निर्माता, बोधिसत्व बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर के आदर्शो,विचारो देश और समाज के प्रति उनका समर्पण योगदान का गुणगान किया जा रहा है।उनकी कीर्तियो की चर्चा जयंती के माध्यम से जन जन तक उनका संदेश एवं उपदेश पर चर्चा हो रही है। देश के सर्वाधिक जगह पर उनकी प्रतिमा स्थापित कर लोक उनमें अपनी श्रद्धा एवं सम्मान प्रकट करते है।
            समूर्ण विश्व अंबेडकर्ममय हो रहा है, समाजार्थिक,राजनीतिक रूप से विपरीत विचारधारा के तथाकथित व्यक्ति, संगठन भी अंबेडकर साहब के दर्शन को मानने को मजबूर है। 
          वही दूसरी ओर समाज के अभिजात्य वर्ग के असामाजिक तत्व जो मनुवादी विचारधारा के कट्टरता ,दलित विरोधी मानसिकता के सामंतवादी गुंडा लोग बाबा साहब की मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर राष्ट्रीय अपराध करता है जो राष्ट्रद्रोह है।
        सीतामढ़ी जिलांतर्गत डुमरा प्रखंड के मझौलिया चक्का गांव में अंबेडकर युवा समिति द्वारा स्थापित डा भीमराव अंबेडकर की आदमकद प्रतिमा को पूर्वाग्रह से ग्रसित जातीय दुर्भावनावश जिला के कुछ प्रभाशाली ब्राह्मण भूमिहार नेताओं के बहकावे में कुछ असामाजिक तत्व के शरारती एवं उग्रवादी लोगो द्वारा दिनांक 24.04.2023को तोड़ फोड़कर क्षतिग्रस्त कर दिया है जिससे जिला में अंबेडकरवादियो में असंतोष एवं आक्रोश व्याप्त हैं,सम्पूर्ण जिला आंदोलनमय  हो गया है।
         नागेंद्र कुमार पासवान अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ सीतामढ़ी ने इस घटना की घोर निन्दा करते हुए सरकार से मांग किया है कि डा.अंबेडकर की प्रतिमा को तोड़ने वाले देशद्रोही अपराधियों की अविलंब गिरफ्तारी एवं उस पर गुंडा एक्ट, रासुका के तहत राष्ट्रद्रोह एवं अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत विधि सम्मत कार्यवायी की जाय तथा उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलवाई जाय।
          

        गुरुवार, मार्च 16, 2023

        श्री संजय कुमार देव 'कन्हैया', जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्यान भोजन), जिला- सीतामढ़ी 50,000/- रु० रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

        श्री संजय कुमार देव 'कन्हैया', जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्यान भोजन), जिला- सीतामढ़ी 50,000/- रु० रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार।
         निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की मुख्यालय टीम के द्वारा आज दिनांक 16.03.2023 को निगरानी थाना कांड सं0-013/2023 दिनांक 15.03.2023 में श्री संजय कुमार देव 'कन्हैया', जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्यान भोजन), जिला- सीतामढ़ी को 50,000/- (पचास हजारो रुपये रिश्वत लेते शंकर चौक, सीतामढ़ी स्थित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्यान भोजन) कार्यालय से रंगे हाथ गिरतार किया गया है।

         परिवादी श्री रितेश रंजन, पिता- जगदेव राम, ग्राम+पो०- भवदेपुर अम्बेदकर नगर, थाना- रीगा, जिला- सीतामढ़ी द्वारा निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में दिनांक 27.02.23 को शिकायत दर्ज कराया गया था कि आरोपी श्री संजय कुमार देव 'कन्हैया', जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, पी०एम० पोषण योजना, जिला सीतामढ़ी द्वारा अवैध निकासी के आरोप के संबंध में मांगे गये स्पष्टीकरण पर दोषमुक्त करने के लिए रिश्वत की मांग की जा रही है।

