शुक्रवार, अक्तूबर 27, 2017

ग़ुलामी की जंजीरों से बाहर निकलो


● गुलामी के पहले शूद्रों को धर्म से दूर रखा गया और आजादी के बाद धर्म से चप्का दिया गया ।
26 जनवरी 1950 से पहले रामायण, गीता,वेद,पुराण महाभारत जैसी पुस्तके ब्राह्मण ही पढते थे ।
26 जनवरी 1950 के बाद संविधान लागू होते ही वह सारी पुस्तकें ब्राह्मणो ने O B C , S C,S T को थमा दी और
खुद *संविधान* पढ़ने लगे।
संविधान वो आज भी पढ़ रहे हैं और हमारे लोगों ने संविधान उठा कर देखा तक नहीं।
वे वकील ,जज और नेता बन गये और हमारे समाज के लोग भक्त बन गये।
क्या ये विचारणीय प्रश्न नहीं है ?
इस लिये आप सभी भारत देश के नागरिकों से आनुरोध है कि संविधान को पढें और आगे बढें।
गीता रामायण पढने से आप I A S,
I P S, P C S, M B B S इंजीनियर नहीं बन सकते हो इस लिये अब समय आ गया है पाखण्डवाद से बाहर निकलने का ...वक्क्त रहते संभल जाओ,नही तो गुलामी की बेड़िया तुम्हारा इन्तजार कर रही है, फिर समय नहीं मिलेगा।


Immune Health is in HIGH DEMAND right now for obvious reasons.  

Everyone is thinking about their Immune System right now or they should be.  

This is a newer offer that only a handful of affiliates have seen so it hasn't been trafficked to death.

https://www.digistore24.com/redir/356918/mdqamrealam/
            

गुरुवार, अक्तूबर 26, 2017

छठ पर्व पर विशेष :-नर्म और सख़्त कैसे होता है छठ का ठेकुवा और ख़स्ता

महजबीं

नर्म और सख़्त कैसे होता है छठ का ठेकुवा और ख़स्ता

सर्दियों के गुलाबी मौसम में त्योहारों की आमद साथ लाती है मेहमान पकवान शादियों के पैग़ाम। आजकल बाज़ार में त्योहार से मुतालिक हर चीज़ बाआसानी से फराहम है तरह-तरह के तोहफे मिठाइयाँ सजावट के सामान होली की गुज़िया तिल के लड्डू रेडीमेड रंगोली इत्यादि। बाज़ार और टेक्नोलॉजी ने बहुत काम आसान कर दिया अब हर चीज़ हर जगह मिलती है और घर में बनने वाली चीज़ें भी बाज़ार में मिलती है जैसे अब सत्तू तीसी धान बाजरा मड़वा मकई का आटा चूरा (पोहा, चिड़वा ) लाई के लड्डू तिल के लड्डू होली की गुज़िया शरीफा टापलेमुन झिंगा मछली.... बाज़ार ने हमारी दौड़ धूप महनत कम कर दी है इसमें कोई शक़ नहीं घर बैठे इंट्रनेट पर अॉडर देकर कुछ भी मंगा लिजिए। मगर इस सुविधा में चकाचौंध में कहीं कुछ पिछे छूट गया है, संवेदना दिनो - दिन मिटती जा रही है, अब लोगों के दिलों में अहसास नहीं रहे हैं इनकी जगह अॉपचारिकता (खानापूर्ति ) ने ले ली है, टेलीफोन मोबाइल के ज़रिए अब कभी भी किसी से बात करना कितना आसान हो गया है मगर बात करने में वो पहले वाली बेसब्री इंतजार ललक मुहब्बत नहीं रही। अब कोई ज़ुदा होता है रुख़सत होता है तो अलविदा में नम आँखें उतनी नम नहीं होती दिल में चुभन नहीं होती, क्योंकि अब महिनों सालों कोई किसी से बात करने को नहीं तरसता, अब कोई हालचाल गुफ्तगू के लिए ख़तूत के मोहताज नहीं, फोन पर व्हाट्स एप्प पर रोज़ बात हो जाती है। अब तो आदमी मर जाता है तो उतना दु:ख नहीं होता उसके चले जाने का, उधर जनाज़ा उठा इधर मिंटो में सब नॉर्मल हो जाते हैं।