         ब्यूरो द्वारा सत्यापन कराया गया एवं सत्यापन के क्रम में आरोपी द्वारा 50,000/- रू0 रिश्वत मांगे जाने का प्रमाण पाया गया आरोप सही पाये जाने के पश्चात् उपरोक्त कांड अंकित कर अनुसंधानकर्ता श्री राजीव कुमार सिंह, पुलिस उपाधीक्षक के नेतृत्व में एक धावादल का गठन किया गया , जिनके द्वारा कार्रवाई करते हुए अभियुक्त श्री संजय कुमार देव 'कन्हैया', जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को 50,000/- रू० रिश्वत लेते शंकर चौक, सीतामढ़ी स्थित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (मध्यान भोजन) कार्यालय से रंगे हाथ गिरतार किया गया है। अभियुक्त को पूछताछ के उपरांत माननीय न्यायालय, निगरानी, मुजफरपुर में उपस्थापित किया जायेगा।

         रिश्वत मांगने से संबंधित कोई भी शिकायत कार्यालय अवधि में ब्यूरो के टॉल 0-0612-2215033, 2215030, 2215032, 2215036, 2215037, 2999752, दूरभाष नं0 0612-2215344 एवं मोबाइल नं0- 7765953261 पर की जा सकती है।

        शुक्रवार, मार्च 10, 2023

        क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, तिरहुत प्रमंडल, मुजफ्फरपुर ने प्रखंड नियोजन इकाई, परिहार, सीतामढ़ी के द्वारा किए गए दो शिक्षकों के स्थानान्तरण आदेश को तत्काल किया स्थगित

        क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, तिरहुत प्रमंडल, मुजफ्फरपुर ने प्रखंड नियोजन इकाई, परिहार, सीतामढ़ी के द्वारा किए गए दो शिक्षकों के स्थानान्तरण आदेश को तत्काल  स्थगित कर दिया गया है।
        श्री जितेन्द्र पासवान, शिक्षक एवं श्रीमती सरिता यादव, शिक्षिका म०वि०, नरंगा, प्रखंड- परिहार, जिला- सीतामढ़ी के द्वारा बिहार पंचायत प्रारम्भिक शिक्षक नियोजन एवं सेवा शर्त, 2020 नियमावली के विपरीत नियोजन इकाई द्वारा किये गये स्थानान्तरण के विरुद्ध अधोहस्ताक्षरी कार्यालय में आवेदन पत्र समर्पित किया गया है, जिसके निष्पादन हेतु दिनांक- 10.02.2023 का अधोहस्ताक्षरी कार्यालय प्रकोष्ठ में सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई, जिसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी, सीतामढ़ी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी परिहार, सीतामढ़ी, एवं संबंधित शिक्षक / शिक्षिका को पक्ष रखने हेतु बुलाया गया। सुनवाई की निर्धारित तिथि को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, परिहार एवं श्री जितेन्द्र पासवान, शिक्षक उपस्थित हुए। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, परिहार, सीतामढ़ी के द्वारा प्रतिवेदन समर्पित करने हेतु समय की मांग की गई। तत्पश्चात् पत्रांक-113 दिनांक - 15.02.2023 के द्वारा प्रतिवेदन समर्पित किया गया।

        संबंधित शिक्षक / शिक्षिका द्वारा दिये गये आवेदन पत्र एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, परिहार, सीतामढ़ी द्वारा समर्पित प्रतिवेदन के समीक्षोपरान्त पाया गया कि श्री जितेन्द्र पासवान एवं श्रीमती सरिता यादव का स्थानान्तरण सचिव, प्रखंड नियोजन इकाई, परिहार के ज्ञापांक- 112 दिनांक- 24.12.2022 एवं संशोधित ज्ञापांक-04 दिनांक 04.01.2023 के द्वारा प्रशासनिक दृष्टिकोण से गंभीर आरोप लगाते हुए श्री जितेन्द्र पासवान का स्थानान्तरण म०वि०, पिपरा सूरदास में किया गया, जिसे संशोधित कर म०वि०, मलाही, सीतामढ़ी में किया गया, तथा श्रीमती सरिता यादव, शिक्षिका का स्थानान्तरण म०वि०, जयनगर, सीतामढ़ी में कर दिया गया।

        संबंधित शिक्षक / शिक्षिका पर गंभीर आरोप के आधार पर स्पष्टीकरण पूछते हुए नियोजन इकाई के द्वारा विभागीय नियमानुसार विभागीय कार्यवाही संचालित करना चाहिए था, किन्तु इनके द्वारा केवल इन शिक्षक/शिक्षिका केवल स्थानान्तरण किया गया। विभागीय नियमानुसार नियोजित शिक्षकों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के संबंध में निर्णय

        लेने हेतु जिला अपीलीय प्राधिकार ही सक्षम प्राधिकार हैं, जिसका गठन हो चुका है। अतः प्रखंड नियोजन इकाई, परिहार, सीतामढ़ी के द्वारा उपरोक्त दोनों शिक्षक/शिक्षिका के किये गये स्थानान्तरण आदेश को तत्काल स्थगित करते हुए निदेश दिया जाता है कि प्रखंड नियोजन इकाई, परिहार, सीतामढ़ी द्वारा किये गये स्थानान्तरण / आरोप के संबंध में जिला अपीलीय प्राधिकार, सीतामढ़ी में अपील दायर करेंगे। स्थगन आदेश जिला अपीलीय प्राधिकार, सीतामढ़ी से अंतिम आदेश पारित होने तक प्रभावी रहेगा।

        मंगलवार, मार्च 07, 2023

        चार साल के जिद्दो जेहद के बाद वर्ष 2019 बाढ़ अनुग्रह अनुदान (GR)की राशि का भुगतान 27 फरवरी 2023 को मिला, चार साल का संघर्ष रंग लाया