मैं अक्सर अपने प्रेज़ेंट को अपने पास्ट से नापती - तोलती रहती हूँ देखती रहती हूँ क्या खो दिया है क्या पा लिया है कुछ नया - नया पाकर खुशी और आराम मिलता है मगर माज़ी की कुछ बातें नहीं भुलती वो अभी भी खींच लेती हैं अपनी तरफ़ जैसे कि नानी के हाथों भेजी गई वो मोटरी जिसमें तीसी सत्तु चूरा लाई के लड्डू धान मड़वा का आटा ख़स्ता झिंगा मछली होती थी उस मोटरी का हम बेसब्री से इंतजार किया करते थे क्योंकि यह सब चीज़ें उन दिनों दिल्ली में नहीं मिलती थी नानी आती थी तो लाती थी या गाँव से आने वाले लोगों के हाथ भिजवाती थी, अब यह चीज़ें दिल्ली की हर गली में दुकानों पर मिल जाती हैं मगर मुझे वो मोटरी अब भी याद आती है क्योंकि उसमें सामान के साथ - साथ नानी का ख़त भी आता था और उनकी मुहब्बत भी जो अब किसी बाज़ार में नहीं मिलते।

जब कोई गाँव से आता - जाता है तो सफर के लिए ख़स्ता बनाकर दिया जाता है कितना टेस्टी होता है ख़स्ता मगर अब यह रिवाज़ भी कहीं छूट रहा है,अब कहीं नहीं मिलता ख़स्ता खाने को , ख़स्ता और छट पर्व पर बनने वाला ठेकुवा और बरेलवी मुसलमानों के कुंडा में बनने वाले कुंड्डे का स्वाद बिल्कुल एक जैसा है, इसलिए कहीं से कोई बरेलवी मुसलमान कुंड्डे दे दे कुंड्डो के दिनों में तो मैं देवबंदी मुसलमान हूँ मगर कुंड्डे लेने से मना नहीं करती, क्योंकि मैं बरेलवी देबंदी के तसद्दुद में नहीं पड़ती कुंड्डो को अल्लाह का रिज़्क़ समझकर खा जाती हूँ, क्योंकि उसमें मुझे ख़स्ता का स्वाद मिलता है, ऐसे ही मुझे छट पूजा का भी इंतज़ार रहता है क्योंकि उसमें बिहार के हिन्दू पड़ोसियों के यहाँ से ठेकुवा आता है प्रसाद में जिसे मैं आते ही चट कर जाती हूँ, क्योंकि मैं ठेकुवा और ख़स्ता में अंतर कर ही नहीं पाती बिल्कुल सेम टेस्ट और रेसिपी है दोनों की बस शक्लें मुख़तलिफ़ हैं।

जब हम छोटे थे तो ख़स्ता खाते थे कहीं से आता था और छट पूजा के ठेकुए, कहीं से तो नर्म - नर्म आते थे और कहीं से बहुत सख़्त जिन्हें खाना बहुत मुश्किल होता है, मैं अब्बा से पूछती "अब्बा ये इतने सख़्त क्यों हैं खाते-खाते दाँत दु:ख गए"अब्बा क्या ये नरम नहीं बन सकते जैसे फलां-फलां के यहाँ बनते हैं, अब्बा कहते "हां नरम भी बन सकते हैं अगर इनमें घी थोड़ा और पड़ जाए, जितना मीठा गेरो उतना मीठा और जितना घी गेरो उतना नरम "तब समझ आया लॉजिक कि किसी - किसी के यहाँ के ख़स्ता ठेकुए नरम क्यों होते हैं और किसी - किसी के यहाँ के सख़्त क्यों, एक दिन अब्बा से कहा" अब्बा ये लोग ख़स्ता और ठेकुवा बनाते समय अच्छी तरह घी क्यों नहीं डालते? क्यों सख़्त बनाकर रिज़्क़ का सत्यानाश करते हैं" अब्बा ने कहा "बाबु रिज़्क़ ऐसी चीज़ है जिसका कोई जानबूझकर कभी सत्यानाश नहीं करता न बर्बाद, यह ऐसी नियामत है जिसकी क़द्र सबको है, असलियत में सबकुछ आदमी की आमदनी और हैसियत पर मुनहसर(निर्भर ) है, घी कितना मंहगा आता है ग़रीब आदमी अपने हस्बेमाअमूल नहीं अपनी आमदनी और हैसियत के मुताबिक ही तो इस्तेमाल करेगा, ये पकवान ख़स्ता और ठेकुवा आमदनी तय करती है कितने सख़्त बनेंगे और कितने नरम"।