         चार साल के जिद्दो जेहद के बाद वर्ष 2019 बाढ़ अनुग्रह अनुदान (GR)की राशि का भुगतान 27 फरवरी 2023 को अंचल अधिकारी परिहार को करना ही पड़ा।  2019 में बाढ़ अनुग्रह अनुदान (GR)की राशि पंचायत के अनुमोदित सूची में होने के पश्चात भी अंचल अधिकारी परिहार ने नहीं दिया था जिसको लेकर मेरे द्वारा ज़िला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सीतामढ़ी के समक्ष 24/10/2019 को शिकायत दर्ज की गई थी निवारण पदाधिकारी ने अपने अन्तिम विनिश्चय 25/11/2019 में लोक प्राधिकार सह अंचल अधिकारी परिहार को निदेशित किया कि " अंचल अधिकारी, परिहार को आदेश दिया जाता है कि सम्पूर्ति पोर्टल क्रियाशिल होते ही नियमसंगत अग्रेतर कार्रवाई करते हुए परिवादी को बाढ़ सहाय्य राशि का भुगतान करना सुनिश्चित करेगें "
         परन्तु जब अनुपालन नहीं किया गया तो मैं प्रथम अपीलीय पदाधिकारी सह प्रमंडलीय आयुक्त मुज़फ़्फ़रपुर  के समक्ष 02/01/2020 को किया। प्रथम अपीलीय प्राधिकार ने अपने अंतिम विनिश्चय 19/02/2020 को निर्णय दिया कि
        " अपीलकर्ता के शिकायत के निवारण के संबंध में लोक प्राधिकार के स्तर से कार्रवाई अभी लंबित है। अतः प्रस्तुत वाद जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, सीतामढ़ी को प्रतिप्रेषित (Remand) करते हुए आदेश दिया जाता है कि वे परिवाद पर पुनः सुनवाई करते हुए अपने आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करावें लेकिन अनुपालन सुनिश्चित नहीं करवाया गया तो द्वितीय अपील 18/03/2020 को विभागीय सचिव/प्रधान सचिव, (द्वितीय अपीलीय प्राधिकार) आपदा प्रबंधन विभाग, कमरा सं0-133, द्वितीय तल, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, मुख्य सचिवालय के समक्ष किया इन्होंने अपने अंतिम विनिश्चय 16/12/2020 में अंतिम निर्णय दिया जिसमें लिखा कि " 
        अपीलार्थी मो0 कमरे आलम दिनांक—08.12.2020 को अनुपस्थित। इनके द्वारा प्रमंडलीय आयुक्त, तिरहुत प्रमंडल, मुजफ्फरपुर—सह—प्रथम अपीलीय प्राधिकार के द्वारा पारित आदेश का अनुपालन नहीं होने के कारण यह द्वितीय अपील दायर किया गया है। यह मामला वर्ष 2019 बाढ़ अनुग्रह अनुदान राशि का भुगतान के संबंध में है। प्रश्नगत मामले में जिला पदाधिकारी, सीतामढ़ी से कार्यालय पत्रांक—45/लो0शि0नि0को0/2020,आ0प्र0, दिनांक—09.10.2020 के माध्यम से प्रतिवेदन की मांग की गई। जिला पदाधिकारी के द्वारा उनके कार्यालय पत्रांक—5629/आ0प्र0, दिनांक—05.12.2020 के माध्यम से प्रतिवेदन उपलब्ध कराया गया जिसमें बतलाया गया है कि मो0 कमरे आलम, पिता— मो0 नदीम आलम, ग्राम—एकदण्डी, प्रखंड+अंचल— परिहार द्वारा दायर अपील में अंचल अधिकारी, परिहार के पत्रांक—562, दिनांक—27.11.2020 के द्वारा जांचोपरान्त प्रतिवेदित किया गया है कि वर्ष 2019 के माह दिसम्बर से ही 2019 बाढ़ संबंधित प्रविष्टि सम्पूर्ति पोर्टल पर निष्क्रिय कर दिया गया है, जिसमें आवेदक का नाम इन्ट्री या सुधार नहीं होने के कारण बाढ़ राहत अनुदान की राशि नहीं उपलब्ध कराया जा सकता है। जिला पदाधिकारी, सीतामढ़ी के प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि सम्पूर्ति पोर्टल निष्क्रिय होने के कारण भुगतान संभव नहीं है। जिला पदाधिकारी के प्रतिवेदन के आलोक में सम्पूर्ति पोर्टल की प्रक्रिया प्रारंभ किये जाने हेतु अपर सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार पटना को निदेश दिया जाता है। तदनुसार वाद निष्पादित किया जाता है।
                 "निर्णय पारित होने के दो साल बीत जाने के पश्चात भी जब अनुपालन नहीं किया गया तो मैं फिर उठा और ठान लिया कि अनुपालन करवा कर ही अब रुकना है और बाढ़ अनुग्रह राशि लेकर ही दम लेना है "
         द्वितीय अपील में पारित अन्तिम विनिश्चय के अनुपालन करवाने के लिए नये सिरे से शिकायत  01/01/2024 को दर्ज की।
        विभागीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी आपदा प्रबंधन विभाग ने 19 /01/2023 को अपने अन्तरिम विनिश्चय में निम्नलिखित निदेश दिया "
        परिवाद का विषय वर्ष 2019 बाढ़ अनुग्रह अनुदान (GR) राशि के भुगतान से संबंधित है। परिवादी द्वारा प्रश्‍नगत मामले से संबंधित पूर्व में दायर द्वितीय अपीलवाद अनन्य पंजीयन संख्या- 999957924101904869/2A में प्रधान सचिव, आपदा प्रबंधन-सह-द्वितीय अपीलीय प्राधिकार द्वारा दिनांक- 16/12/2020 को आदेश पारित किया गया था। उक्त आदेश में उल्लेख है- ''अपीलकर्ता का शिकायत वर्ष 2019 बाढ़ अनुग्रह अनुदान राशि का भुगतान के संबंध में है। प्रश्नगत मामले में जिला पदाधिकारी, सीतामढ़ी से कार्यालय पत्रांक—45/लो0शि0नि0को0/2020,आ0प्र0, दिनांक—09.10.2020 के माध्यम से प्रतिवेदन की मांग की गई। जिला पदाधिकारी के द्वारा उनके कार्यालय पत्रांक—5629/आ0प्र0, दिनांक—05.12.2020 के माध्यम से प्रतिवेदन उपलब्ध कराया गया जिसमें बतलाया गया है कि मो0 कमरे आलम, पिता— मो0 नदीम आलम, ग्राम—एकदण्डी, प्रखंड+अंचल— परिहार द्वारा दायर अपील में अंचल अधिकारी, परिहार के पत्रांक—562, दिनांक—27.11.2020 के द्वारा जांचोपरान्त प्रतिवेदित किया गया है कि वर्ष 2019 के माह दिसम्बर से ही 2019 बाढ़ संबंधित प्रविष्टि सम्पूर्ति पोर्टल पर निष्क्रिय कर दिया गया है, जिसमें आवेदक का नाम इन्ट्री या सुधार नहीं होने के कारण बाढ़ राहत अनुदान की राशि नहीं उपलब्ध कराया जा सकता है। जिला पदाधिकारी, सीतामढ़ी के प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि सम्पूर्ति पोर्टल निष्क्रिय होने के कारण भुगतान संभव नहीं है।'' जिला पदाधिकारी, सीतामढ़ी के प्रतिवेदन के आलोक में सम्पूर्ति पोर्टल की प्रक्रिया प्रारंभ करने हेतु अपर सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार पटना को निदेश दिया गया। चूंकि विषयांकित मामले में द्वितीय अपीलीय प्राधिकार द्वारा अनन्य पंजीयन संख्या—999957924101904869/2A में निदेश दिया जा चुका है। उक्त निदेश के आलोक में अपर सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार, पटना द्वारा विभागीय पत्रांक-243, दिनांक-15.01.2021 के माध्यम से उक्त मामले में भुगतान हेतु अग्रेतर कार्रवाई करने का निदेश दिया गया तथा आपदा सम्पूर्ति पोर्टल को क्रियाशील करने हेतु NIC मुख्‍यालय को निदेशित किया गया। परन्तु इस मामले में कृत कार्रवाई से संबंधित कोई प्रतिवेदन/सूचना विभाग को प्राप्त नहीं होने के कारण पुन: विभागीय प्रत्रांक-1552, दिनांक- 05.04.2021 तथा विभागीय पत्रांक-2970, दिनांक-09.08.2021 के माध्‍यम से जिला पदाधिकारी, सीतामढ़ी को स्मारित किया जाता रहा है। प्रश्‍नगत