अब्बा की वो बात मैं आजतक नहीं भूली और अब तो और भी याद आती है जब घरारी का सारा दारोमदार ख़ुद संभालना पड़ता है, एक रोज़ कुछ साल पहले मेरे एक क़रीबी ने अपनी राय दी थी गृहस्थी घर परिवार के संदर्भ में कि "जितने ज़्यादा अपने परिवार वालों पर पैसे ख़र्च किये जाएं जितना उन्हें माना जाए उतनी ही उनसे मुहब्बत मिलेगी" उसने भी समझाते समय मिसाल पेश की थी कि "जितना गुड़ डालो उतना मीठा होता है ठीक वैसे ही परिवार के सदस्यों को जितना दो- लो मानो उतनी ही मुहब्बत" । मैं एकटक सुनती रही बाद में सोचा कि क्या मुहब्बत भी आदमी की आमदनी और हैसियत से मिलती है? पैसे खर्च करने से मिलती है, अगर पैसे से मिलती है तो फिर जो मिलती है वो मुहब्बत कहाँ है? नहीं मुहब्बत पैसे से कभी नहीं मिलती ये दौलत तो गॉड गिफ्टिड है जिसे कभी कोई ख़रीद - फ़रोग नहीं कर सकता, पैसे से शराफत से हम किसी की तवक्कात ख़ैरख़्वाही इज्ज़त पा सकते हैं मगर मुहब्बत नहीं, ठेकुवा और ख़स्ता नरम कर सकते हैं मगर किसी का दिल नहीं, सामान इंसान में फ़र्क़ है दोनों ही बिकते हैं बाज़ार में मगर दिल नहीं, मुहब्बत नहीं अगर ऐसा होता तो कभी कोई शख़्स एकतरफा मुहब्बत में कभी मज़बूर होकर लाचार होकर मुहब्बत पाने के लिए तरसता नहीं, कोई यतीम माँ-बाप की मुहब्बत को नहीं तरसता, आज तक कोई साइंस दा मुहब्बत भरा दिल इज़ाद कर सका है? किसी मुहब्बत के लिए तरसते इंसान के लिए मुहब्बत करने वाला इंसान बनाकर साइंटिस्ट्स ने बाज़ार मोल में भेजा है, नहीं क्योंकि यह सिर्फ इश्वर के बस की बात है इश्वर ही मुहब्बत का तोहफा देता है और सिर्फ मुहब्बत ही इश्वर तक ले जाती है, पाखंड कट्टरता नफरत ढकोसला नहीं।

मुहब्बत का तोहफा सबको मिले माँ-बाप दोस्त हमसफर की मुहब्बत इसी कामना के साथ छट पर्व की शुभकामनाएं।

मेहजबीं

परिहार उत्तरी पंचायत मुखिया के उपेक्षापूर्ण नीति के कारण वार्ड 5 और वार्ड 15 के बाढ़ पीड़ित परिवार को अभी तक नही मिला राहत राशि

परिहार (सीतामढ़ी)परिहार उत्तरी पंचायत मुखिया के उपेक्षापूर्ण नीति के कारण वार्ड 5 और वार्ड 15 के बाढ़ पीड़ित परिवार को राहत राशि अभी तक नहीं मिला है ज्ञात सूत्रों से पता चला है कि मुखिया ने वार्ड 05,और 15 की सूची अंचल कार्यालय से उठा कर अपने घर ले गए और फिर बाद में अंचल कार्यालय में जमा किया जिस कारण अंचल कार्यालय द्वारा समय पर राहत राशि हस्तांतरण हेतु बैंक को नही भेजी जा सकी है।राहत राशि नही मिलने के कारण वार्ड 05 और 15 के बाढ़ पीड़ितों में काफी आक्रोश पाई जा रही है बताते चलें कि वार्ड 15 अनुसूचित जाति बहुल वार्ड है वहीं वार्ड में आंशिक अनुसूचित जाति के लोग निवास करते हैं इस वार्ड को एक सोची समझी साजिश के तहत ह्रास करने की कोशिश की गई है।मालूम हो कि बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला यही दो वार्ड था वार्ड 15 में प्रभावित परिवारों को बचाने के लिए NDRF  टीम को भी लगाया गया था और इसी वार्ड के प्रभावित परिवार को राहत राशि से अभी तक वंचित रखा जा रहा है।


 

मंगलवार, अक्तूबर 24, 2017

मानदेय भुगतान की माँग

विषय:-मानदेय राशि भुगतान के सम्बन्ध में ।

महाश्य,

उपर्युक्त विषयक प्रसंग में अंकित करना है कि ज़िला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सीतामढ़ी के निर्णय संख्या- 40411_00383 दिनांक 24.06.2016 के आलोक में, मैं ज़िला कार्यक्रम पदाधिकारी साक्षरता सीतामढ़ी के कार्यालय पत्रांक 228 दिनांक 11/07/2016 के आदेशानुसार दिनांक 11/07/2016 को योगदान कर कर तालिमी मरकज़ शिक्षा स्वयं सेवी के रूप में सम्बंधित विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय एकडंडी उर्दू कन्या परिहार सीतामढ़ी में कार्य कर रहा हूँ परन्तु चौदह माह पश्चात भी मानदेय भुगतान नही होने के कारण आर्थिक तंगी उत्पन्न हो गई है  जिस कारण मानसिक तनाव में रहता हूँ।लम्बित मानदेय भुगतान हेतु पूर्व में कई लिखित अभ्यावेदन दे चुका हूँ मगर मानदेय भुगतान नही किया गया ।

अतः अनुरोध है कि सहानुभूति पूर्वक ध्यान देते हुए मानदेय भुगतान राशि विमुक्त करवाने की कृपा करें।मेरा अनुपस्थिति विवरण ज़िला कार्यक्रम पदाधिकारी साक्षरता सीतामढ़ी के कार्यालय में जमा है।

विश्वस भाजन

मोहम्मद कमरे आलम
तालिमी मरकज़, शिक्षा स्वयं सेवी
प्राथमिक विद्यालय एकडंडी उर्दू कन्या
परिहार ,ग्राम-एकडण्डी, थाना+
पोस्ट +प्रखण्ड -परिहार, अनुमण्डल- सीतामढ़ी सदर ज़िला सीतामढ़ी पिन 843324
Mobile 9199320345 (बिहार)

सोमवार, अक्तूबर 23, 2017

सभी बाढ़ पीड़ित परिवार को राहत राशि नही मिलने पर मुखिया संघ और वार्ड संघ का एक दिवसीय धरण आयोजित

बाढ़ पीड़ित परिवार को राहत राशि नही मिलने व प्रखंड कार्यालय, अंचल कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध  मुखिया संघ और वार्ड संघ, पंचायत समिति संघ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रूप से परिहार प्रखण्ड मुख्यालय के सामने  एक दिवसीय धरना  मुखिया संघ की अध्यक्ष श्रीमती सपना कुमारी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई सभा का सफल संचालन वार्ड संघ अध्यक्ष विनय पासवान ने किया।सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर तीन दिनों के अंदर सभी बाढ़ पीड़ित परिवार के खातों में बाढ़ राहत राशि का हस्तांतरण नही होता है तो प्रखण्ड कार्याल की घेराबंदी होगी और माँगों के समर्थन में जिला प्रशासन के समक्ष अनशन किया जाएगा।