मामले में संयुक्त सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार, पटना द्वारा विभागीय पत्रांक-01/प्रा0आ0(PFMS)-38/2019/281/आ0प्रा0, दिनांक-17.01.2023 के माध्‍यम से बाढ़ वर्ष 2019 में बाढ़ पीडि़त होने के फलस्‍वरूप परिवादी मो0 कमरे आलम, पिता- मो0 नदीम आलम, ग्राम—एकदण्डी, प्रखंड+अंचल—परिहार, जिला-सीतामढ़ी को आनुग्रहिक राहत (GR) की राशि के भुगतान में हुए विलम्‍ब के लिए दोषी पदाधिकारी/कर्मी को चिन्हित कर कार्रवाई सुनिश्चित करते हुए भुगतान के संबंध में अग्रेतर कार्रवाई किये जाने और साथ ही आपदा सम्पूर्ति पोर्टल पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, तो CFMS के माध्‍यम से परिवादी को भुगतान हेतु विभाग से राशि की अधियाचना कर लिये जाने का आदेश दिया गया है। अत: लोक प्राधिकार-सह-प्रभारी अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन, सीतामढ़ी विभागीय निदेश के आलोक में अग्रेतर कार्रवाई/अधियाचना संबंधित कार्रवाई कर अधोहस्ताक्षरी को सुनवाई की अगली तिथि के पूर्व (पंद्रह दिन के अंदर) प्रतिवेदन उपलब्‍ध कराना सुनिश्चित करेंगे। सुनवाई की अगली तिथि दिनांक-13.02.2023 को निर्धारित की ।
        अगली सुनवाई तिथि 13/02/2023 को अन्तरिम विनिश्चय में कहा कि " प्रश्नगत मामले में जिला पदाधिकारी,सीतामढ़ी द्वारा कार्यालय पत्रांक—161, दिनांक—08.02.2023 के माध्यम से आवंटन की मांग की गयी। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से मामला प्रक्रियाधीन है। अत: विशेष कार्य पदाधिकारी, आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार, पटना द्वारा विषयांकित मामले में शीघ्र आवंटन उपलब्ध कराते हुए अवगत कराना सुनिश्चित करेंगे। सुनवाई की अगली तिथि दिनांक—27.02.2023 को निर्धारित की जाती है। आदेश की प्रति विशेष कार्य पदाधिकारी, आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार, पटना को सूचनार्थ एवं अनुपालनार्थ भेजी जाय।
        सुनवाई की अगली तिथि दिनांक—27.02.2023 को परिवाद का अवलोकन किया गया। अवलोकनपरांत पाया गया कि परिवाद का विषय वर्ष 2019 बाढ़ राहत अनुग्रह अनुदान (GR) राशि के भुगतान से संबंधित है। आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार, पटना से प्रतिवेदन की मांग की गयी। विशेष कार्य पदाधिकारी, आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार, पटना द्वारा गै0सं0प्रे0सं0-54, दिनांक-24.02.2023 के माध्यम से प्रतिवेदन उपलब्ध कराया गया, जिसमें उल्लिखित है- ''जिला पदाधिकारी, सीतामढ़ी के पत्रांक-161, दिनांक-08.02.2023 के आलोक में स्वीकृत्यादेश संख्‍या 157/आ0प्र0, दिनांक-15.02.2023 एवं CFMS आदेश संख्‍या-9140, दिनांक-16.02.2023 द्वारा राशि आवंटित कर दी गई है।'' अत: लोक प्राधिकार-सह-प्रभारी अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन, सीतामढ़ी को निदेश दिया जाता है कि परिवादी को बाढ़ राहत राशि का शीघ्र भुगतान कराना सुनिश्चित करेंगे। चूकि आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार, पटना द्वारा आवंटन उपलब्ध करा दी गयी है। अत: इस विनिश्चय के साथ वाद निष्पादित किया जाता है।
        " और संघर्ष की कहानी अंचल अधिकारी परिहार द्वारा चेक हस्तगत कराने के साथ खत्म हुआ।" 

        मंगलवार, फ़रवरी 07, 2023

        संजीव कुमार, प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी, टिकारी, जिला- गया 50,000/- रू० रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

        श्री संजीव कुमार, प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी, टिकारी, जिला- गया 50,000/- रू० रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

         निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की मुख्यालय टीम के द्वारा आज दिनांक 07.02.2023 को निगरानी थाना कांड सं0-07/2023 दिनांक 06.02.2023 में श्री संजीव कुमार, प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी, टिकारी, जिला- गया को 50,000/- (पचास हजार) रुपये रिश्वत लेते प्रखण्ड संसाधन केन्द्र, टिकारी, जिला- गया के कार्यालय कक्ष से रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है।

         परिवादी श्री जितेन्द्र कुमार, पिता- काशीनाथ सिंह, मो०- जलालपुर, थाना- टिकारी, जिला- गया, वर्तमान प्रभारी प्रधानाध्यापक, मध्य विद्यालय चैता, टिकारी, जिला- गया द्वारा निगरानी अन्वेषण ब्यूरो में दिनांक 30.01.23 को शिकायत दर्ज कराया गया था कि आरोपी श्री संजीव कुमार, प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी, टिकारी, जिला- गया द्वारा विद्यालय का बार-बार निरीक्षण नहीं करने तथा विद्यालय का भवन निर्माण कार्य करने देने के लिए रिश्वत की मांग की जा रही है।

         ब्यूरो द्वारा सत्यापन कराया गया एवं सत्यापन के क्रम में आरोपी द्वारा रिश्वत मांगे जाने का प्रमाण पाया गया। आरोप सही पाये जाने के पश्चात् उपरोक्त कांड अंकित कर अनुसंधानकर्ता श्री गौतम कृष्ण, पुलिस उपाधीक्षक के नेतृत्व में एक धावादल का गठन किया गया, जिनके द्वारा कार्रवाई करते हुए अभियुक्त श्री संजीव कुमार, प्रखण्ड शिक्षा पदाधिकारी को 50,000/- रू० रिश्वत लेते प्रखण्ड संसाधन केन्द्र , टिकारी, जिला- गया के कार्यालय कक्ष से रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है। अभियुक्त को पूछताछ के उपरांत माननीय न्यायालय, निगरानी, पटना में उपस्थापित किया जायेगा।

         रिश्वत मांगने से संबंधित कोई भी शिकायत कार्यालय अवधि में ब्यूरो के टॉल 0-0612-2215033, 2215030, 2215032, 2215036, 2215037, 2999752, दूरभाष नं0-0612-2215344 एवं मोबाइल नं0- 7765953261 पर की जा सकती है।

        होशियार! होशियार!होशियार!अथलोस ऑनलाइन शॉपिंग कम्पनी से खरीदारी करने वाले होशियार

        होशियार! होशियार!होशियार!अथलोस ऑनलाइन शॉपिंग कम्पनी से खरीदारी करने वाले हो जाओ होशियार



        मैं अथलोस ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से मिरिनो बेसलियेर का आर्डर किया था जिसका फेब्रिक्स कम्पोजीशन प्रचार में 58% MERINO + 37% TENCEL & 5% ELASTANE बतलाया गया था मगर कंपनी ने  अथलोस एक्टिव वेयर एसेंसियल भेज दिया जिसका फेब्रिक्स कॉम्बिनेशन 30% MERINO + 67% TENCEL & 3% ELASTANE था जिसको पहनने से गर्मी तो क्या ठंड का ही अहसास होने लगा।
               मैं 15/01/2023 को मेल कर शिकायत किया लेकिन कोई प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुआ।
        तब पुनः  20/01/2023 को मेल किया जो संलग्न है।
        इस के प्रतिउत्तर में यहमेल प्राप्त हुआ।
        प्रोडक्ट returning के लिए प्राप्त कर लिया और 01/02/2023 को received भी कर लिया मगर कोई रेस्पोंस नहीं होते मैं फिर मेल किया :- 
        तो अथलोस का मेल प्राप्त होता है जो यह है
        इस के जवाब में मैंने mail किया जो यह है
        इस मेल के उत्तर में अथलोस का मेल प्राप्त होता है जो यह है।
        तो मैंने जवाब दिया जो यह है।
        इसके बाद अभी तक अथलोस की तरफ से कोई मेल प्राप्त नहीं हुआ है और न ही मेरा प्रोडक्ट वापस किया गया है।
        आगे क्या होता है देखते हैं क्या होता है ? मेरा प्रोडक्ट return करता है या नहीं ?