प्रखण्ड व अंचल कार्यालय में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का बाज़ार गर्म है और आम जनता परेशान है।आर टी पी एस सेवा ध्वस्त हो चुकी है समय सीमा के अंदर दाखिल-खारिज नही होता वही प्रखण्ड शिक्षा कार्यालय, अवर निबंधन कार्यालय आपूर्ति कार्यालय अतिरिक्त प्रभार के पदाधिकारियों के सहारे चलाया जा रहा है जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

पशु बाजार भिस्वा में अंचल अधिकारी की मिलीभगत से पशु बिक्री रशीद कम काट कर राजस्व की चोरी की जा रही है।

सभा को संबोधित करते हुए राकेश कुमार सिंह ने कहा कि पदाधिकारी अपने कार्य संस्कृति में सुधार करें और विचौलिया प्रवृति से दूर रहें ।वित्तीय वर्ष 2016-2017 की पोशाक राशि, छात्रवृति राशि अभी तक छात्रों के खाते में हस्तांतरित नही की गई

धरना समाप्ति के उपरान्त महामहिम राज्यपाल बिहार सरकार को सम्बोधित माँग पत्र अंचल अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण उनके द्वारा नियुक्त कर्मी को 13 सूत्री माँग-पत्र सौंपा।धरना को मुख्यरूप से  शेखर यादव, अजय पटेल, राकेश कुमार सिंह, मुहम्मद सऊद आलम, विनय पासवान, पीताम्बर सिंह, चंदेश्वर प्रसाद यादव, तमन्ने मुहम्मद यूसुफ, अखिलेश ठाकुर आदि वक्ताओं ने संबोधित किया।


बुधवार, अक्तूबर 18, 2017

प्रशासनिक उदासीनता के कारण बाढ़ पीड़ित परिवार को नही मिला बाढ़ राहत राशि

प्रखण्ड जनता दल यू परिहार सीतामढ़ी के बैठक में कई अहम फैसला लिया गया और उसके क्रियान्वयन के लिए पारित प्रस्ताव की कॉपी पदाधिकारियों के भेजी गई है।बाढ़ आने के दो महीने बाद भी प्रखण्ड के सभी बाढ़ पीड़ित परिवार को बाढ़ राहत राशि प्रशासनिक उदासीनता के कारण नही मिलने पर चिंता प्रकट किया गया वही आर टी पी एस में दिए गए आवेदन खास कर दाखिल खारिज के मामले का समयावधि में निष्पादन नही किये जाने के मामले पर खेद व्यक्त किया।

*** ओला वृष्टि में किसानों की फर्जी सूची तैयार कर क्षति पूर्ति राशि का गबन ***

बिहार में पूर्ण शराब बंदी होने के बाद भी नेपाल से शराब लाकर होम डिलीवरी को लेकर थाना प्रभारी से डेलीगेट के रूप में मिलने का प्रस्ताव पारित किया गया।जनता दल के वरिष्ठ नेता श्री राकेश कुमार सिंह ने प्रस्ताव दिया कि ओला वृष्टि से प्रभावित किसानों के बीच राहत राशि वितरण में भेद भाव किया गया और उगाही आधारित भुगतान किया गया और फर्जी किसानों की सूची तैयार कर फर्जी वारा किया गया है जिसकी उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिए।  आरोप लगाया गया है बाढ़ पीड़ित परिवार की सूची माँगे जाने के बाद भी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है जिसको लेकर जिला जनता दल यू को अवगत कराने का निर्णय लिया गया।

मंगलवार, अक्तूबर 17, 2017

True Balance App डाउनलोड कर असीमित रिचार्ज बैलेंस हासिल करें

दोस्तों यह True Balance App डाऊनलोड कर एकाउंट क्रिएट कर असीमित रिचार्ज बैलेंस हासिल कर अपने किसी भी नेटवर्क मोबाइल नंबर को रिचार्ज कर सकते हैं एकाउंट क्रिएट होते ही 10 रुपये का बैलेंस मिल जाता है आप अपने दोस्तों को invite कर आगे रिचार्ज बैलेंस हासिल कर सकते हैं  that lets you Check & Recharge Mobile Balance, Earn Rewards, all in one go! Try it : http://share.tbal.io/v2/app?m=&code=2D722XF2